Lok Sabha Election 2019 के पांचवे चरण की वोटिंग से ठीक तीन दिन पहले Bihar के बाहुबली माफिया डॉन राजन तिवारी की BJP में एंट्री हो गई। बिहार के गवर्नर लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन की मौजूदगी में इस माफिया डॉन ने बीजेपी ज्वाइन की। आशुतोष टंडन UP की Yogi सरकार में Minister हैं। राजन तिवारी के भाजपा में आने के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। जो निकट भविष्य में देखने को साफ तौर पर मिलेगा। www.redeyestimes.com (News Portal) के पास सूत्रों से जो जानकारियां हैं उसके मुताबिक BJP राजन तिवारी को शामिल कर "एक तीर से कई शिकार" करने के मूड में है। राजन तिवारी संतकबीर नगर में "जूताकांड" करने वाले सांसद शरद त्रिपाठी के बेहद खास हैं। यूपी में "राजनैतिक छतरी" तलाश रहे राजन तिवारी ने पिछले दो महीने के दौरान 4 राजनीतिक दलों को ज्वाइन किया। सोशल मीडिया Twitter पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। किसी ने लिखा, “राजन तिवारी BJP के “गंगाजल” में पवित्र हो गए”। एक यूजर्स ने लिखा है कि अंतत: “Big-Boss” के घर में एंट्री पा गए राजन तिवारी। ये सबसे सुरक्षित घर है राजन के लिए। खास बात ये है कि राजन तिवारी अभी महज कुछ महीने पहले तक BJP के नेशनल प्रेसीडेंट अमित शाह को facebook पर “तड़ीपार” कहकर संबोधित करते थे, सवाल ये है कि क्या राजन तिवारी को अमित शाह की “कृपा” मिल पाएगी या फिर .....?
[caption id="attachment_19431" align="alignnone" width="555"] बात अभी कुछ महीना पहले ही की है जब राजन तिवारी बीजेपी के नेशनल प्रेसीडेंट अमित शाह को अपने फेसबुक पेज पर "तड़ीपार" लिखते थे।[/caption]
YOGESH TRIPATHI
कौन है राजन तिवारी ?
पूर्वांचल के गोरखपुर जनपद स्थित सोहगौरा गांव निवासी राजन तिवारी की प्राइमरी तक की शिक्षा इसी गांव के सरकारी स्कूल में हुई है। परिवार के करीब-करीब सभी सदस्य पैतृक घर में ही रहते हैं। राजन तिवारी को बेहद करीब से जानने वालों की मानें तो जवानी में कदम बहके तो राजन तिवारी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जान-अनजाने में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले राजन तिवारी के नाम से बिहार और यूपी के छोटे-बड़े अपराधी कांपने लगते हैं। रसूख इतना बड़ा है कि एक ही रंग की सैकड़ों लग्जरी गाड़ियों का काफिला लेकर यह अंडरवर्ल्ड डॉन जब निकलता है तो लोगों की आंखे फटी की फटी रह जाती हैं। इसकी सुरक्षा में अत्याधुनिक असलहों से लैस होकर चलने वाले “अपनो” की एक बड़ी फौज है।
[caption id="attachment_19432" align="aligncenter" width="618"] राजन तिवारी की ये फोटो गूगल से ली गई है।[/caption]
90 के दशक में श्रीप्रकाश शुक्ला गैंग में की थी एंट्री
श्रीप्रकाश शुक्ला नब्बे के दशक में आतंक का पर्याय था। तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के मर्डर की सुपारी लेने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला को ढेर करने के लिए उत्तर प्रदेश स्पेशल टॉस्क फोर्स (UPSTF) का गठन किया गया था। इसी दौर में राजन तिवारी श्रीप्रकाश शुक्ला के संपर्क में आया। श्रीप्रकाश शुक्ला की छतरी के नीचे उसने तमाम घटनाओं को अंजाम दिया। देखते ही देखते राजन तिवारी थोड़े ही समय में श्रीप्रकाश शुक्ला का “Left Hand” कहलाने लगा था। यूपी पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके ये खूंखार अपराधी तब के समय में Most Wanted थे। सूबे की पुलिस हाथ धोकर श्रीप्रकाश और उसके गिरोह के पीछे पड़ी तो राजन तिवारी Bihar भाग गया। श्रीप्रकाश को STF ने ढेर कर दिया। लंबे समय तक अंडरग्राउंड रहने के बाद राजन तिवारी ने बिहार में अपना गिरोह खड़ा कर लिया।
