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  • Jhansi में शनिवार अलसुबह Encounter में मारा गया कुख्यात
  • Kanpur में तीन साल पहले हुई BSP नेता पिन्टू सेंगर की हत्या था आरोपी
  • भाड़े पर हत्याएं करने में Expert था राशिद कालिया उर्फ घोड़ा
  • मऊरानीपुर एरिया में शूटर ने STF पर भी दागीं गोलियां
  • Dy.SP & Inspector को लगीं लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट ने बचाया
  • लंबे समय से Kanpur के चकेरी एरिया को बना रक्खा था अपना ठिकाना


Yogesh Tripathi

लंबे समय से आतंक का पर्याय बने खूंखार अपराधी राशिद उर्फ कालिया उर्फ घोड़ा उर्फ वीरू का शनिवार सुबह उत्तर प्रदेश स्पेशल टॉस्क फोर्स (UPSTF) ने काम तमाम कर दिया। भाड़े पर हत्याएं करने के लिए कुख्यात इस शार्प शूटर को UPSTF ने मुठभेड़ के दौरान मार गिराया। कालिया उर्फ घोड़ा पर 1.25 लाख रुपए का इनाम घोषित था। Kanpur में तीन साल पहले चकेरी थाना एरिया में दिनदहाड़े BSP नेता पिन्टू सेंगर की हत्या के मामले में राशिद कालिया उर्फ घोड़ा का नाम आया। FIR में राशिद उर्फ कालिया आरोपी भी था। लंबे समय से शहर पुलिस को उसकी तलाश थी लेकिन सपेदपोशों से तगड़े नेटवर्क की वजह से राशिद कालिया हमेशा बचता रहा। मुखबिर की सटीक सूचना जब STF ने झांसी के मऊरानीपुर में उसकी घेराबंदी की तो कालिया ने STF Team पर ही गोलियों की बौंछार कर दी। गोलियां STF के Dy.SP संजीव दीक्षित और Inspector घनश्याम यादव को लगी। गनीमत ये रही कि दोनों Officer’s ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहन रक्खी थी, जिसकी वजह से कोई अनहोनी नहीं हुई। STF की क्रॉस फायरिंग में गोली राशिद कालिया को लगी। गंभीर हालत में उसे उपचार के लिए मऊरानीपुर सीएचसी ले जाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने झांसी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। झांसी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने कालिया को मृत घोषित कर दिया। 



STF के अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) अमिताभ यश के निर्देश पर मातहत इनामी और भाड़े पर हत्या करने वाले दुर्दांत अपराधियों की धरपकड़ के लिए लंबे समय से विशेष अभियान चला रहे हैं। इसी कड़ी में जरिए मुखबिर सवा लाख रुपए के इनामी दुर्दांत अपराधी के बारे में मालुमात होने पर STF के Dy.SP संजीव दीक्षित और Inspector घनश्याम यादव ने टीम के साथ बुन्देलखंड के झांसी में डेरा डाल दिया। शनिवार सुबह मुखबिर के इशारे पर STF ने मऊरानीपुर के पास शातिर की घेराबंदी की तो उसने ताबड़तोड़ फायरिंग Start कर दी। बदमाश की तरफ से चलाई गई गोली टीम का नेतृत्व कर रहे Sanjeev Dixit (Dy.SP) और Ghanshyam Yadav (Inspector) को लगीं। दोनों ही अफसर चूंकि बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हुए थे, इस लिए गोलियां उनके शरीर को छू नहीं पाई। 


इसके बाद STF ने स्वचालित असलहों से फायरिंग की। गोली बदमाश को लगी और वह गिर पड़ा। लहूलुहान हालत में STF बदमाश को मऊरानीपुर सीएचसी लेकर पहुंची। प्राथमिक उपचार के बाद कालिया को झांसी मेडिकल कालेज ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मारे गए बदमाश की पहचान राशिद कालिया उर्फ घोड़ा उर्फ वीरू के रूप में हुई। STF के मुताबिक राशिद कालिया भाड़े पर हत्या करने के लिए झांसी पहुंचा था। राशिद कालिया के पास से एक फैक्ट्री मेड पिस्टल, दो मैग्जीन, .315 बोर का देशी कट्टा. एक मोटरसाइकिल और कुछ कारतूस बरामद हुए हैं।


