• शातिर अपराधी बाबर विदेशी हथियारों का है बड़ा तस्कर
  • यूपी से लेकर बिहार तक फैला है बाबर के अवैध असलहों का कारोबार
  • 2012 में ATS बाबर समेत कई गनन मालिकों को किया था Arrest
  • विदेशी हथियारों की बड़ी खेप तब ATS ने की थी बरामद
  • Encounter में मारे जा चुके रईस बनारसी का भांजा बताया जा रहा है बाबर
  • हथियारों की तस्करी में लखनऊ की सेशन कोर्ट ने सुनाई थी बाबर को 10 साल की सजा
  • दो साल पहले ही जेल से छूटकर बाहर आया है बाबर, भाई छोटे भी है तस्कर
  • Social Media पर बाबर और पिस्टल को लेकर तमाम तरह की खबरें Viral
  • Kanpur Police ने Fake News करार देते हुए किया खंडन


Yogesh Tripathi

 माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में की गई हत्या के मामले में हत्यारोपितों के Kanpur के एक अपराधी से Connection को लेकर Social Media (WhatsApp University) पर 24 घंटे कुछ खबरें Viral हैं। इसमें अतीक और अशरफ की हत्या में प्रयुक्त टर्की मेड Tisas Zigana कानपुर के शातिर अपराधी बाबर से खरीदना बताया जा रहा है। बाबर शहर का शातिर असलहा तस्कर है। उसके खिलाफ आधा दर्जन से अधिक अपराधिक मामले दर्ज हैं। वर्ष 2012/13 में एंटी टेररिस्ट स्कावड (ATS) ने विदेशी हथियारों के जखीरा के साथ Arrest कर जेल भेजा था। इस मामले में लखनऊ की सेशन कोर्ट से बाबर और उसके भाई छोटे समेत कई लोगों को मुकर्रर की थी। दो साल पहले ही बाबर जेल से छूटकर बाहर आया है। 


अतीक और अशरफ की हत्या में बाबर का क्या रोल है...? ये फिलहाल अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। अतीक हत्याकांड में प्रयुक्त पिस्टल और बाबर के कनेक्शन को लेकर तमाम तरह की खबरें Social Media (WhatsAPP) पर वायरल होने के बाद प्रमुख अखबारों ने भी अपनी मोहर इस पर लगाते हुए प्रकाशित किया है। जिसे Kanpur Police ने Fake News करार देते हुए पूरी तरह से भ्रामक बताया है। पुलिस ने ऐसी भ्रामक खबरों और पोस्टर से दूरी बनाने और Viral न करने की अपील की है।


 

जफर अरशद उर्फ बाबर 40/112 नवाब इब्राहीम का हाता, परेड थाना मूलगंज कानपुर निवासी अरशद मिया का लड़का है। बाबर के भाई का नाम छोटे है। बाबर Encounter में मारे जा चुके शातिर अपराधी रईस बनारसी का भांजा है। रईस बनारसी पूर्वांचल के माफिया डान मुन्ना बजरंगी का करीबी था। कुछ साल पहले एनकाउंटर में रईस बनारसी मारा जा चुका है। बाबर पर करीब आधा दर्जन मुकदमें पंजीकृत हैं। वर्ष 2012 में ATS ने बाबर और उसके भाई छोटे समेत कई लोगों को विदेशी हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था। लखनऊ की ADJ (4) कोर्ट ने इस मामले में चार साल पहले तीन लोगों को आजीवन कारावास और बाबर समेत 8 लोगों को 10 साल की सजा मुकर्रर की थी। बताया जा रहा है कि बाबर इस सजा को काट चुका है। वह लंबे समय तक लखनऊ की जिला कारागार में बंद था। बड़े सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसियों को बाबर के पंजाब के कुछ अपराधियों से कनेक्शन होने की भी खबर मिली है। यही वजह रही कि मंडे को पूरे दिन खुफिया एजेंसियां Alert रहीं। 


बिहार तक फैला है बाबर का नेटवर्क

बताया जा रहा है कि शातिर अपराधी बाबर विदेशी हथियारों के मामले में बड़ा तस्कर है। हर विदेशी असलहे की खेप उस तक आती है। यूपी के पूर्वांचल से लेकर बिहार तक उसका बड़ा नेटवर्क है। इतना ही नहीं बाबर विदेशी हथियारों की हूबहू कापी पिस्टल बनाने में भी Expert है। यही वजह रही कि उसके बनाए असलहों को तमाम लाइसेंसधारी शस्त्र विक्रेताओं ने असली बताकर बिक्री करना शुरु कर दिया था। इसका खुलासा तब हुआ जब 2012 में ATS ने बाबर और उसके भाई छोटे को गिरफ्तार किया।  नेशनल गन हाउस (लखनऊ), किसान गन हाउस (लखनऊ), गुरुरामदास आर्मरी (कानपुर) और जैन गन हाउस सिरसा (हरियाणा)  की साठगांठ से अवैध असलहों को तैयार किया जाता था। ये असलहे विदेशी असलहों की तरह ही ब्रांडेड दिखते थे। ATS की पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक बाद में इन असलहों को नक्सली मिन्टू शर्मा और अन्य गुर्गों के जरिए पूर्वांचल में सप्लाई किया जाता था। ATS ने वर्ष 2012 में जब इस गिरोह को पकड़ा था तो उस समय इनके पास से A.K-56 , 7 राइफल .315 बोर, एक कार्रबाइन, 28 पिस्टल निर्मित, 7 पिस्टल अर्ध निर्मित और एक बुलेटप्रूफ जैकेट बरामद की थी। साथ में कारतूस की बड़ी खेप भी मिली थी। 

नई सड़क बवाल में उपद्रवियों को असलहा मुहैया कराने का आरोप

मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस सूत्रों की मानें तो शहर में 3 जून 2022 को नई सड़क पर हुए बवाल और उपद्रव में बाबर पुलिस के रडार पर आया था। उस समय बाबर पर उपद्रवियों को अवैध हथियार मुहैया कराने का आरोप लगा था। पुलिस ने मुकदमा भी पंजीकृत किया था। खास बात ये है कि इतना सबकुछ हो जाने के बाद भी पुलिस ने न तो बाबर की हिस्ट्रीशीट खोली और न ही उसकी निगरानी कभी की। जबकि पुलिस रेगुलेशन के तहत सजायाफ्ता की निगरानी के लिए हिस्ट्रीशीट खोलना अनिवार्य है। पुलिस बाबर का गैंग तक सूचीबद्ध नहीं कर सकी। पुलिस सूत्रों की मानें तो बाबर के कनेक्शन शहर के सबसे बड़े गिरोह D-2 से भी हैं। उसके ये कनेक्शन रईस बनारसी और कानपुर देहात की जेल में गैंगवार के चलते मारे गए बदमाश मोनू पहाड़ी की वजह से हुए थे। 

 

 

 

 


 


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