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  • कोतवाली पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ रजिस्टर्ड की FIR
  • रजिस्टर्ड वसीयत को दरकिनार कर रजिस्ट्री कराने का मामला
  • पैरवी करने पर कचहरी में रोककर पीड़ित को दी थी धमकी
  • जांच कमेटी की रिपोर्ट पर सस्पेंड हो चुके हैं दोनों कर्मचारी
  • दोनों कर्मचारियों के करतूतों की जांच पुलिस ने भी की



Yogesh Tripathi


रजिस्टर्ड वसीयत और दान-विलेख पत्र को दरकिनार कर अवैध तरीके से कृषि भूमि का बैनामा कराने और पीड़ित अधिवक्ता को जानमाल की धमकी देने के मामले में सिस्टमबाजमहिला लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे समेत 7 लोगों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई का "हंटर" आखिर चल गया। कोतवाली पुलिस ने सभी के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड की है। सरकारी पदों पर आसीन इन दोनों भ्रष्ट कर्मचारियों को विभागीय जांच Report के बाद Officer’s सस्पेंड कर चुके हैं। कोतवाली पुलिस मुकदमा पंजीकृत कर मामले की जांच प्रक्रिया में जुट गई है। गौरतलब है कि DM (Kanpur Nagar) के बाद पुलिस कमिश्नर (कानपुर) ने भी शिकायत मिलने पर जांच बैठाई थी। जिसकी रिपोर्ट एक महीने के अंदर जांच कर रहे मातहतों को देनी थी। उल्लेखनीय है कि इस बड़ी खबर को www.redeyestimes.com (News Portal) ने सबसे पहले प्रमुखता से प्रकाशित किया था।  

पीड़ित अधिवक्ता संदीप सिंह


पेशे से अधिवक्ता ग्राम कला का पुरवा, (रामपुर भीमसेन), थाना सचेंडी, कानपुर निवासी Sandeep Singh ने बताया कि उनकी दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा ने प्रार्थी व उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह को अपनी कृषि भूमि की रजिस्टर्ड वसीयत 31/05/2013 को की थी। स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला ने 17/07/2013 को पंजीकृत दान विलेख के जरिए अन्य भूमि/संपत्तियों के साथ-साथ एक और ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207/1.0990 हेक्टेयर तथा रामपर भीमसेन स्थित आराजी संख्या 895/1.7580 हेक्टयर की भी लिखापढ़ी की थी। दादी की रजिस्टर्ड़ वसीयत और दान विलेख के जरिए मिली संपत्तियों का प्रार्थी संदीप सिंह, उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह संपत्तियों की देखरेख व कृषि योग्य भूमि पर खेती करते आ रहे हैं। सभी के पास मालिकाना हक भी है।


Sandeep Singh का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी W/O रघुवीर सिंह ने इस वसीयत के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिवीजन (कानपुर नगर) की कोर्ट में मूलवाद संख्या 2550/2013 राजपति देवी बनाम बीरेंद्र सिंह आदि का वाद दाखिल किया। बाद में श्रीमती राजपति ने खुद ही यह वाद Court में वापस ले लिया। राजपित देवी ने दादी स्वर्गीय मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा के पंजीकृत दान विलेख के खिलाफ सिविल जज (जूनियर डिवीजन) / एफ.टी.सी कोर्ट में मूलवाद संख्या 1368/2013 को प्रस्तुत किया। इस वाद को भी श्रीमती राजपति देवी ने कोर्ट में मौजूद रहकर वाद को वापस ले लिया।


Sandeep Singh का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी और राजकुमारी देवी ने प्रार्थी की दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला के रजिस्टर्ड वसीयत को छिपाकर धोखाधड़ी करते हुए उक्त कृषि योग्य भूमि को अपने नाम सरकारी अभिलेखों में चढ़वाने के लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट में वाद हल्का लेखपाल Aruna Dwivedi मकान नंबर 14-B बाबा नगर नौबस्ता, कानपुर और तहसील राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे S/O स्वतंत्र कुमार दुबे R/O एलआइजी 17, दयानंद विहार फेस-1, कल्याणपुर, कानपुर नगर की साठगांठ से प्रस्तुत किया। इस दौरान प्रार्थी के मुकदमें अलग Court में चल रहे थे। जिसे भी राजकुमारी और राजपित देवी ने नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट से छिपा लिया।


नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट ने एक पक्षीय आदेश 11/03/2024 राजपति देवी और राजकुमारी के पक्ष में सुनाते हुए भूमि को उनके नाम पर सरकारी अभिलेखों में अंकित करने का आदेश जारी किया।


चूंकि स्थानीय लेखपाल Aruna Dwivedi और राजस्व कर्माचारी आलोक दुबे की की साठगांठ पहले से थी, इस लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट ने 11/03/2024 जब एक पक्षीय आदेश दिया तो राजपति देवी, राजकुमारी ने स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे को उसी दिन अर्थात 11/03/2024 को फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आराजी संख्या 895 का जुज रक्बा 0.3070 का दोनों के हक में बैनामा कर दिया। 12/03/2024 को राजकुमारी देवी ने राजपति के हक में अवैध तौर पर दानपत्र भी निष्पादित कर दिए। इतना ही नहीं श्रीमती राजपति ने अन्य आराजियों का भी अवैध तौर पर विक्रय अनुबंध पत्र अरुणा व आलोक के हक में कर दिया।


संदीप सिंह का आरोप है कि करीब पांच महीने बाद स्थानीय लेखपाल रहीं अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे ने उपरोक्त सभी भूमि 06/08/2024 को कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी करते हुए सभी कागजातों को वैध बताकर मालिकाना हक आर.एन.जी इंफ्रा R/O 15/78 सिविल लाइंस कानपुर नगर के भागीदार अमित गर्ग S/O स्वर्गीय प्रेम नारायण गर्ग से साठगाठ करके एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत फर्जी विक्रयनामा आर.एन.जी इंफ्रा के पक्ष में विक्रयनामा निष्पादित कर विक्रय कर दिया।

आरोप है कि इसी तरह लेखपाल Aruna Dwivedi और तहसील कर्माचारी आलोक दुबे ने प्रार्थी संदीप सिंह व अन्य परिजनों की ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207 रक्बा 0.5495 हेक्टेयर का कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से दिनांक 16/05/2024 को अपने हक में फर्जी विक्रय पत्र निष्पादित करवा लिया। जबकि उपरोक्त आराजी संख्या 207 पर श्रीमती राजपति देवी और राजकुमारी का किसी भी प्रकार का मालिकाना हक नहीं था।

Sandeep Singh का आरोप है कि राजपति देवी, राजकुमारी देवी ने अपने परिजनों और लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे व अमित गर्ग ने आपसी सांठगांठ कर सुनियोजित षडयंत्र के तहत आर्थिक लाभ प्राप्त करने की नीयत से फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों को तैयार कर उपरोक्त सभी भूमि का बैनामा करवा लिया। सभी लोगों ने गिरोह बनाकर कूटरचित कागजातों के जरिए न सिर्फ फर्जी बैनामा करवाया बल्कि प्रार्थी व उसके परिजनों को आर्थिक और मानसिक अपूर्णनीय भी पहुंचाई है।

अपने साथ हुई धोखाधड़ी और जानमाल की धमकी मिलने के बाद Sandeep Singh ने पूरे प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिलाधिकारी कानपुर नगर और पुलिस कमिश्नर कानपुर नगर से की थी. जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी। पुलिस कमिश्नर ने भी जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट के बाद दोनों राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे और महिला लेखपाल अरुणा दिवेदी को कुछ दिन पहले सस्पेंड कर दिया गया।

कोतवाली पुलिस ने देर रात्रि अरुणा दिवेदी, आलोक दुबे, राजपति देवी, राज कुमारी, रघुवीर सिंह, अमन सेंगर, अमित गर्ग के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318 (4) धोखा देकर किसी की संपत्ति हस्तानांतरित करना (तीन साल की सजा का प्रावधान है)। BNS (338) के जाली दस्तावेज बनाना (इसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है)। BNS 336 (3) धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी करना (7 साल तक की सजा का प्रावधान) । BNS 341 (2) जालसाजी के लिए किसी की नकली मुहर और नेमप्लेट का प्रयोग करना । BNS 61 (2) दो या दो से अधिक लोग जब मिलकर किसी अपराध करने का प्लान बनाते हैं (सजा और जुर्माना) दोनों का प्रावधान है। BNS (352) जान बूझकर किसी व्यक्ति का अपमान करना या अपराधिक कार्य के लिए उकसाना (दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान)। BNS 351 (3) किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाना या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना ( इसमें 7 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है)।

