2021
  • अपराध की पाठशाला का प्रिंसिपल है D-2 सरगना अतीक
  • 15 साल पहले रेलवे के विश्रामालय लगती थी D-2 सरगना अतीक की पंचायत
  • तत्कालीन ADG (L/O) ब्रजलाल ने Lucknow रेलवे स्टेशन पर मारा था छापा
  • सरगना से मिलीभगत की वजह से कई पुलिस कर्मचारी हुए थे सस्पेंड
  • सिद्धार्थनगर जेल से आते समय लखनऊ स्टेशन के विश्रामालय में ठहरता था अतीक
  • गिरोह के अपराधिक कृत्यों को देख D-2 को IS-273 (इंटर स्टेट) पर पंजीकृत किया  
 D-2 गैंग सरगना अतीक अहमद (फोटो साभार-पुलिस)

Yogesh Tripathi

पहले तौफीक उर्फ बिल्लू का Encounter फिर रफीक की न्यायिक रिमांड के दौरान पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद D-2 गैंग बैकफुट पर आ गया। एनकाउंटर के खौफ से अतीक भागा-भागा फिर रहा था। राजधानी दिल्ली के लक्ष्मीनगर को उसने महफूज ठिकाना बनाया। दिल्ली में बैठकर उसने गैंग को फिर से खड़ा करने की कोशिश Start की। STF & Crime Branch के सर्विलांस सेल के साथ मुखिबर तंत्र के Active रहने से वह अधिक दिनों तक महफूज नहीं रह सका। लोकेशन महज कुछ महीने में ही ट्रेस हो गई। Kanpur के तत्कालीन SSP आलोक कुमार सिंह ने तेजेंद्र सिंह और ऋषिकांत शुक्ला की अगुवाई में एक पुलिस टीम गठित कर D-2 सरगना की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली रवाना की। इस टीम ने दिल्ली क्राइम ब्रांच के स्पेशल सेल की मदद से लक्ष्मी नगर एरिया में अतीक को Arrest कर लिया गया। कानूनी झंझावतों से बचने के लिए अतीक को दिल्ली की कोर्ट में पेश किया गया। उसके बाद Kanpur Police बी-वारंट के जरिए अतीक को शहर लाई। जेल में अतीक और उसके गिरोह की धमक को देखते हुए उसे सिद्धार्थनगर की कारागार में शिफ्ट किया गया।

रेलवे के विश्रामालयको बना लिया अपना अड्डा

जानकार पुलिस अफसरों की मानें तो शातिर दिमाग अतीक ने सिद्धार्थनगर की जेल में रहने के दौरान अपनी हनक बना ली। कानपुर लेकर आने वाले पुलिस कर्मचारियों से साठगांठ कर वह लखनऊ रेलवे स्टेशन के विश्रामालयमें ठहने लगा। यहां पर उसके गुर्गे पहुंचते थे और अपराध जगत की तमाम बड़ी पंचायत अतीक निपटाने लगा। कई बार उसने कूटरचित दस्तावेजों के जरिए भी अपनी पेशी करवाई। विश्रामालय में भी वह सिस्टम के जरिए ठहरता था। 

 इसकी भनक जब तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) ब्रजलाल को लगी तो वह खुद को मातहतों के साथ छापा मारने पहुंच गए। गुर्गे तो भाग निकले लेकिन अतीक और उसको लाने वाले कई पुलिस कर्मचारी मौके पर मिल गए। पुलिस कर्मियों को तत्काल सस्पेंड किया गया। छानबीन में पता चला कि अतीक न सिर्फ तमाम बड़ी पंचायतों को निपटाता था बल्कि वह वहीं से पूरे गैंग को ऑपरेट करने लगा था। कई पुलिस अफसरों को भी उसने रडार पर लेने का निर्देश गुर्गों को दे रक्खा था। सिर्फ Uttar Pradesh ही नहीं बल्कि दूसरे प्रातों के तमाम बड़े गिरोहों से भी उसके कनेक्शन मिले। गैंग के खतरनाक मंसूबों और अपराधिक गतिविधियों को देख अफसरों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। बस यहीं से Kanpur का D-2 गिरोह अंतर्राज्यीय गैंग बन गया। तत्कालीन ADG (L/O) ब्रजलाल के निर्देश पर इस गिरोह को इंटर स्टेट (IS-273) के तौर पर पंजीकृत किया गया।  

आगरा जेल में शिफ्ट किया गया सरगना अतीक

Lucknow रेलवे स्टेशन के विश्रामालयमें छापेमारी के बाद अफसरों ने आनन-फानन में अतीक को सिद्धार्थनगर से आगरा की जेल में शिफ्ट कर दिया। लंबे समय से अतीक आगरी की जेल में ही बंद है। अतीक का एक भाई बाले कानपुर की जेल में है, गिरफ्तारी के बाद अफजल को भी कानपुर जेल भेजा गया है।

अपराध की पाठशाला का प्रिंसिपल है अतीक

www.redeyestimes.com (News Portal) से बातचीत में एक Police Officer’s ने गिरोह से जुड़ी तमाम जानकारियों को साझा करते हुए बताया कि अतीक को आप अपराध की पाठशाला का प्रिंसिपल है। या यूं कहें कि अतीक के पास किसी को बदमाश बनाने का जादू है। ब्रेन को वाश करने में भी एक्सपर्ट है। अतीक का हैदराबादी सिस्टम बेजोड़ है। यही वजह रही कि इस गिरोह में एक से बढ़कर एक खूंखार अपराधी और शार्प शूटर्स हुए। समीम दुरंगा, संजय गुप्ता, शानू बॉस, हसीन टुंडा, मोनू पहाड़ी, रईस बनारसी, अमजद बच्चा समेत दर्जन भर से अधिक शूटर्स अतीक के अपराध की पाठशाला से ही निकले। हालांकि बाद में ये सभी पुलिस के हाथों मारे भी गए। 


