• साढ़े पांच साल बाद कुलदीप की रिहाई
  • जेल से छूटते ही पहुंचा महाकाल के दरबार
  • हत्या के जुर्म में बिधनू पुलिस ने भेजा था जेल 
  • बिधनू थाना एरिया में मिली थी महिला मित्र की लाश 
  • साक्ष्य और सबूत के अभाव में ADJ (9th) Court ने किया बरी



Yogesh Tripathi

महिला मित्र की हत्या के जुर्म में जेल भेजे गए कुलदीप मिश्रा की करीब साढ़े पांच साल बाद जिला कारागार से रिहाई हो गई। कुलदीप मिश्रा के लिए सीनियर अधिवक्ता Om Prakash Pandey (Omi Pandey) "भगवान" बने। उन्होंने पूरे मुकदमें के दौरान कुलदीप से अपनी फीस नहीं ली। कागज व अन्य खर्च कुलदीप ने अपना स्वयं वहन किया। गवाही के बाद जिरह के दौरान अधिवक्ता Om Prakash Pandey ने कोर्ट परिसर में पुलिस के लिखापढ़ी के धागे खोल दिए। जिरह में गवाह भी फंसे। पुलिस की फर्द में आला कत्ल के बरामदगी में भी विरोधाभाष दिखाई दिया। साक्ष्य और सबूतों के अभाव में ADJ (9th) Court ने कुलदीप मिश्रा को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया। 36 घंटा पहले जेल से कुलदीप मिश्रा की रिहाई हुई। जेल से निकलते ही कुलदीप सीधे अधिवक्ता ओमी पांडेय से मिला। उन्हें धन्यवाद देने के बाद कुलदीप महाकाल के दर्शन की खातिर उज्जैन चला गया। 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता Omi Pandey ने बताया कि 29/10/2019 को बिधनू पुलिस ने थाना एरिया के सहिया गोझा के जंगलों में एक महिला की लाश बरामद की। महिला की शिनाख्त सीमा सिंह के रूप में परिजनों ने की। गांव के प्रधान मर्दान सिंह ने बिधनू पुलिस को तहरीर दी। पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 598/2019 पर IPC की धारा 302,201 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर कुलदीप मिश्रा की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी लेकिन वो नहीं मिला। पुलिस ने कुलदीप पर 20 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया। 18 फरवरी 2020 को पुलिस ने बांदा जनपद में कुलदीप को Arrest किया। कुलदीप की निशानदेही पर पुलिस ने आला कत्ल को बरामद किया। गिरफ्तारी के बाद से कुलदीप मिश्रा जेल में बंद रहा। 

अधिवक्ता Omi Pandey के मुताबिक सीमा सिंह का विवाह फतेहपुर में महेंद्र सिंह के साथ हुआ था। सीमा ने घरेलू हिंसा और भरण व पोषण के लिए महेंद्र पर मुकदमा कर रक्खा था। इधर, कुलदीप मिश्रा का भी अपनी पत्नी से मुकदमा चल रहा था। कोर्ट में ही दोनों की मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों अपने मर्जी से बगैर विवाह विच्छेद के साथ-साथ रहने लगे। सीमा सिंह के परिजन इसके खिलाफ थे। सीमा के परिजनों ने कई बार उससे ससुराल भेजने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी। इस बीच सीमा ने कुलदीप के साथ मिलकर ढाबा भी खोल लिया। सीमा अक्सर अपने प्रेमी कुलदीप के साथ मायके भी जाती थी। ये बात मायके पक्ष के लोगों को नागवार लगती थी। 

सीमा के शव की शिनाख्त होने के बाद परिजनों और ग्राम प्रधान ने पुलिस को शिकायती पत्र दिया था। जिसके आधार पर पुलिस ने कुलदीप मिश्रा की Arresting कर उसे जेल भेज दिया। अधिवक्ता Omi Pandey ने बताया कि पुलिस की विवेचना बेहद लचर थी। विवेचक ने अभियुक्त कुलदीप और सीमा सिंह के मोबाइल की CDR एवं लोकेशन एकत्र नहीं की। सीमा और कुलदीप के बीच घटना से पहले तक कितनी बार बातचीत हुई...??? इसका संकलन नहीं किया गया। अभियोजन और साक्षी यह भी नहीं बता पाए कि अभियुक्त को अंतिम बार कब सीमा सिंह के साथ देखा गया था। पुलिस ने जो आला कत्ल की बरामदगी की, उसे FSL परीक्षण के लिए नहीं भेजा। अभियुक्त के पास से आला कत्ल (चाकू) की जो बरामदगी में दिखाई गई वो अरेस्ट मेमो में अंकित है। जब कि विवेचक की तरफ से पहले Arrest करना फिर चाकू की बरामदगी होना बताया गया। शव की बरामदगी और आला कत्ल की बरामदगी के स्थान के बीच की दूरी करीब तीन किलोमीटर है। Court में अभियोजन पुलिस साक्षी की तरफ से कहा गया कि शव के बरामदगी स्थल से आला कत्ल दिखाई दे रहा था। 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता  Omi Pandey ने कोर्ट से कहा कि आला कत्ल की और शव बरामदगी के गांव अलग-अलग हैं। जिसकी वजह से आला कत्ल की बरामदगी में संदेह प्रतीत हो रहा है। अभियुक्त की तरफ से दिए गए बयानों का कोई मेमोरेंडम नहीं बनाया गया और न ही कोर्ट के सम्मुख साबित किया गया। आला कत्ल की बरामदगी के समय स्वतंत्र गवाहों को भी शामिल नहीं किया गया। 

अधिवक्ता Omi Pandey ने इस दौरान अदालत में माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्णयज विधि अमर सिंह बनाम स्टेट ऑफ एन.सी.टी ऑफ दिल्ली 2020 SCC और माननीय हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से सेल्वराज बनाम स्टेट ऑफ तमिलनाडु (1976) 4 ACC (343) के हवाला देकर कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि जहां पर अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत साक्ष्य के विश्लेषण से अभियोग कथानक, अत्यधिक असंभाव्य एवं सहज  मानवीय स्वभाव के विपरीत व विरोधाभाषी है तो अभियुक्त को दोष सिद्ध किया जाना उचित नहीं है। सुनवाई के दौरान 15 गवाहों की गवाही हुई। इसमें पुलिस के विवेचक भी शामिल रहे। 

19 /08/2025 को ADJ (9th) Court के जज शेष बहादुर निषाद ने  कुलदीप को दोषमुक्त करार देते हुए जेल से रिहाई के आदेश दिए।  साथ ही दोषमुक्त कुलदीप को 20 हजार रुपए का बंधन पत्र भी कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि मामले में अपील होती है तो कुलदीप को कोर्ट के समक्ष हाजिर रहना पड़ेगा।  हत्या जैसे मामले में बिना फीस के मुकदमा लड़ने वाले अधिवक्ता Omi Pandey ने कहा कि मुकदमें की पैरवी में उनके जूनियर्स ने काफी मेहनत की। 

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