"माननीयों" की मनमानी के चलते गोविंद नगर, किदवई नगर विधान सभा के अंतर्गत आने वाले सभी वार्डों के पार्षद प्रत्याशियों की सूची नहीं जारी की गई। अन्य विधानसभाओं में प्रत्याशियों के नाम तय हो चुके हैं लेकिन यहां पर यह काम भी नहीं हो सका है। सूत्रों की मानें तो यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो शुक्रवार दोपहर तक सूची जारी हो सकती है। कई सीटों पर विवाद इतना गहरा है कि संगठन के दिग्गज भी परेशान हैं।




YOGESH TRIPATHI

कानपुर। पार्षदी के टिकट के लिए “माननीयों” की मनमानी से आखिर गोविंदनगर और किदवईनगर विधान सभा की करीब तीन दर्जन सीटों पर BJP में “सियासी रायता” फैल ही गया। “सियासी रायता” फैलते ही UPBJP के “चाणक्य” का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने दोनों ही विधान सभा की सूची पूरी तरह से रोक दी। RSS के पदाधिकारी की मानें तो कई सीटों पर “माननीयों” ने इसे मूंछ की लड़ाई बना ली है। अंदरखाने की मानें तो मंगलवार को जिन 27 दावेदारों की प्रत्याशिता पर मुहर लगी थी, उसमें कई का पत्ता भी इन “माननीयों” ने साफ कर दिया है। बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच सबसे खास चर्चा यह रही कि दक्षिण बीजेपी की प्रेसीडेंट अनीता गुप्ता ने मीटिंग में न जाने की बात कह दी। सूत्रों की मानें तो यदि बीजेपी प्रेसीडेंट नहीं पहुंची तो किदवईनगर से एक दिग्गज का टिकट कटना करीब-करीब पक्का है। सूत्रों की मानें तो शुक्रवार दोपहर तक दोनों विधान सभाओं की लिस्ट फाइनल हो सकती है।

किदवईनगर की विवादित सीटें

-वार्ड नंबर 100 पर काफी उहापोह की स्थित बनी हुई है। यहां से मंगलवार को प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगने के बाद अंदरखाने से चर्चा है कि प्रत्याशी का टिकट काटकर एक "माननीय" के बेहद करीबी को टिकट दी जा रही है। जिसे टिकट दी जा रही है उसके बारे में बताया जा रहा है कि वह बसपा के एक कद्दावर नेता के काफी करीबी रहे हैं।

-वार्ड नंबर 38 में सबसे तगड़े दावेदार बीजेपी दक्षिण के एक पूर्व प्रेसीडेंट के सगे भतीजे बताए जा रहे हैं। यह ऐसा वार्ड है जहां से बीजेपी ने कभी चुनाव नहीं जीता। संगठन की नजर में पूर्व प्रेसीडेंट का भतीजा सबसे ताकतवर और मजबूत प्रत्याशी है लेकिन बीजेपा का एक धड़ा इस मजबूत प्रत्याशी का पत्ता साफ कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए है। जिलाध्यक्ष की तरफ से भेजी गई तीन दावेदारों की लिस्ट में पूर्व प्रेसीडेंट के भतीजे का नाम सबसे ऊपर है। इस सीट से एक आवेदक अपनी टिकट पक्की मान पूरे दिन मिठाई बांटते रहे। माना जा रहा है कि मिठाई खिलाकर लोगों का मुंह मीठा कराने वाले आवेदक को सिग्नल मिल चुका है।



-वार्ड नंबर 84 इस सीट पर तीन सबसे मजबूत दावेदार हैं। ठाकुर बिरादरी की मजबूत प्रत्याशी को संगठन पहली पसंद बनाए है लेकिन यहां पर BJP की पसंद कोई और है। वर्तमान पार्षद की पैरवी में बीजेपी का एक गुट है। वहीं एक बीजेपी पार्षद की पत्नी के लिए “माननीय” लगे हैं। कुल मिलाकर माहौल यहां पर भी बिल्कुल ठीक नहीं है।

-वार्ड नंबर 88 और 65 में जातिगत समीकरण को लेकर ऊहापोह की स्थित बनी है। BJP के बड़े सूत्रों की मानें तो यहां पर एक से ठाकुर और एक से ब्राम्हण बिरादरी को टिकट देने के लिए प्लान तैयार किया गया था लेकिन ऐन वक्त पर वह भी बिगड़ गया था। हालांकि यहां पर यही समीकरण ही बैठेगा। दो वार्डों में से एक में पंडित और एक में ठाकुर प्रत्याशी बनाया जाएगा।

-वार्ड नंबर 93 इस वार्ड से मंगलवार को नवीन पंडित के नाम पर सहमति बनी। बुधवार को नवीन पंडित से कह दिया गया कि तुम अपनी पत्नी नीतू पंडित को वार्ड 67 से लड़वाओ। 93 से बीजेपी के राजेश श्रीवास्तव को उतार दिया गया। गौरतलब है कि यह सीट पंजाबी बाहुल्य मतदाताओं वाली है। देवेंद्र सब्बरवाल का टिकट कांग्रेस से बिल्कुल तय है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी के ही एक बड़े सिंडीकेट ने यह सीट कांग्रेस के एक बड़े नेता को फायदा पहुंचाने के लिए “हाईजैक” करवाई है। उसके पीछे तर्क यह है कि नवीन पंडित से बेहतर फाइट देवेंद्र सब्बरवाल को और कोई दे नहीं सकता था। इस लिए सबसे बड़े रोड़े को पूरी प्लानिंग के तहत साफ कर दिया गया।

-वार्ड नंबर 48 इस सीट से बीजेपी ने एक कांग्रेसी नेता के बिजनेस पार्टनर के नाम पर करीब-करीब मुहर लगा दी है। चर्चा है कि इस सीट से राजेश श्रीवास्तव ने काफी मेहनत की थी। लेकिन उनको योजना के तहत 93 में शिफ्ट कर दिया गया। वार्ड 48 से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अश्वनी चड्ढा का नाम करीब-करीब फाइनल है। जानकारों की मानें तो यह सीट भी बेजीपी ने वॉकओवर में दे दी।

गोविंदनगर विधान सभा की विवादित सीटें

वार्ड नंबर-33 यह सीट एक माननीय के लिए नाक का सवाल बनी हुई है। RSS सूत्रों की मानें तो जिसके लिए पैरवी की जा रही है, संगठन उसे कतई पसंद नहीं कर रहा है। उसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि आवेदक के खिलाफ संगीन धाराओं में कई मुकदमें पंजीकृत हैं। साथ ही सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि कुछ दिन पहले एक आवेदक को धमकी देने का मामला। यूपी बीजेपी नेतृत्व के पास इसकी शिकायत संगठन ने पहुंचाई है। लेकिन “माननीय” नाम को फाइनल कराने में अड़े हुए हैं। कुल मिलाकर इस सीट पर “रायता” अधिक फैल चुका है।

-वार्ड नंबर 86 पर एक साल के बुजुर्ग के लिए माननीय ने तो प्रतिष्ठा फंसाई ही है साथ ही कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी ने भी इसी नाम पर सहमति देकर सभी को अचंभे में डाल दिया है। यहां संगठन की पहली पसंद एक पुराने कार्यकर्ता की पत्नी बनी हैं। इस कार्यकर्ता के बारे में कहा जाता है कि करीब 25 बरस से वह संघ और बीजेपी के सेवा करते आ रहे हैं। सपा के शासनकाल में उन पर कई मुकदमें भी इसी खुन्नस में दर्ज हुए।

-वार्ड नंबर 60 रावतपुर गांव इस वार्ड से RSS के प्रांतीय स्तर के बेटे ने दावा ठोका हैं। उनकी पैरवी संघ के लोग कर रहे हैं, जबकि “माननीय” की पैरवी अपन करीबी के लिए है। लेकिन दावा मजबूत मौजूदा पार्षद रामऔतार प्रजापति का बन रहा है।

-रतनलाल नगर वार्ड- इस वार्ड से “माननीय” ने अपनी साली के लिए टिकट मांगा है। जिनके लिए टिकट मांगा गया है वह पार्षद मनीष शर्मा की धर्मपत्नी है। लेकिन यहां पर संगठन की  पहली पसंद कोई और है।  

नोट- दोनों ही विधान सभाओं में करीब 10 और सीटें ऐसी हैं, जहां पर विवाद तगड़ा है।

 
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