सरगना पर बॉलीवुड में फिल्म बाबरभी बन गई

D-2 गिरोह सरगना अतीक की जड़ें मुंबई में किस कदर फैली हैं कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गिरोह पर एक फिल्म भी बॉलीवुड में बन गई। फिल्म का नाम था बाबर। जानकारों की मानें तो फिल्म में तमाम से गलत तथ्यों को भी प्रस्तुत किया गया। फिल्म में सरगना की छवि को अलग तरह से पेश कर उसके साथ बचपन में ज्यादती दिखाई गई है। जानकारों की मानें तो बाबर फिल्म की पूरी कहानीसरगना के इशारे पर लिखी गई। बाद में इसी पर फिल्म भी बन गई। इस फिल्म के तमाम हिस्सों को कानपुर में ही शूट किया गया। शहर के मुस्लिम एरिया की तमाम तंग गलियों में शूटिंग इसकी गवाही है। फिल्म में शक्ति कपूर, ओमपुरी और मिथुन चक्रवर्ती जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया।

 


  • 40 वर्ष पुराना है D-2 गैंग का अपराधिक इतिहास
  • 30 साल बाद मारा गया था गैंग का पहला सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू
  • 90 के दशक में ही गिरोह के तार अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम से जुड़े
  • D-2 गिरोह ने Pakistan निर्मित स्टार मार्का पिस्टलों की तस्करी भी की
  • अफजाल की गिरफ्तारी से D-2 गिरोह का जिन्न फिर से बोतल से बाहर आया

D-2 गिरोह का सरगना अतीक अहमद (Photo----साभार---पुलिस विभाग)

Yogesh Tripathi

Kanpur के जरायम इतिहास में नई सड़क का जिक्र सबसे पहले आता है। यहां 70 के दशक में पहलवानी को लेकर बाबू पहलवान और दुन्नू पहलवान के बीच वर्चस्व की जंग Start हुई थी। इसके बाद तो बाबू पहलवान के फहीम, अतीक पहलवान और शम्मू कुरैशी के बीच हुए खूंरेंजी में करीब 80 से अधिक हत्याएं हुईं। 

दरअसल अनवरगंज थाना एरिया के कुलीबाजार में फतेहपुर जनपद के (कोड़ा जहानाबाद) के अच्छे दहाना का गैंग ठेक (पनाह) खाता था। इस गिरोह के सदस्यों से कुलीबाजार के ही लूलूबक्श नाम के अपराधी ने अपना लोकल गैंग Active कर लिया। दुश्मनी अधिक हो जाने और पुलिस के रडारपर आने के बाद लूलूबक्श” Lucknow शिफ्ट कर गया और वहां से अपने गिरोह को ऑपरेट करने लगा। 

लूलूबक्श के एरिया छोड़ते ही 80/46 कुलीबाजार निवासी अतीक अहमद, रफीक, तौफीक उर्फ बिल्लू और अन्य भाई एरिया में छोटे-मोटे अपराध करने लगे। अतीक और उसके भाइयों का एक सौतेला भाई वशी था। वशीकी अपने सौतेले भाइयों से रंजिश थी। इसी वशीका बेटा टॉयसन बड़ा होकर अपराधी बना और बाद में पुलिस का मुखबिर भी हो गया। टॉयसन चकेरी के चर्चित पिन्टू सेंगर मर्डर केस में आरोपी है। D-2 गैंग का सबसे बड़ा दुश्मन टॉयसन ही है। गिरोह के सफाए के लिए अतीक और उसके भाई टॉयसन को ही जिम्मेदार मानते हैं। 

इस बीच वर्ष (2000) D-2 गैंग के एक नए दुश्मनका उदय हो गया। नाम था परवेज निवासी चमनगंज। जानकारों की मानें तो होटल में काम करने वाले परवेज के बहनोई के मकान पर अतीक के एक करीबी रिश्तेदार ने कब्जा कर लिया था। परवेज ने विरोध किया तो D-2 गिरोह ने परवेज की काफी बेइज्जती कर पिटाई की थी। इसका बदला परवेज ने न्यायिक रिमांड पर लाए गए रफीक की हत्या करके ली। इससे पहले परवेज दिनदहाड़े कचहरी परिसर में D-2 सरगना पर बमो से हमला कर सनसनी फैला चुका था।

 D-2 गैंग की नादिर और साबिर गिरोह से दुश्मनी भी खूब चली थी। दोनों के बीच कई बार गैंगवार में गोलियां और बम भी चले। बात D-2 गैंग की करें तो अकील और फहीम से जमीनों पर कब्जे, असलहों की अवैध बिक्री, रंगदारी, वसूली और शूटर्स को लेकर लंबे समय तक खूनी रंजिश चली। नब्बे के दशक में D-2 गिरोह की जड़ें मुंबई बम धमाकों के आरोपी Most Wanted अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद अहमद के अपराधिक कुनबे Connect हो गईं। Sunday को सुपारी किलर अफजल की राजस्थान प्रांत के मुरलीपुरा थाना एरिया में STF की तरफ से की गई गिरफ्तारी के बाद से कनपुरिया अंडरवर्ल्ड को फिर से चर्चा में ला दिया है।

