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  • बुधवार को Agra Jail में हार्ट अटैक से D-2 सरगना अतीक कुरैशी की मौत
  • अधिवक्ता खुर्शीद आलम Murder Case में हुई थी उम्रकैद की सजा 
  • राजधानी दिल्ली के लक्ष्मी नगर एरिया के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक 
  • अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और एजाज लक्कड़वाला से भी जुड़े थे अतीक के तार 
  • पुलिस के अभिलेखों में फिलहाल दर्ज रहेगी "IS-273" गैंग की "कहानी"
  • भाई या फिर बीवी...? आखिर कौन संभालेगा अतीक के जुर्म का "साम्राज्य"
  • मरने से काफी पहले अपनी सभी संपत्तियों की वसीयत बेटों और बेगम के नाम की



Yogesh Tripathi

कभी Kanpur के अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह रहे कुलीबाजार निवासी अतीक अहमद कुरैशी का तीन दिन पहले Uttar Pradesh की आगरा जेल में हार्ट अटैक पड़ने से इंतकाल हो गया। खबर है कि जेल प्रशासन की सूचना पर पहुंचे अतीक अहमद के परिवारीजन शव को दिल्ली ले गए और वहीं शनिवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया। चर्चा है कि अतीक और तौफीक अहमद उर्फ बिल्लू का परिवार लंबे समय से दिल्ली के लक्ष्मीनगर एरिया के किसी मोहल्ले में रहता है। यही वजह रही कि शव को दिल्ली ले जाया गया। 



अपने जुर्म के "साम्राज्य" को मुंबई अंडरवर्ल्ड से जोड़कर नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत कई जगहों तक फैलाने वाले अतीक अहमद ने अपराध की शुरुआत 70 के दशक में Kanpur के अनवरगंज थाना एरिया स्थित कुली बाजार की तंग गलियों से की थी। 80,90 के दशक में अतीक अहमद और उसके भाइयों रफीक, बिल्लू, बाले, शफीक, अफजाल की तूती बोलती थी। वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना और भाड़े पर हत्याएं करने जैसे बड़े अपराध की नींव इन भाइयों ने ही Kanpur में रक्खी थी। Kanpur के बाद अतीक और उसके भाई Uttar Pradesh में "सुपारी किलिंग" के भी "बादशाह"| बन बैठे। यूपी के बाहर भी तमाम प्रांतों में इन भाइयों के अपराध का खौफ था। शहर की कुछ सियासी हस्तियां ने भी इन खतरनाक भाइयों से समय-समय पर सेवाएं ली थीं। 

विदेशी हथियारों की तस्करी में भी अतीक और उसके भाई लंबे समय तक संलिप्त रहे। दिल्ली में स्टार मार्का चाइनीज पिस्टलों के साथ अतीक और बाले पकड़े गए। लंबे समय तक दोनों तिहाड़ जेल में कैद रहे। पकड़े जाने पर दोनों ने स्वीकार किया था कि Pakistan के कराची से ये पिस्टलें लाकर गिरोह यूपी और आसपास के प्रांतों में बिक्री लंबे समय से कर रहा था। सभी की अपने सौतेले भाई टॉयसन से कभी नहीं बनी। गिरोह के बारे में जानकारी रखने वाले पुलिस अफसरों की मानें तो इस गैंग को नेस्तानाबूत करने में टॉयसन का अहम योगदान रहा। सभी भाई टॉयसन के पीछे भी पड़े रहे लेकिन कभी छू तक नहीं पाए। वर्ष 98-99 में भरे चौराहे पर तमाचा खाने के बाद अतीक और उसके भाइयों से अपमान का बदला लेने के लिए अपराध की दुनिया में उतरे हीरामन का पुरवा निवासी परवेज ने कुछ समय के लिए D-2 गिरोह को छकाया लेकिन 2008 में STF ने परवेज का बिठूर में Encounter कर दिया। 


Unnao के शुक्लागंज में है ससुराल

आगरा जेल में हार्ट अटैक से मरे "IS-273" गिरोह के सरगना अतीक अहमद की ससुराल पड़ोसी जनपद उन्नाव के शुक्लागंज में है। अतीक की बेगम का नाम चमन बेबी है। अतीक के तीन बेटे हैं। वर्ष 2005 में Encounter में मारे जा चुके अतीक के भाई तौफीक उर्फ बिल्लू का निकाह चमन की छोटी बहन गुड़िया से हुआ था। दोनों से एक बेटा और एक बेटी हैं। खबर है कि तौफीक का परिवार भी दिल्ली में शिफ्ट हो चुका है। दोनों के बच्चे अब अपराध की दुनिया से दूर हैं लेकिन अतीक की बेगम और बड़े बेटे पर खुफिया व पुलिस की पैनी निगाह हमेशा रहती है। 


कौन संभालेगा अतीक के जुर्म का "साम्राज्य"...? 

