- “अपराध की पाठशाला” का “प्रिंसिपल” है D-2 सरगना अतीक
- 15 साल पहले रेलवे के “विश्रामालय” लगती थी D-2 सरगना अतीक की “पंचायत”
- तत्कालीन ADG (L/O) ब्रजलाल ने Lucknow रेलवे स्टेशन पर मारा था छापा
- सरगना से मिलीभगत की वजह से कई पुलिस कर्मचारी हुए थे सस्पेंड
- सिद्धार्थनगर जेल से आते समय लखनऊ स्टेशन के विश्रामालय में ठहरता था अतीक
- गिरोह के अपराधिक कृत्यों को देख D-2 को IS-273 (इंटर स्टेट) पर पंजीकृत किया
D-2 गैंग सरगना अतीक अहमद (फोटो साभार-पुलिस) |
Yogesh Tripathi
पहले तौफीक उर्फ बिल्लू का Encounter फिर रफीक की न्यायिक रिमांड के दौरान पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद D-2 गैंग बैकफुट पर आ गया। एनकाउंटर के खौफ से अतीक भागा-भागा फिर रहा था। राजधानी दिल्ली के लक्ष्मीनगर को उसने महफूज ठिकाना बनाया। दिल्ली में बैठकर उसने गैंग को फिर से खड़ा करने की कोशिश Start की। STF & Crime Branch के सर्विलांस सेल के साथ मुखिबर तंत्र के Active रहने से वह अधिक दिनों तक महफूज नहीं रह सका। लोकेशन महज कुछ महीने में ही ट्रेस हो गई। Kanpur के तत्कालीन SSP आलोक कुमार सिंह ने तेजेंद्र सिंह और ऋषिकांत शुक्ला की अगुवाई में एक पुलिस टीम गठित कर D-2 सरगना की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली रवाना की। इस टीम ने दिल्ली क्राइम ब्रांच के स्पेशल सेल की मदद से लक्ष्मी नगर एरिया में अतीक को Arrest कर लिया गया। कानूनी झंझावतों से बचने के लिए अतीक को दिल्ली की कोर्ट में पेश किया गया। उसके बाद Kanpur Police बी-वारंट के जरिए अतीक को शहर लाई। जेल में अतीक और उसके गिरोह की धमक को देखते हुए उसे सिद्धार्थनगर की कारागार में शिफ्ट किया गया।
रेलवे के “विश्रामालय” को बना लिया अपना “अड्डा”
जानकार पुलिस अफसरों की मानें तो शातिर दिमाग अतीक ने सिद्धार्थनगर की जेल में रहने के दौरान अपनी हनक बना ली। कानपुर लेकर आने वाले पुलिस कर्मचारियों से साठगांठ कर वह लखनऊ रेलवे स्टेशन के “विश्रामालय” में ठहने लगा। यहां पर उसके गुर्गे पहुंचते थे और अपराध जगत की तमाम बड़ी “पंचायत” अतीक निपटाने लगा। कई बार उसने कूटरचित दस्तावेजों के जरिए भी अपनी पेशी करवाई। “विश्रामालय” में भी वह “सिस्टम” के जरिए ठहरता था।
इसकी भनक जब तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) ब्रजलाल को लगी तो वह खुद को मातहतों के साथ छापा मारने पहुंच गए। गुर्गे तो भाग निकले लेकिन अतीक और उसको लाने वाले कई पुलिस कर्मचारी मौके पर मिल गए। पुलिस कर्मियों को तत्काल सस्पेंड किया गया। छानबीन में पता चला कि अतीक न सिर्फ तमाम बड़ी पंचायतों को निपटाता था बल्कि वह वहीं से पूरे गैंग को ऑपरेट करने लगा था। कई पुलिस अफसरों को भी उसने “रडार” पर लेने का निर्देश गुर्गों को दे रक्खा था। सिर्फ Uttar Pradesh ही नहीं बल्कि दूसरे प्रातों के तमाम बड़े गिरोहों से भी उसके कनेक्शन मिले। गैंग के खतरनाक मंसूबों और अपराधिक गतिविधियों को देख अफसरों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। बस यहीं से Kanpur का D-2 गिरोह अंतर्राज्यीय गैंग बन गया। तत्कालीन ADG (L/O) ब्रजलाल के निर्देश पर इस गिरोह को इंटर स्टेट (IS-273) के तौर पर पंजीकृत किया गया।
आगरा जेल में शिफ्ट किया गया सरगना अतीक
Lucknow रेलवे स्टेशन के “विश्रामालय” में छापेमारी के बाद अफसरों ने आनन-फानन में अतीक को सिद्धार्थनगर से आगरा की जेल में शिफ्ट कर दिया। लंबे समय से अतीक आगरी की जेल में ही बंद है। अतीक का एक भाई बाले कानपुर की जेल में है, गिरफ्तारी के बाद अफजल को भी कानपुर जेल भेजा गया है।
“अपराध की पाठशाला” का “प्रिंसिपल” है अतीक
www.redeyestimes.com (News Portal) से बातचीत में एक Police Officer’s ने गिरोह से जुड़ी तमाम जानकारियों को साझा करते हुए बताया कि अतीक को आप “अपराध की पाठशाला” का “प्रिंसिपल” है। या यूं कहें कि अतीक के पास किसी को बदमाश बनाने का “जादू” है। ब्रेन को वाश करने में भी एक्सपर्ट है। अतीक का हैदराबादी “सिस्टम” बेजोड़ है। यही वजह रही कि इस गिरोह में एक से बढ़कर एक खूंखार अपराधी और शार्प शूटर्स हुए। समीम दुरंगा, संजय गुप्ता, शानू बॉस, हसीन टुंडा, मोनू पहाड़ी, रईस बनारसी, अमजद बच्चा समेत दर्जन भर से अधिक शूटर्स अतीक के “अपराध की पाठशाला” से ही निकले। हालांकि बाद में ये सभी पुलिस के हाथों मारे भी गए।
सरगना पर बॉलीवुड में फिल्म “बाबर” भी बन गई
D-2 गिरोह सरगना अतीक की जड़ें मुंबई में किस कदर फैली हैं कि इसका अंदाजा
इस बात से लगाया जा सकता है कि गिरोह पर एक फिल्म भी बॉलीवुड में बन गई। फिल्म का
नाम था “बाबर”
। जानकारों की मानें
तो फिल्म में तमाम से गलत तथ्यों को भी प्रस्तुत किया गया। फिल्म में सरगना की छवि
को अलग तरह से पेश कर उसके साथ बचपन में ज्यादती दिखाई गई है। जानकारों की मानें
तो “बाबर” फिल्म की पूरी “कहानी” सरगना के इशारे पर
लिखी गई। बाद में इसी पर फिल्म भी बन गई। इस फिल्म के तमाम हिस्सों को कानपुर में
ही शूट किया गया। शहर के मुस्लिम एरिया की तमाम तंग गलियों में शूटिंग इसकी गवाही
है। फिल्म में शक्ति कपूर, ओमपुरी और मिथुन चक्रवर्ती जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया।
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