2020 में बसपा नेता पिन्टू सेंगर की हत्या की

भाड़े पर हत्याएं करने में Expert शातिर अपराधी राशिद कालिया उर्फ घोड़ा ने 2020 में Kanpur के चकेरी थाना एरिया में बड़ी वारदात कर सनसनी फैला दी थी। कालिया उर्फ घोड़ा ने हिस्ट्रीशीटर से राजनीति में एंट्री लेने वाले बसपा नेता पिन्टू सेंगर को उनके ही घर के बाहर गोलियों की बौंछार कर मौत की नींद सुला दिया था। इस हत्याकांड में कई आरोपी जेल में हैं। एक हाईकोर्ट से जमानत के बाद बाहर आ चुका है। पप्पू स्मार्ट की भी हाईकोर्ट से जमानत तो हो गई लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) में निरुद्ध होने की वजह से वह अभी भी जेल में ही है। Pintu Sengar Murder Case में आरोपी होने के बाद भी राशिद कालिया को Kanpur Police Arrest नहीं कर पाई थी। यही वजह रही कि उसके सिर पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। शहर के कई थानेदार लंबे समय से राशिद कालिया की तलाश कर रहे थे लेकिन किसी को कालिया उर्फ घोड़ा की परछाई तक देखने को नहीं मिली। करीब तीन साल चार महीने बाद STF ने न सिर्फ कालिया उर्फ घोड़ा को खोज निकाला बल्कि उसका खात्मा भी कर दिया।

कालिया उर्फ घोड़ा ने झांसी में किया 1St Murder

दर्जनों लोगों की भाड़े पर हत्या करने वाला खूंखार अपराधी राशिद उर्फ कालिया मूलत: बुन्देलखंड के महोबा जनपद का निवासी था। वर्ष 2009 में उसने झांसी जनपद में भाड़े पर हत्या की वारदात को अंजाम दिया। मुकदमा अपराध संख्या 261/2009 IPC की धारा 364-A, 302, 201, 12/14 UPDA Act में राशिद कालिया आरोपी है। मुकदमा दर्ज होने के बाद से झांसी पुलिस उसे कभी Arrest नहीं कर सकी। राशिद कालिया को Arrest करने में नाकाम झांसी पुलिस ने बाद में उसके सिर पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया। झांसी में सनसनी फैलाने के बाद राशिद कालिया ने Kanpur को अपना ठिकाना बनाया। यहां उसकी मुलाकात शहर पुलिस के लिए लंबे समय से मुखबिरी कर रहे D-2 गैंग को तबाह करने वाले शातिर बदमाश से हो गई। उसके बाद राशिद उर्फ कालिया ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसने भाड़े पर Kanpur और आसपास के एरिया में कई हत्याएं की। खासियत ये रही कि किसी भी हत्या में उसका नाम तक नहीं आया। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो हत्या के समय राशिद कालिया के साथ जाने वाले शूटर्स भी नहीं जानते थे कि उसके साथ जो व्यक्ति मौजूद है वो आखिर है कौन...???

कालिया ने मारी थीं पिन्टू को सबसे अधिक गोलियां

20 जून 2020 को कानपुर के चकेरी थाना एरिया में बसपा नेता पिन्टू सेंगर को घेरकर गोलियां मारने वालों में राशिद कालिया प्रमुख था। उसने पिन्टू सेंगर को कई गोलियां मारी थीं। पिन्टू पर गोलियों की बौंछार के बाद जब हमलावर भागे तो राशिद कालिया ने पीछे मुड़कर देखा कि पिन्टू किसी तरह खड़ा होकर कार में बैठने की कोशिश कर रहा है। दुस्साहसी राशिद कालिया ने अपनी बाइक तुरंत मुड़वा दी और पिन्टू सेंगर पर फिर से फायरिंग की। पिस्टल की मैग्जीन खाली करने के बाद उसने अपना सबसे भरोसेंद असलहा .315 बोर का कट्टा निकाल लिया और पिन्टू के सीने पर गोली मार दी। बताया जा रहा है कि शरीर से ताकतवर पिन्टू ने राशिद का कट्टा हाथ से पकड़ लिया था। पिन्टू की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसके हाथों में जलने की पुष्टि हुई थी। 