अतीक के जुर्म का अध्याय भले ही बंद हो गया लेकिन उसके दुस्साहस और अपराध करने के Style की चर्चाएं तो होती रहेंगी। अतीक समेत चार भाइयों की मौत हो चुकी है। दो भाई इकबाल उर्फ बाले और अफजाल फिलहाल जेल में बंद हैं। अतीक की बेगम बच्चों और परिवार के साथ अंडरग्राउंड है। गिरोह के दो खतरनाक सदस्य रफाकत और इजराइल आटा वाला जेल में सजा काट रहे हैं। लईक कालिया (बूढ़ा शेर) हो चुका है। शाहिद पिच्चा, राजिक, बाबर और उसका भाई छोटे और डब्लू व एक अन्य सदस्य ही बाहर और एक्टिव हैं। 


इसमें बाबर और छोटू वाराणसी में कुछ साल पहले मारे जा चुके मुख्तार गैंग के शार्प शूटर रईस बनारसी के भांजे हैं। पुलिस की मानें तो दोनों हथियारों और कारतूस की तस्करी में Expert हैं। बाबर को भारी मात्रा में हथियारों के साथ ATS ने कुछ साल पहले Arrest किया था। जिसमें उसे सजा भी हुई थी। उस समय ATS ने प्रतिबंधित हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया था। पुलिस अफसरों का मानना है कि अतीक की मौत के बाद गिरोह की कमान परिवार का ही कोई व्यक्ति संभाल सकता है। लेकिन संभालेगा कौन...? इस सवाल पर जानकार पुलिस अफसर कहते हैं कि अफजाल या फिर उसकी बेगम में कोई भी... गिरोह का सरदार भले ही कोई बने लेकिन खुफिया और पुलिस Alert हैं।

 


गिरोह के लिए "यमराज" बने ये अफसर 

इस गिरोह के लिए वर्तमान में उन्नाव जनपद में क्षेत्राधिकारी के पद पर तैनात ऋषिकांत शुक्ला सही मायनों में "यमराज" बन गए। 2005 में मेहरबान सिंह का पुरवा के पास तौफीक उर्फ बिल्लू को Encounter में ढेर कर ऋषिकांत ने गिरोह का पहला और कीमती विकेट गिरा दिया। उसके बाद हीर पैलेस के बाहर STF सिपाही की हत्या कर भागे गिरोह के खूंखार बदमाश रफीक को कोलकाता में Arrest करने पहुंचे। कोलकाता में रफीक ने गोलियां चला दीं। किसी तरह अपनी टीम के साथ ऋषिकांत शुक्ला बच पाए। लोकल पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर रफीक को कोर्ट में पेश किया गया। उसके बाद बी-वारंट के जरिए उसे कानपुर लाया गया। 

यहां से पुलिस ने A.K-47 की बरामदगी के लिए रिमांड ली। रफीक को लेकर पुलिस टीम जूही यार्ड के पास जा रही थी। लेकिन रास्ते में बाइक से आए अतीक गिरोह के कट्टर दुश्मन परवेज ने पुलिस कस्टडी में रफीक की हत्या कर दी। करीब दो साल पहले तीसरे भाई शफीक की मुंबई में बीमारी से मौत हो गई थी और अब अतीक की हार्ट अटैक से मौत। इकबाल उर्फ बाले और अफजाल जेल में हैं। इसमें अफजाल को करीब ढाई साल पहले राजस्थान में गिरफ्तार किया गया। उसे भी सजा हो चुकी है। 


लंबे समय तक Kanpur में रही थी Mukhtar की आमदरफ्त

Mukhtar का  भांजा मोहम्मद ताहिर Kanpur में ही रहता था 

  • नब्बे के दशक में क्राइस्चर्च कॉलेज का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ था ताहिर
  • 22 साल पहले मुख्तार के शूटर संग Kanpur में पकड़ा गया था ताहिर
  • पुलिस ने असलहों के साथ ताहिर, अभय सिंह को किया था Arrest
  • रईस बनारसी ने भी लंबे समय तक मुख्तार के लिए किया था काम



Yogesh Tripathi

Uttar Pradesh के बांदा जनपद स्थित मेडिकल कॉलेज में गुरुवार देर रात्रि पूर्वांचल के बाहुबली डॉन और पांच बार विधायक रहे Mukhtar Ansari की हार्ट फेल हो जाने की वजह से मौत हो गई। Mukhtar Ansari बांदा की जेल में सजा काट रहा था। उसे ढाई साल पहले पंजाब की जेल से यूपी लाया गया था। Mukhtar Ansari का Kanpur से भी काफी गहरा Connection रहा है। शहर में मुख्तार के एक भांजा मोहम्मद ताहिर रहते था। ताहिर नब्बे के दशक में छात्र नेता रहे और बाद में क्राइस्चर्च कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। ताहिर की कैंसर की बीमारी से कुछ साल पहले मौत हो चुकी है।


