अप्रैल 2019

Lok Sabha Election 2019 : “हाथ में लेकर हाथ चलो, राजनीति को साफ करोअपने चुनावी प्रचार के पंपलेट पर इस स्लोगन को लेकर मुस्लिम एरिया की तंग गलियों में सघन जनसंपर्क कर रहे निर्दलीय और युवा प्रत्याशी जावेद मोहम्मद खान ने कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल के लिए “खतरे की सीटी” बजा दी है। जावेद का चुनाव चिन्ह सीटी है। शनिवार को उनके वाहन जुलूस में समर्थक सीटी बजाते हुए वोट मांगते नजर आए। जानकारों की मानें तो जावेद जितना बढ़िया चुनाव लड़ेंगे नुकसान सीधे तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को ही होगा।


YOGESH TRIPATHI


इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं जावेद मोहम्मद खान


बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे जावेद मोहम्मद खान ने साल 2001 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। एचबीटीआइ से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ठेकेदारी में जुट गए। चार भाई और एक बहन में सबसे छोटे जावेद मोहम्मद खान का दावा है कि उनका सीधा मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी से होगा। परेड के कादरी हाउस के पास रहने वाले जावेद को मुस्लिम वर्ग के बीच खासा समर्थन मिल रहा है।

बिगड़ रही कांग्रेस प्रत्याशी की चुनावी गणित


इसमें कोई शक नहीं है कि चुनाव सिर्फ दो प्रत्याशियों के बीच है। कांग्रेस के श्रीप्रकाश और बीजेपी के सत्यदेव पचौरी के बीच सीधी फाइट हो रही है। लेकिन जो “सियासी गणित” चल रही है उसके मुताबिक जीत और हार का अंतर काफी बड़ा नहीं होगा। ऐसे में जितना वोट मुस्लिम एरिया से जावेद मोहम्मद खान हासिल करेंगे वो निश्चित तौर पर सीधा नुकसान श्रीप्रकाश जायसवाल का ही करेंगे। जानकारों की मानें तो जिस तरह से जावेद का चुनाव है उससे लगता है कि 5 से 10 हजार के बीच वोट वो हासिल कर सकते हैं। ये कांग्रेस प्रत्याशी के लिए किसी बड़े दर्द से कम नहीं होगा। सियासत पर पैनी नजर रखने वालों की मानें तो चुनाव में बड़े वोटों से हार-जीत नहीं होगी।

विभीषणों ने भी कर रखा है श्रीप्रकाश को परेशान


कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सिर्फ जावेद मोहम्मद खान ही खतरे ही सीटी नहीं बजा रहे हैं बल्कि कई कांग्रेसी नेता भी उनके लिए “विभीषण” का काम कर रहे हैं। इस बात का अंदाजा तो प्रत्याशी को भी है। कुछ नेता तो सीधे तौर पर चोट कर रहे हैं तो कुछ पर्दे के पीछे से। कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय कपूर के तमाम समर्थक पिछले कुछ दिनों में BJP का “भगवा चोला” ओढ़ चुके हैं। जाहिर है कि “भगवा चोला” ओढ़ने वाले ये पूर्व कांग्रेसी कार्यकर्ता और नेता कांग्रेस प्रत्याशी के बड़े वोटों का नुकसान कर रहे हैं। सबसे अधिक भीतरघात किदवईनगर विधान सभा में हो रहा है। किदवईनगर विधान सभा में अनुमान के मुताबिक कांग्रेस प्रत्याशी को कम वोट मिलने हैं लेकिन जो मिलने थे उसमें भी बड़ा भीतरघात होने की वजह से जीत दूर जा सकती है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को देर से मिल रही हैं गाड़ियां

www.redeyestimes.com (News Portal) ने कांग्रेस प्रत्याशी के कई कट्टर समर्थकों से बातचीत की तो उनका भी दर्द छलक पड़ा। एक ने कहा कि भाई हम पूरी टीम लेकर सुबह-सुबह निकल पड़ते हैं जनसंपर्क के लिए लेकिन प्रत्याशी की तरफ से जो वाहन भेजा जाता है वो दोपहर 11 बजे के बाद। गाड़ी पहुंचती है तो वो लोग एक बड़े भाग में जनसंपर्क कर चुके होते हैं। ये चुनाव का मैनेजमेंट देख रहे लोगों की तरफ से बड़ी खामियां हैं। प्रत्याशी का कोई दोष नहीं है। लेकिन जो सच है उसे कहा ही जाएगा।

[caption id="attachment_19403" align="alignnone" width="720"] सुनील भराला (दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री यूपी सरकार)[/caption]

ब्राम्हण मतदाता BJP को वोट करेगा : सुनील भराला

ब्राम्हण वोटर्स हिन्दू समाज का नेतृत्व करता रहा है। ब्राम्हण वर्ग ने सदैव राष्ट्रहित के लिए कार्य किया है। कानपुर नगर का ब्राम्हण मतदाता इस बार भी भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट करेगा। होटल विजय विला में रुके यूपी सरकार के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सुनील भराला ने एक रीजनल टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहीं। श्रीभराला ने कहा कि सिर्फ कानपुर में ही नहीं बल्कि यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर ब्राम्हण मतदाता भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में वोट करेगा। उन्होंने कहा कि सूबे में ब्राम्हण वोटों का प्रतिशत 16.5 है। जो भाजपा के पक्ष में जा रहा है। उन्होंने कहा कि ब्राम्हण वर्ग हमेशा से आरक्षण का विरोधी रहा है।

 

 
no image

Lok Sabha Election 2019 का चुनाव में राजनीतिक दलों के नेताओं और प्रत्याशियों के विवादित बयान लगातार जारी हैं। सोशल मीडिया Twitter पर UP के भदोही से BJP प्रत्याशी रमेश बिन्द का एक Video खूब Viral हो रहा है। इस वीडियों में रमेश बिन्द ब्राम्हणों को सार्वजनिक तौर पर गाली देने के साथ-साथ ये कह रहे हैं कि यदि एक बिन्द को पीटते हैं “तो हम जनेऊ देख 100 ब्राम्हणों को पिटवाते हैं। ऐसे नहीं कोई मिर्जापुर में रमेश बिन्द से खौफ खाता है। Video में रमेश बिन्द एक घटना का जिक्र करते हुए कह रहे हैं कि पुलिस वाले ने बूट मारा तो उन्होंने ऐसे ही नहीं थाना और थानेदार को फुंकवा दिया था”। Video के Viral होते ही विरोधी दल के नेताओं ने इसे पूरी तरह से लपक लिया है। शाम होते-होते ये Video सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म WhatsApp, Facebook पर भी वॉयरल है।


https://twitter.com/pankhuripathak/status/1121641666052411393

YOGESH TRIPATHI


Viral Video थाने को फुंकवाने का दावा कर रहे बीजेपी प्रत्याशी

Viral Video में बीजेपी प्रत्याशी रमेश बिंद खुलेआम थाने को आग लगाने का दावा तो कर ही रहे हैं। साथ ही साथ ब्राह्मणों को रोड पर घसीट-घसीट कर मारने की धमकी भी दे रहे हैं। वीडियो को देखने से प्रतीत होता है कि ये किसी जनसभा का है। इसमें जनसभा को सम्बोधित करते हुए रमेश बिन्द कह रहे हैं कि “अगर कोई ब्राह्मण एक भी बिन्द को मारता है तो हम लोगों के जनेऊ देखकर सौ ब्राह्मणों को पीटते हैं”

मिर्जापुर में बिन्द के नाम से कांपते हैं ब्राम्हण

वीडियो में रमेश बिंद यह भी कह रहे हैं कि मिर्जापुर में ब्राह्मण, बिन्द के नाम से कापते हैं। गौरतलब है कि रमेश बिन्द पहले बसपा पार्टी से विधायक रह चुके हैं। मंझवा से विधायक रहे रमेश बिन्द कुछ दिनों पहले गठबंधन से भदोही सीट पर लोकसभा का टिकट मांग रहे थे लेकिन गठबंधन ने रंगनाथ मिश्रा को भदोही से टिकट दे दिया।

चढ़ावा के बाद बीजेपी ने दिया रमेश बिन्द को टिकट

टिकट न मिलने पर रमेश बिंद ने भाजपा का दामन थाम लिया। चर्चा है कि संगठन के एक बड़े नेता को “चढ़ावा” चढ़ाने के बाद उनको हाईकमान ने टिकट दे दी। इस वीडियो के वायरल होने के बाद गठबंधन प्रत्याशी रंगनाथ मिश्रा ने उन्हें ब्राह्मण विरोधी बताते हुए कहा कि यदि ये व्यक्ति चुनाव जीता तो ब्राम्हणों को दर-दर पीटा जाने लगेगा। हालांकि पार्टी की तरफ से रमेश बिन्द की इस टिप्पणी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

Viral Video को लेकर दिए जा रहे हैं तर्क-कुतर्क

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को भाजपा के लोग संदिग्ध और फर्जी मान रहे हैं। वीडियो के बारे में बताया जा रहा है कि जब रमेश बिंद बसपा में थे तो मिर्जापुर में आयोजित अपने समाज से जुड़े कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह विवादित टिप्पणी की थी।

रमेश बिंद का कहना है कि वायरल हुआ वीडियो उनका नहीं है। वीडियो में उनकी आवाज नहीं है। विरोधी दल के लोग षड्यंत्र रच रहे हैं। मैंने कभी ब्राम्हण समाज के खिलाफ नहीं बोला।

 

Lok Sabha Election 2019  में "विभीषणों" के भीतरघात और ब्राम्हण मतदाताओं के विरोध का सामना कर रहे अकबरपुर लोकसभा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह (भोले) का चुनावी "समीकरण" ठीक करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने कमान संभाल ली है। RSS के एक प्रांतीय पदाधिकारी ने चुनाव की बागडोर को अपने हाथ में लेने के साथ ही रनिया विधान सभा में डेरा जमा दिया है। कल्याणपुर और बिठूर विधान सभा में बड़े भीतरघात से निपटने के लिए जयनारायण स्कूल में गुरुवार शाम को मीटिंग होगी। इसमें बूथ प्रमुख से लेकर सेक्टर प्रमुख तक के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है।


[caption id="attachment_19366" align="alignnone" width="695"] अकबरपुर लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी निशा सचान के समर्थन में वोट मांगते पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार के भाई जगविजय कटियार।[/caption]

गौरतलब है कि www.redeyestimes.com (News Portal) ने अकबरपुर लोकसभा में बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ ब्राम्हण वोटर्स में भारी नाराजगी के साथ-साथ बीजेपी के कद्दावर नेताओं और उनके करीबी लोगों की तरफ से किए जा रहे भीतरघात की खबर को प्रमुखता से छापा था। जिसके बाद बीजेपी प्रत्याशी ने शिकायत हाईकमान से की। केंद्रीय नेतृत्व ने ब्राम्हण वोटर्स की नाराजगी दूर करने के लिए यूपी बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत बाजपेयी को आनन-फानन में भेज दिया।


YOGESH TRIPATHI


ब्राम्हणों के विरोध और भीतरघात से BJP हाईकमान भी परेशान

कल्याणपुर और बिठूर में भीतरघात कर रहे BJP के “विभीषणों” पर नकेल कसने के लिए RSS के दिग्गज और प्रांतीय पदाधिकारी गुरुवार दोपहर को रनिया विधान सभा पहुंच गए। वे चुनाव तक यहीं पर कैम्प करेंगे। बड़े सूत्रों की मानें तो RSS के इस बड़े पदाधिकारी ने दो “माननीयों” को ताकीद देते हुए “कड़वी घुट्टी” पिला दी है। कड़े शब्दों में कहा गया है कि यदि प्रत्याशी की हार हुई तो खैर नहीं। कुछ बड़े नेताओं और उनके करीबी “कारखास” लोगों को चिन्हित करने का काम RSS के दिग्गज ने शुरु भी कर दिया है। ब्राम्हण वोटों की नाराजगी दूर करने के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं।

जयनारायण स्कूल में शाम को होगी मीटिंग


कल्याणपुर विधान सभा में बड़े भीतरघात की आशंका के मद्देनजर RSS के निर्देश पर जिले के पदाधिकारी ने मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में बीजेपी के साथ-साथ RSS के भी बूथ से लेकर सेक्टर तक के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। गौरतलब है कि इस विधान सभा में “बीजेपी” का किला मजबूत है। यहां पर पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार के भाई जगविजय कटियार गठबंधन की सजातीय प्रत्याशी निशा सचान के समर्थन में वोट मांगते हुए दिख चुके हैं। Portal ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित भी किया, जिसके बाद RSS और BJP के शीर्ष नेताओं ने संज्ञान में लेते हुए तत्काल इस पर नकेल कसने की रणनीति बनाई है।

