- श्रीआनंदेश्वर मंदिर के ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी का पार्थिव शरीर आज लाए जाने की उम्मींद
- श्रीआनंदेश्वर मंदिर के महंत की गद्दी को लेकर बढ़ रही है जूना अखाड़े और श्यामगिरी के शिष्यों में रार
- Sunday की शाम ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (JCP) ने सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था के मद्देनजर बातचीत की
- ब्रम्हलीन महंत को भू-समाधि देने के लिए बाबा घाट पर खोदे गए दो बड़े गड्ढे
- जिला प्रशासन के साथ-साथ खुफिया इकाइयां भी Alert
- 31 August तक श्रीआनंदेश्वर मंदिर के पट भक्तों के लिए रहेंगे पूरी तरह से बंद
- एक पक्ष का कागज तो दूसरे पक्ष का "Power Bank" है बेहद मजबूत
Yogesh Tripathi
Kanpur में लाखों भक्तों की आस्था के केंद्र श्रीआनंदेश्वर मंदिर (परमट) के महंत श्यामगिरी के ब्रम्हलीन होने के बाद मंदिर के महंत की गद्दी पर विराजमान होने के लिए जूना अखाड़े और श्यामगिरी के शिष्यों के बीच बढ़ती रार को देखते हुए इंटेलीजेंस और जिला प्रशासन Alert हो गया है। यही वजह रही कि Sunday को शहर के ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (JCP) आनंद प्रकाश तिवारी ने श्रीआनंदेश्वर मंदिर की वर्तमान समय में व्यवस्था संभाल रहे जूना अखाड़े के लोगों से बातचीत कर शांति व्यवस्था और सुरक्षा के बाबत तमाम जानकारियां लीं। सूत्रों की मानें तो देर रात्रि तक खुफिया एजेंसियां भी मोबाइल पर दोनों पक्ष के लोगों से बातचीत कर तमाम सूचनाएं और जानकारियां एकत्र करते रहे। कुछ के अपराधिक इतिहास की भी "कुंडली" खंगाली जा रही है। उधर, बाबा घाट पर आनन-फानन में दो बड़े गड्ढे भी समाधि देने के लिए जूना अखाड़े की तरफ से खोदवा दिए गए। एक गड्ढा मंदिर परिसर के अंदर और दूसरा मंदिर के बाहर खोदा गया है।
ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी को भू-समाधि देने के लिए बाबा घाट मंदिर के अंदर खोदा गया गड्ढा |
ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी के सबसे बड़े शिष्य रामदास उर्फ अमर कंटक और कृपा पात्र शिष्य चैतन्य गिरी महराज का कहना है कि मंदिर में सदियों पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा रही है। इस परंपरा के तहत ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी का अंतिम संस्कार करने का हक उनके शिष्यों का है। दोनों ही शिष्यों ने ये भी दावा किया है कि महंत के ब्रम्हलीन होने के बाद मंदिर की गद्दी पर उनका ही कोई शिष्य विराजमान होना चाहिए। अमरकंटक और चैतन्य गिरी का आरोप है कि सत्ता के "Power Bank" की बदौलत कुछ महीना पहले श्यामगिरी के शिष्यों पर दानपात्र चोरी करने का झूठा इल्जाम लगाकर न सिर्फ जेल भेजा गया था बल्कि उन सभी लोगों के मंदिर प्रवेश पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया।
बाबा घाट मंदिर के बाहर खोदा गया गड्ढा |
उल्लेखनीय है कि www.redeyestimes.com (News Portal) ने महंत के ब्रम्हलीन होने की सबसे पहले खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कर मंदिर में लंबे समय से चल रही गद्दी की खीचतान को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया। शायद यही वजह रही कि शहर पुलिस के आला अफसरों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे तुरंत संज्ञान में लिया। News Portal के अभी तक की छानबीन में एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि एक पक्ष कागजों पर बेहद मजबूत है। जिला कोर्ट से लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट तक चले सभी मुकदमों में उसकी जीत हुई है जबकि दूसरे पक्ष यानि जूना अखाड़ा की एंट्री मंदिर में कब हुई...? इसके मजबूत पेपर संभव है कि अधिकारियों को देखने के लिए मिल जाएं।
Court में लिखित दे चुके हैं श्यामगिरी.....