बताते हैं कि कालिया को फैक्ट्री मेड पिस्टल पर कम विश्वास रहता था। इसी लिए वह अपने साथ .315 बोर का तमंचा हमेशा रखता था। पिन्टू की हत्या के बाद राशिद उर्फ कालिया फरार हो गया। पिन्टू हत्याकांड में पप्पू स्मार्ट और तीन भाड़े के हत्यारों समेत कई लोगों को पुलिस ने उठाया। कुछ को पुलिस ने छोड़ भी दिया। इसके बाद D-2 गैंग के जानी दुश्मन टायसन को भी पुलिस ने Arrest कर जेल भेजा लेकिन राशिद कालिया को पुलिस छू भी नहीं पाई। चर्चाओं पर विश्वास करें तो Kanpur में कई साल पहले काकादेव थाना एरिया में एक मुस्लिम कोचिंग संचालक की हत्या समेत कई बड़ी घटनाओं में राशिद उर्फ कालिया शामिल था लेकिन न तो कभी उसका नाम उजागर हुआ और न ही चेहरा। पिन्टू सेंगर हत्याकांड में पहली बार उसका चेहरा सामने आया और नाम भी उजागर हुआ।  

 

 

 

 

  • पिछले तीन सप्ताह से वेंटीलेटर पर थे त्रिपुरारी पांडेय
  • आंतों में संक्रमण के बाद Lucknow के प्राइवेट अस्पताल में थे भर्ती
  • लीवर और किडनी में भी हो गया था इन्फेक्शन
  • त्रिपुरारी पांडेय के निधन की खबर से शोक की लहर




Yogesh Tripathi

चर्चित Dy.SP त्रिपुरारी पांडेय का लंबी बीमारी के बाद Monday को राजधानी Lucknow के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही शोक की लहर दौड़ गई। अपने अजब-गजब कारनामों और समाज सेवा के लिए हमेशा चर्चा में रहने वाले त्रिपुरारी पांडेय ने UP Police की नौकरी का एक बड़ा हिस्सा कानपुर और आसपास के जनपदों में ही पूरा किया। वर्तमान समय में उनकी तैनाती जालौन के PTS (पुलिस ट्रेनिंग सेंटर) में थी। 2022 में Kanpur में हुए दंगों के बाद उनकी कथित भूमिका को लेकर एक शिकायत शासनस्तर पर हुई थी। जिसको संज्ञान में लेकर DGP ने त्रिपुरारी पांडेय का तबादला कर दिया था।



प्रांतीय पुलिस सर्विस (PPS) अधिकारी त्रिपुरारी कुछ महीने से बीमार थे। चिकित्सकों ने उनके आंतों में संक्रमण बताया था। करीब एक महीना पहले उन्होंने लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में आंतों की सर्जरी करवाई थी। बताया जा रहा है कि सर्जरी के बाद उनकी हालत और बिगड़ गई। www.redeyestimes.com (News Portal) को मिली जानकारी के मुताबिक त्रिपुरारी पांडेय करीब दो हफ्ते से वेंटीलेटर पर थे। चिकित्सकों की टीम लगातार उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही थी लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। Monday को त्रिपुरारी पांडेय ने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही पुलिस जगत में शोक की लहर दौड़ गई। Social Media पर उनके करीबी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

1988 में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे त्रिपुरारी पांडेय


त्रिपुरारी पांडेय 1988 बैच के सिपाही थे। करीब 10 साल बाद 1998 में पहला आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला तो वह हेड कांस्टेबल बने। दरअसल त्रिपुरारी ने उस समय Kanpur के एक बड़े इनामिया बदमाश लाला हड्डी (गोदाम) को 80 फिट रोड के पास दिनदहाड़े फिल्मी स्टाइल में हुई नूराकुश्ती के बाद Arrest कर लिया था। 2002 में परीक्षा पास करने के बाद त्रिपुरारी पांडेय सब इंस्पेक्टर (SI) बन गए। 2005 में दोबारा ऑफ टर्न प्रमोशन मिला और त्रिपुरारी पांडेय के कंधे पर दो गोल्डन स्टार की जगह तीन स्टार हो गए। मतबल कि वह इंस्पेक्टर बन गए। तय समय बाद डीपीसी हुई और त्रिपुरारी पांडेय Dy.SP बने।

  चंदौली में जब सीओ थे तो पटेल समाज की गरीब लड़की का विवाह अपने पैसों से करवाया था।