 

 

Lok Sabha Election 2019 में Fatehpur जनपद का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर है। यहां @INCIndia के प्रत्याशी @Rakesh_Sachan_ "चुनावी रण" में “फ्रंटफुट” पर बैटिंग कर रहे हैं। उनकी सीधी फाइट कहीं गठबंधन प्रत्याशी सुखदेव प्रसाद वर्मा से है तो कहीं वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से हो रही है। राकेश सचान के समर्थन में प्रियंका गांधी 15 दिन के अंदर दो बार रोड शो और जनसभाएं कर चुकी हैं। गुरुवार को गुजरात के पाटीदार नेता @HardikPatel_ का हेलीकॉप्टर भी लैंड किया। हार्दिक ने राकेश सचान के समर्थन में आयोजित दो जनसभाओं में UP के CM योगीआदित्यनाथ और PM नरेंद्र मोदी को टॉरगेट करते हुए जमकर हमला बोला। हार्दिक ने कहा कि देश की आजादी में कांग्रेस का अहम योगदान है। देश की जनता को “प्रचार मंत्री नहीं, प्रधानमंत्री की आवश्यकता है”।  


Yogesh Tripathi


[caption id="attachment_19389" align="alignnone" width="695"] फतेहपुर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता को संबोधित करते हुए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल।[/caption]

समझदारी से वोट नहीं किया तो संविधान खत्म कर देगी BJP


फतेहपुर के अमौली में कांग्रेस प्रत्याशी राकेश सचान के समर्थन में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने दो टूक शब्दों में कहा कि “ये संविधान को बचाने का चुनाव है”। “यदि आप लोगों ने समझदारी से वोट की चोट नहीं की तो बीजेपी बाबा भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान को खत्म कर देगी” । निर्णय आप लोगों को करना है कि “बाबा साहब के संविधान को चाहते हैं या फिर बीजेपी के संविधान को”।

गुजरात मॉडल का सपना दिखाकर जनता को ठगा


हार्दिक पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव में गुजरात मॉडल का सपना दिखाकर जनता का वोट लिया। गुजरात म़ॉडल की तस्वीर देखनी है तो कभी आइए आप लोग गुजरात में। हार्दिक ने कहा कि 55 लाख से अधिक गुजराती युवा बेरोजगार है। 5 हजार से अधिक किसान अबतक सुसाइड कर चुका है। करीब 13 हजार से अधिक महिलाओं और बच्चियों के साथ रेप की वारदातें हुई हैं। क्या यही गुजरात मॉडल है ? गुजरात बदहाली की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद को छोड़ दीजिए तो चारो तरफ बेरोजगारी, पानी समेत तमाम समस्याएं देखने को मिलेंगी। फतेहपुर में भी पानी की समस्या है, इस समस्या के समाधान की कोशिश अब तक नहीं की गई।

RSS के लिए काम कर रहे हैं UPCM


हार्दिक पटेल ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेते हुए कहा कि सूबे में 2.50 लाख से अधिक सरकारी नौकरियों के पद खाली पड़े हैं लेकिन इन पदों पर यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभी तक कोई भर्ती नहीं की है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वे सिर्फ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और कुछ बड़े लोगों के लिए काम करने में व्यस्त हैं। सूबे के जनता की वे सुध नहीं ले रहे हैं। उन्नाव में किशोरी के साथ दुराचार करने के आरोपी बीजेपी कुलदीप सेंगर को विधायक को मीडिया में हो रही किरकिरी और हाईकोर्ट की फटकार के बाद जेल तो भेज दिया लेकिन आरोपी विधायक अभी तक बीजेपी का सिपाही है। भाजपा ने उसे अभी तक पार्टी से सस्पेंड नहीं किया है।

 

 
no image

Lok Sabha Election 2019 में तीन चरण की वोटिंग हो चुकी है। 4 चरणों का चुनाव होना शेष है। जिन जगहों पर वोटिंग हो चुकी हैं वहां विपक्षी प्रत्याशी EVM की सुरक्षा के मद्देनजर खासे चिंतित हैं। UP के मुजफ्फरनगर में वोटिंग के बाद से ही गठबंधन प्रत्याशी चौधरी अजीत सिंह के समर्थक लाठी-डंडे से लैस होकर स्ट्रांग रूम के बाहर “चौकीदारी” कर रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि “सरकार की चौकीदारी” पर उन्हें भरोसा नहीं है इस लिए वे लोग अपने सामान की सुरक्षा खुद ही कर रहे हैं"। पहरा दे रहे लोगों ने देश के सभी जगहों पर विपक्षी प्रत्याशियों और उनके समर्थकों से अपील की है कि यदि “चुनाव जीतना है तो वोटों की गिनती तक EVM की “चौकीदारी” करनी होगी”।


YOGESH TRIPATHI


13 दिनों से विपक्ष दे रहा है पहरा


मुजफ्फरनगर लोकसभा का चुनाव पहले चरण में ही संपन्न हो गया था। यहां पर 11 अप्रैल को वोट डाले गए थे। वोटिंग प्रक्रिया खत्म होने के बाद शाम से ही चौधरी अजीत सिंह के समर्थक स्ट्रांग रूम के बाहर लाठी-डंडे से लैस होकर बैठ गए। यहां चुनाव के बाद EVM मशीन नई मंडी कुकड़ा में रखी गई हैं। यही नहीं बिजनौर लोकसभा के प्रत्याशी मलूक नागर की भी एक टीम यहां पहरेदारी कर रही है। बिजनौर सीट में आने वाले दो विधानसभा क्षेत्र इसी जनपद का हिस्सा हैं। 23 मई को मतगणना यहीं होगी।

रात और दिन की ड्यूटी के लिए बनी है टीम


वोटिंग प्रक्रिया के बाद से ही स्ट्रांग रूम के बाहर कई दर्जन से अधिक लोग जुटे हैं। युवाओं की ड्यूटी निर्धारित की गई है। रात और दिन के लिए अलग-अलग टीमें बनी हैं। यहां हुक्का, चारपाई और खाने की व्यवस्था प्रत्याशी की तरफ से की गई है। राष्ट्रीय लोकदल के जिला प्रेसीडेंट अजित राठी सुरक्षा देने वाली टीम को लीड कर रहे हैं। साथ ही साथ यहां पर बीएसपी और एसपी के कार्यकर्ता भी अपने समय पर आकर ड्यूटी देते हैं। यहां चौकीदारी कर रहे लोगों के मुताबिक उन्हें “सरकार की चौकीदारी” पर भरोसा नहीं है, इसलिए वे अपने सामान की खुद हिफाजत कर रहे हैं।

सड़क पर टेंट लगाकर गुड़गुड़ा रहे हैं हुक्का


जिस स्ट्रॉंग रूम में EVM मशीनों को रखा गया है उसके ठीक सामने सड़क की दूसरी तरफ पहरा दे रहे गठबंधन प्रत्याशी के समर्थकों ने अपना टेंट लगा रखा है। यहां पर बैठने वाले सभी “चौकीदार” हुक्का गुड़गुड़ाते रहते हैं। लोकदल के जिलाध्यक्ष अजीत राठी के मुताबिक वोटिंग वाले दिन जिला प्रशासन ने बीजीपी प्रत्याशी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि  “हम प्रशासन की नीयत को समझ गए हैं। वे चौधरी साहब (अजित सिंह) को हराना चाहते हैं जबकि उनके पक्ष में भारी मतदान हुआ है और वह चुनाव जीत गए हैं। अब मशीनों की गड़बड़ी से उन्हें हराया जा सकता है, इसलिए हम पहरा दे रहे हैं।”

BJP प्रत्याशी की हालत पतली


उल्लेखनीय है कि चौधरी अजित सिंह मुजफ्फरनगर से गठबंधन प्रत्याशी हैं। यहां पर उनकी सीधी फाइट बीजेपी के संजीव बालियान से है। संजीव बालियान 2014 में चार लाख मतों से चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार विपक्ष की एकजुटता की वजह से उनकी हालत बेहद पतली नजर आ रही है।

 

 
no image

Kanpur Lok Sabha 2019 की चुनावी रफ्तार दिन पर दिन बढ़ रही है। Congress प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल और BJP उम्मींदवार सत्यदेव पचौरी के बीच यहां सीधी फाइट पक्की मानी जा रही है। दोनों ही प्रत्याशियों के लिए “विभीषण” बवाल-ए-जान बने हुए हैं। प्रत्याशी और उनके चुनावी मैनेजमेंट को संभाल रहे “कारखास” लोग अपने “विभीषण” रोकने और समझाने के बजाय सामने वाले के “विभीषण” को पसंद कर तरजीह देने में जुटे हैं। इसमें सबसे तगड़ा झटका कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को लग सकता है। राजनीति के जानकारों की मानें तो गोविंदनगर और किदवईनगर विधान सभा का “चक्रव्यूह” भेदना कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। यहां पर उनके “विभीषण” न सिर्फ ताकतवर हैं बल्कि उनकी संख्या भी अधिक है। खास बात ये है कि दोनों ही विधान सभाएं ब्राम्हण बाहुल्य होने के साथ-साथ BJP का गढ़ मानी जाती हैं। 2017 के विधान सभा चुनाव में दोनों सीटें बीजेपी ने जीती हैं। किदवईनगर विधान सभा में तो महेश त्रिवेदी ने तीन बार के विधायक रहे कांग्रेस के अजय कपूर को हराकर उनका तिलिस्म तोड़ा है।


https://twitter.com/SPJaiswalKanpur/status/1120408271532302338

YOGESH TRIPATHI


छावनी विधान सभा में होगी कांटे की टक्कर


सबसे पहले छावनी विधान सभा की बात करते हैं। यहां पर चुनावी टक्कर कांटे की होने वाली है। यही एक विधान सभा है जहां सपा-गठबंधन के प्रत्याशी रामकुमार हल्का-फुल्का कांग्रेस प्रत्याशी को नुकसान दे सकते हैं। वजह ये है कि उनका घर भ इसी विधान सभा के अंतर्गत आता है। उनके पिता मनोहर लाल छावनी से विधाय रहे थे, भाई दीपक कुमार कई साल पहले सभासद बने थे। क्षेत्र में रामकुमार की पकड़ काफी अच्छी है। यहां बीजेपी प्रत्याशी को उसका परंपरागत वोट पूरा मिलने की संभावना है। कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को मुस्लिम वोटों के साथ-साथ दलित वर्ग का भरपूर समर्थन मिल रहा है। उनकी पार्टी के विधायक सोहेल अंसारी पूरी ताकत से दिन-रात एक किए हैं। इसका बड़ा एडवांटेज मिल भी रहा है। कुल मिलाकर कांटे की टक्कर में श्रीप्रकाश आगे रहेंगे लेकिन अंतर कम होगा।

https://twitter.com/SPJaiswalKanpur/status/1119841340290764800

आर्य नगर विधान सभा में बढ़त बनाएंगे श्रीप्रकाश


आर्यनगर विधान सभा में श्रीप्रकाश एकतरफा चुनाव लड़ेंगे। वोट बीजेपी और गठबंधन को भी मिलेगें लेकिन कांग्रेस की तुलना में ये काफी कम होंगे। यहां श्रीप्रकाश के साथ-साथ नगर अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री की भी प्रतिष्ठा लगी है। हालांकि विधान सभा में हरप्रकाश को उनकी साफ, सुंदर छवि की वजह से हर वर्ग का समर्थन हमेशा से मिलता रहा है। जो इस चुनाव में भी बरकरार रहने की उम्मींद है। विधान सभा में मुस्लिम वोटों की संख्या ठीक है। यहां बीजेपी को एडवांटेज एक क्षेत्रीय दल के कद्दावर नेता से मिलता दिख रहा है। संकेत मिल रहे हैं कि अंत समय में ये दिग्गज नेता बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट और सपोर्ट की अपील कर सकते हैं। सूत्रों पर विश्वास करें तो अंदर ही अंदर वो बीजेपी प्रत्याशी को सपोर्ट भी कर रहे  हैं। इस विधान सभा की खास बात ये है कि श्रीप्रकाश जायसवाल की शादी में “सहबाला” बनकर जाने वाले एक दूसरे राजनीतिक दल के दिग्गज अंतिम दौर में अपनी “गणित” अवश्य लगाएंगे। उनकी “गणित” यदि सही बैठी तो श्रीप्रकाश की लीड का काफी बड़ी हो सकती है।

https://twitter.com/INCUPEast/status/1119636048240422914

सीसामऊ में भी मजबूत हैं श्रीप्रकाश जायसवाल


सीसामऊ विधान सभा की कमान श्रीप्रकाश ने अपने करीबी पूर्व विधायक संजीव दरियाबादी को दे रखी है। यहां उनके समाज का बड़ा वोट बैंक है। साथ ही मुस्लिम मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। मुस्लिम वोट के साथ दलित वोटर्स यहां श्रीप्रकाश के पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है। इक्का-दुक्का जगहों पर यहां गठबंधन प्रत्याशी भी लड़ रहे हैं। बीजेपी को सिर्फ परंपरागत वोट बैंक ही मिलता दिख रहा है। यहां श्रीप्रकाश के लिए एक क्षेत्रीय दल के कद्दावर नेता का बड़ा समर्थन अंदरखाने से मिल रहा है। जिसकी वजह से श्रीप्रकाश की स्थित यहां बेहद मजबूत है।

