बीजेपी में नगर निकाय के चुनाव को लेकर पार्षद के दावेदारों के बीच चल रही "नूरा-कुश्ती" अब अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। दिग्गज अपने करीबी और चहेतों को टिकट दिलाने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। जिनकी टिकटों पर कल तक फाइनल मुहर लग चुकी थी, अब उनको कुछ घंटे बाद ही मायूसी मिलने लगी है। ताजा मामला गोविंदनगर के कुछ वार्डों को लेकर है। 




YOGESH TRIPATHI 

कानपुर। Kanpur City के चर्चित पार्षदों में एक नवीन पंडित की गोविंदनगर के वार्ड 93 से चल रही टिकट की दावेदारी पर कानपुर BJP के दिग्गजों ने विराम लगा दिया है। RSS के सिग्नल के बाद नवीन की टिकट करीब-करीब फाइनल हो चुकी थी। बड़े सूत्रों की मानें तो नवीन को बुलाकर साफ तौर पर यह कह दिया गया कि तुम वार्ड 67 से अपनी धर्मपत्नी को चुनाव लड़ाओ। चर्चा यह भी है कि वार्ड नंबर 48 से जिस प्रत्याशी का टिकट कल फाइनल था उसे वार्ड नंबर 93 से हाईकमान लड़ा सकता है। चर्चा यह भी है कि बीजेपी सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके बालचंद्र मिश्रा के करीबी लोगों में एक रहे चर्चित नेता को वार्ड नंबर 48 से लड़ाने का सिग्नल दे दिया गया है। अंदरखाने की मानें तो इस चर्चित नेता ने आवेदन तक नहीं किया है। यह नेता पंजाबी बिरादरी का नेतृत्व करता है। 

 

हाईकमान के निर्देश का पालन करूंगा

गोविंदनगर से टिकट कटने का संकेत मिलने पर www.redeyestimes.com ने जब नवीन पंडित से बात की तो उन्होंने कहा कि बीजेपी के हाईकमान का जो निर्देश मिलेगा, उसका हर कीमत पर पालन करूंगा। नवीन पंडित ने कहा कि वैसे तो मेरा घर वार्ड नंबर 93 में है। मेरी कर्मस्थली भी यह वार्ड रहा है। राजनीतिक जीवन की शुरुआत इसी वार्ड से करते हुए निर्दलयी प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव भी जीत चुका हूं। नवीन की मानें तो हाईकमान ने वार्ड नंबर 67 से पत्नी नीतू पंडित को चुनाव लड़ाने की बात कही है। इस वार्ड से नवीन पंडित वर्तमान में पार्षद हैं। नवीन पंडित ने खुद पूरे मामले की पुष्टि की है।

Kanpur में दूसरी बड़ी जीत दर्ज की थी नवीन पंडित ने 

बात यदि वर्ष 2012 में हुए नगर निकाय के चुनाव की करें तो नवीन पंडित ने वार्ड नंबर 67 से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। यह चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। नवीन ने यह चुनाव करीब 2000 वोटों से जीता था। तब उनके खिलाफ बीजेपी से चुनाव लड़े महेश मिश्रा को सिर्फ 1200 वोट ही मिले थे। यह कानपुर में जीत के लिहाज से दूसरी बड़ी जीत थी। गौरतलब है कि पहला चुनाव भी नवीन पंडित ने भाजपा के दिग्गज अनिल अग्निहोत्री को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हराया था।

गुरु-चेला को एक वार्ड से क्यों नहीं ?

राजनीति के जानकारों की मानें तो वार्ड नंबर 93 से जिस प्रत्याशी को टिकट दिया जा रहा है, वह वहां से चुनाव लड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं है। इस वार्ड में उसने कोई राजनीतिक जमीन ही नहीं तैयार की है। उसने वार्ड नंबर 48 से पूरी तैयारी की थी, और कल तक उसकी टिकट भी करीब-करीब फाइनल हो चुकी थी लेकिन ऐन वक्त पर रायता फैल गया। बीजेपी के कुछ नेताओं ने www.redeyestimes.com से बातचीत में नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कांग्रेस के एक बड़े कद्दावर नेता को फायदा पहुंचाने के लिए टिकटों के वितरण में खेल हो रहा है। कांग्रेस के इस बड़े नेता के रिश्तेदार बीजेपी में बड़े पद पर हैं। पुराने और दिग्गज भाजपाइयों का कहना है कि वार्ड नंबर 93 से चूंकि देवेंद्र सब्बरवाल कांग्रेस प्रत्याशी हैं। यह सीट पंजाबी बाहुल्य है, इस लिए उनको वाकओवर देने के मकसद से यहां पर हाईकमान कमजोर प्रत्याशी उतार रहा है।

BJP को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने की कवायद

कद्दावर बीजेपी नेताओं की मानें तो यदि ऐसा हो रहा है तो यह सीधे तौर पर भाजपा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। जिस व्यक्ति का वार्ड में जनाधार ही नहीं है, उसे पार्टी का प्रत्याशी बनाने से क्या फायदा ? वह भी तब जब खुद प्रत्याशी भी न चाह रहा हो।

 

 

 

 
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