त्रिपुरारी पांडेय ने अपने जीवन में करीब 35 वर्ष तक UP Police की नौकरी की। इसमें वह सिपाही के पद से डिप्टी एसपी के पद तक पहुंचे। जिसमें करीब 25 साल वह कानपुर और आसपास के जनपदों में ही तैनात रहे। त्रिपुरारी पांडेय को करीब से जानने वाले लोगों की मानें तो पांडेय जी का सिस्टमबेहद टाइट था। DGP रैंक के अधिकारी त्रिपुरारी पांडेय को जानते थे। यही वजह थी कि वह हमेशा मनचाही पोस्टिंग पाते रहे। एक बार आगरा जनपद में तैनात रहे थे। कुछ समय के लिए वाराणसी, लखनऊ, मुगलसराय जीआरपी में भी त्रिपुरारी पांडेय तैनात रहे। Kanpur (GRP) में भी त्रिपुरारी पांडेय ने लंबा वक्त गुजारा। तीन साल पहले लखनऊ कमिश्नरी में त्रिपुरारी का तबादला हुआ था लेकिन अपने सिस्टमके बल पर त्रिपुरारी पांडेय कुछ दिन में ही जुगाड़ लगाकर कानपुर वापस आ गए। त्रिपुरारी पांडेय के साथ सिपाही रहे लोग अभी भी HCP और SI के पद पर ही कार्यरत हैं। त्रिपुरारी पांडेय किसी भी प्रकार का नशा नहीं करते थे। उनकी आंखों में लगे काजल की चर्चा हर किसी पत्रकार और पुलिस वाले की जुबान पर रहती थी।

समाजसेवा में भी आगे रहते थे त्रिपुरारी पांडेय

त्रिपुरारी पांडेय समाज सेवा में आगे रहते थे। अपनी तैनाती के दौरान त्रिपुरारी पांडेय ने एक गरीब महिला को ई-रिक्शा खरीदकर दिया था। इतना ही नहीं कानपुर के चर्चित संजीत यादव अपहरण और मर्डर केस के बाद त्रिपुरारी पांडेय संजीत यादव की बहन की पढ़ाई का खर्च उठा रहे थे। वह संजीत की बहन से राखी भी बंधवाते थे। कई बेटियों की शादी और कन्यादान भी त्रिपुरारी पांडेय ने किया था। उनके सामाजिक सरोकार से जुड़े तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर आज भी वॉयरल हैं।

विवादों से भी था त्रिपुरारी पांडेय का गहरा नाता

अपने तगड़े सिस्टम की वजह से त्रिपुरारी पांडेय की तैनाती कानपुर और आसपास के जनपदों में ही रही। कई कथित एनकाउंटर भी किए। नई सड़क पर हुए दंगों की विवेचना के खेल में पांडेय जी फंस गए। सिर्फ फंसे ही नहीं बल्कि उसी में नप भी गए। रातों-रात उनका ट्रांसफर (जालौन पुलिस ट्रेनिंग सेंटर) कर दिया गया। नई सड़क बवाल के मामले में गठित SIT में त्रिपुरारी पांडेय शामिल थे। वह मुख्य विवेचक थे। सूत्रों के मुताबिक इसमें कई बड़े खेल पांडेय जी एक पार्षद के जरिए किए। सूचनाएं लीक करना और कुछ नामों को जोड़ने व घटाने की बात सामने आई। इसके अलावा कई और गंभीर मसलों की शिकायतें शासन को पहुंची। DGP ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उनका तबादला कर दिया। कानपुर पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया गया कि तुरंत Dy.SP त्रिपुरारी पांडेय को रिलीव करें।

जब बर्रा-6 में त्रिपुरारी पांडेय ने दी दबिश

वर्ष 2004-05 में सपा की सरकार थी। सूबे के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। Kanpur में चर्चित IPS Officer रामेंद्र विक्रम सिंह की तैनाती हुई। रामेंद्र विक्रम सिंह की तैनाती से कुछ पुलिस वालों की किस्म का पिटारा खुल गया। उसमें एक त्रिपुरारी पांडेय भी थे। त्रिपुरारी पांडेय को कोहना थाने में बतौर थानेदार पोस्टिंग मिली। पांडेय जी की तैनाती कोहना थाने में थी लेकिन उनके गुप्तचर” (मुखबिर) Kanpur के South एरिया में सक्रिय रहते थे। 