वर्ष 80 में कानपुर के सिविल जज सीनिय डिवीजन (दितीय) की अदालत में चल रहे (श्रीआनंदेश्वर महादेव बनाम श्रीआनंदेश्वर ट्र्स्ट) के मुकदमें ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी ने हलफमाना देकर अदालत को भी बता चुके हैं कि मंदिर के महंत गुरु के चेला ही होते रहे हैं। महंत के गोलोकवासी होने पर परंपार के मुताबिक महंत का चेला ही महंत होता है। कोर्ट में दिए गए उनके हलफमानमें के मुताबिक महंत आनंद गिरी के बाद उनके शिष्य कृपाल गिरी तथा कृपाल गिरी के बाद उनके शिष्य जुगराज गिरी, उसके बाद उनके शिष्य हरिहर गिरी, फिर उसके बाद उनके चेला गोकुल गिरी, शिवराम गिरी, बल्देव गिरी, मोहन गिरी, माधव गिरी, महेश गिरी, दशरथ गिरी, लहर गिरी और फिर उनके शिष्य चतुर गिरी मंदिर के महंत की गद्दी पर शोभामान हुए। चतुर गिरी ने इसके बाद अपने शिष्य श्यामगिरी को श्रीआनंदेश्वर मंदिर का महंत बनाया था। श्यामगिरी ने पहरा 4 में लिखा है कि महंत चतुर गिरी के बाद शपथकर्ता उनका चेला होने की वजह से महंत हुआ। शपथकर्ता की नियुक्ति बतौर पंचनाम जूना अखाड़ा ने की थी।
दो दशक पहले कोर्ट में श्यामगिरी की तरफ से दिया गया हलफनामा
(यक्ष प्रश्न यही है कि जूना अखाड़ा ने श्यामगिरी की नियुक्ति क्यों की थी...? क्या उसी समय से मंदिर के महंत की गद्दी को लेकर कोई साजिश रची जा रही थी....? इसका जवाब श्यामगिरी ही जानते होंगे...जो अब दुनिया में नहीं हैं और गोलोकवासी हो चुके हैं...जानकारों की मानें तो श्यामगिरी जूना अखाड़े से जुड़े थे और महामंडलेश्वर थे...) सवाल यही है कि जूना अखाड़े से जुड़े होने की वजह से क्या मंदिर पर जूना अखाड़ा के साधु-संत विराजमान होंगें ...? या फिर 225 वर्ष से चली आ रही मंदिर के महंत की गद्दी पर विराजमान होने की गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करवाया जाएगा। यह तो जिला प्रशासन को देखना और तय करना है। समाचार लिखे जाने तक ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी का पार्थिव शरीर Kanpur नहीं लाया जा सका था। उधऱ विश्व्स्त सूत्रों की मानें तो दूसरे पक्ष (श्यामगिरी के शिष्यों) का पक्ष जानने और शांति सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक बड़े अफसर का बुलावा आया है। संभव है कि थोड़़ी देर में बातचीत का दौर शुरु होगा।
दो दशक पहले कोर्ट में श्यामगिरी की तरफ से दिया गया हलफनामा
Note----करीब 11 वर्ष पूर्व जब ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी और उनके शिष्य रामदास उर्फ अमरकंटक के बीच "महाभारत" हुई थी तो तब भी जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। तब रामदास ने बंदूक से फायर करने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी। पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत किया लेकिन थाने से ही श्यामगिरी को छोड़ दिया लेकिन 28 दिन बाद पुलिस को मजबूर होकर श्यामगिरी की Arresting करनी ही पड़ी। 14 दिन से अधिक समय तक श्यामगिरी जेल में रहे। तब तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपर नगर मजिस्ट्रेट (ACM) राजकुमार को पूरे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी सौंपी थी। ऐसे में अब जब एक बार फिर "कुरुक्षेत्र" में "महाभारत" के आसार यदि बन रहे हैं तो जिला प्रशासन और खुफिया इकाइयों को तत्कालीन ACM की रिपोर्ट भी खंगालकर पढ़नी चाहिए।
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