Kanpur (Uttar Pradesh)
देश के पहले कृषि पत्रकारिता व विज्ञान संचार पाठ्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ हो गया। दैनिक जागरण समूह के सीएमडी व जागरण इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड मॉस कम्युनिकेशन (जिम्सी) के चेयरमैन डॉ महेंद्र मोहन गुप्त और चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. डीआर सिंह ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की उपस्थिति में इस संयुक्त पाठ्यक्रम के एमओयू पर हस्ताक्षर किये। 
चंद्रशेखर आजाद कृषि विवि परिसर में आयोजित MOU हस्ताक्षर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने प्रसन्नता जताई कि दैनिक जागरण प्रणीत पत्रकारिता संस्थान जिम्सी और राज्य सरकार के शीर्ष कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय सीएसएयू ने साथ-साथ मिलकर कृषि व ग्रामीण जागरूकता की दिशा में एक ठोस कदम बढाया है। एक प्रयोगधर्मी जागरूक किसान की बेटी होने के नाते उन्होंने एमओयू पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि आज कृषि पत्रकारिता को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि किसानों को मीडिया के विविध माध्यमों से अपनी आय बढ़ाने के लिए खेतों में विविध प्रकार के प्रयोगों के बारे में जानकारी मिल सके और इससे वह कम भूमि में अधिक से अधिक पैदावार कर सकेंगे। 
राज्यपाल ने विज्ञान संचार पर कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को जमीन पर उतरने की जरूरत है। सुश्री आनंदी बेन ने दैनिक जागरण समूह के सीएमडी और पूर्णचंद्र गुप्त स्मारक ट्रस्ट और जागरण एजूकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ महेंद्र मोहन जी से चर्चा के दौरान जागरण समूह की पहल पर चलाए जा रहे शैक्षिक, कौशल विकास, पत्रकारिता, टीवी, रेडियो, विज्ञान संचार व न्यू मीडिया विषयक कार्यक्रमों के बारे में जानकारी हासिल की और आशा जताई कि कृषि पत्रकारिता के नवीन पाठ्यक्रम का लाभ प्रदेश ही नहीं देश विदेश के पत्रकारों व किसानों व उद्यमियों को मिल सकेगा।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख एवं नीति आयोग के सदस्य डा. रमेशचन्द्र, जिम्सी के निदेशक प्रो. उपेन्द्र पाण्डेय, प्रोफेसर विजय कुमार यादव एवं धीरज शर्मा भी मौजूद रहे।
कृषि, कृषि एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने संबोधन में कृषि पत्रकारिता के नये युग के शुभारंभ के अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय व जागरण समूह के साझा प्रयासों की सराहना की और उम्मीद जाहिर की कि भावी कृषि पत्रकार नये युग का सूत्रपात करेंगे।
नीति आयोग के सदस्य डा. रमेशचन्द्र ने कहा कि जागरण समूह के इस इनिशिएटिव से न सिर्फ कृषि का संवर्द्धन होगा अपितु कृषि योजनाओं, वैज्ञानिक जानकारियों की आम किसान तक जानकारी सुलभ हो सकेगी। देश में पहली बार शुरू होने वाले इस पाठ्यक्रम को प्रदेश सरकार ने अपनी अनुमति प्रदान की है।

दो वर्षीय कृषि पत्रकारिता एवं विज्ञान संचार स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की खास बातें

इस माह से Start हो रहे दो वर्षीय कृषि पत्रकारिता एवं विज्ञान संचार स्नातकोत्तर डिप्लोमा में इस वर्ष 40 सीटें निर्धारित की गई हैं जिनमें छात्र-छात्राओं का चयन लिखित एवं साक्षात्कार के आधार पर किया जायेगा। 
प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर का संचालन जागरण इंस्टीट्यूट आफॅ मैनेजमेन्ट एण्ड मास कम्युनिकेशन एवं द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर का संचालन चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर में किया जायेगा।
प्रवेश पाने वाले छात्र-छात्राओं को पत्रकारिता, विज्ञानसंचार, संवाद, कृषि का सामान्य ज्ञान, कृषि, कृषि उद्योग, विपणन, आधुनिक प्रजातियों एवं तकनीकी विकास, नवोन्मेषी प्रयोग, कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, विषयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों पर प्रयोगात्मक अध्ययन, डाक्यूमेन्टरी, प्रजेन्टेशन, कम्प्यूटर, प्रोग्राम स्किल, एग्रीस्टार्टप आदि विषयों के साथ साथ ग्रामीण प्रबन्धन, सामाजिक आर्थिक पहलुओं, सरकारी, गैरसरकारी योजनाओं की समीक्षापयोगी, विषयवस्तु आदि की जानकारी दी जाएगी।


कृषि पत्रकारिता एवं विज्ञान संचार स्नातकोत्तर डिप्लोमा क्यों ?
1. सरकार के विजन और मिशन के साथ ग्रामीण विकास के लिए नई पहल के लिये।
2. ग्रामीण कृषि की मुख्य समस्याओं को हल करने एवं सरकारी योजनाओं और नीतियों के प्रभावी तरीके से लागू करने, उनकी महत्वपूर्ण समीक्षा और प्रभावी कारकों के आंकलन एवं समाधान हेतु एक नये मानव संसाधन विकास तंत्र सृजन हेतु।
3. कृषि उद्योगों एवं उद्यमियों के विकास में गतिशीलता लाने, 
4. ग्रामीण रोजगार विस्तार,
5. आत्मनिर्भर गांव बनाने,
6. प्रभावी आपदा प्रबंधन विकास, 
7. ग्रामीण जनमानस के समाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक सुधार,
8. ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान के प्रति जागरूकता पैदाकरने,
9. नयी पत्रकारिता का नया दौर
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