 गोविंदनगर विधान सभा में बीजेपी प्रत्याशी काफी मजबूत


गोविंदनगर विधान सभा से बीजेपी प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी वर्तमान में विधायक हैं। 2017 का चुनाव वे बड़े अंतर से जीते थे। तब उन्होंने अंबुज शुक्ला को हराया था। उससे पहले 2012 में वे कांग्रेस प्रत्याशी के करीबी शैलेंद्र दीक्षित को हराकर चुनाव जीते थे। इस एरिया के अंतर्गत आने वाले, शास्त्रीनगर, विजय नगर, समेत कई जगहों पर सत्यदेव पचौरी काफी मजबूत हैं। रतनलाल नगर मंडल में उनको थोड़ा बहुत झटका मिल सकता है लेकिन राजनीति के पंडितों की राय में यहां पर जीत अंतत: सत्यदेव पचौरी की ही होगी। अंतर भी बड़ा सकता है। यहां पर दोनों ही प्रत्याशियों के “विभीषण” सक्रिय भूमिका में हैं। इसमें कुछ तो खुलकर चुनाव लड़वा रहे हैं। यहां पर श्रीप्रकाश के लिए राहत भरी बात ये है कि उनके पुराने समर्थक पूर्व पार्षद मनीष शर्मा ने बीजेपी प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी के सामने ताल ठोंक दी है। वे सिर्फ अपने वार्ड में ही नहीं बल्कि रतनलाल नगर मंडप के कई वार्डों में भाजपा प्रत्याशी के लिए मुसीबत बन चुके हैं। बसपा के कई नेता भी यहां पर श्रीप्रकाश के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं।

 BJP का सबसे मजबूत किला है किदवईनगर विधान सभा


ब्राम्हण बाहुल्य किदवईनगर विधान सभा 2017 में बीजेपी ने कांग्रेस से छीनी है। यहां से तीन बार के विधायक रहे अजय कपूर को हराकर महेश त्रिवेदी विधायक बने हैं। लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने हमेशा न सिर्फ इस विधान सभा को जीता है बल्कि मतों का अंतर काफी अधिक रहा है। महेश त्रिवेदी ने अजय कपूर को करीब 35 हजार वोटों से हराया था। जानकारों की मानें तो किदवईनगर ऐसी विधान सभा है जहां बीजेपी प्रत्याशी के जीत का अंतर इतना बड़ा हो जाता है कि बाकी विधान सभाओं में मिली जीत को भी यदि जोड़ दिया जाए तो बराबरी नहीं हो पाती है। माना जा रहा है कि इस बार भी यहां जीत का अंतर बड़ा रहेगा। इसका सीधा लाभ बीजेपी प्रत्याशी को मिलेगा।

कांग्रेस प्रत्याशी को यहां पर बड़े “विभीषणों” से सामना करना पड़ा रहा है। एक “विभीषण” ने सीधे तौर पर चैलेंज दे रखा है। यहां दूसरा बड़ा “विभीषण” श्रीप्रकाश जायसवाल का “अपना” ही बताया जा रहा है। इस "विभीषण" चुनाव लड़ने का भी अनुभव प्राप्त है। इस “विभीषण” ने ब्राम्हण वोटों को जोड़ने के बजाय उसे बीजेपी प्रत्याशी की तरफ डॉयवर्ट करने का काम Start कर दिया है। हालांकि इसे टेंडर ब्राम्हण वोट को जोड़ने का ही मिला था। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ राजनीति के पंडित भी इसके कारनामों को जान रहे हैं लेकिन मुंह कौन खोले ? कांग्रेसी मान रहे हैं कि यदि समय रहते इस पर यदि नकेल नहीं कसी गई तो पराजय काफी बड़ी हो सकती है। जानकारों की मानें तो गोविंदनगर के बाद किदवईनगर में सत्यदेव पचौरी की बड़ी जीत हो सकती है। जो बाकी विधान सभा में मिली हार की खाई को आसानी से पाट सकती है।


https://redeyestimes.com/2019/04/12/lok-sabha-election-2019-congress-candidate-shri-prakash-jaiswal-created-brahman-leaders-in-charge-of-the-legislative-assembly/

गोविंदनगर और किदवईनगर में बीजेपी प्रत्याशी के मजबूत होने की एक और बड़ी वजह दूसरे दलों से आए कई नेता भी हैं। कुछ नेता तो अकेले दम पर 10 से 20 हजार वोट डॉयवर्ट करने की दम भरते दिख रहे हैं। यदि ये सब सही है तो मतलब साफ है कि सीसामऊ, कैंट और आर्यनगर में श्रीप्रकाश की “चुनावी रेल” काफी तेज गति से दौड़ेगी लेकिन गोविंदनगर और किदवईनगर में “विभीषणों” की वजह से उसके “डिरेल” होने की संभावना है।


 

 

Lok Sabha Election 2019 :  अकबरपुर लोकसभा सीट से BJP प्रत्याशी और वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह (भोले) को “चुनाव जिताने और ब्राम्हणों को मनाने” के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने फॉयर ब्रांड नेता और BJP (UP)  के Ex. President लक्ष्मीकांत बाजपेयी को “मोर्चे” पर तैनात कर दिया है। मंगलवार दोपहर Kanpur पहुंचे श्रीबाजपेयी ने Kanpur BJP (North) के अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी के साथ पत्रकारों से बातचीत की। वे पांच दिनों तक अकबरपुर लोकसभा में कैम्प कर ब्राम्हण मतदाताओं की प्रत्याशी से बढ़ी नाराजगी को दूर करने का हरसंभव प्रयार करेंगे। गौरतलब है कि संडे को www.redeyestimes.com (News Portal) ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित करते हुए लिखा था कि बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह (भोले) की चुनावी नाव “ब्राम्हण मतदाताओं की नाराजगी, जातिवाद की राजनीति और भीतरघात” “भंवर” में फंसती नजर आ रही है। इस खबर को केंद्रीय चुनाव समिति ने बेहद गंभीरता से लेने के बाद लक्ष्मीकांत बाजपेयी को भेजने का फैसला लिया है।


YOGESH TRIPATHI


सिर्फ नाराज ही नहीं बेहद गुस्से में है ब्राम्हण मतदाता


अकबरपुर लोकसभा सीट की चाबी करीब 2.95 लाख ब्राम्हण मतदाताओं के पास ही है। ये सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी भली भांति जान रहे हैं। पिछली बार बड़ी संख्या में ब्राम्हण मतदाताओं ने बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह (भोले) के पक्ष में मतदान किया था। जिसकी वजह से उनकी बंपर जीत हुई थी। सूत्रों की मानें तो इसके बाद “भोले” एक खास तरह के “सिंडीकेट” और ठाकुर बिरादरी के लोगों के बीच घिरे रहे। पांच साल तक ब्राम्हण वोटों की सुध तक नहीं ली। हर स्तर पर ब्राम्हण वर्ग के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और मतदाताओं को अपमान सहना पड़ा। 2019 के चुनाव की बेला आई तो उसके साइड इफेक्ट तुरंत दिखने शुरु हो गए। ब्राम्हण मतदाताओं के साथ कुछ कार्यकर्ता और संगठन के पुराने नेता भोल के खिलाफ लामबंद हो गए। जिसकी वजह से उनका “चुनावी समीकरण” पूरी तरह से गड़बड़ा गया।

“कोढ़ में खाज” वाली स्थित तब आ गई जब कुछ “माननीय” अंदर ही अंदर भीतरघात में जुट गए। कुछ “माननीय” के परिवारीजन और रिश्तेदार सजातीय प्रत्याशियों के लिए खुल्लम-खुल्ला वोट मांगने लगे। इसमें प्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार के भाई जगविजय कटियार का नाम सबसे ऊपर है। वे दो दिन पहले ख्यौरा एरिया में सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी निशा सचान के लिए जनसंपर्क कर वोट मांगते दिख चुके हैं। फोटो के साथ उनकी भी खबर www.redeyestimes.com (News Portal) ने मंडे को प्रकाशित की थी।


भोले को जिताने और ब्राम्हणों को मनाने” के मिशन पर आए हैं लक्ष्मीकांत बाजपेयी


बड़े सूत्रों की मानें तो Portal में प्रकाशित इस महत्वपूर्ण और अहम खबर को केंद्रीय चुनाव समिति ने बेहद गंभीरता से लेकर इस पर मंथन किया। इस बीच लोकल स्तर से भी शिकायतें भेजी गईं। जिसके बाद BJP हाईकमान ने तुरंत लक्ष्मीकांत बाजपेयी को अकबरपुर लोकसभा में पहुंचने का निर्देश जारी किया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि लक्ष्मीकांत बाजपेयी के एक मझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी हैं। ब्राम्हण नेताओं, कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच उनकी मजबूत पकड़ है। जमीनी नेता के तौर पर श्रीबाजपेयी की पहचान होती है। अपनी इन्हीं खूबियों के चलते लक्ष्मीकांत बाजपेयी ब्राम्हण वर्ग की भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह (भोले) से बढ़ी नाराजगी को दूर करेंगे।

खबरों की मानें तो सबसे पहले वे स्थानीय संगठन के कद्दावर ब्राम्हण नेताओं के साथ गोपनीय बैठक करेंगे। किस एरिया, गांव और तहसील में विरोध अधिक है, इसकी जानकारी लेने के बाद वे रणनीति बनाएंगे। साथ ही साथ वे कई जगहों पर खुद भी पहुंचेगें। खबर ये भी है कि उनकी मौजूदगी की वजह से जो “माननीय” अंदर ही अंदर बीजेपी प्रत्याशी के “जड़” में “माठा” डाल रहे हैं, उन पर भी श्रीबाजपेयी नकेल कसने का काम करेंगे।


कांग्रेस प्रत्याशी से है मुकाबला


मीडिया से बातचीत के दौरान लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने दो टूक शब्दों में कहा कि मुकाबला कांग्रेस के साथ है। उन्होंने कहा कि सपा का अत्याचार जनता को पूरी तरह से याद है। श्रीबाजपेयी ने कहा कि सपा का अत्याचार ही उसका पेनाल्टी कार्नर है। उन्होंने कहा कि बीजेपी यूपी में इस बार 74 से अधिक सीटें जीतेगी।

[caption id="attachment_19366" align="alignnone" width="695"] अकबरपुर लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी निशा सचान के समर्थन में वोट मांगते पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार के भाई जगविजय कटियार।[/caption]

सांसद देवेंद्र सिंह (भोले) ने हाईकमान से शिकायत की


भीतरघात से जूझ रहे अकबरपुर के वर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह (भोले) ने कुछ वर्तमान और पूर्व “माननीयों” की शिकायत बीजेपी हाईकमान से की है। सूत्रों की मानें तो करीब दर्जन भर नेताओं की शिकायत की गई है। ये वो लोग हैं जो बीजेपी में रहकर विरोधी दलों के लिए “विभीषण” बन चुके हैं। कई दिग्गजों के रिश्तेदारों की भी शिकायत की गई है। शिकायत में Portal की निष्पक्ष खबरों को भी आधार बनाया गया है। गौरतलब है कि सोमवार को पोर्टल ने प्रदेश सरकार की पूर्व कैबिनेट मंत्री के भाई और कल्याणपुर से बीजेपी की वर्तमान विधायक नीलिमा कटियार के मामा जगविजय कटियार की फोटो के साथ में खबर प्रकाशित की थी। जिसमें वे गठबंधन प्रत्याशी निशा सचान के साथ चुनाव संपर्क कर वोट मांग रहे हैं।

 

 
no image

Lok Sabha Election 2019 : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने सर्वे और तमाम रुझानों को देखने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से टिकट देकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। हालांकि प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से टिकट दिए जाने और सक्रिय राजनीति में लाने पर MODI और शाह सहमत नहीं थे लेकिन RSS का ये फैसला सभी को अंतत: मानना पड़ा। अंदरखाने की मानें तो “प्रज्ञा ठाकुर के जरिए RSS सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में यह मैसेज देना चाहती है कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक समर्थक हैं, कांग्रेस हिंदू विरोधी है।हालांकि प्रज्ञा का शहीद हेमंत करकरे पर दिया गया विवादित बयान जब “गुड़ भरी हंसिया” साबित होने लगा तो प्रज्ञा ने माफी मांगने में तनिक भी देर नहीं लगाई। प्रज्ञा के प्रत्याशी बनने के बाद “ध्रुवीकरण” की राजनीति साफ-साफ देखी जा रही है।


YOGESH TRIPATHI


प्रज्ञा ठाकुर और मालेगांव ब्लास्ट कनेक्शन ?