अफजल उर्फ जावेद (फोटो-साभार-STF)

Encounter में मारा गया सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू

वर्ष 2004 तक D-2 गैंग आतंक का पर्याय बन चुका था। गैंग के सरगना अतीक अहमद समेत तमाम गुर्गों की दहशतगर्दी Kanpur से बाहर आसपास के जनपदों में भी बढ़ गई। वर्ष 2004 किदवई नगर थाने के तत्कालीन SO ऋषिकांत शुक्ला ने Encounter में गिरोह के सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू को मार गिराया। तब तक यह गिरोह करीब 30 साल पुराना हो चुका था। बिल्लू के मारे जाने के बाद गिरोह बैकफुट पर आ गया। बिल्लू का मारा जाना गिरोह के लिए बड़े सदमें की तरह था। बिल्लू का Encounter करने के बाद ऋषिकांत शुक्ला गिरोह के पीछे पड़ गए। गैंग के कई बदमाश उन्होंने उठाए लेकिन रफीक और अतीक लगातार बचते रहे। यूं कहें कि दोनों काफी समय के लिए अंडरग्राउंड रहे।

तौफीक उर्फ़ बिल्लू को Encounter में ढेर करने वाले इंस्पेक्टर (Rishi Kant Shukla)

मुखबिरी के शक में गैंग ने किए ताबड़तोड़ 5 Murder

सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू का Encounter में मारा जाना गिरोह के लिए बड़ा झटका था। बिल्लू के भाई अतीक और रफीक कई लोगों पर मुखबिरी की आशंका करने लगे। इसी चक्कर में गिरोह ने महज कुछ महीनों में ताबड़तोड़ हत्या की पांच बड़ी वारदातें कीं। इसमें सलीम मुसईवाला, नफीस मछेरा और कुलीबाजार की एक चर्चित महिला की हत्या में सभी नामजद भी हुए। कुछ ऐसी भी हत्याएं हुईं जिसमें गिरोह के लोगों के नाम उजागर नहीं हो सके। बिल्लू के मारे जाने के बाद गिरोह की कमान रफीक और अतीक ने संभाल ली।

इसके बाद गिरोह ने शहर के प्रापर्टी डीलरों से उगाही Start कर दी। बेबीज कंपाउंड परिसर तक को इस गैंग ने मोटी रकम के बदले खाली करवा दिया। इस बीच गिरोह के ताल्लुक हैदराबाद के एक बड़े तंबाकू कारोबारी से हो गए। गिरोह के बारे में जानकारी रखने वाले Police Officer’s की मानें तो इस कारोबारी से गिरोह को मोटी रकम की फंडिंग होने लगी। जिसके बाद दोनों भाइयों ने गिरोह को और मजबूत कर उसकी जड़ें देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक नगरी मुंबई तक फैला दीं। दाउद गैंग से लिंक होने के बाद बिल्लू का एक भाई दिल्ली में Pakistan निर्मित स्टार मार्का पिस्टलों की खेप के साथ पकड़ गया। लंबे समय तक वह तिहाड़ जेल में बंद भी रहा। तब खुफिया इकाइयों ने बड़ी लंबी छानबीन की थी। जिसमें पता चला था कि Pakistan निर्मित पिस्टलों की खेप इसके पहले भी कई बार लाई गई थी। Uttar Pradesh के Kanpur समेत कई जनपदों में इन पिस्टलों को तब बेंचा भी गया था।

हीरपैलेस में STF सिपाही की गिरोह ने हत्या की

करीब 16 साल पहले हीर पैलेस टॉकीज में फिल्म देखने पहुंचे नादिर और साबिर गैंग के लोग फिल्म देखने के लिए पहुंचे। वहां पर D-2 गैंग के समीम दुरंगा, संजय गुप्ता, अमजद उर्फ बच्चा, रफीक, नफीस समेत कई लोग हत्या के लिए पहुंच गए। सटीक मुखिबरी पर UPSTF ने घेराबंदी की तो गिरोह के समीम दुरंगा और तमाम गुर्गों ने सीधी गोलियां दागनी शुरु कर दीं। एक गोली STF के सिपाही धर्मेंद्र को लगी और वह शहीद हो गए। STF ने जवाबी कार्रवाई कर दो बदमाशों को Encounter में ढेर कर दिया।

रफीक ने कोलकाता में ली थी पनाह

STF सिपाही धर्मेंद्र की हत्या करने के बाद रफीक और अतीक दोनों ही अंडरग्राउंड हो गए। गिरोह के लोग भी भागते फिर रहे थे। STF सिपाही की हत्या के बाद अतीक और रफीक के सिर पर इनामी राशि बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दी गई। संजय गुप्ता पर भी 50 हजार रुपए का इनाम घोषित हो गया। सर्विलांस सेल की मदद से कई महीने बाद रफीक की लोकेशन West Bengal के कोलकाता में मिली। Rishi Kant Shukla की अगुवाई में पुलिस की एक टीम कोलकाता पहुंची। दबिश के दौरान वहां पर रफीक से मुठभेड़ हो गई। वहां पर भी गोलियां चलीं लेकिन गनीमत रही कि Police Team का कोई भी जवान हताहत नहीं हुआ। मशक्कत के बाद अंतत: रफीक को Arrest कर कोलकाता की Court में पेश किया गया। इसके बाद बी-वारंट के जरिए पुलिस रफीक को Kanpur लाई।