 


  • गायत्री तिवारी का Voter List में नाम न बढ़ पाने पर चितिंत प्रियंका गांधी ने तैयार किया प्लान-B
  • सोमवार रात को ही आनन-फानन में खुशी दुबे की बड़ी बहन Neha Tiwari को चुनाव लड़ाने का दिया "ग्रीन सिग्नल"
  • पनकी रतनपुर में ही मां के साथ रहती है खुशी दुबे की बड़ी बहन नेहा तिवारी 
  • कुछ साल पहले नेहा के पति की हो चुकी है मौत
  • कल्याणपुर सीट का पल-पल अपडेट ले रही हैं कांग्रेस महासचिव Priyanka Gandhi
मंगलवार को अपनी मां गायत्री तिवारी के साथ कलेक्ट्रेट परिसर में नामांकन कराने के लिए जाने की तैयारी करतीं खुशी दुबे की बहन नेहा तिवारी।

Yogesh Tripathi 

Congress महासचिव Priyanka Gandhi के Master Stroke से कानपुर की कल्याणपुर विधान सभा अब "हॉट सीट" बन चुकी है। या यूं कहें कि Uttar Pradesh की यह विधान सभा VIP सीट में तब्दील हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने के लिए "सियासी चक्रव्यूह" रचा है। प्रियंका गांधी ने प्लान-B के तहत ऐन वक्त पर गायत्री देवी की जगह खुशी दुबे की बड़ी बहन Neha Tiwari पर दांव खेल दिया। समाचार लिखे जाने तक Neha Tiwari अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष दाखिल कर दिया है। पर्चा गायत्री देवी का भी तैयार किया गया था लेकिन उसे दाखिल नहीं किया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की एक टीम सिंबल लेकर Kanpur पहुंची। इस सिंबल को भी जमा कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि गायत्री देवी का Voter List में नाम न होने की वजह से उनके नामांकन प्रक्रिया और चुनाव लड़ने को लेकर पेंच फंसा था। प्रियंका गांधी के निर्देश पर कांग्रेसी गायत्री का नाम बढ़वाने के लिए जद्दोजहद करते रहे लेकिन "सरकारी मिशनरी" के आगे उन्हें सफलता नहीं मिली।

कल्याणपुर से गायत्री तिवारी का टिकट फाइनल होने के बाद सोमवार शाम तक जब उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं बढ़ सका तो प्रियंका गांधी पल-पल की अपडेट लेने लगीं। देर शाम ही उन्होंने प्लान-B के तहत खुशी दुबे की बड़ी बहन Neha Tiwari को तैयार कराने का निर्देश प्रदेश कांग्रेस कमेटी को जारी कर दिए। आधी रात तक सारी तैयारियां चलती रहीं। इस दौरान प्रियंका बराबर अपडेट लेती रहीं। 

कल्याणपुर सीट से नामांकन भरने वाली नेहा तिवारी (खुशी दुबे की बड़ी बहन)

Priyanka Gandhi के लिए "प्रतिष्ठा" बनी कल्याणपुर सीट 

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नेता गायत्री का नाम वोटर लिस्ट में न बढ़ पाने पर किसी अन्य कार्यकर्ता या नेता को चुनाव लड़ाने का तर्क दे रहे थे लेकिन प्रियंका की फटकार के आगे सभी बैकफुट पर आ गए। प्रियंका सोमवार की शाम को  दो टूक शब्दों में कह दिया कि चुनाव गायत्री नहीं तो उनके परिवार का कोई सदस्य ही लड़ेगा। आप सभी जाइए और परिवार के किसी सदस्य को तैयार करिए। प्रियंका के निर्देश के बाद तुरंत एक टीम गायत्री के पास पहुंची और उनकी बड़ी बेटी नेहा तिवारी को चुनाव लड़ाने के लिए राजी किया। इस प्लान को बेहद गोपनीय रक्खा गया था। ताकि सरकारी मिशनरी की तरफ से कोई गड़बड़ी न हो सके। 


मंगलवार सुबह गायत्री तिवारी के साथ-साथ नेहा का नामांकन पत्र भी अधिवक्ता दुर्गेश मणि तिवारी ने तैयार करवा दिया। दुर्गेश मणि तिवारी पहले व्यक्ति हैं जो खुशी दुबे के जेल जाने के बाद लगातार उनके परिवार की न सिर्फ मदद कर रहे हैं बल्कि खुशी की रिहाई के लिए लगातार सोशल मीडिया पर अभियान भी चला रहे हैं। दुर्गेश की ही पहल रही कि खुशी दुबे की मां गायत्री चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुईं। www.redeyestimes.com (News Portal) के सूत्रों की मानें तो नेहा तिवारी के पति की मौत हो चुकी है। वह पनकी रतनपुर में अपनी मां के साथ लंबे समय से रह रही हैं। ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर चुकी Neha Tiwari के दो छोटे बच्चे हैं।

क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित...???