प्रज्ञा ठाकुर की शिक्षा और दीक्षा मध्य प्रदेश के ग्वालियर और भिंड में हुई। प्रज्ञा के पिता एक आर्युवेद चिकित्सक थे। प्रज्ञा के पिता का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से गहरा ताल्लुक था। यही वजह रही कि बड़ी होने के बाद प्रज्ञा पिता के पदचिन्हों पर चलीं। शुरुआत उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। इसके बाद वे RSS के लिए सक्रिय हो गईं। 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट में 8 लोगों की मौत हो गई। उस समय केंद्र में UPA की सरकार थी।

मामले की जांच कर रही ATS ने जब कांड की गुत्थी सुलझाई तो कई चौंकने वाली कड़ी मिली। जिस गाड़ी में विस्फोट रखकर ब्लास्ट किया गया था, वो साध्वी प्रज्ञा के नाम पर मिली। इसी को आधार बनाकर ATS ने प्रज्ञा को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इसमें मामलें कई और चर्चित चेहरे भी भी Arrest किए गए। सभी पर माकोका की धारा भी लगाई गई। प्रज्ञा करीब नौ साल तक जेल में बंद रहीं। 2017 में उन पर चल रहा माकोका का मुकदमा हटा लिया गया। प्रज्ञा के वकील ने हाईकोर्ट में दलील और दस्तावेज पेश कर बताया कि उनके मुवक्किल को स्तन कैंसर हो गया। जिसके इलाज के लिए जमानत दी जाए। इस पर हाईकोर्ट ने प्रज्ञा को इलाज कराने के लिए जमानत दे दी।


दिग्विजय सिंह के खिलाफ BJP ने बनाया है प्रत्याशी


प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी ने प्रज्ञा को प्रत्याशी बनाकर “सियासी फिजा” में बड़ा बदलाव लाने का संकेत दिया है। यही वजह है कि प्रज्ञा ठाकुर ने मीडिया के सामने शहीद हेमंत करकरे को लेकर काफी विवादित बयान दिया। जिसकी उनकी चारो तरफ निंदा हुई। मामला बिगड़ता देख हालांकि प्रज्ञा ने इस मुद्दे पर माफी भी मांग ली।

प्रज्ञा ठाकुर को लेकर सहमत नहीं थे मोदी और शाह


लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के साथ-साथ RSS भी रणनीति और मंथन कर रही है। यही वजह है कि तमाम सर्वे और रुझानों के बाद जब RSS को लगा कि बीजेपी की जमीन खिसक रही है तो उसने प्रज्ञा ठाकुर को अपना ट्रंपकार्ड बनाने की ठान ली। सूत्रों की मानें तो प्रज्ञा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहमत नहीं थे लेकिन RSS हर कीमत पर प्रज्ञा को भोपाल से टिकट देकर “ध्रुवीकरण” चाह रही थी। लंबी प्रक्रिया के बाद सहमति बनी और प्रज्ञा को प्रत्याशी घोषित किया गया। प्रत्याशी घोषित होने के बाद प्रज्ञा ने शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दे दिया। प्रज्ञा के इस बयान के बाद “सियासी फिजा” देखते ही देखते वास्तव में बदल गई। हालांकि जब बीजेपी और RSS को लगा कि नुकसान हो रहा है तो 24 घंटे के अंदर ही प्रज्ञा ने माफी भी मांग ली।

 भोपाल सीट पर 35 साल से है बीजेपी का कब्जा


मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि 1984 के बाद से यहां बीजेपी का कब्जा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनाव में कांग्रेस को छह बार जीत हासिल हुई है। भोपाल में 12 मई को मतदान होने वाला है।

भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े 19 लाख मतदाता है, जिसमें चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, साढ़े चार लाख पिछड़ा वर्ग, दो लाख कायस्थ, सवा लाख क्षत्रिय वर्ग से हैं। मतदाताओं के इसी गणित को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर “ध्रुवीकरण” का दांव खेला है।


 क्या कहते हैं वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ?


वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया कहते हैं कि, “BJP ध्रुवीकरण चाहती है, इसी के चलते उसने प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारने का फैसला लिया। बीजेपी वास्तव में प्रज्ञा ठाकुर के जरिए पूरे देश में यह संदेश देना चाहती है कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक समर्थक हैं, कांग्रेस हिंदू विरोधी है। प्रज्ञा को हिंदुत्व पीड़ित बताने की भी कोशिश की जा रही है और बीजेपी भोपाल में इस चुनाव को अन्य मुद्दों की बजाय ध्रुवीकरण करके लड़ना चाहती है।"

उम्मींदवार घोषित होते ही तल्ख होने लगे प्रज्ञा के मिजाज


भोपाल से उम्मीदवारी घोषित होने के बाद प्रज्ञा के मिजाज तल्ख होने लगे हैं। वे मतदाताओं को भावनात्मक तौर पर लुभाने में जुट गई है। उन्होंने कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप तो लगाया ही साथ में हिंदुत्व आतंकवाद और भगवा आतंकवाद का जिक्र छेड़ा और मालेगांव बम विस्फोट का आरोपी बनाए जाने के बाद पुलिस की प्रताड़ना का ब्योरा देना शुरू कर दिया। वे लोगों के बीच भावुक भी हो रही हैं।

जानकारों का कहना है कि भोपाल के चुनाव में "ध्रुवीकरण" की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। कांग्रेस की हर संभव कोशिश होगी कि "ध्रुवीकरण" को किसी तरह रोका जाए। लेकिन बीजेपी प्रज्ञा को कांग्रेस की तरफ से सताई गई हिंदू महिला के तौर पर पेश कर रही है।


 

 

Lok Sabha Election 2019 : अकबरपुर लोकसभा का चुनाव दिन पर दिन बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। कांटे की त्रिकोणीय लड़ाई में BJP के “भोले” की सीट इस बार फंसती नजर आ रही है। उसकी वजह “अपनों” और उनके करीबी लोगों को पराया हो जाना है। "जातिवाद का जनेऊ" भी इस बार चुनाव में खूब चल रहा है। कुछ ऐसी ही एक सीन ख्योरा एरिया में देखने को मिली। यहां कल्याण सिंह सरकार में ताकतवर कबीना मंत्री रहीं प्रेमलता कटियार के भाई जग विजय कटियार सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी निशा सचान के समर्थन में खुलेआम वोट मांगते हुए दिखाई दिए। जगविजय की भांजी नीलिमा कटियार वर्तमान में कल्याणपुर विधान सभा से BJP की MLA हैं।


 

YOGESH TRIPATHI


बहन के चुनाव में हो जाते हैं “भाजपाई”


जगविजय कटियार के बारे में भाजपाइयों के बीच तगड़ी चर्चा है कि जब विधान सभा का चुनाव उनकी बहन या भांजी लड़ती हैं तो वे भाजपाई हो जाते हैं। तन, मन और धन से चुनाव भी लड़ाते हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में वे बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि जगविजय लोकसभा चुनाव में बीजेपी का विरोध कर रहे हों। श्यामबिहारी मिश्रा, अरुण तिवारी (बाबा) के चुनाव में भी वे मुखालफत कर चुके हैं।

पार्षद के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के सामने ठोंक दिया था नामांकन


जगविजय के बारे में चर्चा इस बात की भी है कि कई साल पहले विनायकपुर से बीजेपी ने रिन्कू चौहान को पार्षदी का टिकट दिया था। संगठन ने पूरे जोर-शोर से रिन्कू को चुनाव भी लड़वाया लेकिन ऐन वक्त पर जगविजय ने अपना नामांकन ठोंक दिया। चुनाव में जगविजय की वजह से रिन्कू को हार का सामना करना पड़ा।

"जातिवाद का जनेऊ" लड़ा निशा सचान के लिए मांग रहे हैं Vote


बीजेपी संगठन के बीच तगड़ी चर्चा है कि जगविजय का असली चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले के बजाय वो अपनी ही जाति की गठबंधन प्रत्याशी निशा सचान के समर्थन में वोट मांग रहे हैं। अंदरखाने की मानें तो भाजपा प्रत्याशी की हालत पहले से ही काफी पतली है। ऐसे में “अपनों” और उनके “करीबी” लोगों के पाला बदलने से परिणाम भाजपा के विपरीत भी जा सकता है। गौरतलब है कि कल्याणपुर विधान सभा एरिया बीजेपी का गढ़ हमेशा से रहा है। सतीश निगम का चुनाव छोड़ दें तो यहां भाजपा को कभी पराजय नहीं मिली। लोकसभा के करीब-करीब हर चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी की जीत इसी विधान सभा से सुनिश्चित होती है। ऐसे में दो-चार “विभीषण” भाजपा प्रत्याशी की “लंका दहन” करने के लिए पर्याप्त हैं। बीजेपी प्रत्याशी के साथ हो रहे इस तरह के भीतरघात को लेकर पुराने कार्यकर्ताओं में खासा गुस्सा भी है। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस भीषण गर्मी में हम लोग एक-एक वोट के लिए संघर्ष कर रहे हैं और "विभीषण" लंका ढहाने का काम कर रहे हैं।


कल्याणपुर के केशवपुरम में चुनाव बहिष्कार का जनता ने टांगा बैनर


इस बीच Kanpur के कल्याणपुर के केशवपुरम स्थित मित्र विहार आवास विकास से खबर आ रही है कि वहां पर क्षेत्रीय जनता ने चुनाव बहिष्कार का बैनर संडे की रात को टांग दिया है। नागरिक परिषद केशवपुरम सेक्टर (N) की पीड़ित जनता का कहना है कि वे लोग सीवर और गंदगी से काफी परेशान हैं। जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की है लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यदि उनकी समस्या का निदान नहीं किया गया तो वो लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे। बैनर वाली फोटो इस समय सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म पर खूब Viral हो रही है।

 

 
no image

Lok Sabha Election 2019  के मद्देनजर BJP हाईकमान UP की हर एक लोकसभा सीट को लेकर खासा गंभीर है। यही वजह है कि जिन जगहों पर PM  नरेंद्र मोदी और CM योगी आदित्यनाथ रैली या जनसभा करने पहुंच रहे हैं, उससे पहले वहां के प्रत्याशियों का चुनावी फीडबैक बेहद गोपनीय तरीके से ले रहे हैं। Kanpur लोकसभा सीट से प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी और अकबरपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले के चुनाव मैनेजमेंट और कार्यकर्ताओं की पीड़ा का फीडबैक में जिक्र है। दोनों ही प्रत्याशियों का फीडबैक निगेटिव है। फीडबैक में विरोधी प्रत्याशियों की कमजोरी और मजबूती का भी बिन्दुवार विश्लेषण है। रिपोर्ट में दोनों प्रत्याशियों को लेकर साफ-साफ जिक्र है कि संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं को तरजीह न देकर “करीबी” और “कारखास” लोगों पर विश्वास जताया जा रहा है। जिसकी वजह से भाजपा के "खांटी" के कार्यकर्ता "खूंटी" पर पहुंच चुके हैं। ये भी चुनाव में बड़ा साइड इफेक्ट साबित हो सकता है। सूत्रों की मानें तो BJP के एक जिलाध्यक्ष की रिपोर्ट भी काफी निगेटिव भेजी गई है।


 YOGESH TRIPATHI


कद्दावर पदाधिकारी ने लिया फीडबैक


लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ी एक डिग्री कॉलेज की प्रोफेसर ने Kanpur और अकबरपुर लोकसभा प्रत्याशियों के चुनाव मैनेजमेंट से जुड़ी तमाम जानकारियां जुटाईं। जनता के बीच प्रत्याशियों को लेकर क्या राय है ? क्या किसी प्रत्याशी का विरोध हो रहा है ? क्या किसी प्रत्याशी के साथ भीतरघात किया जा रहा है या आशंका है ? दूसरे राजनीतिक दलों से आए नेता क्या कर रहे हैं ? उनसे बीजेपी को कितना लाभ मिल रहा है ? समेत तमाम गोपनीय जानकारी हासिल कर विस्तृत रिपोर्ट RSS और BJP के शीर्ष नेतृत्व के पास भेजी गई है। ये महिला पदाधिकारी पूर्व में बीजेपी की प्रवक्ता भी रह चुकी हैं। संगठन मंत्री सुनील बंसल के बेहद करीब हैं।

क्या है सत्यदेव पचौरी की रिपोर्ट ?