न्यायिक रिमांड में हो गया रफीक का Murder

पुलिस ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर रफीक को पूछताछ और A.K-47 की बरामदगी के लिए रिमांड ली। कोर्ट ने पुलिस के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर रफीक की न्यायिक रिमांड दे दी। पुलिस टीम रफीक को लेकर जूही यार्ड जा रही थी कि वहीं पर रफीक की हत्या कर दी गई। पुलिस ने हत्या के पीछे D-2 गैंग के परवेज का हाथ होना बताया था। हालांकि इस मामले में रफीक के परिजनों ने पुलिस पर ही कस्टडी में हत्या का इल्जाम लगाकर सनसनी फैला दी। यह मामला लंबे समय तक मीडिया की सुर्खियों में भी बना रहा। रफीक के मरने के बाद मानों D-2 गिरोह की कमर टूट गई। रफीक की हत्या के बाद पुलिस ने परवेज का गिरोह D-34 पंजीकृत किया। परवेज के सिर पर इनाम की राशि 50 कर दी गई। इसके बाद परवेज STF के "रडार" पर आ गया। 2008 में STF ने परवेज का बिठूर में Encounter कर मार गिराया।

 

अगले अंक में पढ़िए.....

अतीक के लिए क्यों मारना पड़ा था Ex. ADG L/O ब्रजलाल को छापा

  • 16 साल बाद पुलिस के चक्रव्यूह में फंसा शातिर अफजल
  • 50 हजार रुपए का इनामी है कुलीबाजार निवासी अफजल
  • दो साल पहले CAA हिंसा मामले में भी शामिल था अफजाल
  • सर्विलांस सेल की मदद से राजस्थान के मुरलीपुरा थाना एरिया में STF ने पकड़ा



STF की कस्टडी में अफजाल उर्फ जावेद उर्फ राजू
Yogesh Tripathi

Kanpur के खूंखार D-2 गैंग के शूटर और वर्तमान में IS (273) गिरोह के सदस्य अफजाल उर्फ जावेद को UPSTF (Kanpur Unit) ने आखिर Arrest कर लिया। 50 हजार रुपए के इनामी इस Most Wanted को STF Team ने 16 साल बाद राजस्थान के मुरलीपुरा थाना एरिया में Sunday को दबोचा। गिरोह का सरगना और अफजल का भाई अतीक आगरा की जेल में बंद है। जबकि एक अन्य भाई बाले Kanpur Jail की सलाखों के पीछे कैद है। अफजाल के भाई तौफीक अहमद उर्फ बिल्लू का पुलिस ने 2004 में Encounter कर दिया था। उसके बाद गिरोह की कमान संभालने वाले रफीक की न्यायिक रिमांड में हत्या कर दी गई। पुलिस का कहना है कि विरोधी गुट ने पुलिस टीम पर हमला कर रफीक की हत्या कर दी। तीसरे भाई शफीक की दो साल पहले मुंबई में बीमारी से मौत हो चुकी है। Police Officer’s की मानें तो अफजल की Kanpur में चोरी छिपे आमदरफ्त रहती थी। वह अपने गिरोह को न सिर्फ मजबूत करने में जुटा था बल्कि हैदराबाद के एक बड़े कारोबारी से होने वाली फंडिग के जरिए जेल में बंद दोनों भाइयों को सलाखों के पीछे से आजाद कराने की जद्दोजहद भी कर रहा था लेकिन सटीक मुखबिरी और सर्विलांस सेल की मदद से STF ने उसे Arrest कर लिया। 


 

Police और STF का दावा है कि Most Wanted अफजाल उर्फ जावेद उर्फ राजू दो साल पहले Kanpur के बाबूपुरवा थाना एरिया में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर विरोध के दौरान हुए उपद्रव, हिंसा, आगजनी समेत कई मामलों में आरोपी था। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई थी। अफजल की गिरफ्तारी के लिए तमाम प्रयास Kanpur Police  ने किए लेकिन वह Arrest करने में असफल रही। STF (ADG) अमिताभ यश के निर्देश पर Kanpur (Unit) के CO डी.के शाही की अगुवाई में तेज तर्रार इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की एक टीम STF ने गठित की। इस टीम ने जब अफजल की कुंडली बांचनी शुरु की तो तमाम चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं। कानपुर से लेकर राजस्थान तक मुखबिरों का एक बड़ा संजाल बिछाया गया। साथ ही सर्विलांस सेल की भी मदद STF लगातार लेती रही। सटीक मुखबिरी के बाद अंतत: Sunday को STF ने अफजल को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की।

ये है CAA हिंसा का पूरा मामला

20 दिसंबर 2019 को CAA को लेकर विरोध-प्रदर्शन के दौरान आतताइयों ने Police Team को निशाना बनाकर हमला किया था। पथराव और तेजाब से भरी बोतलें फेंकने के साथ उपद्रवियों ने फायरिंग भी की थी। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था। अराजकता में तीन लोगों रईस, सैफ और अफताब की मौत हो गई थी।

हिंसा के बाद पुलिस ने CCTV फुटेज के आधार पर बाबूपुरवा के परवेज आलम, शाहजाद आलम, आदिल और उसका भाई मुस्तकीम समेत करीब 500 से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा(147), घातक आयुध के साथ उपद्रव करने(148), जन समूह में शामिल होकर अपराध करना(149), लोक सेवक के कार्य में बाधा डालने(332), हत्या(302), हत्या का प्रयास(307) लोक सेवक के आदेश का उलघंन (188), अपराध के लिए उकसाने (109), षडयंत्र करने (120 बी), सेवन सीएलए, 3/4 पीपीडी एक्ट, 27 आयुध अधिनियम के तहत FIR रजिस्टर्ड की। पुलिस अब तक करीब 27 27 लोगों को Arrest कर पुलिस जेल भेज चुकी है।

