- 31 वर्ष पुराने मामले में थी शनिवार को ACMM (3) Court में पेशी
- सजा मुकर्रर होने से पहले ही आदेश का पन्ना लेकर "नौ-दो-ग्यारह" हुए राकेश सचान
- जिला जज ने प्रकरण को काफी गंभीरता से लेते Police Officer's से बातचीत की
- ज्यूडीशियली की शाख बचाने को देर रात्रि रीडर (पेशकार) ने दी राकेश सचान के खिलाफ तहरीर
- देर रात्रि तक तहरीर की बात से इनकार करती रही कोतवाली पुलिस
- कोर्ट से भागने के आरोप में IPC 223 समेत कई धाराओं में दर्ज हो सकता है राकेश सचान पर मुकदमा
- यदि दो साल से अधिक की सजा मुकर्रर हुई तो चली जाएगी मंत्री जी की विधायकी भी
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh की Yogi Aditya Nath (Cabinet Minister) की शनिवार को कोर्ट में तबियत नहीं बिगड़ी थी बल्कि मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद वह अदालत से आदेश का एक पन्ना लेकर फरार हो गए थे। शनिवार शाम तक ज्यूडिशियली और प्रशासनिक अफसरों ने काफी देर तक पूरे मामले पर मंथन किया। न्यायपालिका की शाख पर कोई बट्टा न लगे इस लिए देर रात्रि को अपर मुख्य महानगरीय मजिस्ट्रेट (तृतीय) ACMM (3) कोर्ट की रीडर (पेशकार) कामिनी ने योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान के खिलाफ कोतवाली पुलिस को तहरीर सौंप दी। इस संबंध में www.redeyestimes.com (News Portal) ने कोतवाली SHO से रात्रि करीब पौने एक बजे बातचीत की तो उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई तहरीर नहीं आई है। संभव है कि बड़े अधिकारियों के पास तहरीर आई हो। मेरे पास जैसे ही तहरीर आएगी, तत्काल FIR रजिस्टर्ड कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। सूत्रों की मानें तो मामला सीधे-सीधे सत्ता से जुड़ा होने की वजह से Police Officer's भी बेहद फूंक-फूंक कर अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शनिवार सुबह से लेकर देर रात्रि तक MSME Minister राकेश सचान के कोर्ट से भागने की खबरें Social Media पर खूब Viral होती रहीं। हालांकि इन खबरों में विरोधाभाष होने के साथ यह भी पक्का नहीं था कि आखिर मंत्री जी के खिलाफ मुकदमा गिट्टी चोरी का है या फिर आर्म्स एक्ट मामले का....लेकिन शाम होते ही Kanpur Dehat में राकेश सचान ने अपने खिलाफ वॉयरल हो रही खबरों को पूरी तरह से भ्रामक बताकर खुद को बेकसूर और बेगुनाह दर्शाने की कोशिश की। इस बीच मंथन के बाद ज्यूडिशियली के वरिष्ठ अफसरों ने पूरे मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए पूरे घटनाक्रम से काफी हद तक "पर्दा" उठा ही दिया। लेकिन पुलिस देर रात्रि तक पूरे मामले में गोलमोल जवाब मीडिया को देती रही। एक बड़े अधिकारी से जब मीडिया के लोगों ने तहरीर पर बातचीत की तो उन्होंने यह तो स्वीकार कर लिया कि तहरीर मिली है लेकिन तहरीर में क्या उल्लेख है, इस बात से वह बचते और आंखे चुराते नजर आए। अधिकारी ने कहा कि पुलिस CCTV फुटेज के साथ-साथ वहा मौजूद लोगों से भी पूछताछ कर साक्ष्य जुटाएगी।
दोषी करार दिए जाने के बाद सजा पर हुई थी बहस