सटीक लोकेशन और सूचना के बाद एक रात पांडेय जी कोहना थाने की फोर्स लेकर बर्रा भाग-6 एरिया में दबिश देने पहुंच गए। यहां जमीन के नीचे एक चर्चित शुक्ला जी ने चोरी के पेट्रोल और डीजल को भरने के लिए टैंक बना रक्खा था। पांडेय जी ने लंबे समय से चल रहे शुक्ला जीके तेल के खेल का नेटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। खास बात ये रही कि इसकी भनक न तो बर्रा थानेदार को लगी थी और न ही क्षेत्राधिकारी गोविंदनगर को खबर मिली। इसके अलावा शहर में पहली बार RDX पकड़ने का काम भी त्रिपुरारी पांडेय ने ही किया था। थाना नौबस्ता में उन्होंने खटारा कार के अंदर से RDX बरामद करने का तब दावा किया था। हालांकि रिपोर्ट में क्या निकला...? ये किसी को नहीं मालुम।


सांप भी मार दिया और लाठी भी नहीं टूटी

त्रिपुरारी पांडेय के किस्से और कहानियां भी कम नहीं है। ताजा किस्सा कोरोना के समय का है। पांडेय जी की तैनाती सीसामऊ में थी। पांडेय जी के गुप्तचरों ने बड़े पैमाने पर शराब बिक्री की खबर दी। जाहिर है कि पांडेय जी को ये भी बताया गया होगा कि कोरोना काल में आखिर कौन सफेदपोश शराब की बिक्री करवा रहा है...? लेकिन इन सबके बाद भी पांडेय जी ने शराब तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त कर कई लोगों को दबोच लिया। सफेदपोश सिंडीकेट बेनकाम हुआ तो अफसरों की सांसे भी अटक गई। लिखापढ़ी तो पुलिस के अभिलेखों में हुई लेकिन चंद घंटे में ही पांडेय जी ने सबकुछ मैनेज कर अफसरों को राहत दे दी। सिंडीकेट बेपर्दा न हो सका। कहने का मतलब ये कि पांडेय जी ने सामने वाले सफेदपोश की कुंजी अपने पास हमेशा के लिए रख ली थी।

 

विशेष----त्रिपुरारी पांडेय अपने पास एक पट्टा रखते थे। जिसकी मुठिया लकड़ी की होती थी। उसके दोनों तरफ लिखा होता था "आन मिलो सजना...." । शातिर अपराधियों पर यह पट्टा वह खूब चलाते थे। 

  • दममकल की दर्जन भर गाड़ियां आग बुझाने में सुबह से जुटी
  • घनी आबादी के बीच उठी भयावह लपटों को देख मची अफरा-तफरी
  • 4.30 पर पहुंची की गाड़ियां दोपहर 2.00 बजे तक आग बुझाने में जुटी रहीं
  • संजय नगर कालोनी के (केसर बिहार) अब भी उठ रहा है आग का धुआं
  • फैक्ट्री मालिक ने शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका जाहिर की

 

Yogesh Tripathi

Uttar Pradesh के Kanpur जनपद स्थित नौबस्ता थाना एरिया की बसंत बिहार चौकी से 100 की दूरी पर सेना और अर्धसैनिक बलों की वर्दी-टेन्ट बनाने वाली फैक्ट्री में गुरुवार की मध्य रात्रि को आग लग गई। आग की विकराल लपटों ने जमकर तबाही मचाई। घनी आबादी के बीच फैक्ट्री से जब आग की लपटें आसमान में उठने लगीं तो अफरा-तफरी फैल गई। दमकल की करीब दर्जन भर से अधिक गाड़ियों के साथ पहुंचे जवानों ने आग पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। थोड़ी ही देर में SHO नौबस्ता की सूचना पर ACP भी पहुंच गए। 


चूंकि मामला सेना के साजो-सामान बनाने वाले कारखाने का था इस लिए खुफिया इकाइयां भी Alert हो गईं। दोपहर करीब 120.00 बजे दमकल के जवानों ने फैक्ट्री की दीवार को तोड़कर किसी तरह आग पर काबू पाया। समाचार लिखे जाने तक फैक्ट्री के अंदर से धुआं उठ रहा था। आग से कई लाख रुपए की संपत्ति का नुकसान होने की आशंका जाहिर की जा रही है। 


फैक्ट्री मालिक सुनील से www.redeyestimes.com (News Portal) ने बात की तो उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया शार्ट सर्किट से आग लगना प्रतीत हो रहा है। सुनील ने बताया कि सेना और अर्धसैनिक बलों की वर्दी के साथ-साथ फैक्ट्री में सेना से जुड़े अन्य ,सामान भी बनाए जाते थे। आग से हुए नुकसान के बाबत सुनील ने कहा कि काफी लंबा नुकसान हुआ है।