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40 साल पुराना है D-2 गैंग का अपराधिक इतिहास

  • शुक्रवार सुबह से जारी थी KBA वार्षिक चुनाव में वोटिंग
  • सुबह से ही फर्जी मतदान को लेकर वकील कर रहे थे हंगामा
  • दोपहर में मतदान प्रक्रिया को एल्डर कमेटी ने रोका
  • शाम को चुनाव रद्द करने की घोषणा के बाद फायरिंग और तोड़फोड़
  • गौतम दत्त नाम के अधिवक्ता के पेट में लगी गोली, मौत

वकील की मौत के बाद कचहरी परिसर और आसपास देर रात्रि तक पुलिस की गश्त जारी रही।

Yogesh Tripathi

Kanpur Bar Association (KBA) Election (2021) में आखिर जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही थी वही हो गया। Fake Voting को लेकर वकीलों के हंगामा और तोड़फोड़ करने पर शाम को एल्डर्स कमेटी ने चुनाव रद्द कर दिया। आक्रोशित वकीलों ने कचहरी परिसर में तोड़फोड़ शुरु कर दी। शताब्दी गेट के पास पुलिस की मौजूदगी में गोलियां दागी गईं। हवाई फायरिंग के दौरान एक वकील के पेट में गोली लग गई। घायल अधिवक्ता को LLR (Hospital) में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। अधिवक्ता के मौत की खबर सुनते ही वकीलों की भीड़ हैलट अस्पताल में जमा हो गईं। हालात तनावपूर्ण देख Police Officer’s ने आसपास के करीब दर्जन भर थानों की फोर्स को मौके पर बुला लिया ताकि किसी भी स्थिति से तत्काल निपटा जा सके। 

अधिवक्ता गौतम दत्त (File Photo)

फ्राइडे की सुबह Kanpur Bar Association में वोटिंग की प्रक्रिया एल्डर्स कमेटी की मौजूदगी में Start हुई। वोटिंग शुरु होते ही Fake Voting को लेकर वकीलों के गुट आपस में टकराने लगे। दोपहर होते-होते रार बढ़ी तो एल्डर कमेटी ने मतदान प्रक्रिया को रुकवा दिया। करीब 20 मिनट बाद वोटिंग फिर से स्टार्ट की गई। इस दौरान वकील लगातार नारेबाजी कर हंगामा करते रहे। शाम होते-होते एल्डर कमेटी ने मतदान प्रक्रिया को रोक दिया। खबर वकीलों को मिली तो सभी Kanpur Bar Association (Office) के पास जमा होकर नारेबाजी करने लगे। इस बीच कुछ वकीलों ने कचहरी परिसर में तोड़फोड़ शुरु कर दी। शाम करीब पौने छह बजे एल्डर कमेटी ने Kanpur Bar Association के Election को रद्द कर दिया। इसके बाद वकीलों का हुजूम कचहरी परिसर से बाहर निकलकर सड़क पर आ गया।

शताब्दी गेट पर हवाई फायरिंग से बिगड़ा माहौल

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शताब्दी गेट के पास वकीलों की भीड़ जमा हुई। कुछ देर तक नारेबाजी होती रही उसके बाद हवाई फायरिंग शुरु हो गई। बताया जा रहा है कि एक गोली गौतम दत्त नाम के वकील के पेट में लग गई। लहूलुहान हालत में गौतम को LLR (Hospital) ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान गौतम दत्त की मौत हो गई। अधिवक्ता के मौत की खबर मिलते ही प्रशासन अलर्ट हो गया। अधिकारियों ने कचहरी परिसर की सुरक्षा कड़ी कर दी। करीब दर्जन भर थानेदारों को तत्काल मौके पर बुलवा लिया गया। हैलट में भी भारी पुलिस बल की मौजूदगी पूरी रात बनी रही। कई अधिवक्ता देर रात तक पोस्टमार्टम कराने के लिए हंगामा करते रहे।

एल्डर्स कमेटी ने माइक पर लगाई जान बचाने की गुहार

एल्डर कमेटी ने जब चुनाव रद्द करने का फैसला सुनाया तो वकीलों के एक गुट ने जमकर उपद्रव किया। एल्डर कमेटी के सदस्यों के साथ वकीलों ने जमकर अभद्रता की। लाइब्रेरी में भी वकीलों ने तोड़फोड़ कर कुर्सियां फेंक दीं। हालात इतने बेकाबू हो गए कि एल्डर कमेटी के लोग माइक पर जान बचाने के लिए पुलिस से गुहार करते रहे। जैसे-तैसे एल्डर्स कमेटी के लोग अपनी जान बचाकर कचहरी परिसर से बाहर निकले।