 Kanpur से पूर्वांचल अंडरवर्ल्ड का गहरा नाता हमेशा से रहा है। शहर से असलहों और कारतूसों की सप्लाई भी पूर्वांचल के गैंस्टर व माफियाओं को होती रही है। Kanpur और आसपास के कई शार्प शूटर भी इन पूर्वांचल के गैंगों की खातिर काम करते थे। कुलीबाजार के अतीक-शफीक & बिल्लू-बाले के साथ-साथ अच्छे दहाना, नई सड़क के अतीक-फहीम और जिंदनाथ गिरोह के शार्प शूटर Uttar Pradesh व दूसरे राज्यों में सक्रिय रहे हैं। इसमें एक नाम रईस बनारसी भी है। जो अभी कुछ साल पहले ही वाराणसी में मारा जा चुका है। रईस बनारसी यूं तो Kanpur का ही रहने वाला था लेकिन पूर्वांचल के गाजीपुर, बनारस, मऊ समेत कई जनपदों में उसकी खासी दहशत थी। रईस बनारसी ने लंबे समय तक मुख्तार गैंग के लिए काम किया था। 

Kanpur के तमाम मुस्लिम बाहुल्य एरिया में अंसारी बिरादरी की खासी संख्या हैं। इसमें 70 फीसदी के करीब लोग पूर्वांचल के जनपदों, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बनारस, मऊ आदि जनपदों के मूल निवासी हैं। मुख्तार के इंतकाल को लेकर पूरे दिन चर्चाएं होती रहीं। शहर पुलिस और खुफिया विभाग के अफसर Alert रहे। चंदारी, सुजातगंज, फेथफुलगंज, बेगमपुरवा, रेलबाजार, आदि जगहों पर खुफिया की बेहद पैनी निगाह पूरे दिन बनी रही। 

Kanpur में भी रहा खासा दखल

पूर्वांचल और खासतौर पर गाजीपुर से जुड़े कानपुर में रहने वालों की मानी जाए तो मुख्तार और उसके भाई अफजाल से कानपुर में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों से कनेक्शन रहे हैं। मुख्तार के गुर्गों से भी इन लोगों का नेटवर्क रहा है। बड़े मामलों में मुख्तार गैंग के लोग मामला निपटाते रहे हैं। इसके एवज में मोटी रकम भी वसूली जाती रही है। तमाम मामले प्रकाश में आए लेकिन बहुत सारे मामले खुले ही नहीं। 

Mukhtar Ansari का भांजा भी करता था रंगबाजी

जाजमऊ क्षेत्र में रहने वाले मुख्तार अंसारी के भांजे मोहम्मद ताहिर नब्बे के दशक में क्राइस्चर्च कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष बने। कानपुर की कैंट विधान सभा सीट से ताहिर ने पीस पार्टी के टिकट पर विधायकी का भी चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गए। ताहिर छात्र जीवन में भी काफी ठसक के साथ रहता था। मामा के नाम और साथ की फोटो को ताहिर रुतबा दिखाता रहा था। शहर की राजनीति में भी ताहिर की अच्छी दखल रहती थी। खासकर कैंट क्षेत्र में ताहिर की पकड़ बेहद मजबूत थी। 

जेल मे पूर्व सांसद सुभाषिनी अली का विरोध किया

छात्र राजनीति के दौरान आरक्षण मामले पर विरोध के दौरान शहर के तमाम छात्र नेताओं को पुलिस ने विरोध करने की वजह से Arrest कर जेल भेज दिया। तत्कालीन सांसद सुभाषिनी अली जेल में बंद छात्र नेताओं से मुलाकात करने पहुंची। मोहम्मद ताहिर ने अपने साथ बंद अन्य छात्र नेताओं के साथ मिलकर जेल की बैरक में ही सुभाषिनी अली का न सिर्फ विरोध किया बल्कि खासी अभद्रता भी की। जेल के सुरक्षा कर्मियों और अपने अंगरक्षकों की वजह से सुभाषिनी अली बामुश्किल जेल से बाहर निकल सकीं थी।

प्लेन हाईजैक का हाईवोल्टेज ड्रामा

आरक्षण के मुद्दे पर शहर के सभी कालेजों में छात्र नेता और पदाधिकारी खुलकर विरोध कर रहे थे। दूसरी तरफ मोहम्मद ताहिर ने अपने कुछ करीबी छात्र नेताओं के संग प्लेन को हाईजैक कर लिया। खास बात ये रही कि ुउस समय प्लेन में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री की पत्नी भी मौजूद रहीं थीं। प्लेन हाईजैक की खबर पर दिल्ली तक हड़कंप मच गया था। बाद में जब सुरक्षा कर्मियों ने सभी को हिरासत में लिया तो मालूम चला कि सभी के पास जो पिस्टल थी वो नकली थी। लेकिन सभी के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड की गई थी। लंबे समय तक मुकदमा भी चला। 