ऐन वक्त पर कांग्रेस महासचिव Priyanka Gandh के मॉस्टर स्ट्रोक से कल्याणपुर सीट अब  VIP सीट बन चुकी है। राजनीति के जानकारों की मानें तो योगी सरकार की राज्यमंत्री और भाजपा प्रत्याशी नीलिमा कटियार के लिए अब राह आसान नहीं होगी। ब्राम्हण वर्ग के साथ-साथ यदि सहानुभूति भरा वोट नेहा तिवारी को मिल गया तो चुनाव का परिणाम बेहद दिलच्सप होगा। हालांकि अभी तक इस सीट पर चुनावी रेस में सपा के सतीश निगम आगे चल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि यदि प्रियंका ने इस सीट पर एक-दो दिन प्रचार कर दिया तो पूरा चुनाव कांग्रेस बना सपा हो जाएगा। जानकारों की मानें तो कल्याणपुर विधान सभा के आसपास शिवराजपुर, शिवली, बिठूर समेत कई एरिया आते हैं। जहां से निश्चित तौर पर सहानुभूति की लहर Neha Twati के पक्ष में बनेगी। यह बेल्ट ब्राम्हण बाहुल मानी जाती है। कल्याणपुर विधान सभा में वैसे भी ब्राम्हण मतदाता खासी तादात में हैं।


  • शुक्रवार सुबह से जारी थी KBA वार्षिक चुनाव में वोटिंग
  • सुबह से ही फर्जी मतदान को लेकर वकील कर रहे थे हंगामा
  • दोपहर में मतदान प्रक्रिया को एल्डर कमेटी ने रोका
  • शाम को चुनाव रद्द करने की घोषणा के बाद फायरिंग और तोड़फोड़
  • गौतम दत्त नाम के अधिवक्ता के पेट में लगी गोली, मौत

वकील की मौत के बाद कचहरी परिसर और आसपास देर रात्रि तक पुलिस की गश्त जारी रही।

Yogesh Tripathi

Kanpur Bar Association (KBA) Election (2021) में आखिर जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही थी वही हो गया। Fake Voting को लेकर वकीलों के हंगामा और तोड़फोड़ करने पर शाम को एल्डर्स कमेटी ने चुनाव रद्द कर दिया। आक्रोशित वकीलों ने कचहरी परिसर में तोड़फोड़ शुरु कर दी। शताब्दी गेट के पास पुलिस की मौजूदगी में गोलियां दागी गईं। हवाई फायरिंग के दौरान एक वकील के पेट में गोली लग गई। घायल अधिवक्ता को LLR (Hospital) में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। अधिवक्ता के मौत की खबर सुनते ही वकीलों की भीड़ हैलट अस्पताल में जमा हो गईं। हालात तनावपूर्ण देख Police Officer’s ने आसपास के करीब दर्जन भर थानों की फोर्स को मौके पर बुला लिया ताकि किसी भी स्थिति से तत्काल निपटा जा सके। 

अधिवक्ता गौतम दत्त (File Photo)

फ्राइडे की सुबह Kanpur Bar Association में वोटिंग की प्रक्रिया एल्डर्स कमेटी की मौजूदगी में Start हुई। वोटिंग शुरु होते ही Fake Voting को लेकर वकीलों के गुट आपस में टकराने लगे। दोपहर होते-होते रार बढ़ी तो एल्डर कमेटी ने मतदान प्रक्रिया को रुकवा दिया। करीब 20 मिनट बाद वोटिंग फिर से स्टार्ट की गई। इस दौरान वकील लगातार नारेबाजी कर हंगामा करते रहे। शाम होते-होते एल्डर कमेटी ने मतदान प्रक्रिया को रोक दिया। खबर वकीलों को मिली तो सभी Kanpur Bar Association (Office) के पास जमा होकर नारेबाजी करने लगे। इस बीच कुछ वकीलों ने कचहरी परिसर में तोड़फोड़ शुरु कर दी। शाम करीब पौने छह बजे एल्डर कमेटी ने Kanpur Bar Association के Election को रद्द कर दिया। इसके बाद वकीलों का हुजूम कचहरी परिसर से बाहर निकलकर सड़क पर आ गया।

