दस्यु सम्राट ददुआ। 70, 80, 90 के दशक में ये नाम Uttar Pradesh और Madhya Pradesh स्थित पाठा जंगलों में आतंक और खौफ का पर्याय था। करीब 35 साल तक पाठा के जंगलों में असलहों से आग उगलने वाले दस्यु सम्राट ददुआ का बेटा वीर सिंह यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो संसद की शोभा में चार चांद लगाएगा। UP के विधान सभा की शोभा वह पहले ही बढ़ा चुका है। सपा सुप्रीमों Akhilesh Yadav ने ददुआ के लड़के वीर सिंह को मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अखिलेश के इस सियासी दांव से न सिर्फ UP बल्कि MP प्रांत की भी सियासत काफी गर्म हो गई है।


YOGESH TRIPATHI


चित्रकूट सदर सीट से MLA रह चुके हैं वीर सिंह


वीर सिंह ने अपने डकैत पिता के सामने ही राजनीति की दुनिया में कदम रख दिया था। या यूं कहें तो ददुआ अपने सामने ही परिवार को राजनीति  में ले आया। सपा हो या बसपा, दस्यु सम्राट की नजदीकियां अपरोक्ष तौर पर इन दोनों दलों से हमेशा जुड़ी रहीं। वीर सिंह चित्रकूट सदर सीट से काफी पहले विधायक बन चुके हैं। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने मंगलवार को उन्हें खजुराहो लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया।

कुर्मी वोटों पर है सपा सुप्रीमों की “निगाहें”


वीर सिंह को सपा के टिकट पर गठबंधन से लोकसभा चुनाव लड़ाने के पीछे कुर्मी वोट बैंक पर मजबूत पकड़ बनाने की कवायद बताया जा रहा है। चूंकि बांदा लोकसभा सीट में सपा-बसपा गठबंधन से बड़े कारोबारी श्यामाचरण गुप्ता, बीजेपी से आरके पटेल और कांग्रेस से ददुआ का भाई बालकुमार पटेल चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में कुर्मी वोटों को अपने पाले में लाने के लिए सपा ने वीर सिंह को प्रत्याशी बनाकर नया दांव खेला है।

35 बरस तक ददुआ ने पाठा में चलाई थी “समानांतर सरकार”


बुन्देलखंड स्थित पाठा के जंगलों में ददुआ का सिर्फ खौफ ही नहीं था बल्कि हकीकत ये है कि उसने करीब 35 साल तक अपनी समानांतर सरकार चलाई। जब जो चाहा वो किया। उस दौर में पुलिस प्रशासन ददुआ के आगे बेबस और लाचार नजर आता था। जुलाई 2007 में STF ने ददुआ को एनकाउंटर में मार गिराया। हालांकि मारे जाने से पहले ददुआ ने अपने सामने ही भाई, पुत्र और पत्नी को राजनीति के मैदान में उतार दिया था। उसके मारे जाने के बाद परिवार सक्रिय राजनीति में कूद पड़ा।

ददुआ के खौफ से बेटा बना था निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष


दस्यु सम्राट ददुआ का खौफ ही था कि वर्ष 2000 के पंचायत चुनाव में उसका बेटा वीर सिंह निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुन लिया गया था। दस्यु सरदार का बेटा उसके सामने लालबत्ती और गनर लेकर चलने लगा। उसके बाद वीर सिंह चित्रकूट सदर से विधायक भी बन गए। ददुआ यहीं नहीं रुका, उसने भाई बाल कुमार और उसके बेटे को भी सक्रिया राजनीति में उतार दिया। ददुआ का भतीजा और बाल कुमार का लड़का 2012 के चुनाव में प्रतापगढ़ की पट्टी विधान सभा से विधायक बन गया। 2009 के चुनाव में बाल कुमार सपा के टिकट पर मिर्जापुर से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2014 के चुनाव में बालक कुमार बांदा सीट से चुनाव हार गए। इस बार बाल कुमार को कांग्रेस ने बांदा से प्रत्याशी बनाया है। जबकि बगल की ही सीट खजुराहो से उसका भतीजा वीर सिंह सपा के टिकट पर गठबंधन से प्रत्याशी है।

 

 
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