Abhay Singh के साथ Kanpur में पकड़ा गया था ताहिर 

वर्ष 2002 में कलेक्टरगंज थाने की नयागंज चौकी इंचार्ज रहे ऋषिकांत शुक्ला (वर्तमान में क्षेत्राधिकारी उन्नाव) ने मुखबिर की सूचना पर कार सवार कुछ युवकों को असलहों के साथ Arrest किया। कार का शीशा खुलते ही पुलिस वालों को धमकियां मिलीं तो सभी ठिठक गए। कार में कोई और नहीं बल्कि मुख्तार अंसारी के करीबी रहे वर्तमान में सपा के टिकट पर विधायक चुने गए अभय सिंह मौजूद थे। अभय सिंह के साथ मोहम्मद ताहिर, एक अन्य व्यक्ति और ड्राइवर भी था। सभी को छोड़ने के लिए दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत कई मंत्रियों के फोन तत्कालीन पुलिस अफसरों के पास आए। एक लाइसेंसी राइफल भी पुलिस ने सभी के पास से बरामद की थी जो कि किसी दूसरे राज्य की थी। अभय सिंह को छोड़कर पुलिस ने बाकी अन्य लोगों को तब तबियत से खातिरदारी की थी। अभय सिंह अभी हाल में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रास वोटिंग करने की वजह से सुर्खियों में आए। फिलहाल केंद्र की मोदी सरकार ने उनको "Y" श्रेणी की सुरक्षा देते हुए CRPF के जवानों की तैनाती उनके साथ की है। 


  • RSS (East UP) के क्षेत्रसंघ चालक वीरेंद्र जीत सिंह ने दिया इस्तीफा 
  • Krishna Mohan को RSS ने क्षेत्रसंघ चालक की जिम्मेदारी सौंपी 
  • BJP हाईकमान ने सिटिंग MLA & MLC को टिकट देने से दूरी बनाई 
  • सतीश महाना पहले ही दावेदारी से नाम वापस ले चुके हैं
  • सत्यदेव पचौरी भी अंतिम दौर में एड़ी-चोटी का जोर लगाया
  • RSS के दिग्गज Neetu Singh की पैरवी में कर रहे हैं तगड़ी लामबंदी


Yogesh Tripathi 

 Uttar Pradesh की Kanpur लोकसभा सीट अब काफी "हॉट" हो चुकी है। इस सीट पर BJP से लोकसभा का प्रत्याशी कौन बनेगा यह अब Prime Minister Of India की टेबल पर तय होगा। प्रत्याशिता के अंतिम रेस में एड़ी-चोटी का जोर लगाए निवर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी को "सियासी पिच" पर उनकी ही बेटी Neetu Singh तगड़ी चुनौती दे रही हैं।  उधर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से एक बड़ी खबर ये आ रही है कि क्षेत्र संघ चालक वीरेंद्र जीत सिंह ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। राजनीति के जानकारों की मानें तो RSS के इस "बलिदान"  का लोकसभा के टिकट पर साफ-साफ फर्क पड़ेगा। वीरेंद्र जीत सिंह के इस्तीफा देने के पीछे कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। RSS ने उनकी जगह   Krishna Mohan को क्षेत्र संघ चालक बनाया है। 



पिछले दिनों BJP की तरफ से जारी प्रत्याशियों की पहली सूची में सिटिंग सांसद सत्यदेव पचौरी का नाम नहीं था। कयास लगाए जा रहे थे कि 75 की उम्र पार कर चुके सत्यदेव पचौरी को हाईकमान ने साइड लाइन कर दिया है लेकिन राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी कहे जाने वाले पचौरी ने हार नहीं मानी और दिल्ली में डेरा डाल "अंगद" की तरह अपने पांव जमा दिए। हाईकमान के सामने उन्होंने पांच साल के दौरान अपने विकास कार्यों का लेखाजोखा रक्खा। उनके समर्थन में कई दिग्गजों की पैरवी भी रंग लाई। 

वहीं दूसरी तरफ RSS के कई बड़े दिग्गज सत्यदेव पचौरी की बेटी Neetu Singh के लिए लामबंदी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अंतिम समय पिता-पुत्री ही रेस में थे। 2019 में गंगा मेला के दिन सत्यदेव पचौरी की टिकट हाईकमान ने फाइनल की और वह प्रत्याशी बने। इसके बाद विधान सभा और महापौर के लिए भी Neetu Singh का नाम खूब चला। महापौर की टिकट के लिए तो उनका नाम करीब-करीब पक्का था लेकिन ऐन वक्त पर दिल्ली में बैठे शीर्ष नेतृत्व ने एक दिग्गज की पैरवी पर प्रमिला पांडेय की टिकट फिर से रिपीट कर दी। महापौर की टिकट न मिलने के बाद RSS के तमाम कद्दावर काफी नाराज भी हुए लेकिन सबको बाद में मैनेज कर लिया गया। इस बीच Neetu Singh की सामाजिक सक्रियता पहले से काफी बढ़ गई।
 

(News Portal) के पास जो जानकारियां हैं उसके मुताबिक Neetu Singh को टिकट दिलाने के लिए RSS ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रक्खा है। क्षेत्र संघ चालक के पद से इस्तीफा देने वाले वीरेंद्र जीत सिंह Neetu Singh के ससुर हैं। संघ के लोगों का मानना है कि ये इस्तीफा नहीं बल्कि "बलिदान" है। उल्लंलेखनीय है कि लंबे समय तक यह पद वीरेंद्र जीत सिंह परिवार और स्वर्गीय ईश्वर चंद्र गुप्त के पास ही रहा है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि Uttar Pradesh के तमाम जनपदों में वीरेंद्र जीत सिंह के पिता स्वर्गीय बैरिस्टर नरेंद्र जीत सिंह ने RSS की नींव डाली थी। उनके निधन के बाद से यह जिम्मेदारी ईश्वर चंद्र गुप्त को मिली। ईश्वर चंद्र गुप्त के बाद से संघ परिवार की यह बड़ी जिम्मेदारी Neetu Singh के ससुर अपने कंधों पर उठा रहे थे। 


Note----Kanpur लोकसभा सीट से BJP किसको प्रत्याशी बनाएगी...??? यह किसी को फिलहाल नहीं मालुम हैं। सूत्रों की मानें तो प्रत्याशी के नाम पर Final मोहर लग चुकी है। प्रत्याशी के नाम की अधिकृत घोषणा यदि आज रात्रि तक नहीं हुई तो फिर 20 मार्च को कभी भी हो सकती है। एडवांटेज Neetu Singh को मिलने की चर्चा है।

  • सतीश महाना ने प्रत्याशिता की रेस से खुद को किया अलग
  • सत्यदेव पचौरी ने टिकट की रेस में फिर बढ़त बनाई
  • ईरानीदांव के सहारे सुरेंद्र मैथानी की दावेदारी भी तगड़ी
  • Arun Pathak (MLC) के नाम पर भी विचार कर सकता है हाईकमान   

Yogesh Tripathi

Kanpur में BJP प्रत्याशी के चयन को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। टिकट के दावेदार अपनी-अपनी मजबूत किलेबंदी कर रहे हैं। Uttar Pradesh से लेकर Delhi तक के नेताओं की पैरवी तेज हो गई है लेकिन रस्साकशी के चलते सुबह से लेकर रात तक सुर्रेबाजी भी तेज है। कभी वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी का नाम तेजी से उभरता है तो कभी Arun Pathak (MLC) के नाम की चर्चा तेज हो जाती है। भाजपाइयों के बीच Pandit Surendra Maithani के ईरानी दांव की चर्चा भी जोरों पर है लेकिन हर दावेदार सांसद सत्यदेव पचौरी के पसड़ूदांव से चिंतित हैं। सभी का मानना है कि पचौरी जी राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। उनसे पार पाना इतना आसान नहीं है। चर्चा है कि सत्यदेव पचौरी अपना टिकट होने की स्थिति में बेटी के नाम को भी आगे बढ़ा सकते हैं। Kanpur से प्रत्याशी कौन होगा...? इसकी रायशुमारी प्रभारी नेताओं के साथ-साथ RSS और हिन्दूवादी संगठनों के आकाओं से भी ली जा रही है। यही वजह है कि BJP के सियासी फिजा में असमंजस के हालात बने हुए हैं। Media Report’s की मानें तो इस नए राजनीतिक समीकरण बनने के पीछे सतीश महाना का दावेदारी से हटना है। 

करीब पांच दिन पहले सतीश महाना ने लोकसभा की दावेदारी से खुद को किनारे कर लिया। ये भी सच है कि खुलकर उन्होंने कभी दावेदारी की भी नहीं थी। चर्चा है कि ऐसा उन्होंने हाईकमान के निर्देश पर किया। इस बीच सत्यदेव पचौरी ने अपनी पैरोकारी और तेज कर दी। नमो एप पर सत्यदेव पचौरी की लोकप्रियता हाईकमान से भी छिपी नहीं है। संगठन और संघ के कई बड़े नेता सत्यदेव पचौरी की टिकट के लिए पैरवी कर रहे हैं। पचौरी के समर्थक भी बोल रहे हैं कि टिकट तो चाचा ही लेकर आएंगे। चर्चा इस बात की भी है कि यदि हाईकमान सत्यदेव पचौरी के नाम पर सहमत नहीं हुआ तो ऐन वक्त पर नीतू सिंह का नाम भी आगे किया जा सकता है।



