- Police ने पांच पन्नों का सुसाइड नोट किया बरामद
- शिष्य Anand Giri को पुलिस ने हरिद्वार में पकड़ा
- Anand का आरोप, "गुरुजी की हत्या की गई है"
Yogesh Tripathi
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। नरेंद्र गिरी का शव प्रयागराज के बाघंबरी मठ में Monday की शाम को पंखे से लटकता मिला। मौका-ए-वारदात पर पहुंची पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद "Death Mystery" से "पर्दा" उठ सकता है। पुलिस को करीब पांच पन्ने का एक (Suicide Note) मिला है। जिसमें Narendra Hoti ने अपने शिष्य आनंद गिरि और दो अन्य लोगों को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
प्रयागराज के IG (Range) K.P Singh ने कहा, “महंत ने एक बहुत विस्तृत सुसाइड नोट लिखा है जहां उन्होंने अपना सामान भी सूचीबद्ध किया है जो संबंधित लोगों को देना है। इसमें उनका वसीयतनामा भी है।” प्रयागराज आईजी के.पी. सिंह ने कहा, “हमें आश्रम से फोन आया कि महाराज (महंत नरेंद्र गिरि) फंदे से लटक गए हैं।
वहीं देर रात्रि आनंद गिरी को उत्तराखंड के हरिद्वार में पुलिस ने हिरासत में ले लिया। Anand Giri ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि Narendra Giri ने खुदकुशी नहीं की बल्कि उनकी साजिश के तहत हत्या की गई है। Anand Giri का आरोप है कि "पर्दे" के पीछे काफी ताकतवर लोग हैं जो मौक़ा पाकर उसका भी Murder करवा सकते हैं।
आनंद गिरी का कहना है कि ये एक बड़ी साजिश है जो गुरुजी से पैसे ऐंठते थे और उन्होंने ही पत्र में मेरा नाम लिखा है। इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि गुरु जी ने अपने जीवन में एक पत्र नहीं लिखा और वह कभी आत्महत्या नहीं कर सकते हैं, उनकी लिखावट की जांच की जानी चाहिए।
आनंद गिरी ने आगे कहा कि मैंने अपना पूरा जीवन वहीं महंत नरेंद्र गिरी के मठ में बिताया है। कभी उनसे कोई पैसा नहीं लिया। मेरे और गुरु जी के बीच सब कुछ अच्छा था और इसलिए मैं सरकार से इस मामले की निष्पक्ष और पूरी जांच कराने का अनुरोध करता हूं।
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