शताब्दी गेट पर हवाई फायरिंग से बिगड़ा माहौल

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शताब्दी गेट के पास वकीलों की भीड़ जमा हुई। कुछ देर तक नारेबाजी होती रही उसके बाद हवाई फायरिंग शुरु हो गई। बताया जा रहा है कि एक गोली गौतम दत्त नाम के वकील के पेट में लग गई। लहूलुहान हालत में गौतम को LLR (Hospital) ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान गौतम दत्त की मौत हो गई। अधिवक्ता के मौत की खबर मिलते ही प्रशासन अलर्ट हो गया। अधिकारियों ने कचहरी परिसर की सुरक्षा कड़ी कर दी। करीब दर्जन भर थानेदारों को तत्काल मौके पर बुलवा लिया गया। हैलट में भी भारी पुलिस बल की मौजूदगी पूरी रात बनी रही। कई अधिवक्ता देर रात तक पोस्टमार्टम कराने के लिए हंगामा करते रहे।

एल्डर्स कमेटी ने माइक पर लगाई जान बचाने की गुहार

एल्डर कमेटी ने जब चुनाव रद्द करने का फैसला सुनाया तो वकीलों के एक गुट ने जमकर उपद्रव किया। एल्डर कमेटी के सदस्यों के साथ वकीलों ने जमकर अभद्रता की। लाइब्रेरी में भी वकीलों ने तोड़फोड़ कर कुर्सियां फेंक दीं। हालात इतने बेकाबू हो गए कि एल्डर कमेटी के लोग माइक पर जान बचाने के लिए पुलिस से गुहार करते रहे। जैसे-तैसे एल्डर्स कमेटी के लोग अपनी जान बचाकर कचहरी परिसर से बाहर निकले।

बाहरी अराजकतत्वों के प्रवेश पर आक्रोशित हैं वकील

Kanpur Bar Association (KBA) के वार्षिक चुनाव में खूनी हिंसा के बाद वकील खासे आक्रोशित हैं। वकीलों का कहना है कि संगठन के चुनाव में बाहरी अराजकतत्वों का आखिर क्या काम...??? सैकड़ों की संख्या में बाहरी अराजकतत्व कई प्रत्याशियों के समर्थन में देखे जा रहे थे। वकीलों का तर्क है कि चुनाव की प्रक्रिया में अधिकांशत: वही वकील हिस्सा ले रहे हैं प्रैक्टिस नहीं करते हैं या फिर उनके अन्य कारोबार हैं। जबकि प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के पास चुनाव लड़ने के लिए न तो धन है, न ही बाहुबल और न ही समय। इस पीड़ा को कई वकीलों ने सोशल मीडिया पर भी व्यक्त किया है।

फिर Fail हो गई लोकल इंटेलीजेंस

लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (LIU) एक बार फिर से फेल साबित हुई। KBA के वार्षिक चुनाव में तनावपूर्ण हालात कई दिनों से बने थे। खुद इसकी आशंका तमाम अधिवक्ता भी जता रहे थे कि चुनाव में सबकुछ इस बार ठीक-ठाक नहीं रहेगा और वही हो गया। लेकिन इन सब के बीच खुफिया इकाई एक बार फिर से फेल साबित हुई। वह भी तब जब कुछ महीना पहले ही कचहरी परिसर में कई राउंड गोलियां चलीं थी। उसके बाद भी न तो खुफिया अलर्ट रही और न ही कोतवाली पुलिस। पुलिस की मौजूदगी में शताब्दी गेट पर अराजकतत्व हवाई फायरिंग करते रहे।

 

  • 88 साल के बुजुर्ग ने दिया सनसनीखेज वारदात को अंजाम
  • .315 बोर के देशी तमंचे से सटाकर मारी अधिवक्ता को गोली
  • वारदात के बाद तमंचा मौका-ए-वारदात पर छोड़कर हुआ फरार
  • CCTV फुटेज के जरिए पुलिस ने 6 घंटे में आरोपी को किया Arrest
  • हत्यारोपी बोला, Murder नहीं करते तो हमें करना पड़ता Suicide

 