बाहरी अराजकतत्वों के प्रवेश पर आक्रोशित हैं वकील

Kanpur Bar Association (KBA) के वार्षिक चुनाव में खूनी हिंसा के बाद वकील खासे आक्रोशित हैं। वकीलों का कहना है कि संगठन के चुनाव में बाहरी अराजकतत्वों का आखिर क्या काम...??? सैकड़ों की संख्या में बाहरी अराजकतत्व कई प्रत्याशियों के समर्थन में देखे जा रहे थे। वकीलों का तर्क है कि चुनाव की प्रक्रिया में अधिकांशत: वही वकील हिस्सा ले रहे हैं प्रैक्टिस नहीं करते हैं या फिर उनके अन्य कारोबार हैं। जबकि प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के पास चुनाव लड़ने के लिए न तो धन है, न ही बाहुबल और न ही समय। इस पीड़ा को कई वकीलों ने सोशल मीडिया पर भी व्यक्त किया है।

फिर Fail हो गई लोकल इंटेलीजेंस

लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (LIU) एक बार फिर से फेल साबित हुई। KBA के वार्षिक चुनाव में तनावपूर्ण हालात कई दिनों से बने थे। खुद इसकी आशंका तमाम अधिवक्ता भी जता रहे थे कि चुनाव में सबकुछ इस बार ठीक-ठाक नहीं रहेगा और वही हो गया। लेकिन इन सब के बीच खुफिया इकाई एक बार फिर से फेल साबित हुई। वह भी तब जब कुछ महीना पहले ही कचहरी परिसर में कई राउंड गोलियां चलीं थी। उसके बाद भी न तो खुफिया अलर्ट रही और न ही कोतवाली पुलिस। पुलिस की मौजूदगी में शताब्दी गेट पर अराजकतत्व हवाई फायरिंग करते रहे।

 

South City के नौबस्ता में लूटपाट की कोशिश
लुटेरों से भिड़ गए अधिवक्ता और उनकी पत्नी
मोर्चा लेकर एक लुटेरे को अधिवक्ता ने पकड़ा
पुलिस ने शांति भंग की धारा में किया चालान
    (पीड़ित अधिवक्ता Manoj Mishra)
Yogesh Tripathi

Kanpur के नौबस्ता थाना एरिया स्थित हनुमंत बिहार में अधिवक्ता Manoj Mishra (Guddu) के साथ असलहों से लैस बदमाशों ने लूटपाट की कोशिश की। अधिवक्ता और उनकी पत्नी लुटेरों से मोर्चा लेकर भिड़ गए। इस पर दो लुटेरे भाग निकले। अधिवक्ता ने करीब 500 मीटर की दूरी तक पीछा कर तीसरे लुटेरे को दबोच पुलिस के हवाले कर दिया। अधिवक्ता Manoj Mishra का आरोप है कि पुलिस ने लुटेरे को CRPC की धारा 151 के तहत लिखापढ़ी कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर ली। 
Kalyanpur के रावतपुर (रोशन नगर) निवासी Manoj Mishra अधिवक्ता हैं। बकौल Manoj Mishra शनिवार शाम भाई दूज पर वह पत्नी ज्योतिका और दो बच्चों संग बाइक से नौबस्ता स्थित अपनी ससुराल गए थे। रात करीब 9 बजे लौटते समय हनमंत विहार मोहल्ले में परमार ट्रेडिंग कंपनी के पास बाइक सवार तीन बदमाशों ने Manoj Mishra की गाड़ी को ओवरटेक कर अपनी बाइक आगे लगा दी। पीछे बैठे बदमाश ने पत्नी के गले से मंगलसूत्र छीनने का प्रयास किया लेकिन वह साड़ी को गले में लपेटकर बचाती रहीं। 
मनोज बाइक से उतरने लगे तो अन्य दोनों ने तमंचा तानकर मारपीट Start कर दी। बच्चे दहशत में रोने-बिलखने लगे। तभी वहां से गुजर रहे दो बाइक सवार पहुंचे। लुटेरों के पास तमंचा देख थोड़ी दूर रुक गए और पथराव करने लगे। खुद को घिरा देख तीनों लुटेरे भागे। Manoj ने पत्नी और बच्चों को वहीं छोड़कर लुटेरों का 500 मीटर तक पीछा कर एक को दबोच लिया। इसके बाद अधिवक्ता ने एक बड़े अधिकारी को उनके Mobile (CUG) पर सूचना दी। थोड़ी देर बाद पुलिस पहुंची और बदमाश को अपनी कस्टडी में ले लिया। 
पुलिस के जाते ही बदमाश के दोनों साथी फिर मौका-ए-वारदात पर पहुंचे और अधिवक्ता और उनके परिवार को घेर लिया। इस पर मनोज ने अपर पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरि से मदद मांगी। इसके बाद नौबस्ता थाने की फोर्स पहुंची और पीड़ित को किसी तरह से वहां सुरक्षित निकाला। अधिवक्ता Manoj Mishra का आरोप है कि जान जोखिम में डालकर उन्होंने बदमाश को पकड़ा और पुलिस ने शांतिभंग में कार्रवाई कर दी। Naubasta (SHO) सतीश सिंह का कहना है कि लूट के प्रयास में गिरफ्तारी नहीं थी। इसलिए शांतिभंग में कार्रवाई की। पीड़ित की तहरीर पर Sunday की शाम को संबंधित धाराओं में FIR रजिस्टर्ड की गई है। 
  • दो दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों के घायल होने की खबर
  • जेल के मुख्य गेट पर उपद्रवी बंदियों ने किया कब्जा
  • तीन घंटे तक जेल में उपद्रव करते रहे उपद्रवी बंदी
  • कई थानों की फोर्स के साथ Police Officer’s जेल पहुंचे
  • टीबी की बीमारी से बंदी की मौत के बाद भड़के साथी बंदी

जेल परिसर में दाखिल होने से पहले बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते SP अशोक कुमार मीणा।