MSME Minister राकेश सचान शनिवार की सुबह 11:35 बजे वकीलों और सुरक्षा कर्मियों के साथ दीवानी न्यायालय परिसर के दूसरे तल पर स्थित ACMM (3) की Court में पेश हुए। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद मंत्री राकेश सचान को दोषी करार दे दिया। दोषी करार दिए जान के बाद सजा के बिन्दु पर कोर्ट को सुनवाई करनी थी। अभियोजन अधिकारी रिचा गुप्ता ने अपना पक्ष बेहद मजबूती से रखते हुए कड़ी से कड़ी सजा मुकर्रर किए जाने की गुजारिश न्यायधीष आलोक यादव से की। जब कि मंत्री राकेश सचान के अधिवक्ताओं ने बहस से बचते हुए अधिक दंड न दिए जाने की मांग अदालत से की। सूत्रों की मानें तो कोर्ट ने समय न दिए जाने से इनकार किया तो मंत्री के साथ मौजूद तमाम वकीलों ने कोर्ट पर दबाव बनाने का हर संभव प्रयास किया। वकीलों के दबाव में कोर्ट झुकी नहीं। बताया जा रहा है कि इस बीच न्यायधीष आलोक यादव अपने चेंबर में चले गए। जिसके बाद मंत्री के साथ मौजूद कुछ वकीलों ने मंत्री के खिलाफ हुए आदेश की मूल प्रति पढ़ने के ली और मंत्री राकेश सचान को लेकर चले गए।
31 साल पहले हुई थी छात्र नेता नृपेंद्र सचान की हत्या
करीब 31 साल पहले नौबस्ता के तत्कालीन SO ब्रजमोहन उदेनिया ने 13 अगस्त, 1991 को राकेश सचान के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड की थी। राकेश सचान के पास से उनके रिश्तेदार की राइफल मिली थी। मौके पर राकेश लाइसेंस नहीं दिखा सके और न ही उनके रिश्तेदार ही मौजूद थे। इस मामले में पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। गौरतलब हो कि उसी दिन कुछ घंटा पहले ही नौबस्ता थाने से करीब 500 मीटर की दूरी पर में छात्र नेता नृपेंद्र सचान की हत्या हुई थी। पुलिस को शक था कि राकेश इसी मामले में अवैध असलहा लेकर निकले हैं हालांकि उनके खिलाफ असलहा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
MSME Minister पर और भी मामले हैं दर्ज
MSME Minister राकेश सचान पर असलहा अधिनियम के
अलावा तीन और मुकदमे भी कोर्ट में विचाराधीन हैं। तीनों मुकदमे 90 दशक के
आसपास के हैं। पहला मुकदमा IPC 323, 353 और 506 से
जुड़ा है जिसमें राकेश सचान ने बिजली विभाग के अभियंता से विवाद किया था और सरकारी
काम में बाधा डाली थी। दूसरा मुकदमा परमट के हिंदी भवन में डीएवी कालेज की छात्र नेता रहते हुए
विवाद से जुड़ा है। तीसरा मुकदमा कोतवाली से जुड़ा है। वर्ष 1992 में
नामांकन के दौरान राकेश सचान के पास असलहा मिला था जिसकी अनुमति चुनाव आयोग से
नहीं ली गई थी। उक्त तीनों मुकदमे एसीएमएम तृतीय कोर्ट में ही लंबित हैं। बता दें
कि सात साल से कम सजा वाले जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों को सुनने का
क्षेत्राधिकार जिला अदालतों के पास है। यही वजह है कि ACMM (3) राकेश सचान के खिलाफ दर्ज पुराने मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
2 साल की सजा मुकर्रर हुई तो जा सकती है विधायकी
MSME Minister राकेश सचान पर असलहा अधिनियम की धारा 20, 25 और 30 के तहत मुकदमा दर्ज है। जिसमें अवैध तरीके से बिना लाइसेंस दूसरे का शस्त्र रखने और उसे लेकर घूमने और प्रदर्शन करने का आरोप है। इस आरोप में अधिकतम तीन साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। उल्लेखनीय है कि कोर्ट इस मामले में दो वर्ष की सजा भी सुनाता है तो राकेश सचान की विधानसभा की सदस्यता रद्द हो जाएगी।
Post A Comment:
0 comments: