Lok Sabha Election 2019 : किदवईनगर के Ex.MlA  अजय कपूर और UPA के कार्यकाल में गृहराज्यमंत्री और केंद्रीय कोयला मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल के “रिश्तों की चासनी” Kanpur में जग जाहिर है। दोनों के बीच राजनीतिक तल्खी लंबे समय से है। ये तल्खी तब और बढ़ गई जब Congress हाईकमान ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तगड़ी तैयारी कर रहे अजय कपूर को टिकट न देकर “राजनीतिक लंगड़ीं” मार दी। श्रीप्रकाश जायसवाल का टिकट Final होते ही अजय समर्थकों में मायूसी छा गई। सोशल मीडिया के जरिए अजय कपूर के समर्थक न सिर्फ नाराजागी जाहिर करते दिखे बल्कि उनके सपा से प्रत्याशी बनाए जाने की खबरें भी चर्चा में आ गई। हालांकि अजय कपूर की तरफ से इन सब बातों को लेकर न तो कोई सफाई दी गई और न ही कोई जवाब। अंदरखाने से खबरें आ रही है कि दोनों के बीच बढ़ी रार को खत्म कराने के लिए एक “बड़ा सिस्टम” एक्टिव है। जानकार सूत्रों की मानें तो ये श्रीप्रकाश और अजय कपूर की रार को खत्म कराने के लिए इसी “सिस्टम” ने पहल की। कानपुर के इन दो बड़े कांग्रेसी दिग्गजों के बीच रार खत्म हुई कि नहीं ? इसका जवाब शनिवार सुबह तब मिल गया जब सपा ने जैसे ही मनोहर लाल के बेटे रामकुमार निषाद को सपा से अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया। देर रात तक दोनों ही नेताओं से संपर्क करने की कोशिश Portal  की तरफ से की गई लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका। हालांकि पुख्ता खबर ये है कि कांग्रेस ने Kanpur में अपने "डैमेज" को "कंट्रोल" कर लिया है।


[caption id="attachment_19186" align="aligncenter" width="413"] रामकुमार निषाद (सपा-बसपा गठबंधन), प्रत्याशी कानपुर लोकसभा।[/caption]

YOGESH TRIPATHI


[caption id="attachment_19184" align="aligncenter" width="600"] अजय कपूर (पूर्व विधायक, किदवईनगर विधान सभा)[/caption]

एक दिल्ली तो दूजा वैष्णव माता के दरबार में


अजय कपूर को लेकर शुक्रवार पूरे दिन खबर रही है कि वो हाईकमान (राहुल गांधी) से मिलने दिल्ली पहुंच चुके हैं। www.redeyestimes.com के पास जो जानकारी है उसके मुताबिक अजय कपूर कानपुर से अपने अंगरक्षकों के साथ ही निकले। वहीं श्रीप्रकाश को लेकर उनके समर्थक पूरे दिन ये कहते रहे कि वो माता वैष्णव देवी के आशीर्वाद के लिए जम्मू में हैं। अजय कपूर के समर्थकों में देर रात्रि तक बेचैनी रही। देर रात्रि तक कयासबाजी का दौर चला।

अजय कपूर को मिल सकता है कांग्रेस में बड़ा पद


अंदरखाने से जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक अजय कपूर की नाराजगी को दूर करने के लिए जल्द ही उनको कांग्रेस कमेटी में बड़ा पद मिल सकता है। हालांकि शुक्रवार रात को कांग्रेस के नेशनल प्रेसीडेंट राहुल गांधी से अजय कपूर की मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन इस बीच सबकुछ ऑनलाइन चलता रहा। खबर है कि इस पूरे सिस्टम के पीछे कहीं न कहीं राहुल गांधी की तरफ से सिग्नल था कि Kanpur में सबकुछ ठीक होना चाहिए। माना ये भी जा रहा है कि कार्यकर्ताओं और जनता के बीच एक अच्छा मैसेज देने के लिए संभव है कि दोनों ही दिग्गज मीडिया से भी मुखातिब हो सकते हैं। हालांकि श्रीप्रकाश जायसवाल और अजय कपूर की तरफ से अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है।

बीजेपी के खेमें में बढ़ी बेचैनी


बदले राजनीतिक समीकरण में सबसे अधिक बेचैनी सिर्फ और सिर्फ बीजेपी में ही देखी जा रही है। सिर्फ अजय कपूर के समर्थक ही नहीं बल्कि बीजेपी के दिग्गज भी यही मानकर चल रहे थे कि अजय कपूर सपा-बसपा गठबंधन के टिकट पर कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। यदि अजय कपूर चुनाव लड़ते तो उसका सीधा एडवांटेज बीजेपी प्रत्याशी को होता। सपा ने शनिवार सुबह प्रत्याशी के नाम की घोषणा की तो बीजेपी नेताओं और समर्थकों में मायूसी छा गई है। कांग्रेसी दिग्गज ये मानकर चल रहे हैं कि सपा ने जो प्रत्याशी उतारा है वो डमी है और 20 से 25 हजार के बीच ही वोट पा सकेगा। लेकिन यदि अजय कपूर चुनाव लड़ते तो ये सारे समीकरण बिगड़ जाते। मुस्लिम वोटों का भी तगड़ा ध्रुवीकरण होता और चुनाव श्रीप्रकाश के हाथ से फिसल सकता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

पूरी “कहानी” के पीछे दूसरे दल के दिग्गज


अंदरखाने से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक एक दूसरे राजनीतिक दल के दिग्गज की वजह से ये सबकुछ संभव हो सका है। इस दिग्गज ने दिल्ली में बैठे एक ताकतवर नेता को विश्वास में लेने के बाद सारे “समीकरण” बैठाए। दो दिग्गजों के बीच “समीकरण” बैठाने वाले “महाराथी” मुंबई में मौजूद रहे ताकि किसी तरह के “राजनीतिक बवंडर” से बचा जा सके। बताया जा रहा है कि राजनीति के इस “महारथी” ने एक “तीर” से कई “शिकार” किए हैं। जल्द ही इसका व्यापक असर कानपुर की राजनीति में देखने को मिलेगा।

 

 
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