शुक्रवार सुबह करीब 4.00 बजे फैक्ट्री के अंदर से आग की लपटें उठीं। मोहल्ले के कुछ लोगों की नींद खुल चुकी थी। फैक्ट्री के अंदर से आग की लपटों को देख चीख-पुकार मची तो आसपास के लोगों ने सबमर्सिबल के जरिए पानी की धार फैक्ट्री के अंदर छोड़कर आग पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन आग और बेकाबू हो गई। क्षेत्रीय लोगों की सूचना पर फैक्ट्री मालिक सुनील भी पहुंच गए। थोड़ी देर में चौकी और थाने की फोर्स भी पहुंच गई। सूचना पर दमकल विभाग की दो गाड़ियां पहुंची। दमकल के जवानों ने आग पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन लपटों ने भयावह रूप अख्तियार कर लिया। विकराल लपटें आसपास के मकानों की छत तक पहुंच गईं। जिसकी वजह से अफरा-तफरी फैल रही।

पांच बजे तक दमकल की करीब आधा दर्जन गाड़ियां आग बुझाने में जुटी रहीं लेकिन आग की लपटें शांत नहीं हुई। थोड़ी देर में पुलिस के अधिकारी भी पहुंच गए। इस बीच दहशतजदा कुछ लोगों ने अपना घर खाली कर दिया और बाहर निकल आए। शुक्रवार की दोपहर करीब 12 बजे तक दमकल की करीब दर्जन भर गाड़ियां और 100 से अधिक जवान आग पर काबू पाने की जद्दोजहद करते रहे। सफलता न मिलने पर दमकल के जवानों ने फैक्ट्री की दीवार को तोड़ दिया। दीवार टूटने के बाद अग्निशमन की गाड़ियों से पानी की धार को अंदर डाला गया। तब कहीं जाकर आग की लपटें शांत हुईं। लेकिन दोपहर 2.00 तक फैक्ट्री के अंदर से धुआं उठता रहा।

क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि लंबे समय से यह फैक्ट्री घनी आबादी के बीच संचालित हो रही थी। जिसकी शिकायत कई बार अफसरों से की गई लेकिन कार्रवाई नहीं हुआ। जिसका परिणाम यह रहा है कि आज बड़ा हादसा होते-होते बच गया। मोहल्ले के लोगों का कहना है कि आग यदि 1.00 से 200 के बीच लगी होती तो तमाम लोग आग के चपेट में आ जाते। सुबह होने की वजह से तमाम लोग जग गए थे जिसकी वजह से न सिर्फ आग की लपटों पर काबू पाने की कोशिश Start हो गई बल्कि लोगों ने सो रहे परिजनों को भी उठा दिया।

  • पूर्व जिला पंचायत सदस्य की हत्या के बाद सामूहिक नरसंहार
  • हत्यारोपितों ने पुलिस के सामने भी किया जमकर तांडव
  • गाड़ियां फूंकने के साथ आरोपित करते रहे पथराव
  • मरने वालों में एक ही परिवार के पांच सदस्य शामिल
  • सामूहिक नरसंहार के पीछे भूमि विवाद की वजह सामने आई
  • Police Officer’s गांव में कर रहे हैं कैम्प, भारी पुलिस बल तैनात



Yogesh Tripathi

Uttar Pradesh के Deoria जनपद में दिल दहला देने वाली घटना में छह लोगों की हत्या कर दी गई। पूर्व जिला पंचायत सदस्य की हत्या के बाद परिवार के सदस्यों ने सामूहिक नरसंहार की वारदात को अंजाम दिया। मरने वालों में एक ही परिवार के पांच लोग हैं। जिसमें एक मासूम बच्चा भी शामिल है। एरिया में भारी तनाव की वजह से भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। गांव में चीख-पुकार और मातम का माहौल है। सामूहिक नरसंहार के पीछे भूमि विवाद बताया जा रहा है। Police Officer’s गांव में कैम्प कर रहे हैं। खबर है कि पुलिस ने एक आरोपी को Arrest कर लिया है। हत्यारोपितों ने पुलिस बल के सामने भी काफी देर तक तांडव किया। गाड़ियों में आगजनी करने के बाद हत्यारोपितों ने पथराव भी किया। बताया जा रहा है कि पुलिस बल कम होने की वजह से मौजूद पुलिस कर्मी हत्यारोपितों से भिड़ने का साहस नहीं जुटा सके।



