• 48 घंटा पहले ही समाजवादी पार्टी ने मानिकपुर सीट से बनाया प्रत्यशी 
  • पिता ददुआ ने इसी क्षेत्र के नागरिकों पर तीन दशक तक ढाए थे जुल्म
  • वीर सिंह पटेल ने कहा कि चुनाव के समय क्षेत्र के लोग हो जाते हैं लामबंद
  • सपा सुप्रीमो Akhilesh Yadav ने वीर सिंह पटेल को किया Lucknow तलब

वीर सिंह पटेल (पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी प्रत्याशी मानिकपुर, चित्रकूट)

Yogesh Tripathi

(Uttar Pradesh Election 2022) : Bundelkhand स्थित पाठा के जंगलों में करीब तीन दशक तक अपने डकैतों के गिरोह का स्रामाज्य चलाने वाले दस्यु सम्राट रहे शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल ने समाजवादी पार्टी की तरफ से दी गई टिकट को वापस कर चुनाव लड़ने से साफ-साफ इनकार कर दिया है। वीर सिंह का कहना है कि वह मानिकपुर से Election नहीं लड़ेंगे। उनके पिता ने दस्यु जीवन के दौरान इसी क्षेत्र की जनता पर जुल्म-ओ-सितम ढाए थे, इस लिए यहां के क्षेत्रीय लोग उनके चुनाव में लामबंद हो जाते हैं। वीर सिंह के इस फैसले के बाद Chitrakoot की सियासत गर्म हो गई है। अफवाहों के दौर में सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने वीर सिंह को Lucknow किया है। गौरतलब है कि चित्रकूट सदर की सीट पर भी प्रत्याशी की घोषणा के बाद विरोध स्टार्ट हो गया है।

वीर सिंह 2012 के चुनाव में चित्रकूट की सदर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। क्षेत्र की जनता ने उन पर विश्वास जताते हुए चुनाव में विजयश्री का आशीर्वाद दिया। चुनाव जीतकर वह पहली बार विधान सभा पहुंचे। 2017 में वीर सिंह को सपा ने फिर उम्मींदवार बनाया लेकिन इस बार वीर सिंह भाजपा के चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय से चुनाव हार गए। इससे पहले वर्ष 05 में अपने पिता की दहशतगर्दी पर वह जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध बने थे।

सपा की तरफ से जो सूची जारी की गई है, उसमें चित्रकूट सदर की सीट से अनिल प्रधान पटेल और मानिकपुर सीट से ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया गया। वीर सिंह पूर्व विधायक हैं। सूची जारी होते ही सदर सीट को लेकर विरोध स्टार्ट हो गया। विरोध का आलम ऐसा कि कार्यकर्ता सड़क पर आने से नहीं चूके। कमोवेश यही हालात मानिकपुर सीट पर भी हो गए। क्षेत्र के लोगों और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने लामबंदी शुरु कर दी। जिसकी वजह से फ्राइ-डे की सुबह वीर सिंह ने मानिकपुर सीट से चुनाव मैदान छोड़ दिया। वीर सिंह का कहना है कि विरोध को देखते हुए वह टिकट मिलने के बाद से अपने करीबी लोगों के संपर्क में रहकर बातचीत कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला लिया।

वीर सिंह का कहना है कि वह सदर सीट से चुनाव की तैयारी लंबे समय से कर रहे थे। अचानक उन्हें टिकट मानिकपुर से दे दी गई। कम से में चुनावी जमीन खड़ा करना बेहद चुनौती भरा काम है। बकौल वीर सिंह उनके पिता ने बागी जीवन में मानिकपुर क्षेत्र जो जुल्म किया था, उसे लेकर लोग लामबंद हो जाते हैं। वह चुनाव लड़ें कि लामबंदी से निपटें...? इसलिए पार्टी प्रमुख को मानिकपुर सीट से चुनाव न लड़ने की जानकारी दे दी है।

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