Yogesh Tripathi

Uttar Pradesh के Farrukhabad जनपद में संडे की सुबह टीबी की बीमारी से संक्रमित बंदी की मौत के बाद फतेहगढ़ जेल में बंदियों ने जमकर उपद्रव किया। बंदियों ने जेल अस्पताल को फूंक दिया। तोड़फोड़ के बाद बंदी रक्षकों को निशाना बनाकर पथराव किया गया। फतेहगढ़ जेल के मुख्य गेट पर भी बंदियों ने कब्जा कर लिया। उपद्रवियों को काबू में करने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। Police Officer’s का कहना है कि बंदियों के हमले में करीब दो दर्जन पुलिस के जवान घायल हुए हैं। कुछ बंदियों के भी घायल होने की खबर है। अधिकारी फायरिंग की बात से साफ इनकार कर रहे हैं। फायर बिग्रेड के जवानों ने मौके पर पहुंचकर जेल अस्पताल में लगी आग पर काबू पाया।

घटनाक्रम के मुताबिक फतेहगढ़ जिला जेल में टीबी की बीमारी से ग्रसित बंदी संदीप सिंह (29) की सैफई अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। संडे की सुबह बंदियों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरु कर दिया। बंदी रक्षकों ने बवाल कर रहे बंदियों को किसी तरह शांत कराने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। आक्रोशित बंदियों ने तोड़फोड़ कर पथराव शुरु कर दिया। पथराव से जेल परिसर में भगदड़ मच गई।

 

जेल के अंदर दाखिल होने का प्रयास करते दमकल कर्मी।  
 

कंट्रोल रूम की सूचना पर कई थानों की फोर्स जिला जेल पहुंच गई। पुलिस के पहुंचने से पहले बंदियों ने जेल परिसर में पूरी तरह से कब्जा करने के बाद मुख्य गेट पर भी कब्जा कर लिया। इस बीच कुछ बंदियों ने जेल अस्पताल में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। आग की लपटें बेकाबू हुईं तो अफसरों के हाथ-पांव ठंडे पड़ गए। 

जेल के मुख्य गेट पर तैनात पुलिस बल।

जेल के अंदर उपद्रव कर रहे बंदियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की। जिससे बंदी अपनी बैरकों में दुबक गए। मऊदरवाजा थाने में तैनात सिपाही जितेंद्र कुमार और राजेपुर थाना क्षेत्र के लहरापुर गांवनिवासी बंदी शिवम घायल हो गए। दोनों को उपचार के लिए लोहिया अस्पताल भेजा गया। बंदी का कहना है कि जब वह गेट बंद कर रहा था तब उसे गोली मारी गई। जेल में उपद्रव की खबर मिलते ही डीएम संजय कुमार सिंह भी पहुंचे। डीएम का कहना है कि हालात अब पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। ताकि यह पता चल सके कि जेल में उपद्रव क्यों हुआ

घायल बंदी और पुलिस कर्मी को लेकर जाते सब इंस्पेक्टर।

SP अशोक कुमार मीणा ने फायरिंग और लाठीचार्ज से इनकार करते हुए कहा कि बंदियों के हमले में करीब 30 पुलिस कर्मी जख्मी हैं। एसपी के मुताबिक उनको सुबह 9 बजे डिप्टी जेलर ने सूचना देते हुए बताया कि जेल के अंदर बंदी उपद्रव कर रहे हैं। डिप्टी जेलर ने फोर्स की मांग की। जब वह फोर्स के साथ जेल पहुंचे तो वहां पर बंदियों का पूरी तरह से कब्जा था।

SP के मुताबिक आवश्यक बल प्रयोग कर उपद्रवियों को जेल के अंदर किया गया। हमले में 30 पुलिस कर्मी जख्मी हो गए। सभी का मेडिकल कराया जा रहा है। छानबीन में पता चला है कि सुबह चाय वितरित की जा रही थी। तभी बंदियों ने डिप्टी जेलर शैलेश सोनकर हमला कर दिया। इसके बाद बवाल बढ़ गया। बंदियों ने जेल अस्पताल में तोड़फोड़ कर आगजनी की। उपद्रव के दौरान बंदी शिवम खुद ही घायल हो गया। उसे गोली नहीं लगी है।

उधर, जिला जेल अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अंकित यादव का कहना है कि संदीप सिंह को सांस लेने में तकलीफ थी। पहले उसका इलाज जेल के अस्पताल में किया गया लेकिन जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो उसे सैफई मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया था। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

  • Chitrakoot Police के अभिलेखों में रजिस्टर्ड गैंग का आखिरी सरगना था गौरी
  • 22 साल की उम्र में दस्यु सम्राट ददुआ के गिरोह में शामिल हुआ था Gauri Yadav
  • STF के लिए मुखबिरी करने वाला गौरी आखिर में खुद ही "शिकार" हो गया
  • Delhi Police के दरोगा की हत्या के बाद गौरी गिरोह की बढ़ी थी दहशत
  • रंगीना मिजाजी और STF के खिलाफ मोर्चाबंदी बनी Encounter की वजह
  • गौरी की मौत के बाद पाठा के जंगलों में नहीं बचा कोई रजिस्टर्ड गिरोह


