Kanpur सांसद सत्यदेव पचौरी ने बेटे अनूप के लिए झोंकी ताकत
पूर्व विधायक नीरज चतुर्वेदी के लिए RSS के बड़े धड़े ने लगाया जोर
Minister और Ex.MLA दावेदारों के लिए बन सकते हैं “साइलेंट किलर”
Congress के Ex.MLA की “धमाचौकड़ी” से भी उड़े BJP दावेदारों के “तोते”
Delhi में BJP हाईकमान Final करेगा गोविंदनगर प्रत्याशी का नाम : सूत्र
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh के Kanpur की चर्चित गोविंदनगर विधान सभा सीट पर (उपचुनाव) के लिए सियासी उठा-पटक काफी
तेज हो चुकी है। Kanpur (BJP) के कुछ दिग्गजों ने इस सीट पर प्रतिष्ठा लगा दी है। इन
दिग्गजों ने Kanpur To Lucknow और Nagpur To Delhi के जरिए एड़ी-चोटी का जोर लगा पैरोकारों से लामबंदी भी शुरु करवा दी है। बड़े
सूत्रों की मानें तो एक ताकतवर Minister और संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले BJP के Ex.MLA अन्य दावेदारों के लिए “साइलेंट किलर” साबित हो सकते हैं। इन दोनों ने अभी तक अपने “पत्ते” नहीं खोले हैं लेकिन अंदर
ही अंदर “शह-मात” का खेल शुरु कर दिया है। रही-सही
कसर Congress के Ex.MLA ने पूरी कर दी है। कांग्रेस से पूर्व विधायक रह चुके इस दिग्गज की हाल के दिनों में “धमाचौकड़ी” को देख BJP के बड़े दावेदार भी आशंकित
हैं।
नीरज चतुर्वेदी (पूर्व विधायक) जनरलगंज। |
नीरज चतुर्वेदी के समर्थन में RSS के कई दिग्गज
फॉयर ब्रांड नेता के तौर पर चर्चित नीरज चतुर्वेदी (Ex.MLA) किसी परिचय के मोहताज नहीं
है। नब्बे के दशक में वे जनरलगंज सीट से विधायक बने थे। कट्टर छवि के नेता के तौर
पर नीरज चतुर्वेदी की भी तगड़ी दावेदारी है। लोकसभा का टिकट उनको मिलते-मिलते रह
गया था। दिल्ली सूत्रों की मानें तो प्रभु “राम” का “आशीष” पूरी तरह से उनके साथ है। “बाल” जी के “बल” के साथ नागपुर कार्यालय के
कई दिग्गज उनके समर्थन में हैं। ये सारे दिग्गज वही हैं, जिन्हों ने 2019 के
लोकसभा चुनाव में नीरज की टिकट करीब-करीब Final करवा दी थी लेकिन ऐन वक्त
पर शहर के एक पूर्व विधायक और कैबिनेट मंत्री ने पूरी बाजी पलट कर रख दी। हालांकि सूत्रों
की मानें तो नीरज चतुर्वेदी के साथ जो एक निगेटिव प्वाइंट है उसे विरोधी ऊपर तक
पहुंचा रहे हैं। इस नाकारात्मक बिन्दु को आवेदन में बाकयदा एक दिग्गज ने कोड
करवाने के बाद हाईकमान तक भेजवाया है।
सत्यदेव पचौरी (सांसद) कानपुर लोकसभा, पूर्व मंत्री यूपी सरकार। |
बेटे अनूप के लिए सत्यदेव पचौरी ने झोंकी ताकत
इन सबसे इतर सबसे बड़ी दावेदारी सत्यदेव पचौरी ने बेटे अनूप पचौरी के लिए लगा
रखी है। RSS के दो बड़े पदाधिकारी, (एक जिले और एक प्रांत स्तरीय) अनूप के समर्थन में हैं।
पिता सत्यदेव पचौरी के सांसद बनने के बाद से अनूप क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं।
बीजेपी के हर कार्यक्रम में समर्थकों के साथ जिम्मेदारियों का निर्वाहन कर रहे
हैं। BJP संगठन के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी और गवर्नर से सत्यदेव पचौरी के रिश्ते किसी
से छिपे नहीं हैं। ये दिग्गज भी आखिरी समय तक अनूप के लिए ही पैरवी करेंगे। चर्चाओं
की मानें तो अनूप पचौरी को प्रत्याशी बनाने के लिए सत्यदेव पचौरी दिल्ली, लखनऊ एक
किए हुए हैं।
नीतू सिंह समाज सेविका एवं (पौत्रवधू) बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह। |
नीतू सिंह के नाम पर “बैकफुट” पर आएंगे दावेदार
महापौर का चुनाव हो या फिर लोकसभा 2019। नीतू सिंह का नाम इन दोनों ही चुनावों
में अंत समय दावेदारी में आया लेकिन टिकट नहीं मिली। नीतू सिंह को लेकर भी
सुगबुगाहट का दौर चल रहा है। सांसद सत्यदेव पचौरी की बेटी नीतू सिंह बैरिस्टर
नरेंद्रजीत सिंह की पौत्र वधू हैं। नीतू सिंह के ससुर खुद RSS (UP-East) के दिग्गज पदाधिकारी हैं। सामाजिक