Yogesh Tripathi

Uttar Pradesh के Shahjhanpur में मंडे की सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब कोर्ट परिसर के अंदर अधिवक्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह (62) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद कातिल तमंचा मौका-ए-वारदात पर छोड़कर फरार हो गया। दुस्साहसिक वारदात की खबर से सनसनी फैल गई। कांग्रेस महासचिव Priyanka Gandhi ने Tweet कर सरकार पर तीखे प्रहार किए। Police Officer’s के निर्देश पर CCTV फुटेज को कई घंटे तक खंगाला गया। करीब 6 घंटे बाद पुलिस ने बैंक से सेवानिवृत बुजुर्ग सुरेश गुप्ता को शक के आधार पर हिरासत में ले लिया। पुलिस का दावा है कि पूछताछ में वह टूट गया और हत्या का जुर्म स्वीकार कर बोला, “Murder नहीं करता तो मुझे करना पड़ता Suicide”.


 

पुलिस के मुताबिक सनसनीखेज वारदात मंडे की सुबह कचहरी परिसर के तीसरे मंजिल पर रिकार्ड रूम के ठीक सामने हुई। फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट टीम के साथ पहुंचे Police Officer’s को छानबीन के दौरान .315 बोर का देशी तमंचा मिला। कोर्ट परिसर के अंदर अधिवक्ता की हत्या के बाद सूबे की सियासत का पारा चढ़ गया। प्रियंका गांधी, मायावती समेत कई विपक्षी दल के नेताओं ने सीधे Uttar Pradesh की सरकार पर तीखे प्रहार कर सवालों की बौंछार कर दी। अधिवक्ता की हत्या के बाद साथी अधिवक्ता भी सड़क पर उतर आए।

 


पुलिस की टीम ने CCTV फुटेज खंगाले। शक की सूई 88 साल के बुजुर्ग सुरेश गुप्ता पर जाकर ठहरी। शक के आधार पर पुलिस ने सुरेश गुप्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह टूट गए। सुरेश गुप्ता ने हत्या का जुर्म स्वीकार करते हुए Police Officer’s को बताया कि यदि वह भूपेंद्र प्रताप सिंह की हत्या न करते हुए उनको खुद Suicide करना पड़ता। सुरेश के मुताबिक वह जेब में तमंचा रखकर कोर्ट पहुंचे। रिकार्ड रूम के बाहर मौका पाकर उन्होंने भूपेंद्र के शरीर पर सटाकर गोली मार दी। जिसकी वजह से फायरिंग की आवाज बेहद कम हो गई। भूपेंद्र के जमीन पर गिरते ही उसने तमंचा भी मौके पर छोड़ दिया ताकि किसी को शक न हो सके। पुलिस के मुताबिक सुरेश गुप्ता बैंक से रिटायर्ड हैं। भूपेंद्र और सुरेश के बीच किराएदारी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।

 

RTI Activist और अधिवक्ता सौरभ भदौरिया की शिकायत पर शासन ने की कार्रवाई

डीजीपी मुख्यालय से शासन ने किया सीनियर आइपीएस को अटैच

IPS Officer हरिराम शर्मा को एडीजी एंटी करप्शन का चार्ज मिला

जकी अहमद (IPS Officer)

Yogesh Tripathi

लंबे समय से Uttar Pradesh के एंटी करप्शन विभाग में ADG के पद पर तैनात रहे सीनियर आइपीएस अफसर जकी अहमद को तीन दिन पहले हटा दिया गया। यह कार्रवाई गृह विभाग ने Kanpur के चर्चित अधिवक्ता और RTI Activist सौरभ भदौरिया की तमाम शिकायतों पर की गई जांच के बाद की। जकी अहमद पर एक वर्ग के कई दर्जन पुलिस कर्मियों को बेवजह प्रताड़ित करने का संगीन इल्जाम है। उनको फिलहाल पुलिस मुख्यालय में अटैच किया गया है। उनकी जगह चर्चित IPS Officer’s हरिराम शर्मा को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। हरिराम शर्मा फिलहाल अपर पुलिस महानिदेशक, अध्यक्ष एवं एमडी आवास निगम लखनऊ के पद पर हैं।

सौरभ भदौरिया (Advocate & RTI Activist)