Yogesh Tripathi

दस्यु सरगना उदयभान सिंह यादव उर्फ गौरी यादव के Encounter में ढेर हो जाने के बाद भगवान श्रीराम की तपोभूमि Chitrakoot दस्यु गिरोह से पूरी तरह मुक्त हो गई। चित्रकूट पुलिस के अभिलेखों में गौरी यादव का गिरोह एक मात्र रजिस्टर्ड गैंग था। दो दशक तक UPSTF के लिए मुखबिरी करने वाला दस्यु सरदार गौरी यादव अंत में खुद ही STF की गोलियों का शिकारहो गया। गौरी यादव की मां रजनी देवी का कहना है कि उसके बेटे को अक्सर STF साथ लेकर जाती थी। बकौली रजनी देवी उसने 6 साल से गौरी का मुंह नहीं देखा है। कम से कम पुलिस आज उसकी लाश ही दिखा दे। मैने उसको जन्म दिया था, अंतिम संस्कार भी मैं ही करूंगी।


Delhi Police के दरोगा की गांव में की थी हत्या

उदयभान सिंह उर्फ गौरी यादव ने करीब 21 साल पहले पाठा के जंगलों में उतरा था। उस समय दस्यु सम्राट ददुआ और ठोकिया गिरोह की तूती बोलती थी। बगैर चौथ दिए तेंदु के पत्तों की तुड़ाई और सरकारी विकास कार्य कोई भी ठेकेदार नहीं करवा पाता था। गौरी पहले ददुआ गिरोह में शामिल हुआ। हालांकि वह ददुआ गिरोह का सक्रिय सदस्य नहीं बन पाया। इस बीच STF Officer’s की नजर गौरी पर पड़ी। चर्चाओं की मानें तो गौरी ने लंबे समय तक STF के लिए मुखबिरी की। करीब-करीब हर बड़े दस्यु गिरोह के Encounter में गौरी की अहम भूमिका रही। वर्ष 2013 में दबिश के लिए पहुंची दिल्ली पुलिस पर हमला कर गौरी ने दरोगा की हत्या कर सर्विस रिवाल्वर लूट ली थी। वर्ष 2016 में गौरी यादव ने गोपालगंज में तीन ग्रामीणों को बिजली के खंभे से बांधकर गोली मार दी थी। इसके बाद UP Police के तत्कालीन DGP जावीद अहमद ने गौरी के सिर पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। 2017 में गौरी ने एक बार फिर दरिंदगी दिखाते हुए कोल्हुआ के जंगलों में तीन ग्रामीणों को पेड़ से बांधकर जिंदा फूंक दिया था। 


2005 में गौरी ने खड़ा किया अपना गिरोह

STF की मुखिबरी करते-करते गौरी यादव के हौसले बुलंद होते गए। तमाम छोटी-मोटी वारदातें गौरी और उसके गुर्गों ने क्षेत्र में कर दहशत फैलाना शुरु कर दिया। 13 साल पहले ददुआ और फिर उसके बाद ठोकिया का STF ने Encounter कर दिया। ठोकिया के मारे जाने के कुछ दिन बाद ही गौरी यादव Arrest हो गया था। हालांकि कुछ महीने बाद ही वह जमानत पर फिर जेल से बाहर आ गया। बलखड़िया और उसके बाद बबुली कोल के Encounter में मारे जाने के बाद गौरी यादव ने अपने गिरोह की ताकत और बढ़ा ली। इस बीच गिरोह ने कई वारदातों को अंजाम देकर चित्रकूट पुलिस और STF की सिरदर्दी बढ़ा दी।

 


चचेरे बहनोई के Encounter में कर रहा था पैरवी

31 मार्च 2021 को STF और चित्रकूट पुलिस ने गौरी यादव के चचेरे बहनोई भालचंद्र यादव को एनकाउंटर में मार गिराया था। बहनोई की मौत से तिलमिलाया गौरी यादव एनकाउंटर करने वाली टीम के खिलाफ पैरवी कर रहा था। सूत्रों की मानें तो वह लगातार वकीलों के संपर्क में भी था। इस बीच उसने यूपी विधान सभा के मद्देनजर मानिकपुर सीट पर भी अपनी निगाह गड़ा दी थी। उसका मुख्य मकदसद प्रत्याशियों से वसूली और किसी एक के पक्ष में फरमान जारी करना था। इसकी भनक लगने पर STF ने गौरी यादव पर नकेल कसनी शुरु कर दी। जिसकी वजह से कई बार मुठभेड़ हुई लेकिन गौरी बच निकला।

 


"सुंदरी" का शौकीन था दस्यु गौरी यादव

गौरी यादव के Encounter के लिए बेताब STF Team उसकी कमजोर कड़ियों को खोजने में लगी थीं। बताया जा रहा है कि दो विशेष किस्म के ड्रोन की भी मदद ली जा रही थी। गौरी शराब का नशा नहीं करता था लेकिन जो दूसरा सबसे बड़ा नशा था वो STF जानती थी। बताया जा रहा है कि सुंदरीके शौकीन गौरी यादव का मोबाइल भी STF ने सर्विलांस पर ले रक्खा था। चर्चा तो ये भी है कि सुंदरी का शौक गौरी की जिंदगी पर भारी पड़ गया।  


वर्ष 2016 में मां रजनी देवी को बनवाया प्रधान

Encounter में मारा गया गौरी यादव दस्यु सम्राट रहे ददुआ और ठोकिया के पदचिन्हों पर चल रहा था। यही वजह है कि वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव में उसने अपनी दबंगई के बल पर मां रजनी देवी को चुनाव में जीत दिलवा दी थी। 2021 में भी उसने चुनाव लड़वाया लेकिन जीत नसीब नहीं हुआ।