सत्यदेव पचौरी की जो रिपोर्ट हाईकमान के पास भेजी गई है उसके मुताबिक बीजेपी संगठन का एक बड़ा हिस्सा खामोश है। मोदी और योगी को लेकर बिल्कुल भी विरोध नहीं है। प्रत्याशी चयन को लेकर बीजेपी के कार्यकर्ताओं परंपरागत वोटर्स काफी नाराज है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बड़ी संख्या में बीजेपी वोटर्स शायद वोट डालने ही न जाए, और यदि गए भी तो हो सकता है कि NOTA  का बटन दबा दे। इसके लिए सचेत रहने की आवश्यकता होगी, वोटर्स को बूथ पर जाने से पहले ही काफी मैनेज करना पड़ेगा।

इस रिपोर्ट में बालचंद्र मिश्रा, नीरज चतुर्वेदी, सलिल विश्नोई, प्रेमलता कटियार, रवींद्र पाटनी, कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण, श्याम बिहारी मिश्रा जैसे दिग्गजों को लेकर भी लिखापढ़ी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक बीजेपी के इन पुराने दिग्गजों को चुनाव मैनेजमेंट की कोई भी बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। साथ ही ये दिग्गज अभी तक जनता के बीच वोट मांगते नहीं दिखाई दिए। इसमें रवींद्र पाटनी और कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण तो महापौर रह चुके हैं। जनता के बीच दोनों की छवि बेहद ईमानदार नेता की है। निश्चित तौर पर ये बड़ा सवाल है ? कि इन नेताओं को आखिर किस वजह से तरजीह नहीं दी जा रही है ?


देवेंद्र सिंह भोले की फीडबैक तो और खराब


अकबरपुर लोकसभा से प्रत्याशी देवेंद्र सिंह “भोले” के चुनाव को लेकर भेजी गई रिपोर्ट बेहद खराब है। अंदरखाने की रिपोर्ट के मुताबिक जातिवाद की राजनीति के साथ-साथ ब्राम्हण मतदाताओं की बड़ी नाराजगी का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर जिक्र है कि ब्राम्हण मतदाताओं का जो भी वोट मिलेगा वो मोदी के नाम पर ही मिलेगा, प्रत्याशी के नाम पर बिल्कुल मिलता नहीं दिख रहा है। रिपोर्ट में इस सीट पर बड़े भीतरघात की आशंका जाहिर की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ठाकुर वोटर्स तो बीजेपी के पक्ष में है लेकिन इस सीट का सबसे बड़ा वोट बैंक (ब्राम्हण) खासा नाराज है।

 

 

 

Lok Sabha Election 2019 : करीब 18 लाख मतदाताओं वाले अकबरपुर लोकसभा का चुनाव दिन पर दिन बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। BJP ने जहां वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह "भोले" को फिर से रिपीट किया है तो कांग्रेस ने Rajaram Pal पर दांव लगाया है। सपा-बसपा गठबंधन ने Nisha Sachan Bsp को “चुनावी रण” में उतारा है। राजनीति के “चाणक्य” इस चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष बता रहे हैं। मतदाता यहां चौथे चरण यानि 28 एप्रिल को वोट डालेंगे। BJP प्रत्याशी सांसद देवेंद्र सिंह "भोले" के प्रति कई जगहों पर मतदाताओं की नाराजगी साफ-साफ दिख रही है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी Rajaram Pal को हर वर्ग (खासतौर पर ब्राम्हण) का साथ मिलता दिखाई दे रहा है। निशा सचान का चुनाव बेहद शांत है लेकिन ऐसा नहीं है कि वे चुनाव की लड़ाई से बाहर हैं। यदि यादव वर्ग पूरी तरह से निशा के साथ रहा तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाले आ सकते हैं। भोले को सिर्फ और सिर्फ कल्याणपुर विधान सभा का सहारा है। जहां से हमेशा BJP ने हारी बाजी को जीत में तब्दील किया है।  


Yogesh Tripathi


 अकबरपुर की 5 विधान सभा में है BJP के विधायक


अकबरपुर लोकसभा के अंतर्गत 5 विधान सभाएं (कल्याणपुर, घाटमपुर, बिठूर, रनिया, महाराजपुर) आती हैं। महाराजपुर से सतीश महाना, बिठूर से अभिजीत सिंह सांगा, रनिया से प्रतिभा शुक्ला, घाटमपुर से कमलरानी वरुण और कल्याणपुर से नीलिमा कटिया (सभी BJP) के विधायक हैं। इस समीकरण के हिसाब से तो बीजपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले को घर बैठकर ही चुनाव जीत जाना चाहिए लेकिन ऐसा है नहीं। भरी दुपहरी उनको पसीना बहाना पड़ रहा है। कहीं भीतरघात है तो कहीं आक्रोश।

 घाटमपुर बड़ी लीड ले सकते हैं राजाराम पाल


कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम पाल का पैतृक गांव घाटमपुर विधान सभा के अंतर्गत आता है। घाटमपुर विधान सभा के वोटर्स पर उनकी मजबूत पकड़ है। कई गांव तो ऐसे हैं तो किसी दल से न जुड़े होकर सीधे तौर पर राजाराम पाल से ही जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि राजराम पाल की स्थित घाटमपुर विधान सभा में काफी मजबूत है। इस विधान सभा में राजाराम पाल को सीधी टक्कर निशा सचान देती नजर आ रही हैं। निशा के पति गुड्डू सचान नगर पालिका के चेयरमैन हैं। क्षेत्र में उनकी भी एक वर्ग में खासी पकड़ है। बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर आ सकती है।

 रनिया विधान सभा में नाराज है ब्राम्हण वोटर्स


रनिया विधान सभा में ब्राम्हण वोट काफी अधिक है। यहां से प्रतिभा शुक्ला विधायक हैं। 2014 के चुनाव में यहां के ब्राम्हणों ने भोले को जमकर वोट किया था लेकिन इस बार हालत बिल्कुल उलट हैं। ब्राम्हण मतदाता काफी नाराज है। उसके पीछे की कई वजहे हैं। अंदरखाने की मानें तो यहां पर राजाराम पाल ने तगड़ी सेंधमारी कर रखी है। राजाराम पाल को यहां पर दलित वोट भी ठीक-ठाक मिलेगा। कुल मिलाकर इस विधान सभा में भी राजाराम पाल 21 साबित हो सकते हैं। बीजेपी को यदि यहां पर चुनाव जीतना है तो प्रतिभा शुक्ला और उनके पति अनिल शुक्ला वारसी को आगे लाना पड़ेगा। जो अभी तक होता नहीं दिख रहा।

बिठूर विधान सभा से आ सकता है चौंकाने वाला परिणाम


बिठूर विधान सभा से जो भी परिणाम आएगा वो चौंकाने वाला होगा। यहां लड़ाई बेहद दिलचस्प है। ठाकुर मतदाता तो खुलकर बीजेपी प्रत्याशी के साथ खड़ा है लेकिन कुछ वर्ग कई वजहों से विरोध की मुद्रा में भी है। राजाराम पाल को यहां पर अपने एक पुराने और करीबी “रिश्ते” का अंदरूनी तौर पर बड़ा लाभ मिलता दिखाई दे रहा है। यहां से भाजपा के विधायक अभिजीत सिंह सांगा हैं जो कि अकबरपुर लोकसभा से टिकट के बड़े दावेदार थे। लेकिन हाईकमान ने उनको टिकट नहीं दिया। निश्चित तौर पर उनके कुछ कट्टर समर्थक नाराज तो बने ही हैं।

BJP का गढ़ है कल्याणपुर विधान सभा


कल्याणपुर विधान सभा बीजेपी का मजबूत किला है। बीजेपी हारी बाजी भी यहीं से जीत जाती है। इस विधान सभा में शहरी मतदाताओं की बड़ी संख्या हैं। जिसका सीधा लाभ भाजपा को हमेशा से मिलता रहा है। इस सीट पर एक बार फिर बीजेपी प्रत्याशी बाकी प्रत्याशियों से 25 बैठेगें। हालांकि अंदर ही अंदर विरोध की स्थिति यहां पर भी बनी है। लेकिन इसका बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता दिखाई पड़ रहा है। हां वोट अवश्य कम हो सकते हैं।

महाराजपुर विधान सभा में भी होगा तगड़ा घमासान


यूं तो महाराजपुर विधान सभा से योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना विधायक हैं। जनता के बीच उनकी स्वच्छ छवि और खासी पैठ भी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या यहां के नाराज मतदाताओं को भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले अपने पक्ष में मोड़ पाएंगे ? इस विधान सभा में भी शहर वोटर्स हैं। मुस्लिम वोट भी यहां पर ठीक-ठाक है। जानकारों की मानें तो यहां पर “घमासान” तगड़ा होगा। यहां कई एरिया में राजाराम पाल एकतरफा लड़ रहे हैं तो कुछ जगहों पर निशा सचान का भी चुनाव ठीक है। देवेंद्र सिंह (भोले) को यदि यहां पर चुनाव जीतना है तो सतीश महाना को मैदान में लाना पड़ेगा। उनके बगैर बीजेपी को यहां कुछ लाभ होता नहीं दिखाई दे रहा है। सतीश महाना ही एक ऐसा चेहरा हैं जो कि नाराज मतदाताओं को फिर से पक्ष में ला सकते हैं।

[caption id="attachment_19355" align="alignnone" width="695"] राजाराम पाल (पूर्व सांसद) (कांग्रेस प्रत्याशी, अकबरपुर)[/caption]

कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम पाल


सरल स्वभाव और मीठी वाणी की वजह से कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम पाल आम आदमी के बेहद करीब रहते हैं। समाज के सभी वर्गों और जातियों में उनकी ठीक-ठाक पकड़ है। राजाराम पाल की सबसे मजबूत पकड़ गरीब तपके में हैं। हमेशा जनता के बीच रहने वाले राजाराम पाल की एक बड़ी खासियत ये है कि हर वक्त वे जनता के लिए शुलभ रहते हैं। फिर चाहे किसी के दुःख की घड़ी हो या फिर सुख की, राजाराम सभी में शामिल होते हैं। यही वजह है कि राजाराम पाल समाज के हर वर्ग के बीच में चुनाव लड़ रहे हैं। पाल वोट के साथ मुस्लिम और दलित वोट भी राजाराम पाल के खाते में अभी तक जाता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में यदि ब्राम्हण वर्ग का आशीर्वाद राजाराम पाल को मिला तो उनकी जीत पक्की है।


बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले


[caption id="attachment_19356" align="alignnone" width="261"] देवेंद्र सिंह भोले (वर्तमान सांसद) (बीजेपी प्रत्याशी, अकबरपुर)[/caption]

वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले के मजबूत विरोध की एक वजह ये भी है कि उनको एक “खास सिंडीकेट” टाइप का ग्रुप घेरे रहता है। जिसकी वजह से ये आम आदमी से सीधे मिल नहीं पाते हैं। जो इस चुनाव में साफ तौर पर दिखाई भी दे रहा है। देवेंद्र सिंह भोले का चुनाव मैनेजमेंट कुछ खास लोगों के हाथों में है। इन खास लोगों के व्यवहार की वजह से आम कार्यकर्ता दूरी बनाए हुए है। यही वजह है कि उन्होंने अपने बेटे और भाई को इन सारी कमियों को दूर करने के लिए आगे लाए हैं। पुत्र और भाई काफी हद तक कामयाब होते भी दिख रहे हैं। भोले शुरु से ही करीब दो लाख ठाकुर वोटों पर मजबूत पकड़ बनाए हैं। नाराज ब्राम्हण वोटर्स को यदि वो मनाने में कामयाब हो गए तो एक बार फिर से सांसद बनने में कामयाब हो जाएंगे।


 

[caption id="attachment_19357" align="alignnone" width="695"] निशा सचान (बीएसपी-एसपी गठबंधन प्रत्याशी, अकबरपुर लोकसभा)[/caption]

सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी निशा सचान


निशा सचान जातीय और पार्टी का आंकड़ा लेकर चल रही हैं। चुनाव यदि जातिवाद का चुनाव हुआ तो निशा सचान त्रिकोणीय लड़ाई में आ जाएंगी। हालांकि कुर्मी वोट बैंक इस लोकसभा में बहुत अधिक नहीं है। दलित, अति पिछड़े के साथ यदि यादव वर्ग ने पूरी तरह से गठबंधन को वोट किया तो परिणाम चौंकाने वाले ही आएंगे। हालांकि निशा सचान की अपनी खुद की कोई राजनीति पृष्ठभूमि नहीं है। उनके पति लगातार दूसरी बार पालिका चेयरमैन बने हैं। बिरादरी के वोट बैंक पर ही उनकी व्यक्तिगत पकड़ है।


