देश की राजधानी Delhi स्थित पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (PSRI) का CEO डॉक्टर दीपक शुक्ला किडनी कांड का मुख्य सरगना और मॉस्टर माइंड निकला। लंबी पूछताछ के बाद अंतत: Kanpur की Crime Branch (Team) ने उसे Arrest कर लिया। फजलगंज थाने में उसके खिलाफ लिखापढ़ी की जा रही है। क्राइम ब्रांच के एसपी राजेश यादव की मानें तो डॉक्टर दीपक शुक्ला ही किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह का मॉस्टर माइंड और सरगना है।


[caption id="attachment_19580" align="alignnone" width="920"] कानपुर में मीडिया से वार्ता करते एसपी क्राइम राजेश यादव ने किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह के सरगना दीपक शुक्ला को गिरफ्तार किए जाने की जानकारी दी।[/caption]

YOGESH TRIPATHI


फ्राइ-डे को क्राइम ब्रांच की टीम ने दिल्ली से उठाया

पुलिस सूत्रों के मुताबिक कानपुर क्राइम ब्रांच की टीम शुक्रवार को दिल्ली पहुंची। डॉक्टर दीपक शुक्ला को हिरासत में लेने के लिए कई टीमें बनाई गई थीं। उसके घर के साथ-साथ अस्पताल परिसर में भी टीम मुश्तैद थी। एक टीम ने उसे हिरासत में ले लिया। देर रात ही क्राइम ब्रांच की टीम दीपक शुक्ला को लेकर कानपुर के लिए रवाना हो गई।

बेहद गोपनीय जगह रखकर की गई पूछताछ

कानपुर लाने के बाद अफसरों के निर्देश पर डॉक्टर दीपक शुक्ला को बेहद गोपनीय जगह पर रखकर क्राइम ब्रांच की टीम ने पूछताछ शुरु की। लंबी पूछताछ और कागजातों में जब क्राइम ब्रांच को गोलमाल दिखा तो शनिवार देर शाम उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह का सरगना है दीपक शुक्ला

क्राइम ब्रांच अफसरों की मानें तो पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (PSRI) का CEO डॉक्टर दीपक शुक्ला ही किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह का सरगना है। श्रीयादव के मुताबिक जांच में 4 डोनरों के दस्तावेज मिले थे। इसमें लखनऊ का शोएब उर्फ शीबू, वरदान चंद्र, रईस और राजेश गुप्ता शामिल हैं। रईस के लीवर और बाकी तीन के किडनी का सौदा किया गया था। सत्यापन में सभी दस्तावेज फर्जी मिले हैं। सभी पर दीपक शुक्ला के हस्ताक्षर पाए गए हैं। PSRI (Hospital) में ही डोनर और रिसीवर की जांचों के साथ ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया हुई। इन साक्ष्यों को पुलिस ने जुटाया है। एसपी के मुताबिक इन साक्ष्यों के आधार पर ही दीपक शुक्ला को गिरप्तार किया गया है।

किडनी-लीवर ट्रांसप्लांट कमेटी का हेड है डॉक्टर दीपक शुक्ला

किडनी-लिवर के ट्रांसप्लांट के लिए हर जनपद में एक कमेटी होती है। इसका हेड जिले का डीएम होता है। कमेटी में सीएमओ, डिप्टी सीएमओ समेत कई चिकितसकों का पैनल भी होता है। डोनर-रिसीवर की जांच और दस्तावेज लेकर कमेटी सत्यापन करवाती है।


एसपी क्राइम राजेश यादव के मुताबिक चूंकि PSRI में एक साल में 25 से अधिक ट्रांसप्लांट के केस होते थे, इसलिए हॉस्पिटल स्तर पर एक कमेटी बनाई गई थी, जिसमें हेड डॉक्टर दीपक शुक्ला है। एसपी क्राइम ने बताया कि जब अंगों के ट्रांसप्लांट की कमेटी की मीटिंग होती थी तो वह खुद मौजूद रहते थे। वही सभी फाइलों को पास करते थे। यहां पर भी दीपक शुक्ला की भूमिका के सुबूत मिले।

बर्रा पुलिस ने किया था किडनी रैकेट का भंडाफोड़

कानपुर की बर्रा पुलिस ने 17 फरवरी 2019 को किडनी कांड का खुलासा किया था। अब तक इस केस में 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसमें पश्चिम बंगाल का टी राजकुमार, लखीमपुर का गौरव मिश्रा, जयपुर का शैलेश सक्सेना, लखनऊ का सबूर अहमद, विक्की और शमशाद अली के साथ श्याम तिवारी उर्फ श्याम मोहन, राजा उर्फ मोहम्मद उमर, रामू पांडेय, गुलाम जुनैद अहमद खान को जेल भेजा जा चुका है। जांच क्राइम ब्रांच की टीम कर रही है।

गौरतलब है कि दिसंबर 2018 में किदवई नगर निवासिनी संगीता नाम की महिला को नौकरी दिलाने का झांसा देकर क्षेत्र के श्याम तिवारी, कर्रही के मोहित निगम और हमीरपुर मौदहा के जुनैद दिल्ली ले गए थे। यहां पर अपने साथी पश्चिम बंगाल निवासी टी राजकुमार, लखीमपुर निवासी गौरव मिश्रा के साथ मिलकर उसकी किडनी का सौदा कर दिया। भनक लगने के बाद संगीता भागकर कानपुर आई थी। 29 जनवरी को उसने बर्रा थाने में तहरीर देकर रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद बर्रा पुलिस ने स्टिंग कर आरोपितों को गिरफ्तार किया था।


 

 

 
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