[caption id="attachment_19433" align="alignnone" width="720"] यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन करने के बाद मीडिया के सामने राजन तिवारी।[/caption]
वीरेंद्र शाही पर किया था प्राणघातक हमला
सूबे के महाराजगंज जनपद की लक्ष्मीपुर विधान सभा से तब एक बड़े माफिया वीरेंद्र प्रताप शाही विधायक थे। श्रीप्रकाश की रार वीरेंद्र प्रताप शाही के साथ-साथ हरिशंकर तिवारी से भी काफी बढ़ चुकी थी। वजह स्क्रैप समेत कई बड़े ठेकेदारी की ही थी। वीरेंद्र शाही भी गोरखपुर के रहने वाले थे। 24 अक्तूबर 1996 को वो गोलघर स्थित कार्यालय से घर को निकले। साथ में उनका गनर जयराम राय भी था। कैंट एरिया में पहुंचते ही दोनों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलियों की बौंछार हमलावरों ने की। कार में बैठे वीरेंद्र शाही की जांघ में गोली लगी। उनके गनर जयराम राय की मौत हो गई। इल्जाम माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला, राजन तिवारी समेत चार लोगों पर लगा। श्रीप्रकाश के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद भी ये मुकदमा चलता रहा। सबूतों के अभाव में कोर्ट ने 2014 में राजन तिवारी को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया।
Bihar के Minister की हत्या का आरोप
UPSTF और UP Police से जान बचाकर भागे राजन तिवारी ने महज कुछ महीने के दौरान ही बिहार प्रांत में अपना बड़ा गिरोह खड़ा कर लिया। अत्याधुनिक असलहों से लैस उसके गुर्गों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया। RJD के नेता और पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या में राजन तिवारी का नाम से वो फिर सुर्खियों में आ गया। इसके बाद राजन तिवारी के नाम के आगे बाहुबली लिखा जाने लगा। राजन तिवारी के नाम से लोग खौफ खाने लगे। पुलिस ने इस हत्या के जुर्म में राजन तिवारी को Arrest कर कोर्ट में पेश किया। मुकदमा चला और अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा मुकर्रर की। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राजन ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। करीब 15 साल बाद जुलाई 2014 में राजन तिवारी को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया।
सियासी महत्वकांक्षा कूट-कूट कर भरी
बहुत कम लोग जानते हैं कि श्रीप्रकाश हो या फिर राजन तिवारी दोनों के अंदर सियासी महत्वकांक्षा कूट-कूट कर भरी थी। श्रीप्रकाश जब जिंदा था तो वो हरिशंकर के खिलाफ चिल्लूपार विधान सभा से निर्विरोध विधायक बनने का सपना पाले थे। ऐसी ही महत्वकांक्षा राजन तिवारी के अंदर भी थी वो भी लक्ष्मीपुर विधान सभा से। अपराध की दुनिया में अपने नाम की दहशतगर्दी फैलाने के बाद राजन तिवारी ने बिहार में ही सियासी जमीन भी चुन ली। वो दो बार विधायक बना। यूपी के विधान सभा चुनाव में राजन तिवारी कुशीनगर, देवरिया की किसी विधान सभा से चुनाव लड़ने के लिए बेताब दिखा। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती के सिग्नल पर स्थानीय नेताओं ने उसे बीएसपी ज्वाइन करवा दिया। लेकिन सफलता राजन तिवारी से दूर ही रही।
बेतिया से लड़ना चाह रहा थे लोकसभा चुनाव
राजन तिवारी लोकसभा 2019 के चुनाव में बेतिया से चुनाव लड़ने का सपना संजोए रहे। सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय स्तर पर भी उन्होंने जमकर तैयारी की। RJD नेता तेजस्वी यादव ने जब टिकट नहीं दिया तो उन्होंने RJD का दामन छोड़ उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ज्वाइन कर ली। उपेंद्र कुशवाहा ने भाव नहीं दिया तो बसपा और अब बीजेपी का भगवा चोला ओढ़ लिया।
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