लोकसभा सीट अकबरपुर (44) के जातिगत आंकड़े

(सामान्य)

ब्राम्हण - 2.95 लाख

ठाकुर - 2.15 लाख

वैश्य - 0.80

पिछड़ा वर्ग

यादव - 1.60 लाख

कुर्मी - 0.80 हजार

लोध - 0.15 हजार

अति पिछड़ी वर्ग

मौर्या - 1.20 लाख

पाल - 1.25 लाख

प्रजापति - 53 हजार

कश्यप - 41 हजार

दलित वर्ग

जाटव - 3.04 लाख

कोरी - 76 हजार

अति दलित वर्ग

बाल्मीकि - 52 हजार

पासी - 75 हजार

मुस्लिम - 1.20 लाख

नोट---पंजाबी, सिंधी, क्रिश्चियन समेत कई अन्य जाति के करीब 40 हजार मतदाता हैं।

खास--अकबरपुर लोकसभा से चुनाव लड़ रहे तीनो प्रत्याशी सोशल मीडिया में कापी फिसड्डी हैं। सभी के Facebook (Page) और (Acount) हैं लेकिन Twitter पर तीनों ही शून्य हैं। राजाराम पाल का ट्वीटर अकाउंट है लेकिन लंबे समय से कोई ट्वीट नहीं किया गया है। साथ ही उसमें फालोवर्स भी काफी कम हैं।

 

 

 
no image

बाहुबली माफिया डॉन अतीक अहमद पर इन दिनों UP की Yogi सरकार खूब मेहरबान दिख रही है। यूपी सरकार ने अतीक अहमद को बरेली से नैनी सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि 2019 वर्ष की शुरुआत में ही अतीक अहमद को देवरिया की जेल से बरेली कारागार में लाया गया था। तब अतीक पर लखनऊ के एक कारोबारी को अगवा करवाकर देवरिया जेल में प्रताड़ना देने का आरोप लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो योगी सरकार ने इसके लिए चुनाव आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए अतीक को नैनी सेंट्रल जेल में शिफ्ट किए जाने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी। अतीक का पूर्वांचल के कई जिलों में खासा रसूख है।


YOGESH TRIPATHI


तीसरे चरण में होना है मतदान


बरेली लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में वोटिंग होनी है। तर्क दिया जा रहा है कि कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए अतीक को शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है। अतीक को प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया जाएगा। खास बात ये है कि यहां पर छठवें चरण 12 मई को वोटिंग होनी है। तब तक अतीक यहीं पर रहेगा। गौर करने वाली बात ये है कि अतीक के पास से पहले भी कई बार जेल में मोबाइल फोन आदि बरामद हो चुके हैं।

अतीक जेल में बैठकर भी अपराधिक वारदात को अंजाम देने में पूरी तरह से सक्षम है। देवरिया जेल में बंद होने के दौरान अतीक के पास से मोबाइल और सिम मिले थे। अतीक अपने विरोधी अपराधियों से जेल में हिंसक झड़पों के लिए भी बदनाम है। प्रशासन के लिए अतीक जैसे अपारधियों को जेल में रखना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। उस पर जेल के भीतर भी सिंडिकेट तैयार करने के आरोप लगे हैं और वह अंदर अपराध की साजिश रचता रहता है।

प्रयागराज में ही दर्ज हैं अतीक पर सबसे अधिक मुकदमें


यूपी के श्रावस्ती जनपद में जन्में अतीक अहमद पर यूं तो यूपी के कई जिलों में अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। प्रयागराज जिले में उसके खिलाफ सबसे अधिक अपराधिक मुकदमें रजिस्टर्ड हैं। अतीक अहमद 04 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर फूलपुर लोकसभा से चुनाव लड़ा और सांसद बन गया। 07 में जब मायावती ने प्रदेश की बागडोर संभाली तो अतीक अहमद का साम्राज्य हिलने लगा। चौंकाने वाली बात ये है कि प्रदेश सरकार ये तर्क दे रही है कि बरेली जेल में रहने के दौरान वहां पर चुनाव के दौरान अतीक अहमद से शांति व्यवस्था को लेकर अधिक खतरा है। वहीं जानकार ये कह रहे हैं कि चुनावी लाभ लेने के लिए यूपी सरकार जान बूझकर अतीक को नैनी जेल में शिफ्ट कर रही है। गौरतलब है कि डेढ़ साल पहले हुए फूलपुर उपचुनाव में अतीक को करीब 65 हजार वोट मिले थे, तब वो बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ा था।

 

 

Kanpur से करीब 15 किलोमीटर दूर रूमा कस्बे के पास फ्राइ-डे की देर रात्रि हावड़ा से दिल्ली जा रही पूर्वा एक्सप्रेस के 12 डिब्बे ट्रैक से उतर गए। इस बड़े हादसे में करीब दो दर्जन यात्रियों के घायल होने की खबर है। जिसमें तीन की हालत नाजुक बताई जा रही है। हादसे की खबर पर जिला प्रशासन के सभी बड़े अफसर मौके पर पहुंचे। घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रिलीफ ट्रेन की भी व्यवस्था की गई है। NDRF की टीम राहत और बचाव कार्य में जुटी है। हादसे की जांच के लिए रेलवे की एक टीम गठित की गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रेन हादसे पर दुःख जताया है।


[caption id="attachment_19346" align="alignnone" width="695"] रात के अंधेरे की वजह से राहत और बचाव कार्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।[/caption]

YOGESH TRIPATHI


तेज धमाके के बाद मची चीख-पुकार

ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों के मुताबिक दुर्घटना मध्यरात्रि करीब एक बजे के आसपास हुआ। उस समय ट्रेन की बोगियों में सफर कर रहे अधिकांश मुसाफिर गहरी नींद में सो रहे थे। अचानक पहले झटका लगा और बाद में तेज धमाके के साथ ट्रेन की बोगियां पलटने लगीं। बोगियों के पलटते ही चीख-पुकार मच गई। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हुआ ? कोई इसे आतंकी हमला समझा तो कोई ट्रेन के भिड़ने की आशंका से भयभीत हो गया। रात के अंधेरे में कुछ मुसाफिर जब बाहर किसी तरह बाहर निकले तो पता चला कि ट्रेन की कई बोगियां ट्रैक से उतरकर पलट गई हैं।

[caption id="attachment_19347" align="alignnone" width="695"] अपूर्वा एक्सप्रेस हादसे में घायल महिला को एंबुलेंस के जरिए ले जाया गया। प्रशासन ने 16 एंबुलेंस के साथ कई प्राइवेट गाड़ियों की भी व्यवस्था की।[/caption]

कपलिंग टूटने की वजह से दो हिस्सों में बंटी पूर्वा एक्सप्रेस

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कपलिंग टूटने की वजह से ट्रेन दो हिस्सों में बंट गई। ड्राइवर वाली बोगी करीब दो किलोमीटर की दूरी पर जाकर रुकी। जबकि पिछले हिस्से की करीब दर्जन भर बोगियां ट्रैक से उतर गईं। जिसमें करीब 28 यात्री घायल हो गए। अस्पताल में तीन की हालत नाजुक बताई जा रही है।

16 एंबुलेंस, प्राइवेट बस के साथ पहुंचे प्रशासनिक अफसर

देर रात जब पूर्वा एक्सप्रेस के डिरेल होने की खबर जिला प्रशासन के अफसरों को लगी तो सभी के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई। जिलाधिकारी, एसएसपी, आइजी, एडीजी समेत तमाम बड़े अफसर आनन-फानन में दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। घायलों को एंबुलेंस और पुलिस के वाहन से तत्काल अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया।

यात्रियों के लिए भेजी गई रिलीफ ट्रेन

पूर्वा एक्सप्रेस के यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने तत्काल रिलीफ ट्रेन की व्यवस्था की। सुबह ये ट्रेन सेंट्रल पर पहुंची। ट्रेन के बाकी यात्रियों को लेकर ये ट्रेन रवाना हो गई। वहीं, रेलवे ने हादसे के बाद इलाहाबाद की तरफ जाने वाली ट्रेनों का रूट डायवर्ट कर दिया। ट्रेनों का वाया उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए निकाला जा रहा है।

 

 

 

 

 
no image

देश की राजधानी Delhi की तिहाड़ जेल से रोंगटे खड़ी कर देने वाली खबर आई है। मुस्लिम बंदी नाबिर ने कड़कड़डूमा कोर्ट में पेशी के दौरान जेल अधीक्षक राजेश चौहान पर संगीन इल्जाम लगाते हुए बताया कि जेल नंबर 4 के सुपरिटेंडेंट राजेश चौहान ने उसकी पीठ पर ऊँ का निशान गोद दिया। कोर्ट ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। अदालत ने मामले की जांच DIG स्तर के अफसर को सौंपी है। बंदी नाबिर को चार नंबर जेल से एक नंबर में शिफ्ट किया गया है।


YOGESH TRIPATHI


आर्म्स एक्ट के मामले में बंद है नाबिर

बंदी नाबिर न्यू सीलमपुर का रहने वाला है। आर्म्स एक्ट के मामले में न्यायिक हिरासत में लेकर कोर्ट ने उसे जेल भेजा है। नाबिर जेल नम्बर 4 में रखा गया था। नाबिर का आरोप है कि जेल में मिले इंडक्शन चूल्हे के खराब होने की शिकायत की थी, जब सुनवाई नहीं हुई तो उसने बार-बार शिकायत की। इस पर सुपरीटेंडेंट काफी भड़क गए और नाबिर को अपने ऑफिस में बुलाया।

नाबिर को मिली शिकायत करने की सजा

नाबिर के मुताबिक पहले उसे धमकी दी गई। आरोप है कि जेल अधीक्षक ने कहा कि “तू बहुत शिकायत करता है और यहां का नेता बनता है, आज तुझे हम सबक सिखाएंगे”। उसके बाद जेल अधीक्षक ने कुछ लोगों के साथ मिलकर नाबिर की पिटाई कर दी। इल्जाम है कि गर्म धातु से उसकी पीठ पर ॐ गोद दिया। आरोप है कि उसकी पीठ को सिगरेट से भी दागा गया है। कई दिनों तक उसे भूखे पेट सोना पड़ा।

क्या कहते हैं जेल अधीक्षक ?

जेल अधीक्षक राजेश चौहान ने आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया है। जेल अधीक्षक का कहना है कि नाबिर ऐसा जानबूझकर कर रहा है। जेल अधीक्षक ने बताया कि वो जेल से शिफ्ट होने के लिए ये सब कर रहा है। जेल प्रशासन की यदि सभी दलीलों को सही मान लिया जाए तो भी ये बड़ा यक्ष प्रश्न है कि नाबिर की पीठ पर ॐ का निशान आखिर कैसे बना ? जाहिर है कि उसने खुद तो बनाया नहीं होगा ? क्यों कि कोई भी इंसान अपनी पीठ पर ये नहीं कर सकता है। इस सवाल का जवाब तिहाड़ जेल प्रशासन के पास नहीं है।