कार्यों में नीतू हमेशा आगे रहती हैं। जानकारों की मानें तो आखिरी समय में यदि
महिला शसक्तीकरण की बात आई तो नीतू सिंह की दावेदारी सबसे बड़ी और मजबू होगी। तब RSS से लेकर BJP संगठन में कोई विरोध नहीं
करेगा। हालांकि नीतू सिंह या फिर उनके ससुर की तरफ से कोई दावेदारी खुलकर नहीं की
गई है लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए किसी को नहीं मालुम।
सुरेंद्र मैथानी, बीजेपी प्रेसीडेंट (Kanpur North)। |
AC का टिकट लिए मैथानी को नहीं मिल रहा “जनरल डिब्बा”
कल तक मजबूत दावेदारी पेश करने वाले BJP (Kanpur North) के प्रेसीडेंट सुरेंद्र
मैथानी के लिए उनके अपने ही “खास” जड़ में मट्ठा डाल चुके हैं। शिकायतों की लंबी चिट्ठी
हाईकमान तक भेजी गई है। जिसमें उनकी लग्जरी लाइफ स्टाइल से लेकर तमाम बातों का
जिक्र है। हद तो तब हो गई जब सुरेंद्र मैथानी की गाड़ी रोकने वाले पुलिस कर्मी को
सम्मानित भी कर दिया गया। Portal के सूत्रों की मानें तो मैथानी की प्रत्याशिता के जड़ में
मट्ठा डालने वाले की “निगाह” अब उनके जिलाध्यक्ष
की कुर्सी पर भी लगी है। वैसे राजनीति के जानकार पंडितों का कहना है कि सुरेंद्र मैथानी की कुंडली में प्रतीत होता है कि "कालसर्प योग"है, जिसके चलते हर बार टिकट उनके हाथ से फिसलती है, कभी किदवईनगर विधान सभा तो कभी कानपुर लोकसभा ।
दावेदारों के लिए “साइलेंट किलर” बनेंगे ये दिग्गज
शहर की राजनीति के साथ प्रदेश के संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले एक पूर्व
विधायक और एक ताकतवर मंत्री ने अभी तक अपने “पत्ते” नहीं खोले हैं। ये दोनों ही दिग्गज राजनीति
में “शह-मात” का “खेल” खेलने के लिए उस्ताद माने
जाते हैं। माना जा रहा है कि ऐन वक्त पर ये दोनों दिग्गज किसी भी बड़े दावेदार का
राजनीतिक “समीकरण” बिगाड़ेंगे। लोकसभा चुनाव
में इन दिग्गजों की वजह से जीती बाजी एक पूर्व विधायक हार गए थे और टिकट अंत में
सत्यदेव पचौरी के हाथ लगी थी।
कांग्रेस दिग्गज की “धमाचौकड़ी” से उड़े “तोते”
चुनाव आए और चर्चा कांग्रेस के एक दिग्गज पूर्व विधायक की न हो, ऐसा हो नहीं
सकता। अपने दोस्तों से अधिक विरोधी बना चुके इस पूर्व माननीय को लेकर एक बार फिर
से तमाम चर्चाओं का दौर सोशल मीडिया पर शुरु हो चुका है। इस पूर्व विधायक को लेकर
चर्चा हो रही है कि एक सांसद के जरिए वो बीजेपी के कद्दावर नेता से मिलने पहुंचे। www.redeyestimes.com (News Portal) को भाजपा और कांग्रेस के कई
दिग्गज नेताओं ने फोन कर जानकारी दी। हालांकि पोर्टल इस तरह के खबरों की पुष्टि
नहीं करता है। हां इतना अवश्य है कि पूर्व कांग्रेसी विधायक को निपटाने के लिए
उनके “करीबी विरोधी” खुराफात Start कर देते हैं । ताकि वे
अलग-थलग पड़ जाएं। शायद ऐसा ही इस बार फिर से हो रहा है । अफवाह उड़ाने इन तमाम लोगों के कभी पूर्व विधायक के साथ अति करीबियां थीं। इन सब के बीच इस
पूर्व विधायक का नाम आते ही बीजेपी के कई दावेदारों के साथ कार्यकर्ताओं के भी
माथे पर बल अवश्य है। कुछ देर पहले WhatsApp पर बीजेपी ज्वाइन करने की भी खबरें Viral हो रही हैं। हालांकि पोर्टल के पास जो जानकारियां हैं उसके मुताबिक 6 सितंबर को ये दिग्गज दिल्ली में ही रणनीति बना रहे थे। वॉया प्लेन वापसी भी हुई थी।
नोट------
सुधी पाठकों से अनुरोध है कि राजनीति से जुड़ी ये खबर सोशल मीडिया के
साथ-साथ BJP, RSS के तमाम नेताओं से बातचीत के आधार पर है। टिकट भाजपा किसे देगी ये पार्टी के
अंदर की बात है। पोर्टल किसी की प्रत्याशिता पर मुहर नहीं लगाता। हां ये अवश्य है कि सत्ता के गलियारों में जो चर्चाएं हैं और
सियासी उठा-पटक चल रही है, उसे Portal के जरिए आप सभी सुधीजनों तक लाने का सार्थक प्रयास है । आशा है कि आप
सभी का प्यार और विश्वास हमेशा यूं ही बना रहेगा।
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