कहते हैं ईश्वर की "अदालत" में देर है पर अंधेर नहीं। सत्ता और रसूख के बल पर निचली अदालत से दोषमुक्त करार दिए गए हमीरपुर (सदर) से @BJP4India के Chowkidar Ashok Chandel (MLA)और उनके 10 गुर्गों को हाईकोर्ट ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की है। इस मामले में 17 साल पहले हमीरपुर की निचली अदालत ने Chowkidar Ashok Chandel समेत सभी आरोपितों को दोषमुक्त करार देते हुए सभी को बरी कर दिया था। पीड़ित परिवार के राजीव शुक्ला ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और 19 अप्रैल 2019 को अंतत: हाईकोर्ट से उनको इंसाफ मिला। www.redeyestimes.com (News Portal) से बातचीत में राजीव शुक्ला ने बताया कि मुकदमें में वे चश्मदीद गवाह थे, उनके भी पैर में गोली लगी थी। राजीव ने कहा, आज प्रभु ने न्याय किया है।
[caption id="attachment_19326" align="alignnone" width="695"] एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाथ मिलाने के लिए अशोक चंदेल की तरफ बढ़ते हुए। फोटो साभार-अशोक चंदेल (facebook)[/caption]
Yogesh Tripathi
दिनदहाड़े परिवार पर दागीं थी अंधाधुंध गोलियां
चश्मदीद राजीव शुक्ला ने बताया कि 26 जनवरी 1997 को दिनदहाड़े उनके पूरे परिवार को निशाना बनाकर अशोक चंदेल और उनके गुर्गों ने अंधाधुंध गोलियों की बौंछार की थी। इस लोमहर्षक हत्याकांड में परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई थी। इतने ही लोग घायल हुए थे। बकौल राजीव शुक्ला उनके भी पैर में गोली लगी थी। नौ साल का बच्चा और तीन साल का बेटा भी घायल हुआ था।
2002 में निचली अदालत ने सभी आरोपितों को किया था बरी
इस जघन्य हत्याकांड में राजीव शुक्ला की तरफ से दर्ज कराई गई FIR में मुख्य आरोपी अशोक सिंह चंदेल और उनके दर्जन भर गुर्गे थे। पांच साल के बाद 2002 में मुकदमा ट्रायल पर आ गया। गवाहों के बयान और जिरह के बाद हमीरपुर कोर्ट ने अशोक सिंह चंदेल समेत सभी आरोपितों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से हमीरपुर जनपद के लोग स्तब्ध रह गए।
बर्खास्त किए जा चुके हैं दोषमुक्त करार देने वाले जज
राजीव शुक्ला के मुताबिक हमीरपुर की एक कोर्ट के जज अश्वनी कुमार ने जब सभी आरोपितों को दोषमुक्त करार दिया तो वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गए। साथ ही उन्होंने फैसला सुनाने वाले जज के खिलाफ भी शासन और प्रशासन को पत्र लिखा। इसके बाद जज की विजलेंस और विभागीय जांच चली। लंबी जांच के बाद जज अश्वनी कुमार को बर्खास्त कर दिया गया।
BSP से सांसद रह चुके हैं अशोक सिंह चंदेल (बेबी)
कानपुर के किदवईनगर में रहने वाले अशोक चंदेल ने Sourh City स्थित डीबीएस कालेज के छात्रसंघ चुनाव से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। 70 के दशक में अशोक सिंह चंदेल (बेबी) छात्रसंघ का चुनाव जीतकर प्रेसीडेंट बने। इसके बाद उन्होंने हमीरपुर जनपद की तरफ रुख किया। यहां पर पर वे कभी सपा तो कभी बसपा का झंडा उठाए रहे। बसपा के टिकट पर अशोक चंदेल सांसद भी बने। 2017 के चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। भाजपा ने सदर सीट से उनको टिकट दिया और अशोक सिंह चंदेल चुनाव जीत गए।
क्या थी सामूहिक नरसंहार की वजह ?
अशोक चंदेल के रसूख के बाबत हमीरपुर जनपद के हर किसी व्यक्ति को मालुम है। उस समय राजीव शुक्ला परिवार की भी राजनीति में तूती बोलती थी। राजीव का पूरा परिवार RSS से ताल्लुक रखता है। 26 जनवरी 1997 को राजीव का परिवार गाड़ी से जा रहा था। उसी समय अशोक चंदेल के गाड़ियों का काफिला गुजरा। रास्ते में राजीव की गाड़ी थी। गाड़ी हटाने को लेकर तकरार हुई। जिसके बाद अशोक चंदेल के इशारे पर उनके गुर्गों ने असलहे निकाल गोलियों की बौंछार कर दी। दहशतगर्दी फैलाने के लिए हमलावरों ने भाग रहे राजीव शुक्ला के परिवारीजनों को दौड़ा-दौड़ाकर गोलियां मारीं। सनसनीखेज वारदात कहीं और नहीं बल्कि कलेक्ट्रेट परिसर के पास हुई थी।
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