- पीड़ित की शिकायत और Portal की खबर को अफसरों ने लिया था संज्ञान में
- तत्कालीन DM (Kanpur Naga) ने गठित की थी तीन सदस्यीय SIT (Team)
- कानूनगो से लेखपाल बनाए गए Alok Dubey के खिलाफ दर्ज है FIR
- जांच और छानबीन में करोड़ों रुपए की तीन दर्जन से अधिक संपत्तियों का पता चला
Yogesh Tripathi
“शासन और प्रशासन हमारे
अंगुलियों पर नाचता है… पैरवी करना छोड़ दो नहीं तो तुम लोगों को दुनिया छोड़नी पड़ेगी...
अगर फिर तुम लोग कचहरी या वकीलों के बस्ते पर दिखे...मां-बहन की भद्दी-भद्दी
गालियां... तुम्हारे परिवार को बर्बाद कर दूंगा...तेरी लाश का पता नहीं चलेगा...
चल यहां से चला जा तू अब नहीं तो जान से जाएगा...” फिल्मी स्टाइल में अधिवक्ता संदीप
सिंह को धमकी देने वाले Kanpur के राजस्व
कर्मचारी Alok
Dubey पर अंतत: कार्रवाई का “हंटर” चल गया। DM (Kanpur Nagar) के आदेश पर इस राजस्व कर्मचारी (कानूनगो)
का डिमोशन कर उसे लेखपाल बना दिया गया है। खास बात ये है कि इस भ्रष्ट “सरकारी कर्मचारी” के पास करोड़ों रुपए के कीमत की करीब
40 संपत्तियों का भी पता चला है। कानूनगो से लेखपाल बने इस भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ FIR पहले से ही दर्ज है। जल्द ही पुलिस Case की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर सकती
है। रडार पर लेखपाल Aruna Dwivedi भी हैं। देर सबेर ही सही कार्रवाई उन पर भी तय मानी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि 3 दिसंबर 2024 को www.redeyestimes.com (News Portal) ने राजस्व कर्मचारी Alok Dubey और लेखपाल Aruna Dwivedi के सरकारी पदों पर बैठकर दान-विलेख की संपत्ति के अभिलेखों में हेरफेर कर बेशकीमती जमीनों को खरीदने और बेचने की खबर को प्रकाशित किया था। News Portal की खबर को तत्कीलन जिलाधिकारी ने संज्ञान में लेते हुए तीन सदस्यीय SIT गठित की थी। इस टीम में एडीएम (न्यायिक), एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली शामिल थे। तीनों अफसरों ने लंबी जांच के बाद Report जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी थी। जिसके बाद सबसे पहले संलिप्त सरकारी कर्मचारी के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड हुई और अब उसका डिमोशन कर लेखपाल बना दिया गया है।
ग्राम कला का पुरवा, (रामपुर भीमसेन), थाना सचेंडी (कमिश्नरेट पुलिस) कानपुर निवासी अधिवक्ता संदीप सिंह ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी और बाद में जानमाल की धमकी मिलने के पूरे प्रकरण की शिकायत सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिंह, गृहसचिव, उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया, जिलाधिकारी, कमिश्नर को पत्र लिखकर की थी। तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। अपर जिलाधिकारी न्यायिक (अध्यक्ष), उप जिलाधिकारी (सदर) (सदस्य) और सहायक पुलिस आयुक्त (कोतवाली) सदस्य थे।
अधिवक्ता संदीप सिंह
जुबानी, ये है फर्जीवाड़े की पूरी कहानी
ग्राम कला का पुरवा,
(रामपुर भीमसेन), थाना
सचेंडी, कानपुर
निवासी संदीप सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया था कि
उनकी दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा ने प्रार्थी व उसके भाई
प्रदीप सिंह, पिता
बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह को अपनी कृषि भूमि की रजिस्टर्ड
वसीयत 31/05/2013 को की थी। स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला ने 17/07/2013 को पंजीकृत
दान विलेख के जरिए अन्य भूमि/संपत्तियों के साथ-साथ एक और ग्राम सिंहपुर कठार
स्थित आराजी संख्या 207/1.0990 हेक्टेयर तथा रामपर भीमसेन स्थित आराजी संख्या 895/1.7580
हेक्टयर की भी लिखापढ़ी की थी। दादी की रजिस्टर्ड़ वसीयत और दान विलेख के जरिए
मिली संपत्तियों का प्रार्थी संदीप सिंह, उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक
सिंह निर्विवाद रूप से मालिक हैं और अभी तक उक्त संपत्तियों की देखरेख व कृषि
योग्य भूमि पर खेती करते आ रहे हैं।
संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी W/O रघुवीर सिंह ने इस वसीयत के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिवीजन (कानपुर नगर) की कोर्ट में मूलवाद संख्या 2550/2013 राजपति देवी बनाम बीरेंद्र सिंह आदि का वाद दाखिल किया। बाद में श्रीमती राजपति ने खुद ही यह वाद कोर्ट में वापस ले लिया। राजपित देवी ने दादी स्वर्गीय मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा के पंजीकृत दान विलेख के खिलाफ सिविल जज (जूनियर डिवीजन) / एफ.टी.सी कोर्ट में मूलवाद संख्या 1368/2013 को प्रस्तुत किया। इस वाद को भी श्रीमती राजपति देवी ने कोर्ट में मौजूद रहकर वाद को वापस ले लिया।
संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी और राजकुमारी देवी ने प्रार्थी की दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला के रजिस्टर्ड वसीयत को छिपाकर धोखाधड़ी करते हुए उक्त कृषि योग्य भूमि को अपने नाम सरकारी अभिलेखों में चढ़वाने के लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट में वाद हल्का लेखपाल अरुणा दिवेदी मकान नंबर 14-B बाबा नगर नौबस्ता, कानपुर और तहसील राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे S/O स्वतंत्र कुमार दुबे R/O एलआइजी 17, दयानंद विहार फेस-1, कल्याणपुर, कानपुर नगर की साठगांठ से प्रस्तुत किया। इस दौरान प्रार्थी के मुकदमें अलग कोर्ट में चल रहे थे। जिसे भी राजकुमारी और राजपित देवी ने नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट से छिपा लिया। नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट ने एक पक्षीय आदेश 11/03/2024 राजपति देवी और राजकुमारी के पक्ष में सुनाते हुए भूमि को उनके नाम पर सरकारी अभिलेखों में अंकित करने का आदेश जारी किया।
चूंकि स्थानीय लेखपाल अरुणा
दिवेदी और राजस्व कर्माचारी आलोक दुबे की की साठगांठ पहले से थी, इस लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट ने 11/03/2024 जब एक पक्षीय आदेश
दिया तो राजपति देवी, राजकुमारी ने स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और
राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे को उसी दिन अर्थात 11/03/2024 को फर्जी और कूटरचित
दस्तावेजों के आधार पर आराजी संख्या 895 का जुज रक्बा 0.3070 का दोनों के हक में
बैनामा कर दिया। 12/03/2024 को राजकुमारी देवी ने राजपति के हक में अवैध तौर पर
दानपत्र भी निष्पादित कर दिए। इतना ही नहीं श्रीमती राजपति ने अन्य आराजियों का भी
अवैध तौर पर विक्रय अनुबंध पत्र अरुणा व आलोक के हक में कर दिया।
संदीप सिंह का आरोप है कि करीब पांच महीने बाद स्थानीय लेखपाल रहीं अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे ने उपरोक्त सभी भूमि 06/08/2024 को कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी करते हुए सभी कागजातों को वैध बताकर मालिकाना हक आर.एन.जी इंफ्रा R/O 15/78 सिविल लाइंस कानपुर नगर के भागीदार अमित गर्ग S/O स्वर्गीय प्रेम नारायण गर्ग से साठगाठ करके एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत फर्जी विक्रयनामा आर.एन.जी इंफ्रा के पक्ष में विक्रयनामा निष्पादित कर विक्रय कर दिया।
आरोप है कि इसी तरह लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्माचारी आलोक दुबे ने प्रार्थी संदीप सिंह व अन्य परिजनों की ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207 रक्बा 0.5495 हेक्टेयर का कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से दिनांक 16/05/2024 को अपने हक में फर्जी विक्रय पत्र निष्पादित करवा लिया। जबकि उपरोक्त आराजी संख्या 207 पर श्रीमती राजपति देवी और राजकुमारी का किसी भी प्रकार का मालिकाना हक नहीं था।
Sandeep Singh का आरोप है कि राजपति देवी, राजकुमारी देवी ने अपने परिजनों और लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील
कर्मचारी आलोक दुबे व अमित गर्ग ने आपसी सांठगांठ कर सुनियोजित षडयंत्र के तहत
आर्थिक लाभ प्राप्त करने की नीयत से फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों को तैयार कर
उपरोक्त सभी भूमि का बैनामा करवा लिया। सभी लोगों ने गिरोह बनाकर कूटरचित कागजातों
के जरिए न सिर्फ फर्जी बैनामा करवाया बल्कि प्रार्थी व उसके परिजनों को आर्थिक और
मानसिक अपूर्णनीय भी पहुंचाई है। जिसके लिए उपरोक्त सभी लोग जिम्मेदार हैं।
मुख्यमंत्री को भेजे गए
शिकायती पत्र में Sandeep
Singh ने आरोप लगाया है कि लेखपाल
अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे एक संगठित गिरोह बनाकर सरकारी पद का
दुरुपयोग करते हुए भू-माफियाओं और सफेदपोश लोगों का रुपया लगवा कर जमीनों की
खरीद-फरोक्त का धंधा भी करते हैं। आलोक दुबे ने बिठूर में रिंगरोड के पास कई बीघा
भूमि अपने परिजनों के नाम पर पहले खरीदी और बाद में उसकी बिक्री की। कुछ जगहों का
मुआवजा भी उठा लिया।
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