• पुलिस और जिला प्रशासन अपनी जांच में पहले ही दे चुका है क्लीन चिट
  • मुख्तार बाबा की मां हाजरा बेगम ने वर्ष 1982 में खरीदी थी उक्त भूमि
  • वर्तमान समय में ब्रिटेन में रह रहे आबिद रहमान ने की थी भूमि की रजिस्ट्री
  • वर्ष 1947 में मोहम्मद मौला बक्श ने Court से खरीदी थी उक्त भूमि
  • भू-माफिया सेल (कानपुर) प्रभारी भी डेढ़ दशक पहले दे चुके हैं क्लीन चिट 
  • दशकों पहले यहां पर बना मंदिर नौबस्ता के यशोदा नगर में हो चुका है शिफ्ट
  • 2002 में शोभा यात्रा के बाद नौबस्ता में शिफ्ट किया गया था मंदिर 


Yogesh Tripathi 

Uttar Pradesh के Kanpur में घनी मुस्लिम आबादी के बीच स्थित "बाबा स्वीट एंड बिरयानी" (Restaurant) को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा पीड़ित पक्ष की तरफ से किया गया है। पीड़ित पक्ष की तरफ से जारी किए गए अभिलेखों पर यदि बारीकी से गौर किया जाये तो "बाबा स्वीट एंड बिरयानी" जिस बिल्डिंग में स्थित है वो "शत्रु संपत्ति" नहीं है। इस संपत्ति को हाजरा बेगम ने वर्ष 1982 में आबिद रहमान से लिखापढ़ी कर खरीदी थी। आबिद रहमान इन दिनों London में रहते हैं। अभिलेखों के मुताबिक आबिद रहमान के वालिद मोहम्मद मौला बक्श ने उक्त भूमि वर्ष 1947 में जरिए Court (अदालत) खरीदी थी। पीड़ित पक्ष का यह दावा सिर्फ जुबानी नहीं है बल्कि उसके दावे पर जिला प्रशासन और ढाई दशक पहले गठित पुलिस विभाग के भू-माफिया सेल के दो-दो प्रभारी भी अपनी मोहर लगा चुके हैं। अपर नगर मजिस्ट्रेट की कोर्ट (ACM) भी इस मामले की जांच करने के बाद रिपोर्ट मुख्तार के पक्ष में दे चुके हैं तो अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि भूमि को आखिर कैसे और किन लोगों के कहने पर "शत्रु संपत्ति" बताया जा रहा है...? यही नहीं जिस रामजानकी मंदिर का बार-बार जिक्र किया जा रहा है दरअसल उस मंदिर के मालिक और कर्ताधर्ता दो दशक पहले ही शोभायात्रा के बाद वर्ष 2002 में मंदिर को नौबस्ता के यशोदा नगर में शिफ्ट कर चुके हैं। मंदिर के शिफ्ट होने पर भी जिला प्रशासन अपनी जांच में मोहर लगा चुका है। 


क्या कहती है भू-माफिया सेल की रिपोर्ट ...?

शहर में बड़े पैमाने पर शत्रु संपत्तियों, वक्फ संपत्तियों और सोसाइटी की जमीनों पर कब्जा कर उसकी अवैध तरीके से बिक्री की रोकथाम के लिए करीब तीन दशक पहले भू-माफिया सेल का गठन किया गया था। तब के गोविंद नगर (क्षेत्राधिकारी कार्यालय) में भू-माफिया सेल का कार्यालय खोला गया और क्षेत्राधिकारी गोविंद नगर को ही इस सेल का प्रभारी बनाया गया था। 25 अगस्त 2007 को तत्कालीन क्षेत्राधिकारी गोविंदनगर प्रकाश स्वरूप पांडेय ने कुमारी कैशर जहां की शिकायत पर इस पूरे प्रकरण की जांच की थी। जांच रिपोर्ट में कहीं भी शत्रु संपत्ति का जिक्र नहीं है। उसके बाद एक फरवरी 2009 में तत्कालीन गोविंदनगर क्षेत्राधिकारी सुरेंद्र नाथ तिवारी ने भी इस प्रकरण पर आख्या दी। यह आख्या भी मुख्तार बाबा के पक्ष में थी और कहीं भी शत्रु संपत्ति का जिक्र नहीं। अपनी जांच रिपोर्ट में इन दोनों ही क्षेत्राधिकारियों ने तमाम सरकारी अभिलेखों का परीक्षण करने और स्थानीय लोगों की गवाही के बाद लिखा कि शिकायतकर्ता के सभी आरोप निराधारा हैं। 