सत्यदेव पचौरी को कड़ी टक्कर गोविंदनगर से लगातार दूसरी बार विधायक बने सुरेंद्र मैथानी से मिल रही है। सुरेंद्र मैथानी के कार्यकर्ता भी पूरी तरह से टिकट मिलने की उम्मींद लगाए हैं। सुरेंद्र मैथानी की चर्चा उनके सियासी ईरानी दांव को लेकर हो रही है। नागपुर भी मैथानी के नाम पर ना-नुकुर नहीं करेगा। हालांकि ये खबर भी सच है कि हाईकमान किसी भी कीमत पर कोई उपचुनाव नहीं चाहता है। यदि ऐसा हुआ तो मैथानी का ईरानीदांव काम नहीं आएगा।

इन सबके बीच एक और नाम की चर्चा पिछले दो-तीन दिन से तेज है। ये नाम विधान परिषद सदस्य (MLC) अरुण पाठक का है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सत्यदेव पचौरी के नाम पर यदि सहमति नहीं बनी तो फिर हाईमान किसी ब्राम्हण चेहरे पर ही दांव लगाएगा। Arun Pathak भी वो चेहरा हो सकते हैं। उनकी शालीनता और निर्विवाद छवि भी उनको टिकट दिलाने में अहम भूमिका अदा करेगी। माना जा रहा है कि दिल्ली सिस्टम से जुड़े कुछ बड़े नेता ऐन वक्त पर Arun Pathak के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा सकते हैं। 

कुछ पुराने भाजपाइयों की मानें तो लोकसभा 2024 की सियासत के साथ-साथ पुरानी सियासत का खेल भी चल  रहा है। देखना ये है कि आखिर बाजी किसके हाथ लगेगी..."ईरानी" दांव से सुरेंद्र मैथानी टिकट लाते हैं या फिर "चाचा" का "पसड़ू दांव" उनके काम आता है। हाईकमान कौन से “P” पर अपनी मोहर लगाएगा...?? पचौरी, पाठक फिर कोई और...??? कयास लगाए जा रहे है कि अगले 48 घंटे में BJP की एक और लिस्ट आ सकती है। संभावना है कि दूसरी लिस्ट में कानपुर के प्रत्याशी का नाम होगा।

 

 

  • BJP की पहली लिस्ट में अधिकांशत: पुराने चेहरे
  • कन्नौज से सुब्रत पाठक और उन्नाव से साक्षी महराज
  • फतेहपुर से वर्तमान सांसद साध्वी निरंजन ज्योति प्रत्याशी
  • संतकबीर नगर की सीट से निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद उम्मींदवार
  • लखनऊ से राजनाथ सिंह को हाईकमान ने प्रत्याशी बनाया


 

Yogesh Tripathi

Lok Sabha Election 2024 के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शनिवार शाम को प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में कानपुर लोकसभा के प्रत्याशी का नाम नहीं है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी का टिकट हाईकमान ने काट दिया है। वहीं कानपुर से सटी अकबरपुर (कानपुर) लोकसभा सीट से निवर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह (भोले) पर हाईकमान ने एक बार फिर विश्वास जताते हुए उन्हें प्रत्याशी घोषित किया है। सियासी गलियारों में पचौरी का नाम पहली सूची में फाइनल न होने पर तमाम तरह की आशंकाएं और चर्चाएं जोरों पर हैं।


चर्चा है कि Kanpur के एक "माननीय" और व्यापारी नेता के नामों पर आलाकमान काफी गंभीर है। "माननीय" के तार सीधे दिल्ली वाले सिस्टम से जुड़े हैं जब कि व्यापारी नेता के लिए संगठन और संघ लामबंद है। व्यापारी नेता करीब तीन दशक से भाजपा से जुड़े हैं। कई बार विधायकी के चुनाव में उनके नाम की चर्चाओं ने जोर पकड़ा लेकिन टिकट नहीं मिल सका। 90 के दशक में यह व्यापारी नेता सत्यदेव पचौरी के साथ लोहा व्यापार मंडल के महामंत्री हुआ करते थे। तब सत्यदेव पचौरी लोहा व्यापार मंडल के अध्यक्ष हुआ करते थे। जानकारों की मानें तो तो इन दो नामों को लेकर हाईकमान काफी विचार-विमर्श कर रहा है। संभावना है कि इन्हीं दोनों में से किसी का नाम देर-सबेर Final हो सकता है। गौरतलब है कि www.redeyestimes.com (News Portal) ने पांच दिन पहले ही सत्यदेव पचौरी की टिकट कटने को लेकर खबर प्रकाशित की थी। 

