- ड्योढ़ी घाट पर सिपाही और दरोगा शवों को कंधा देते नजर आए
- Accident में मरे लोगों को नम आंखों से से भावभीनी श्रद्धांजलि
- कोरथा गांव में नहीं जले चूल्हे, आसपास के ग्रामीण खाना लेकर पहुंचे
Yogesh Tripathi
250 घरों की आबादी वाले कोरथा गांव में संडे की सुबह जब एंबुलेंस के जरिए स्वजनों के शव पहुंचे तो गांव में चीख-पुकार मच गई। हर कोई अपनों के अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल दिखा। करुणक्रंदन और चीख-पुकार देख अफसर भी अपने आंसुओं को नहीं रोक सके। सबसे अधिक दयनीय हालत बुजुर्गों की रही, जो कि अपनी आंखों के सामने बच्चों की लाशें देख रहे थे। उनकी आंखों के आंसू सूख चुके थे। मुंह से सिर्फ यही निकल रहा था कि ईश्वर आखिर कौन से गुनाह की सजा दे दी।
जिलाधिकारी की पहल पर पुलिस कर्मी 26 लोगों के शवों को एंबुलेंस में लेकर ड्योढ़ी घाट के लिए रवाना हुए तो फिर चीख-पुकार मच गई। अफसरों ने किसी तरह ग्रामीणों को सांत्वना देकर उन्हें समझाया। इसके बाद ही एंबुलेंस गांव से रवाना की जा सकीं। इस दौरान आसपास के गांवों के ग्रामीणों की भीड़ भी जमा हो गई थी।
ड्योढ़ी घाट पर जब एंबुलेंस पहुंची तो वहां पुलिस कर्मियों ने मानवता दिखाई। दरोगा और पुलिस कर्मी एंबुलेंस के नजदीक पहुंचे और सभी पार्थिव शरीरों को कंधा देकर घाट पर रखी चिताओं तक सम्मान पूर्वक लाए। पुलिस के इस मानवता की हर किसी ने तारीफ की। सभी शवों का अंतिम संस्कार होने तक प्रशासनिक अफसर फोर्स के साथ घाट पर ही मौजूद रहे। करीब दर्जन भर बच्चों के शवों को घाट के पास ही कब्र खोदकर दफनाया गया।
दोपहर बाद जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरथा गांव पहुंचे तो माहौल एक बार फिर गमगीन हो गया। मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले मीडिया को गांव के बाहर ही रोक दिया गया था। मुख्यमंत्री ने मृत लोगों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा कि जल्द ही सभी को आर्थिक मदद मिल जाएगी। उन्होंने मौके पर मौजूद प्रशासनिक अफसरों को ताकीद देते हुए कहा कि किसी भी पीड़ित ग्रामीण को कोई दिक्कत न आए।
इस दौरान योगी आदित्यनाथ कैबिनेट के मंत्री राकेश सचान, सांसद देवेंद्र सिंह भोले, क्षेत्रीय विधायक अभिजीत सिंह सांगा समेत कई नेता पूरे समय मौजूद रहे। इस दौरान नेता से लेकर ग्रामीण जिलाधिकारी विशाख जी की तारीफ करते नजर आए। उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी विशाख जी रात में ही दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए थे। पूरे समय वह राहत और बचाव कार्य में जुटे रहे। इसके बाद वह हैलट अस्पताल पहुंचे। रात में ही जिलाधिकारी ने सभी शवों का पोस्टमार्टम कराना सुनिश्चित करवाया। सुबह होने पर वह सभी शवों को लेकर फिर कोरथा गांव पहुंचे। यही नहीं इसके बाद वह ड्योढ़ी घाट पर भी गए जहां शवों का अंतिम संस्कार होना था।
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