इनपुट साभार--ABP News

 
no image

Lok Sabha Election 2019 के चुनाव में Kanpur लोकसभा सीट से प्रत्याशी @SPJaiswalKanpur की जीत सुनिश्चित कराने के लिए @INCIndia की नेशनल सेकेट्री @priyankagandhi ने फ्राइ-डे को रोड-शो किया। उनके रोड-शो में हजारों लोगों का जनसैलाब उमड़ा। @INCUttarPradesh कार्यकर्ताओं का उत्साह देखने लायक रहा। एयरपोर्ट से लेकर घंटाघर तक कार्यकर्ताओं ने गगनभेदी नारे लगवाए। उनके रोड-शो ने 28 साल पुरानी यादों को ताजा कर दिया। जी, हां करीब 28 साल पहले अपनी हत्या से महज कुछ माह पूर्व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने Kanpur में ऐतिहासिक रोड-शो किया था। उस समय राजीव की एक झलक पाने के लिए लोग मई महीने (जेठ) की दुपहरी में घंटों खड़े रहे थे। शुक्रवार को भी सीन कुछ 28 साल पुराना ही था बस राजीव की जगह प्रियंका थीं। प्रियंका का क्रेज कांग्रेसियों के सिर चढ़कर बोला। एक युवती प्रियंका की गाड़ी के पास पहुंची, उसने हाथ मिलाया और बाद में वो गाड़ी पर पैर रख प्रियंका के न सिर्फ गले मिली बल्कि उसने कई बार प्रियंका को चूमा भी। राजनीति के “चाणक्य” कहे जाने वाले शहर के तमाम दिग्गजों ने इस रोड शो के बाद अब ये कहना शुरु कर दिया है कि लोकसभा सीट पर मामला अब 25-18 का हो गया है। कोई चमत्कार हो जाए तो अलग बात।


https://twitter.com/INCUttarPradesh/status/1119239719601065986

एयरपोर्ट से रामादेवी, सीओडी होते हुए पहुंची घंटाघर


प्रियंका गांधी शाम करीब चार बजे चकेरी एयरपोर्ट पर पहुंचीं। यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल, शहर अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री, कांग्रेसी नेता आलोक मिश्रा, मदनमोहन शुक्ला, संदीप शुक्ला समेत दिग्गज कांग्रेसी नेताओं और शहर कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों ने प्रियंका गांधी का स्वागत किया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। सीओडी पुल होते हुए प्रियंका का काफिला टाटमिल चौराहे से निकलकर घंटाघर पहुंचा। घंटाघर में काफी देर से इंतजार कर रही महिलाओं और पुरुषों ने अपने घरों की छतों से प्रियंका पर पुष्प वर्षा की तो उन्होंने भी हाथ हिलाकर अभिवावदन किया। इस दौरान वो माइक से बार-बार कानपुर की जनता को धन्यवाद देती हुई नजर आईं। कई बार कांग्रेसी कार्यकर्ता बेकाबू हुए तो प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को माइक से बोलना पड़ा।

https://twitter.com/INCUttarPradesh/status/1119226751060627459

रामादेवी में अकबरपुर प्रत्याशी राजाराम पाल ने किया स्वागत

एयरपोर्ट से प्रियंका गांधी का रोड शो Start होते ही कांग्रेस झूमने लगे। खुली एसयूवी में प्रियंका गांधी के साथ सिर्फ कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल ही बैठे थे। एक-दो चेहरे जो दिखे वो एसपीजी जवानों को दिखाई दिए। लालबंगला चौराहे को क्रास करता हुआ प्रियंका का रोड शो रामादेवी पहुंचा तो वहां पर अकबरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम पाल और उनके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। पुष्प वर्षा के साथ कांग्रेसी कार्यकर्ता ढोल और भांगड़े पर थिरके नजर आए।

बिराहना रोड, नयागंज, फूलबाग, बड़ा चौराहे पर भी रोड शो

प्रियंका गांधी का रोड शो घंटाघर से नयागंज होते हुए बिरहाना रोड, बड़ा चौराहा और फूलबाग पहुंचा। दूर-दूर तक सिर्फ कांग्रेसी कार्यकर्ता का हुजूम ही नजर आ रहा था। राजनीति के जानकारों की मानें तो लंबे समय बाद कानपुर में कांग्रेस का ऐसा माहौल देखने को मिला जब किसी बड़े नेता के इंतजार में लोग छतों पर बैठे दिखाई दिए। कुल मिलाकर यूं कहें कि कानपुर में प्रियंका गांधी का क्रेज युवाओं के दिलों में देखने को खूब मिला।

 

 

 

High Court से 5 लोगों की हत्या में दोषी पाए जाने और आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर होते ही UP के हमीरपुर (सदर) से @BJP4India के MLA  Chowkidar Ashok Chandel "अंडरग्राउंड" हो गए हैं। शुक्रवार सुबह तक अशोक सिंह चंदेल की लोकेशन हमीरपुर में ही थी लेकिन इस समय वे हमीरपुर से नौ-दो-ग्यारह हो चुके हैं। इसकी पुष्टि कांड के चश्मदीद राजीव शुक्ला ने www.redeyestimes.com (News Portal) से बातचीत में की है।


YOGESH TRIPATHI


सुबह तक हमीरपुर में थी अशोक चंदेल की लोकेशन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक BJP से टिकट मिलने के बाद विधायक बने "चौकीदार" अशोक सिंह चंदेल की सुबह 10 बजे तक लोकेशन हमीरपुर में थी। सोशल मीडिया पर जैसे ही उनके दोषी करार दिए जाने और उसके बाद आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर होने की खबर Viral हुई वे "अंडरग्राउंड" हो गए। माना जा रहा है कि वे कानपुर स्थित अपने घर या फिर एक बड़े बीजेपी नेता के सरपरस्ती में हो सकते हैं।

[caption id="attachment_19326" align="alignnone" width="695"] एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाथ मिलाने के लिए अशोक चंदेल की तरफ बढ़ते हुए। फोटो साभार-अशोक चंदेल (facebook)[/caption]

22 साल पहले हुए हत्याकांड में इन लोगों की हुई थी मौत

हमीरपुर में 26 जनवरी 1997 को पुरानी रंजिश के चलते राजेश शुक्ला, राकेश शुक्ला, अम्बुज उर्फ गुड्डा, वेद नायक और श्रीकांत पांडेय की हत्या कर दी थी। इस घटना में राजीव कुमार शुक्ला, रविकांत पांडेय, विपुल, चंदन और हरदयाल घायल हो गए थे। राजेश के भाई राजीव शुक्ला जो खुद भी गोली लगने से घायल हुए थे, उनकी तहरीर पर देर रात अशोक सिंह चंदेल समेत 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

Kanpur में भी दर्ज है कारोबारी की हत्या का मुकदमा

बीजेपी विधायक अशोक सिंह चंदेल का अपराध की दुनिया से काफी गहरा नाता रहा है। हमीरपुर सामूहिक हत्याकांड के अलावा कानपुर के किदवई नगर में उनके खिलाफ कारोबारी रणधीर गुप्ता की दिनदहाड़े हत्या का मामला कई साल पहले दर्ज किया गया था। गोविन्द नगर थाने में अशोक सिंह चंदेल के खिलाफ एक सर्किल अफसर (CO) के साथ अभद्रता और गुंडई का मुकदमा भी दर्ज है।

उमा भारती ने किया था बीजेपी में आने का विरोध

70 के दशक में डीबीएस कॉलेज छात्रसंघ के प्रेसीडेंट बने अशोक सिंह चंदेल करीब डेढ़ दशक बाद 1989 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पहली बार विधायक बने। इसके बाद अशोक चंदेल1993, 2008 में भी विधायक बने। बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर साल 1999 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने।  2017 में मोदी लहर को देखते हुए अशोक चंदेल ने बीजेपी ज्वाइन की। केंद्र सरकार में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने अशोक सिंह चंदेल का विरोध किया था लेकिन यूपी संगठन के एक बड़े नेता के आगे किसी की नहीं चली। अमित शाह के बेहद खास संगठन के इस नेता ने बड़ी मोटी रकम लेने के बाद अशोक चंदेल को न सिर्फ बीजेपी में शामिल करवाया बल्कि हमीरपुर सदर से टिकट भी दिलवा दिया।
no image

Lok Sabha Election 2019 : Uttar Pradesh के बुलंदशहर जनपद से एक बेहद हैरान कर देने वाली घटना प्रकाश में आई है। एक युवक ने अपनी उंगली को गंडासे से काट डाला। इसके पीछे की वजह ये है कि वो वोट BSP को देना चाहता था लेकिन गल्ती से वोट BJP के चुनाव निशान वाले कमल पर दब गया। बस इसी बात पर वो इतना गुस्सा हो गया कि घर पहुंचकर उसने गंडासे से अंगुली पर प्रहार कर दिया। लहूलुहान हालत में परिवार के लोग उसे अस्पताल ले गए, जहां से इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई।


YOGESH TRIPATHI


गल्ती से डाल दिया BJP को वोट


18 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग थी। बुलंदशहर में भी वोट डाले गए। यहां से लोकसभा सीट पर बीजेपी से भोला सिंह, कांग्रेस से बंसी पहाड़िया और बीएसपी (गठबंधन) से योगेश वर्मा प्रत्याशी हैं। पवन नाम का युवक BSP को वोट डालना चाहता था लेकिन उसने गलती से बीजेपी को वोट डाल दिया।

गंडासे से उंगली पर किया प्रहार


पवन को अपनी गल्ती पर बेहद गुस्सा आया और घर पहुंचने पर उसने गंडासे से उंगुली पर प्रहार कर दिया। लहूलुहान हालत में परिवार के लोग उसे हॉस्पिटल ले गए। भाई ने बताया कि अपनी गलती की वजह से पवन गुस्से में था। पवन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब वो वोटिंग के लिए पहुंचा तो जल्दीबाजी में गलत बटन दबा दिया। इस बात से वो खुद से ही नाराज हो गया। इसके बाद घर पहुंच कर उसने गंडासे से अपनी उंगली को काट कर अलग कर दिया।

 

 

कहते हैं ईश्वर की "अदालत" में देर है पर अंधेर नहीं। सत्ता और रसूख के बल पर निचली अदालत से दोषमुक्त करार दिए गए हमीरपुर (सदर) से @BJP4India के Chowkidar Ashok Chandel (MLA)और उनके 10 गुर्गों को हाईकोर्ट ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की है। इस मामले में 17 साल पहले हमीरपुर की निचली अदालत ने Chowkidar Ashok Chandel समेत सभी आरोपितों को दोषमुक्त करार देते हुए सभी को बरी कर दिया था। पीड़ित परिवार के राजीव शुक्ला ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और 19 अप्रैल 2019 को अंतत: हाईकोर्ट से उनको इंसाफ मिला। www.redeyestimes.com (News Portal) से बातचीत में राजीव शुक्ला ने बताया कि मुकदमें में वे चश्मदीद गवाह थे, उनके भी पैर में गोली लगी थी। राजीव ने कहा, आज प्रभु ने न्याय किया है।


[caption id="attachment_19326" align="alignnone" width="695"] एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाथ मिलाने के लिए अशोक चंदेल की तरफ बढ़ते हुए। फोटो साभार-अशोक चंदेल (facebook)[/caption]

Yogesh Tripathi


दिनदहाड़े परिवार पर दागीं थी अंधाधुंध गोलियां


चश्मदीद राजीव शुक्ला ने बताया कि 26 जनवरी 1997 को दिनदहाड़े उनके पूरे परिवार को निशाना बनाकर अशोक चंदेल और उनके गुर्गों ने अंधाधुंध गोलियों की बौंछार की थी। इस लोमहर्षक हत्याकांड में परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई थी। इतने ही लोग घायल हुए थे। बकौल राजीव शुक्ला उनके भी पैर में गोली लगी थी। नौ साल का बच्चा और तीन साल का बेटा भी घायल हुआ था।

2002 में निचली अदालत ने सभी आरोपितों को किया था बरी


इस जघन्य हत्याकांड में राजीव शुक्ला की तरफ से दर्ज कराई गई FIR में मुख्य आरोपी अशोक सिंह चंदेल और उनके दर्जन भर गुर्गे थे। पांच साल के बाद 2002 में मुकदमा ट्रायल पर आ गया। गवाहों के बयान और जिरह के बाद हमीरपुर कोर्ट ने अशोक सिंह चंदेल समेत सभी आरोपितों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से हमीरपुर जनपद के लोग स्तब्ध रह गए।

बर्खास्त किए जा चुके हैं दोषमुक्त करार देने वाले जज


राजीव शुक्ला के मुताबिक हमीरपुर की एक कोर्ट के जज अश्वनी कुमार ने जब सभी आरोपितों को दोषमुक्त करार दिया तो वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गए। साथ ही उन्होंने फैसला सुनाने वाले जज के खिलाफ भी शासन और प्रशासन को पत्र लिखा। इसके बाद जज की विजलेंस और विभागीय जांच चली। लंबी जांच के बाद जज अश्वनी कुमार को बर्खास्त कर दिया गया।

BSP से सांसद रह चुके हैं अशोक सिंह चंदेल (बेबी)


कानपुर के किदवईनगर में रहने वाले अशोक चंदेल ने Sourh City स्थित डीबीएस कालेज के छात्रसंघ चुनाव से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। 70 के दशक में अशोक सिंह चंदेल (बेबी) छात्रसंघ का चुनाव जीतकर प्रेसीडेंट बने। इसके बाद उन्होंने हमीरपुर जनपद की तरफ रुख किया। यहां पर पर वे कभी सपा तो कभी बसपा का झंडा उठाए रहे। बसपा के टिकट पर अशोक चंदेल सांसद भी बने। 2017 के चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। भाजपा ने सदर सीट से उनको टिकट दिया और अशोक सिंह चंदेल चुनाव जीत गए।

क्या थी सामूहिक नरसंहार की वजह ?


