चुनाव आयोग ने अभी 2019 के लोकसभा चुनाव का “शंखनाद” नहीं किया है लेकिन SP हो या फिर BSP, दोनों दलों में दिग्गजों ने बगावत का “शंखनाद” शुरु कर दिया है। गठबंधन के तहत Fatehpur की लोकसभा सीट बसपा के खाते में गई है। अंदर की खबर ये है कि बीएसपी सुप्रीमों यहां से अपनी सरकार में पूर्व मंत्री रहे एक दिग्गज को टिकट दे सकती हैं। लेकिन तगड़ा झटका सपा के पूर्व सांसद राकेश सचान को लगा है। 2014 में हार के बाद वे लगातार न सिर्फ फतेहपुर में सक्रिय थे बल्कि कार्यकर्ताओं और जनता का दुःख दर्द बांट रहे थे। खबर आ रही है कि जल्द ही जल्द ही वे कांग्रेस का “हाथ” थाम सकते हैं। हालांकि उनको ऑफर BJP की तरफ से भी है।


[caption id="attachment_18897" align="aligncenter" width="650"] राकेश सचान पूर्व सांसद (समाजवादी पार्टी, फतेहपुर)[/caption]

YOGESH TRIPATHI


5 साल से बूथ पर कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी की


फतेहपुर प्रतिनिधि के मुताबिक राकेश सचान 2014 का चुनाव हारने के बाद घर पर नहीं बैठे बल्कि कार्यकर्ताओं के साथ हमेशा खड़े रहे। जनता के बीच में रहे। सभी के सुख-दुःख में शामिल होते रहे। सपा हाईकमान ने भी उनको चुनाव लड़ने के लिए आश्वास्त कर रखा था। जब ये सीट बसपा के खाते में गई तो राकेश सचान ने सपा सुप्रीमों से बात की। कहा जा रहा है कि इसके बाद भी उनको यही आश्वासन मिला कि सबकुछ ठीक हो जाएगा।

BJP के भी संपर्क में है राकेश सचान


जानकार सूत्रों की मानें तो राकेश सचान सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में बराबर हैं। समर्थकों के साथ वे दिल्ली में ही डटे है। चर्चा ये भी है कि शिवपाल सिंह यादव की तरफ से भी उनको कुछ दिन पहले ऑफर मिला था लेकिन राकेश सचान ने हामी नहीं भरी। इसके बाद बीजेपी की तरफ से उनसे संपर्क किया गया लेकिन किसी दूसरी सीट के लिए।

डीएवी छात्रसंघ का चुनाव नहीं जीते लेकिन विधायक पहली बार में ही बने


राकेश सचान ने नब्बे के दशक में कानपुर के डीएवी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की। महामंत्री पद पर वे कई बार चुनाव लड़े लेकिन जीत नसीब नहीं हुआ। वर्ष वे जनता दल के टिकट पर घाटमपुर से पहली बार विधायक बने। जनता दल के टूटने के बाद वे सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह के करीब आ गए। 2002 में वह फिर विधायक बने। 2009 में मुलायम सिंह ने उनको फतेहपुर से लोकसभा का टिकट दिया और राकेश चुनाव जीतकर पहली बार संसद में पहुंचे। 2014 लोकसभा चुनाव में उनको मोदी लहर में करारी शिकस्त मिली थी।
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