BJP की पहली लिस्ट में Uttar Pradesh से इन प्रमुख सीटों पर हाईकमान ने प्रत्याशी Final किए हैं। West Zone में मुज़फ़्फ़रनगर सीट से कद्दावर नेता संजीव बालियान को प्रत्याशी बनाया गया है। नगीना से ओम कुमार, रामपुर सीट से घनश्याम लोधी, अमरोहा से कंवर सिंह तोमर, भारी विरोध के बाद भी नोएडा से वर्तमान सांसद महेश शर्मा, मथुरा से हेमा मालिनी , आगरा से SP Baghel, एटा सीट से राजवीर सिंह, खीरी से केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्रा (टेनी), सीतापुर से राजेश वर्मा, हरदोई लोकसभा से जय प्रकाश रावत, उन्नाव से साक्षी महाराज, मोहनलालगंज सीट से कौशल किशोर ,लखनऊ सीट से केंद्रीय रक्षा मंत्री और वर्तमान सांसद राजनाथ सिंह , कन्नौज से सुब्रत पाठक, अकबरपुर से भोले सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। 

Bundelkhand Zone में झाँसी सीट से अनुराग शर्मा, हमीरपुर- पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, फ़तेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति को हाईकमान ने प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि अयोध्या से लल्लू सिंह, श्रावस्ती से साकेत मिश्रा , बस्ती से हरीश दिवेदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मस्थली गोरखपुर से रविकिशन शुक्ला, संतकबीर नगर सीट से प्रवीण निषाद, जौनपुर सीट से कृपाशंकर सिंह, चंदौली लोकसभा सीट से MN Pandey समेत 51 प्रत्याशी BJP ने घोषित किए हैं। 

 

  • लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शह-मात का दौर Start
  • Congress के वजीरने बढ़ाई BJP की बेचैनी
  • कांग्रेस प्रत्याशी के बाद बीजेपी फाइनल करेगी प्रत्याशी का नाम
  • बड़े Media House ने BJP प्रत्याशी को लेकर किया सर्वे
  • सर्वे में सबसे ऊपर सतीश महाना का नाम
  • 51 फीसदी लोगों ने किया सतीश महाना के पक्ष में Vote


Yogesh Tripathi

Lok Sabha Election 24 का सियासी पाराचढ़ने लगा है। कांग्रेस और सपा के गठबंधन से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हाईकमान भी चिंतित है। सपा सुप्रीमों Akhilesh Yadav ने तो तमाम सीटों पर गठबंधन प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी है। गठबंधन के तहत Akhilesh Yadav ने कांग्रेस को सूबे में 17 सीटें दी हैं। इन 17 सीटों में एक सीट Kanpur भी है। कानपुर से कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा...? यह फिलहाल किसी को नहीं मालुम है लेकिन शहर के एक दिग्गज ने सभी की धड़कने बढ़ा दी हैं। ये दिग्गज कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार कांग्रेस के प्रभारी Ex.MLA अजय कपूर हैं। लखनऊ और दिल्ली में चर्चा है कि Congress अपने इस वजीर को चुनाव मैदान में उतार सकती है। अजय कपूर संभावित प्रत्याशिता की दावेदारी में अन्य लोगों से काफी आगे हैं। देर-सबेर हाईकमान उनके नाम पर अपनी फाइनल मोहर लगा सकता है। www.redeyestimes.com (News Portal) ने इस बाबत उत्तर प्रदेश (कांग्रेस) के मीडिया प्रमुख डॉक्टर चंद्रप्रकाश राय से जब बातचीत की तो उन्होंने कहा कि अभी कानपुर सीट पर किसी का नाम फाइनल नहीं हुआ। लोकसभा प्रत्याशी का नाम दिल्ली में हाईकमान तय करेगा।

यूं तो कानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के कई नेता टिकट मांग रहे हैं लेकिन मजबूत और ठोस दावेदारी अभी तक कोई नहीं कर सका है। सभी अपने-अपने आकाओं के जरिए दिल्ली-लखनऊ में पैरवी करवा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान इस बार Kanpur सीट को लेकर खासा गंभीर है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि Ex.MLA अजय कपूर के नाम पर खासा मंथन किया जा रहा है। अजय कपूर के नाम पर हाईकमान कितना गंभीर है...? इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि तीन दिन पहले जब Rahul Gandh की भारत जोड़ो न्याय यात्राशहर से निकली थी तो खुद Rahul Gandhi ने अजय कपूर को बुलाकर अपने वाहन में बैठाया और साथ लेकर चले। शायद शहर कांग्रेस कमेटी के लिए Rahul Gandhi का यह बड़ा संकेत था। दिल्ली में हलचल के बाद अब चर्चा कानपुर लोकसभा क्षेत्र में भी कांग्रेसी कर रहे हैं। चर्चा इस बात की भी है कि पिछले दो दिनों से अजय कपूर भी दिल्ली में ही हैं। उनके Right & Left Hand लोगों ने पुराने कार्यकर्तां की चौखट पर दस्तक भी देना Start कर दिया है।