अधिवक्ता सौरभ भदौरिया का कहना है कि उन्होंने जकी अहमद की कई शिकायतें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और ED में भी की है। गृह विभाग को शपथ पत्र देकर उन्होंने तमाम सबूतों के साथ जकी अहमद की शिकायत की थी। जिसकी जांच शासन ने अपने स्तर से करवाई। जांच में सभी आरोप सत्य पाए गए थे। जिसके बाद उन्हें तत्काल एंटी करप्शन से हटाकर डीजीपी मुख्यालय में अटैच कर दिया गया। 

 


सौरभ भदौरिया का आरोप है कि अब तक एक वर्ग के करीब पांच दर्जन पुलिस कर्मियों को प्रताड़ित किया गया। किसी की जांच नहीं पूरी की गई तो ऐसे भी पुलिस कर्मी हैं जिनकी मौत के बाद उनके परिजनों को मृतक आश्रित कोटे में नौकरी तक मयस्सर नहीं हुई। आरोप है कि इन लोगों की तमाम जांचों को प्रभावित कर अब तक रोके रखे गया है। तमाम पुलिस कर्मियों के खिलाफ फर्जी नाम और पते से शिकायतें करवाने के बाद उनको सामाजिक और मानसिक ढंग से प्रताड़ित किया गया। सौरभ भदौरिया का आरोप है कि एक वर्ग के 23 पुलिस कर्मियों के खिलाफ पुख्ता सबूत होने के बाद भी उनके खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं की गई।

सौरभ भदौरिया का आरोप है कि जल्द ही शासन विजलेंस जांच भी शुरु करवा सकता है। आरोप है कि सरकार की तरफ से मिलने वाले सरकारी फॉलोवर का भी सीनियर अफसर की तरफ से दुरुपयोग कारोबार में किया गया। जिसकी तमाम फोटो के साथ उन्होंने शासन और गृह विभाग को सौंपे हैं।

सौरभ भदौरिया का आरोप है कि तमाम बेनामी संपत्तियों का ब्यौरा भी उन्होंने जांच एजेंसियों को सौंपा है। जिनकी जांच शुरु हो चुकी है। आरोप है कि यूपी के कई जनपदों में तैनाती के दौरान कई बेशकीमती संपत्तियां उन्होंने अर्जित की हैं। सौरभ भदौरिया का आरोप है कि पुलिस कर्मियों को प्रताड़ित करने में एक और IPS Officer की अहम भूमिका रही। यह अफसर सीनियर अफसर जकी अहमद के निर्देश पर ही कार्य करते रहे हैं। सौरभ का आरोप है कि आगे की जांचों में अभी कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।

  -फायरिंग में किसी के जख्मीं होने की खबर नहीं

-बार एसोशिएशन से चंद कदम की दूरी पर फायरिंग

-सूचना पर पहुंची कोतवाली थाने की फोर्स

-देर शाम तक चलती रही बार हाल में महापंचायत

-एक पक्ष ने दी कोतवाली थाने में तहरीर


 

Yogesh Tripathi

Kanpur के कचहरी परिसर में देर शाम हवाई फायरिंग से हड़कंप मच गया। घटना बार एसोशिएशन से चंद कदम की दूरी पर हुई। फायरिंग में किसी के जख्मीं होने की खबर नहीं है। सूचना पर कोतवाली थाने की फोर्स मौका-ए-वारदात पर पहुंची। देर शाम तक बार हाल में घटना को लेकर महापंचायत भी चली। महापंचायत के समय पुलिस की मौजूदगी रही। आरोप-प्रत्यारोप की बौंछार हुई लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। देर शाम एक पक्ष की तरफ से कोतवाली थाने में तहरीर दे दी गई। कोतवाली SHO ने www.redeyestimes.com (News Portal) से बातचीत में हवाई फायरिंग की पुष्टि करते हुए कहा कि एक पक्ष ने तहरीर दी है। पूरा प्रकरण दो अधिवक्ताओं के बीच का है। मामले की छानबीन की जा रही है।

हवाई फायरिंग की घटना शाम 5.30 बजे के बाद की है। उस वक्त अधिकांश अधिवक्ता कामकाज निपटाने के बाद अपने घरों को जा चुके थे। बताया जा रहा है कि बार हॉल के सामने वाली गली से अचानक चार राउंड फायरिंग हुई। जिसके बाद हड़कंप मच गया। गोली चलते ही कचहरी परिसर में मौजूद छिटपुट अधिवक्ताओं की भीड़ अचानक बाहर की तरफ भागी। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि फायरिंग करने वाला शख्स का असलहा भी छीनने की कोशिश की गई।

