समाजवादी पार्टी (SP) को तगड़ा झटका लगा है। कई दिनों से बगावती तेवर दिखा रहे Fatehpur के पूर्व सांसद राकेश सचान ने समाजवादी पार्टी के साइकिल की सवारी को आखिर छोड़ने का फैसला ले लिया। राकेश सचान ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। Rahul Gandhi की मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता शनिवार को ली। इस दौरान कांग्रेस के दोनों जनरल सेकेट्री प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे। दिल्ली सूत्रों की मानें तो राकेश को फतेहपुर से चुनाव लड़ने का सिग्नल भी हाईकमान ने दे दिया है। गौरतलब है कि 2014 का चुनाव मोदी लहर में हारने के बाद राकेश सचान लगातार सक्रिय थे और चुनाव की तैयारी कर रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर फतेहपुर की सीट बंटवारे के तहत बीएसपी को चली गई। गौरतलब है कि www.redeyestimes.com (News Portal) कई दिन पहले ही कांग्रेस ज्वाइन करने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी।
YOGESH TRIPATHI
बेहद दिलचस्प होगा अब फतेहपुर संसदीय सीट का चुनाव
राकेश सचान के सपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद एक बात बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि फतेहपुर का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा। राकेश सचान की इस लोकसभा सीट पर कार्यकर्ताओं के बीच न सिर्फ तगड़ी पकड़ है बल्कि सजातीय वोट बैंक का पिछले चुनावों में उनको जो लाभ मिलता रहा है वो इस बार कांग्रेस के पाले में जाना तय हो गया है। इस सीट पर कैबिनेट मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति फिलहाल बीजेपी से सांसद हैं। साध्वी ने 2014 के चुनाव में नसीमुद्दीन सिद्दीकी के लड़के को हराया था। राकेश के कांग्रेस में शामिल होते ही त्रिकोणी चुनाव की संभावना स्थानीय लोग अभी से करने लगे हैं। राजनीति से जुड़े लोगों की मानें तो राकेश के कांग्रेस में जाने से सीधा नुकसान गठबंधन से बीएसपी प्रत्याशी को ही होगा।
5 साल से बूथ पर कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी की
फतेहपुर प्रतिनिधि के मुताबिक राकेश सचान 2014 का चुनाव हारने के बाद घर पर नहीं बैठे बल्कि कार्यकर्ताओं के साथ हमेशा खड़े रहे। जनता के बीच में रहे। सभी के सुख-दुःख में शामिल होते रहे। सपा हाईकमान ने भी उनको चुनाव लड़ने के लिए आश्वास्त कर रखा था। जब ये सीट बसपा के खाते में गई तो राकेश सचान ने सपा सुप्रीमों से बात की। कहा जा रहा है कि इसके बाद भी उनको यही आश्वासन मिला कि सबकुछ ठीक हो जाएगा।
छात्रसंघ का चुनाव नहीं जीते लेकिन विधायक पहली बार में ही बने
राकेश सचान ने नब्बे के दशक में कानपुर के डीएवी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की। महामंत्री पद पर वे कई बार चुनाव लड़े लेकिन जीत नसीब नहीं हुआ। वर्ष वे जनता दल के टिकट पर घाटमपुर से पहली बार विधायक बने। जनता दल के टूटने के बाद वे सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह के करीब आ गए। 2002 में वह फिर विधायक बने। 2009 में मुलायम सिंह ने उनको फतेहपुर से लोकसभा का टिकट दिया और राकेश चुनाव जीतकर पहली बार संसद में पहुंचे। 2014 लोकसभा चुनाव में उनको मोदी लहर में करारी शिकस्त मिली थी।
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