अशोक चंदेल के रसूख के बाबत हमीरपुर जनपद के हर किसी व्यक्ति को मालुम है। उस समय राजीव शुक्ला परिवार की भी राजनीति में तूती बोलती थी। राजीव का पूरा परिवार RSS से ताल्लुक रखता है। 26 जनवरी 1997 को राजीव का परिवार गाड़ी से जा रहा था। उसी समय अशोक चंदेल के गाड़ियों का काफिला गुजरा। रास्ते में राजीव की गाड़ी थी। गाड़ी हटाने को लेकर तकरार हुई। जिसके बाद अशोक चंदेल के इशारे पर उनके गुर्गों ने असलहे निकाल गोलियों की बौंछार कर दी। दहशतगर्दी फैलाने के लिए हमलावरों ने भाग रहे राजीव शुक्ला के परिवारीजनों को दौड़ा-दौड़ाकर गोलियां मारीं। सनसनीखेज वारदात कहीं और नहीं बल्कि कलेक्ट्रेट परिसर के पास हुई थी।

 

 

Delhi के @BJP4India के मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेस के दौरान Kanpur के चिकित्सक डॉ. शक्ति भार्गव ने बीजेपी प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव के मुंह पर जूता फेंक कर मार दिया। चिकित्सक को वहां मौजूद फोर्स ने हिरासत में ले लिया। इस दौरान उन्होंने अपना विजिटिंग कार्ड भी उछाला। जिसमें उनका नाम और उनसे जुड़ी जानकारियां हैं।


https://twitter.com/ani_digital/status/1118796589399777281

Yogesh Tripathi


मां और भाइयों के साथ चल रहा है विवाद


राज्यसभा सदस्य और बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव के मुंह पर जूता फेंकने वाले आरोपी चिकित्सक शक्ति भार्गव के बारे में बताया जा रहा है कि उनका अपनी मां और भाइयों के साथ प्रापर्टी को लेकर विवाद चल  रहा है। वे पत्नी शिखा के साथ अपनी मां और भाइयों से अलग रहते हैं। शक्ति भार्गव की मां दया भार्गव ने बहू और बेटे पर प्रताड़ना का केस भी दर्ज करा रखा है।


दिसंबर में इनकम टैक्स विभाग ने मारा था छापा


सिविल लाइंस में शक्ति भार्गव का हॉस्पिटल है। बताया जा रहा है कि दिसंबर 2018 में इनकम टैक्स विभाग की टीम ने शक्ति भार्गव के यहां बड़ी छापेमारी की थी। शक्ति भार्गव का रियल स्टेट का भी कारोबार है। उन्होंने एक कंपनी में बड़ा निवेश भी कर रखा है। छापे के दौरान वो आयकर विभाग के अफसरों को ये नहीं बता सके थे कि उनकी इस रकम का सोर्स क्या है ? ये जांच अभी भी चल रही है।

कई दिनों से आ रहे थे BJP मुख्यालय


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉक्टर शक्ति भार्गव पिछले कई दिनों से बीजेपी मुख्यालय आ रहे थे। गुरुवार दोपहर उन्होंने प्रेस कांफ्रेस में राज्यसभा सदस्य पर अपना जूता फेंक कर मार दिया। उन्होंने ये घटना क्यों की है ? ये जांच का बड़ा विषय है ? हालांकि बीजेपी यहां पर भी राजनीति खेलने से नहीं चूकी और भाजपा की तरफ से कहा गया कि ये सब कांग्रेस की साजिश है। वहीं कांग्रेस ने घटना की निंदा की है।

कौन हैं शक्ति भार्गव ?
डॉ. शक्ति भार्गव कानपुर में भार्गव अस्पताल चलाते थे। उन्होंने मां और भाई को बंगले से हटाकर कब्जा कर रखा है। खबर ये भी आ रही है कि शक्ति भार्गव की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। भार्गव अस्पताल को गिरवी रखकर ब्रिटेन में संपत्ति खरीदने की बात भी कही जा रही है। मां दया भार्गव के नाम पर तीन बंगले पहले खरीदे जा चुके हैं। घटना के बाद जब सुरक्षाकर्मी उनको बाहर ले जा रहे थे तो उन्होंने विजिटिंग कार्ड उछाला जिस पर डॉ. शक्ति भार्गव लिखा हुआ था। जीवीएल ने कहा है कि जूता फेंका गया लेकिन उनको लगा नहीं है।


 

 

देश के PM @narendramodi का डंका सिर्फ India में ही नहीं बल्कि पूरे World में बज रहा है। MODI को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए अप्रवासी भारतीयों का संगठन NAMO (NRI) (NGO) के 150 सदस्यों का एक दल "सात समांदर" पार कर भारत पहुंच चुका है। संगठन से जुड़े हर अप्रवासी का सिर्फ एक ही लक्ष्य है कि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें। इन्हीं सदस्यों में एक हैं मंजरी, जो कि Kanpur में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में वोट और सपोर्ट की अपील करेंगी। मंजरी ने Senior Journlist और Kanpur Press Club के Ex.President अनूप बाजपेयी (@tweetanoopab) के साथ बेबाकी से बातचीत की ।


Anoop Bajpai


विदेश में बज रहा है MODI के नाम का डंका


मंजरी ने कहा कि “योगा” की वजह से वे नरेंद्र मोदी से काफी प्रभावित हुई हैं। नरेंद्र मोदी देश में तो काफी पापुलर हैं ही लेकिन इसके साथ-साथ वे विदेश में रहने वाले अप्रवासी भारतीयों के बीच काफी पसंद किए जाते हैं।

https://twitter.com/redeyestimes/status/1118157488581480448

WhatsApp ग्रुप से जुड़े हैं NAMO (NRI) के हर सदस्य


मंजरी ने बताया कि NAMO (NRI) के हर सदस्य एक दूसरे से WhatsApp ग्रुप में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। एक दूसरे से जानकारियां शेयर करते हैं। वे लोग अपने खर्च पर यहां मोदी और बीजेपी के लिए प्रचार-प्रसार कर वोट मांगने आए हैं। मंजरी के मुताबिक NAMO (NRI) के सदस्य वहां पर गए हैं जहां पर जिस शहर में उनका पुराना नाता रहा है या फिर जहां से वे लोग जुड़े हुए हैं। चूंकि मंजरी कानपुर से जुड़ी रही हैं इस लिए उन्होंने आना आवश्यक समझा।

मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने तो देश अंधकार में चला जाएगा


अपनी बातचीत के दौरान मंजरी ने कहा कि यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनते हैं तो देश अंधकार में चला जाएगा। उन्होंने कहा कि वे इस मुहिम का एक छोटा सा हिस्सा हैं। यदि मोदी जी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बने तो उनके लिए काफी शाकिंग भरा होगा।

यूपी के एटा की रहने वाली हैं मंजरी


मंजरी यूपी के एटा जनपद की रहने वाली हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा कानपुर शहर में ही हुई है। विवाह के बाद वे पति के साथ अमेरिका के एक शहर में जाकर बस गईं। अपने दो बच्चों को पति के साथ छोड़कर भारत आईं मंजरी (IT) क्षेत्र में नौकरी करती हैं। उनके पति भी इसी क्षेत्र में कार्यरत हैं।

ज्वाला देवी में शिक्षिका हैं मंजरी की बड़ी बहन


मंजरी ने बातचीत के दौरान बताया कि उनकी बड़ी बहन कानपुर के ज्वाला देवी कॉलेज में शिक्षिका हैं। मंजरी कानपुर में बहन के घर पर ही रुकी हैं। मंगलवार को मंजरी कानपुर बीजेपी के नवीन मार्केट स्थित जिला कार्यालय पहुंची। यहां पर उन्होंने बातचीत के दौरान उन्होंने मंजरी ने कहा कि सिर्फ मेरा ही नहीं बल्कि हर देशवासी का सपना है कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनें। इस दौरान कानपुर उत्तर जिला अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी, प्रवक्ता अनूप अवस्थी समेत संगठन के कई पदाधिकारी भी मंजरी के साथ मौजूद रहे।

 

 

 
no image

@BJP4India के "शत्रु" बन चुके पटना साहिब के सांसद और फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की Wife पूनम सिन्हा ने मंगलवार को @samajwadiparty ज्वाइन कर ली। UP के Ex.CM @yadavakhilesh की धर्मपत्नी और कन्नौज की सांसद @dimpleyadav ने पूनम को सपा की सदस्यता दिलाई। माना जा रहा है कि पूनम सपा के टिकट पर यूपी की राजधानी Lucknow से गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ सकती हैं। यहां से गृहमंत्री  @rajnathsingh को बीजेपी ने एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया है। राजनाथ ने मंगलवार को अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया।


https://twitter.com/samajwadiparty/status/1118089220571246594

Yogesh Tripathi


खुद भी बतौर अभिनेत्री बॉलीवुड में काम कर चुकी हैं पूनम

पूनम सिन्हा की अपनी खुद की पहचान है। वे 70 के दशक में बतौर अभिनेत्री कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं। पिछले दिनों ही उनके सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर लखनऊ से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं, जो अब करीब-करीब सच साबित होती दिख रही हैं।

सोनाक्षी सिन्हा कर सकती हैं मम्मी का प्रचार

सूत्रों की मानें तो पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा खुद चुनाव लड़ रहे हैं। यदि पूनम सिन्हा लखनऊ से चुनाव लड़ती हैं तो उनके प्रचार के लिए बेटी सोनाक्षी सिन्हा को कमान संभालनी पड़ेगी। क्यों कि पूनम के सामने देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह बतौर बीजेपी प्रत्याशी हैं।

 
no image

Lok Sabha Election 2019 की चुनावी बयार पहले चरण के बाद तेज हो चुकी है। @samajwadiparty आजम खां ने रामपुर में @BJP4India प्रत्याशी @jayaprada_MP को लेकर बेहद ही गंदी टिप्पणी की तो हिमांचल BJP प्रदेश अध्यक्ष ने @INCIndia प्रेसीडेंट राहुल गांधी को मंच से गालियां दीं। नेताओं की ये बदजुबानी अभी तक सिर्फ विरोधी दल के नेताओं तक सीमित थी लेकिन सोमवार को अंबेडकर नगर से भाजपा के वर्तमान सांसद हरिओम पांडेय ने टिकट काटे जाने के बाद जो बयान दिया है तो वो काफी गंभीर है। हरिओम पांडेय ने कहा कि “पैसा और लड़की की सप्लाई करने वाले को ही BJP टिकट देती है”। सांसद का ये इशारा बीजेपी संगठन के कुछ शीर्ष लोगों की तरफ था। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया Twitter पर संगठन के कुछ पदाधिकारियों को लेकर तमाम तरह के कमेंट्स आने लगे। एक बड़े नेता को लोगों ट्रोल भी किया।


https://twitter.com/VedankSingh/status/1117830035472171008

Yogesh Tripathi


Minister मुकुट बिहारी वर्मा को बीजेपी ने बनाया प्रत्याशी  

BJP के शीर्ष नेतृत्व ने लंबे विचार-विमर्श के बाद प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को अंबेडकर नगर से टिकट दिया है। गौरतलब है कि हरिओम पांडेय 2014 की मोदी लहर के बाद चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। यूपी के जिन सांसदों के टिकट काटे जाने को लेकर चर्चाएं हो रही थीं उसमें हरिओम पांडेय का भी नाम शामिल था।

https://twitter.com/IPSinghInd/status/1117835592551677955

UP में हो रही है ब्राम्हणों की हत्याएं

अंबेडकर नगर से बीजेपी के वर्तमान सांसद हरिओम पांडेय का शीर्ष नेतृत्व पर लगाया गया इल्जाम काफी संगीन है। वो सिर्फ यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि केंद्र और यूपी में बीजेपी की सरकार है। इसके बाद भी ब्राम्हणों की हत्याएं लगातार हो रही हैं। गुस्से से आगबबूला हरिओम पांडेय के टॉरगेट पर अंबेडकर नगर बीजेपी के प्रेसीडेंट भी गए। हरिओम पांडेय ने कहा कि जिलाध्यक्ष पर कई तरह के संगीन अपराधिक मुकदमें पंजीकृत हैं। हरिओम पांडेय ने कहा कि याद करिए “एक लड़की बलात्कार का आरोप लगा कर धरने पर बैठी थी”, क्या उसे न्याय मिल गया ?।

https://twitter.com/TheBhadauria/status/1117864567743193089

BJP में सपा-बसपा से आए लोगों का बोलबाला

टिकट काटे जाने से बेहद खफा सांसद हरिओम पांडेय ने कहा कि बीजेपी में सपा और बसपा से आए लोगों का बोलबाला है। बीजेपी बाहरी व्यक्ति को चुनाव लड़ा रही है। इनको ब्राह्मणों का श्राप लगेगा।