Police Officer’s के मुताबिक Deoria जनपद के फतेहपुर गांव निवासी सत्य प्रकाश दुबे के भाई साधु दुबे ने कुछ दिन पहले अपने हिस्से की करीब 10 बीघा भूमि गांव के दूसरे टोला के निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद्र यादव को बेंच दी थी। साधु दुबे से खेती खरीदने के बाद प्रेमचंद्र यादव का सत्यप्रकाश दुबे से विवाद हो गया। कई बार गाली-गलौज हुई। दोनों ही परिवारों के बीच ज्वालामुखीधधक रही थी। शनिवार को भी पूरे दिन बवाल होता रहा। बताया जा रहा है कि Sunday की सुबह प्रेमचंद्र यादव बाइक से विवादित खेती को देखने पहुंचे थे। वहां से प्रेम चंद्र यादव फतेहपुर में सत्यप्रकाश दुबे के घर जा पहुंचे। सत्यप्रकाश के घर पर पहुंचने से विवाद बढ़ गया। गाली-गलौज के बाद सत्यप्रकाश और उनके लोगों ने प्रेमचंद्र यादव की ईंट-पत्थर से हत्या कर दी। इस दौरान ग्रामीणों ने बीच-बचाव किया लेकिन हमलावरों ने किसी की नहीं सुनी।



हत्या के बाद बौखला गए पूर्व जिला पंचायत सदस्य के परिजन

पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद्र यादव की बेरहमी से हत्या किए जाने की खबर टोला में जब परिवारीजनों को लगी तो सभी आक्रोशित हो गए। दर्जन भर से अधिक लोगों की भीड़ ने घर के अंदर छिपे बैठे सत्यप्रकाश दुबे के घर पर धावा बोल दिया। उग्र हमलावर ने घर में लगे खिड़की और दरवाजों को तोड़ दिया और अंदर छिपे परिवार के एक-एक सदस्य को बाहर खींचकर धारदार हथियारों से उनकी हत्या कर दी। हत्यारों ने सबसे पहले सत्यप्रकाश दुबे, उसके बाद उनकी पत्नी किरण दुबे, पुत्री सलोनी, नंदिनी को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। हमले में सत्यप्रकाश का पुत्र अनमोल दुबे घायल है। पुलिस ने उसे देवरिया जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। पांच लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद आक्रोशित हमलावरों ने गाड़ियों में आगजनी करने के बाद जमकर पथराव भी किया। ग्रामीणों का कहना है कि कई राउंड फायरिंग भी हुई।


ग्रामीणों के मुताबिक जिटस समय मारे गए पूर्व जिला पंचायत सदस्य के परिवारीजन तांडव कर रहे थे, स्थानीय पुलिस पहुंच गई थी लेकिन पुलिस के सामने भी हत्यारोपित आगजनी और पत्थरबाजी करते रहे। इस दौरान ग्रामीण दहशत की वजह से अपने-अपने घरों में छिप गए। पर्याप्त संख्या में पुलिस फोर्स न होने की वजह से वहां मौजूद पुलिस बल पूरी तरह से बैकफुट पर रहा।



छावनी में तब्दील फतेहपुर गांव

पूर्व जिला पंचायत सदस्य की हत्या के बाद फतेहपुर गांव में हुए सामूहिक नरसंहार के बाद जिला प्रशासन ने गांव को छावनी में तब्दील कर दिया है। पुलिस के साथ पीएसी के जवानों को भी तैनात किया गया है। गोरखपुर से पुलिस के अधिकारी मौका-ए-वारदात पर पहुंच गए। पल-पल की रिपोर्ट लखनऊ में बैठे अफसरों को दी जा रही है।


Deoria (DM) अखंड प्रताप सिंह का कहना है कि भूमि विवाद में छह लोगों की हत्या हुई है। जिसमें एक परिवार के पांच सदस्य शामिल है। जिलाधिकारी का कहना है कि भूमि विवाद से संबंधित सभी विवादों का निपटारा हो गया था लेकिन दोनों परिवारों के बीच रंजिश चल रही थी। इस जघन्य हत्याकांड में एक व्यक्ति को Arrest किया गया है। फरार हत्यारोपितों की तलाश में पुलिस की कई टीमें दबिश दे रही हैं। जल्द ही सभी को Arrest कर लिया जायेगा।