- Congress अब हर मोर्चे पर BJP
को जवाब देती दिखाई दे रही है : खाबरी
- Rahul
Gandhi को पप्पू बनाने के पीछे भाजपा ने खर्च
कर डाले 65 हजार करोड़
- जगजीवनराम को अध्यक्ष बनाकर इंदिरा गांधी ने
दिखाई थी दूरदर्शिता
- अब मल्लिका अर्जुन खड़गे की है बारी : खाबरी
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उरई स्थित अपने आवास पर बेबाकी से बातचीत करते UPCC के New President ब्रजलाल खाबरी |
Dr.
Rakesh Dwivedi
DS-4 (दलित, शोषित, समाज संघर्ष समिति) की नीतियों ने एक किशोर के मन में ऐसा प्रभाव छोड़ा कि उसने दलितों को न्याय दिलाने वाली विचारधारा को “आलिंगनबद्ध” कर लिया। समय के चक्र के साथ इस युवा मन में भी परिवर्तन आते और बढ़ते रहे। BSP के संस्थापक
कांसीराम की नजरों ने उसी वक्त भांप
लिया कि बृजलाल अहिरवार ( खाबरी नाम
बाद में जुड़ा) नाम का यह युवा उनकी
विचार धारा के मुफीद रहेगा। Delhi के बाद होशियारपुर से Start यह “कहानी” राजनीति का “उपन्यास” बन गई। कई पड़ाव
आए पर यात्रा जारी रही। अब नया पड़ाव Uttar Pradesh Congress के
President के रूप में आया है। अपने स्वभाव
के अनुरूप ही खाबरी बोले, “न डरेंगे, न दबेंगे”… BJP
को उसी रूप में जवाब जिले से लेकर
प्रदेश तक दिया जाएगा, जैसा जरूरी होगा।
कांशीराम सिर उठाकर और मुखर होकर जीना
बता गए हैं। बृजलाल खाबरी President (UPCC) से
उनके उरई स्थित आवास पर www.redeyestimes (News Portal) के सीनियर जर्नलिस्ट Dr. Rakesh Dwivedi ने उनसे बातचीत की और श्रीखाबरी ने काफी बेबाकी से हर सवाल का जवाब भी दिया....
9th
Class के Student के मन में किसी को न्याय दिलाने का विचार कैसे आया…?
यह बात अप्रैल 1977 की
है। तब मैं कक्षा नौ में कोंच के SRP Inter College में पढ़ता था। खाबरी से कोंच तक की यात्रा साइकिल से तय होती
थी। बिरादरी का एक व्यक्ति दबंग के यहां बंधुआ मजदूर था। वह घर पिता जी के पास
मदद के लिए आया। मैंने दूध-रोटी खाते-खाते उसकी पूरी बात सुन ली और कहा
तुम केलिया थाने पहुंचो। दो घंटे पढ़ने के बाद मैं भी थाने पहुंच गया। वहां
के थानेदार ने मदद कर मेरे उत्साह को काफी बढ़ाया। यहीं से राजनीति के
क्षेत्र में आने का मन बन गया।
BSP में आपका प्रभाव कैसे बढ़ा…? उस वक्त जिले में कई दिग्गज नेता थे
DV
College में दो छात्रसंघ चुनाव लड़े पर कामयाब
नहीं हुआ। इसके बाद नये नारे
और सिद्धांतों को लेकर उभरी BSP से जुड़ा। जिम्मेदारी पूरी करने की भूख रहती थी तो कांशीराम
की नजरों में आ गया। 1992 तक कांशीराम और बहन मायावती अच्छी तरह से मुझे जानने लगे थे। 1995 में
मुझे BSP का जालौन जिलाध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद 1999 के
लोकसभा चुनाव में BSP ने प्रत्याशी घोषित कर
दिया। मैं BJP के भानुप्रताप को हराकर सांसद भी बन गया।
BSP में कई बड़े ओहदों पर रहे फिर पार्टी छोड़ने की नौबत क्यों आई...?
ये सच है कि खूब महत्व
मिला। 2004 में भितरघात की वजह से चुनाव हारा तो बहन जी ने फोन पर पूछा कि “तू
तो जीत रहा था, फिर हारा क्यों ?
हार
की वजह बताई। उन्होंने मुझे बुंदेलखंड से हटाकर गोरखपुर मंडल बतौर
कोआर्डिनेटर भेज दिया। इसके
बाद आगरा, मेरठ मण्डल की भी जिम्मेदारी मिली। एक वक्त ऐसा भी आया जब दिल्ली प्रदेश प्रभारी के अतिरिक्त, झारखंड मप्र, आंध्रा, कर्नाटक का भी प्रभारी के रूप में कामकाज देखा।
फिर वहां से हटने की नौबत भला क्यों आ
गई…?