थोड़ी ही देर में कोतवाली थाने की फोर्स पहुंची। छानबीन कर पुलिस ने काफी देर वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की। घटना को लेकर सीनियर्स अधिवक्ता बार हॉल पहुंच गए। वहां पर पुलिस भी मौजूद रही। काफी देर तक बातचीत के जरिए डैमेज को कंट्रोल करने का जतन किया गया लेकिन नतीजा सिफर रहा। शाम होते-होते एक पक्ष की तरफ से कोतवाली थाने में तहरीर दे दी गई। माना जा रहा है कि देर रात तक दूसरे पक्ष की तरफ से भी तहरीर कोतवाली में दी जा सकती है।

प्रापर्टी से जुड़ा है मामला

घटना की पृष्ठभूमि में बताया जा रहा है कि मामला South City स्थित एक प्रापर्टी से जुड़ा है। जिसको लेकर दो दिनों से तनातनी के बाद चिंगारी सुलग रही है। शनिवार को भी इस मुद्दे पर बहस हो चुकी है। जिसका परिणाम ये रहा कि सोमवार को सरेशाम फायरिंग में हो गई। कचहरी परिसर में फायरिंग की सूचना के बाद स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) ने भी तमाम जानकारियां जुटा रही है।

Twitter पर पुलिस ने दी जानकारी

सोशल मीडिया के प्लेटफार्म Twitter पर Active रहने वाली Kanpur Police ने Tweet कर घटनाक्रम के बाबत जानकारी देते हुए कहा कि दोनों गुट वकीलों के हैं। एक गुट की तरफ से फायरिंग की गई है। एक जमीन को लेकर विवाद होना बताया जा रहा है। अभियोग पंजीकृत कर जल्द विधिक कार्रवाई की जाएगी। 


-प्रेसीडेंट पद पर बेहद रोचक मुकाबला होने की उम्मींद

-KBA के सेकेट्री पद पर हो सकती है सीधी टक्कर

 

Yogesh Tripathi

Kanpur Bar Association (KBA) चुनाव के तहत नामांकन प्रक्रिया के दूसरे दिन भारी गहमा-गहमी के बीच कुल 95 दावेदारों ने पर्चा भरा। पहले दिन 39 लोगों ने नामांकन कराया था। KBA का चुनाव लड़ रहे कई प्रत्याशियों के समर्थकों ने एक बार फिर चुनाव आचार संहिता की जमकर धज्जियां उड़ाईं। सेकेट्री पद पर प्रबल दावेदार राकेश तिवारी ने समर्थकों के हुजूम के साथ पर्चा भरा। 


प्रेसीडेंट के लिए बलजीत यादव ने भी नामांकन फॉर्म भरा। दोनों ही प्रत्याशी पिछले साल के रनर हैं। बाहरी समर्थकों की भीड़ अधिक होने की वजह से एक बार फिर कोर्ट के अधिवक्तागणों की संख्या नामांकन के दौरान काफी कम दिखी। प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं में इस बात को लेकर खासा आक्रोश है कि बाहरी लोगों का दखल काफी बढ़ रहा है।


प्रेसीडेंट पद के लिए पहले दिन नरेश त्रिपाठी, गणेश शंकर दीक्षित जैसे दिग्गजों ने नामांकन करवाया था। सेकेट्री पद के लिए राकेश तिवारी और आदित्य सिंह ने दूसरे दिन पर्चा भरा। वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, संयुक्त मंत्री (प्रकाशन) समेत कई पदों पर भी प्रत्याशियों ने नामांकन करवाए। KBA चुनाव के लिए मतगणना 3 मार्च 2020 को होगी। 



सूत्रों की मानें तो इस बार दो बड़े पदों के लिए चुनाव लड़ रहे दो प्रत्याशियों के समर्थन में Kanpur Court के कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता खड़े हो गए हैं। जिसकी वजह से चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प बन गया है। नामांकन प्रक्रिया के दौरान छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारी व तमाम वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे। अधिवक्ता रेवंत मिश्रा, मनोज मिश्रा (गुड्डू), संतोष शुक्ला, चंद्रप्रकाश दुबे, नरेंद्र कुमार मिश्रा (बब्बी), संतोष तिवरी, आलोक सिंह (पूर्व अध्यक्ष वीएसएसडी कॉलेज) समेत कई अधिवक्ता अपने प्रत्याशियों के समर्थन में पूरे समय उपस्थित रहे।