दोनों ही अफसरों की रिपोर्ट के बाद तत्ताकालीन अपर नगर मजिस्ट्रेट (तृतीय) (ACM 3rd) ने अपनी जांच रिपोर्ट में राम जानकी मंदिर को लेकर जो बात कही है उसके मुताबिक "शिवशरण गुप्ता ने पुलिस को बयान दिया कि उसके चचेरे बाबा लालता प्रसाद ने 21 फरवरी 1947 में 99/14 का कुछ Part मौलबक्श को जरिए रजिस्ट्री बेंचा था। मकान नंबर 99/14 में ठाकुरद्वारा का एक घरेलू निजी मंदिर था। मंदिर बेहद पुराना और खस्ताहालत में था, साथ ही साथ वह अक्सर गिर  रहा था। सुरक्षा के मद्देनजर उपरोक्त मकान के घरेलू मंदिर में स्थित मूर्तियों को शिवशरण गुप्ता ने अपने स्वर्गीय भाई भगवान शरण गुप्ता के साथ मिलकर अपने नए मकान नौबस्ता स्थित यशोदानगर (शंकराचार्य नगर) में 17 फरवरी 2002 को पूजा-अर्चना और प्राण-प्रतिष्ठा के बाद शिफ्ट कर दिया। जहां अब भी लगातार पूजा-अर्चना जारी है। शिवशरण गुप्ता के मुताबिक मकान नंबर 99/14 में अब कोई मंदिर या मूर्ति नहीं है। उक्त मकान खंडहर है, जो कि जर्जर और गिराऊ है। मकान शिवशरण गुप्ता के बड़े भाई भगवान शरण गुप्ता आदि के नाम पर नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज है। इसकी पुष्टि जोनल अधिकारी नगर निगम (Zone 1st) की तरफ से भी प्रेषित की जा चुकी है।" रामजानकारी मंदिर सरकारी अभिलेखों में ठाकुरद्वारा के नाम से दर्ज है। 


शिकायत में हाजी मुख्तार पर ये भी आरोप लगाया कि तमाम अभिलेखों में छल और फरेब के साथ-साथ कूटरचित दस्तावेजों के जरिए 99/14 के कुछ अंश को नगर निगम की पंचशाला में 99/14 A के नाम से दर्ज करा लिया। जिसमें वर्तमान समय में बाबा स्वीट हाउस निर्मित है। भू-माफिया सेल के दोनों पूर्व अफसरों ने इस शिकायत पर भी गहराई से छानबीन कर अपने जांच की रिपोर्ट शासन और प्रशासन को सौंपी। 


Report के मुताबिक " शिकायतकर्ता की तरफ से संलग्न पत्रों के आधार पर 99/14 बेकनगंज स्थित कानपुर नगर से नगर निगम पंचशाला 1 अप्रैल 1953 से 31 मार्च 1958 तक में 99/14 A नंबर मौला बक्श के नाम पर नाम पर दर्ज है। जबकि नगर निगम की पंचशाला में वर्ष 1948 से 1953 में 99/14 में ठाकुरद्वारा ऑफ लालता प्रसाद (पुराने कालम) में दर्ज है और नए कालम में नगर निगम के आदेश TCIS नंबर 49 (01/03/19449) दर्ज है। जिसे नगर निगम की तरफ से जारी पंचशाला 1953 से 1958 में संपत्ति का नाम अथवा संख्या के कालम में पुराने में 14 और नए में 14 A दर्ज है। गृहस्वामी के नाम व पता के कालम में मौला बक्श दर्ज है। 1968 से 73 की पंचशाला में संपत्ति का नंबर 14 A अंकित है जबकि गृहस्वामी के नाम और पता के कालम में आबिद रहमान नाबालिग पुत्र व संरक्षिका श्रीमती सबीहा रहमान दर्ज है। 1978 से 87 में पंचशाला में संपत्ति का नंबर 14 A अंकित है। गृहस्वामी के पुराने कालम में नाम व पता आबिद रहमान नाबालिग पुत्र एवं संरक्षिक सबीहा रहमान दर्ज है जबकि नए कालम में हाजरा खातून पत्नी स्व. हाजी मोहम्मद इसहाक का 15 अप्रैल 1983 का बैनामा दर्ज है। हाजरा खातून ने यह प्रापर्टी आबिद रहमान से 28/02/1982 जरिए रजिस्टर्ड बैनामा खरीदी थी।"


क्या कहती है ACM (3rd) की Report...?

अपर नगर मजिस्ट्रेट (तृतीय) कानपुर ने तत्कालीन क्षेत्राधिकारी गोविंदनगर प्रकाश स्वरूप पांडेय की 25 अगस्त 2007 और सुरेंद्र नाथ तिवारी की 1/02/2009 की जांच रिपोर्ट के बाद अपनी रिपोर्ट में लिखा कि "मेरे द्वारा उपरोक्त आरोप की जांच के दौरान लिए गए बयानात और अभिलेखों के परीक्षण के उपरांत सभी आरोप निराधार पाए गए। शिकायतरक्ता कैसरजहां वर्तमान समय में 91/146 हाता हफीज हलीम में अपने भाई-बहन और मां के साथ किराये पर रह रही हैं। आदि हलीम ब्रिटिश नागरिकता ग्रहण करने से पहले अपने मित्र गुलमोहिद्दीन को उक्त मकान की देखरेख के लिए छोड़ गए थे। बाद में इस मकान का मुख्तारअहमद मुख्तार बाबा को 21/12/1999 को नियुक्त किया गया। मुख्तार बाबा द्वारा यह मकान 11/07/2000 को रजिस्टर्ड बैनामा किया गया। इस मकान के जुज भाग पर शिकायतकर्ता कैसरजहां अपने परिवार के साथ रहती है। वर्ष 2002 में सटलर आदि लगाकर शिकायतकर्ता ने कब्जा करने की कोशिश की। बेकनगंज ने शिकायकर्ता के अवैध अतिक्रमण को हटवा दिया। कैसरजहां की मां अमीना बेगम की तरफ से कानपुर न्यायालय में वांद संख्या 501/2000 दायर कर रक्खा है। जो कि कोर्ट में विचाराधीन है।" रिपोर्ट में रामजानकारी मंदिर को लेकर की गई शिकायत पर मंदिर के कर्ताधर्ताओं की वंशावली तक का भी हवाला दिया गया है।

Report में "ACM (3rd) ने आखिरी में लिखा है कि वाहिद अलीम द्वारा अपने मकान नंबर 91/146  को गुलमोहिद्दीन की देखरेख में देना और मुख्तार बाबा को नियुक्त करना और उसके बाद मुख्तार बाबा की तरफ से गुलमोहिद्दीन को मकान की रजिस्ट्री करने इसके बाद शिकायतकर्ता की तरफ से छत पर कब्जा करने से रोकने पर शिकायतकर्ता कैसरजहां ने मुख्तार बाबा के खिलाफ मंदिर की जगह पर "बाबा स्वीट एंड बिरयानी" बनाने और अवैध कब्जा कर अवैध बिक्री करने व साहिद हलीम को पाकिस्तानी होने के आरोप पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर असत्य एवं निराधार पाया गया है। इसकी पुष्टि भू-माफिया सेल के प्रभारियों की जांच रिपोर्ट में भी है।"

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