मैं जिसके साथ भी रहता
हूँ तो पूरी निष्ठा के साथ रहता हूँ। मेरे विरोधियों ने जब कान भरने शुरु किए
तो मेरा राजनीतिक नुकसान किया जाने लगा। यदि कोई पीठ पर छुरा भोंके तो यह मैं
बर्दाश्त नहीं करता। यह मेरा स्वभाव है। इसके बाद
10 अक्टूबर 2016
को Congress
ज्वाइन कर ली।
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कुछ सवालों पर ब्रजलाल खाबरी अपनी हंसी को रोक नहीं पाए।
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कांशीराम क्यों छाए ? इस विषय पर बातचीत में Rahul Gandhi
प्रभावित हो गए, आपने ऐसा क्या कह दिया…?
( हंसते हुए आपको कैसे पता…?) मैंने Rahul Ji से कुछ बुनियादी बातें की। कहा कि ब्राह्मण, दलित, मुस्लिम यह Congress का कभी मूल वोट था। पूरा दलित ( चौधरी) Congress के साथ था। ये क्यों था…?
इसकी
मूल वजह बाबू जगजीवनराम थे।
Indira
Ji ने उन्हें हमेशा अपने साथ बैठाया। फिर
अध्यक्ष भी बनाया। इस निर्णय ने दलितों पर प्रभाव छोड़ा। जब तक आप दूसरा जगजीवन राम
पैदा नहीं करोगे, Congress
का भला नहीं होने वाला। फिर एक प्लम्बर का उदारण देकर भी समझाया। कहा कि, “जो प्लम्बर फिटिंग करता है,
उसी को पता रहता है कि उसने कहां पर कौन सी कमी की है। इसलिए राजनीति में अनुभव को ही जब
तरजीह मिलेगी तो कमी दूर होगी”।
इन उदाहरणों से Rahul Gandhi कितना समझे…?
बड़ी गंभीरता से सुना। कहा
कि कांशीराम के साथ मिलकर उनके कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार से Congress को खत्म किया अब वही लोग Congress
को जीवित करें। इसके बाद उन्होंने मुझे SC प्रकोष्ठ
का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया।
बहन जी के तो आप काफी करीब रहे, क्या
उन्होंने बधाई दी...?
( मुस्कुराते
हुए ) अभी तक तो नहीं मिली। फिर भला अब उनसे बधाई क्यों मिलेगी..?
मुझे भी अलग दल में आकर ऐसी उम्मीद नहीं
करनी चाहिए।
कार्यकर्ता ऐसा क्यों कह रहे हैं कि Congress अब खड़ी हो जाएगी...?
Rahul
Gandhi & Priyanka Gandhi 2016 से मेरी कार्यक्षमता और कार्य प्रणाली को देख रहे हैं। कुछ सोचकर ही मुझे दायित्व दिया गया है। उनके निर्णय को
सही ठहराने की चुनौती अब मेरे लिए है। देखिएगा,
बदली हुई Congress अब Uttar
Pradesh में
दिखेगी। Congress को अब लड़ता हुआ बनाएंगे। Congress
हर मोर्चे पर BJP को मुंहतोड़
जवाब देगी। न डरेंगे न दबेंगे।
BJP तो Rahul
Gandhi को “पप्पू” कहती और मजाक बनाती है...?
BJP की यह रणनीति है। यदि
वह किसी से डर रही है तो वह Rahul Gandhi ही हैं। उन्हें “पप्पू”
साबित करने के लिए अब 65 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुका है। कन्याकुमारी से
कश्मीर तक की यात्रा से भाजपा में खलबली है। मीडिया भी उनके हाथों “खेल” रही है, इसलिए यात्रा को सही कवरेज नहीं हो रहा है। Rahul Gandhi के पैरों में पड़े छाले मीडिया नहीं देख पा रही है। महात्मा गांधी
के बाद दूसरे राहुल हैं, जो पैदल चलकर इतनी दूरी तय करेंगे।
Social
Media पर BJP काफी
आगे है...कांग्रेस क्यों पिछड़ी है...?
अब हम भी मजबूत हुए हैं।
Uttar
Pradesh में यदि आवश्यकता हुई तो इसे और मजबूत
किया जाएगा। वैसे अब BJP
भागती हुई नजर आ रही है। बड़े तगड़े जवाब मिल रहे हैं। झूठ को भी उजागर किया
जा रहा है।
Note----Dr. Rakesh Dwivedi
ने करीब दो दशक तक तक अमर उजाला अखबार में डेस्क और मुरादाबाद के साथ-साथ
हिन्दुस्तान अखबार में अपनी सेवाएं दी हैं। वह लंबे समय तक हिन्दुस्तान
अखबार में ब्यूरो चीफ रहे हैं...वर्तमान में वह "अरविंद माधुरी तिवारी
महाविद्यालय" के प्राचार्य हैं।