कांटे से कांटा निकालने की रणनीति बना रही है BJP

उधर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी अपनी कमर कस ली है। देश के सबसे बड़े मीडिया संस्थान ने कानपुर लोकसभा सीट पर BJP से प्रत्याशिता को लेकर एक सर्वे कराया है। इस सर्वे में एक दिग्गज नेता का नाम सबसे ऊपर है। ये नाम कोई और नहीं बल्कि भाजपा के कद्दावर नेता और विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना का है। सतीश महाना को सर्वे में 51 फीसदी वोट मिले। BJP हाईकमान भी इस बड़े Media House  के सर्वे को लेकर न सिर्फ गंभीर है बल्कि मंथन भी कर रहा है कि आखिर प्रत्याशी किसे बनाएं...? वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी 70 की आयु पार कर चुके हैं। हालांकि नमो एप पर वह सबसे चर्चित और अच्छे सांसद हैं। नमो एप पर उनकी रैंकिंग टॉप पाइव में है। हाईकमान को सत्यदेव पचौरी के मिजाज को भी बखूबी जानता है।

 

अब देखना ये है कि बीजेपी Kanpur की सीट से किसे प्रत्याशी बनाएगा...? सत्यदेव पचौरी या फिर सतीश महाना...? हालांकि सतीश महाना की तरफ से अभी तक कोई दावेदारी खुलकर सामने नहीं आई है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि Congress ने वजीर अजय कपूर को उम्मींदवार घोषित किया तो फिर BJP किसे अपना बादशाह बनाएगी।...? BJP ने यदि सतीश महाना को प्रत्याशी बनाया तो चुनावी दंगलदेखने लायक होगा। वजह ये है कि सतीश महाना और अजय कपूर की आपस में रिश्तेदारी है। शायद यही वजह है कि BJP ने कांटे से कांटा निकालने की रणनीति बनानी अभी से Start कर दी है। देखना अब ये दिलचस्प होगा कि बीजेपी कानपुर सीट पर सत्यदेव पचौरी को रिपीट करती है या फिर सर्वे को गंभीरता से लेते हुए सतीश महाना को प्रत्याशी बनाती है। या फिर दो पुराने दिग्गजों की नूराकुश्ती में कोई तीसरा बाजी मारता है...? क्यों कि कानपुर सीट से प्रबल दावेदारी BJP के एक चर्चित विधायक भी कर रहे हैं।  

कभी Congress का मजबूत किला था Kanpur

Kanpur कभी कांग्रेस का मजबूत किला हुआ करता था लेकिन वर्ष 89 के लोकसभा चुनाव में कम्युनिस्ट नेत्री सुभाषिनी अली ने कांग्रेस के इस किले में सेंध लगा दी। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद केसरिया भगवा लहराया और कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण कई बार चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे। समय ने एक बार फिर करवट बदली और कांग्रेस ने पूर्व मेयर श्रीप्रकाश जायसवाल को टिकट दे दिया। श्रीप्रकाश जायसवाल ने बीजेपी से यह सीट छीनकर वापस कांग्रेस को दे दी। 2009 में श्रीप्रकाश जायसवाल जब चुनाव जीतकर संसद पहुंचे तो कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें कोयला मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया।

Modi लहर में फिर हार गई Congress

2014 की मोदी लहर में BJP ने इस सीट से वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को चुनाव के मैदान में उतारा। मुरली मनोहर जोशी ब्राम्हण बाहुल्य कानपुर सीट से भारी वोटों के अंतराल से जीते। श्रीप्रकाश जायसवाल चुनाव हार गए। 2019 में BJP ने योगी आदित्यनाथ कैबिनेट के मंत्री और गोविंदनगर से विधायक सत्यदेव पचौरी को प्रत्याशी बनाया। सत्यदेव पचौरी ने 2019 के चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल को भारी मतों से हराया।

तीन विधान सभा में हैं अजय कपूर का तगड़ा Network

अजय कपूर की प्रत्याशिता के पीछे कांग्रेस हाईकमान ने कई तरह के फीडबैक लिया हैं। राष्ट्रीय सचिव बनने के बाद बिहार का प्रभार मिला तो अजय कपूर ने बेहद संजीदा ढंग से अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया। साथ ही साथ वह कानपुर में भी Active रहे। तीन बार विधायक रहे अजय कपूर का Network शहर की तीन विधान सभाओं में ठीक है। किदवईनगर जहां से वह लगातार दो बार हारे हैं। गोविंदनगर और कैंट विधान सभा। पंजाबी होने के साथ-साथ व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग भी उनके परिवार से जुड़ा है। नब्बे के दशक में अजय कपूर ने सभासद का चुनाव जीतकर अपने सक्रिय राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। उसके बाद वह गोविंदनगर सीट पर लगातार भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री बालचंद्र मिश्रा से कई बार चुनाव हारे। आखिर में अजय कपूर को जीत मिली और उन्होंने बालचंद्र मिश्रा को चुनाव में हरा दिया।