- स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान समेत 14 ने BJP छोड़ी
- कुछ और दिग्गज मंत्रियों के भी देर-सबेर BJP छोड़ने की चर्चाएं
- टिकट वितरण में होने वाली “महाभारत” की आशंका से भयभीत है भाजपा
- जिन विधायकों के टिकट कटने थे अब उनको प्रत्याशी बना सकता है हाईकमान
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh Election 2022 की “चुनावी पिच” इस कदर “Turn” लेगी इसका अंदाजा “राजनीतिक पंडित” नहीं लगा पाए। “सियासी मैच” के शुरुआत में ही BJP के दर्जन भर से अधिक
दिग्गज “खिलाड़ी” “Out” हो जाएंगे इसकी
कल्पना तो BJP के “चाणक्य” ने भी नहीं की होगी। भाजपा के “चाणक्य” और उनकी पूरी टीम फिलहाल कुछ समझ नहीं पा
रही है कि वह क्या करें और क्या न करें...बीजेपी में मची भगदड़ को कैसे रोककर
डैमेज को कंट्रोल किया जाए, सभी का ध्यान इसी पर लगा है। सपा सुप्रीमों Akhilesh
Yadav अपनी “गुगली” में फंसाकर BJP
के दर्जन भर से अधिक
“विकेट”
गिरा चुके हैं। उनकी
“गुगुली”
को RSS के दिग्गज भी नहीं
समझ पा रहे हैं।
एक पुरानी कहावत है कि आखिर “मरता न तो करता क्या”....??? शायद यही वजह है कि बीजेपी ने फिलहाल 75 विधायकों के टिकट काटने पर पाबंदी लगा दी है। मतलब साफ है कि जिन “योद्धाओ” के 2022 के “चुनावी संग्राम” में हारने की Report संगठन के पास आई थी। उन्हीं “योद्धाओं” को BJP का शीर्ष नेतृत्व एक बार फिर से टिकट देकर “चुनावी रणभूमि” में उतारने को बेबस नजर आता दिखाई दे रहा है। बीजेपी में पड़ी बगावत की दरारों को भरने का जो जिम्मा गुजरात भाजपा संगठन मंत्री रत्नाकर पांडेय (काशी पांडेय) को सौंपा गया था वो करीब-करीब Fail साबित हो रहा है। हाल अब ये हो गया है कि जो नेता अभी तक 300+ सीटें जीतने का दंभ भर रहे थे वो अब मीडिया के सवालों से बच रहे हैं। चौराहे पर पान-चाय की दुकानों पर बहस करने वाले BJP Wprkers भी सन्नपात हैं।
रही-सही कसर Congress महासचिव Priyanka Gandhi पूरा कर रही हैं। कांग्रेस
की पहली लिस्ट में उन महिलाओं को भी प्रियंका गांधी ने प्रत्याशी बनाया
है, जिनके परिवार के साथ अत्याचार हुए हैं। इसमें उन्नाव रेप पीड़िता की
मां और हाथरस पीड़िता के परिवार के सदस्य को कांग्रेस ने टिकट देकर भाजपा
की बेचैनी को कई गुना बढ़ा दिया है। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने उन्नाव रेप पीड़िता के सामने अपना प्रत्याशी न उतराने का फैसला लेकर BJP को "बैकफुट" पर ढकेल दिया है।
देर-सबेर गिर सकते हैं और “विकेट”
चुनाव आयोग की तरफ से “चुनावी शंखनाद” होते ही सबसे अधिक भगदड़ सत्ताधारी दल भाजपा में हुई। BJP का शीर्ष नेतृत्व जब तक कुछ समझ पाता, उससे पहले कद्दावर मंत्री और पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान ने भी इस्तीफा दे दिया। तमाम मनुहार के बाद भी इन दोनों नेताओं ने अपना निर्णय नहीं बदला। समाचार लिखे जाने तक दोनों दिग्गज करीब दर्जन भर भाजपा विधायकों के साथ सपा को ज्वाइन कर चुके हैं। बड़े सूत्रों की मानें तो योगी मंत्रीमंडल के दो और बड़े विकेट भी देर-सबेर गिर सकते हैं। दोनों ही ब्राम्हण वर्ग के बताए जा रहे हैं। पिछले चुनावों में इन दोनों ने बीजेपी ज्वाइन कर चुनाव लड़ा था। दोनों की गिनती बड़े नेताओं में होती है लेकिन भाजपा में जाने के बाद दोनों के पास सिर्फ मंत्रीमंडल का पोर्टफोलियो भर था। दोनों की पांच साल बिल्कुल भी नहीं चली। दोनों ही मंत्रियों के पास स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह ही कार्यकर्ताओं की बड़ी “फौज” है। ऐसे में यदि दोनों ने भाजपा को बॉय-बॉय बोला तो सीधा नुकसान चुनाव में बीजेपी को मिलेगा।
सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी ज्वाइन करते स्वामी प्रसाद मौर्य, भगवती प्रसाद सागर, दारा सिंह चौहान व अन्य भाजपा नेता।
BJP के ये “खिलाड़ी” हो चुके हैं “Out”
स्वामी प्रसाद मौर्य, भगवती प्रसाद सागर, धर्म सिंह सैनी, दारा सिंह चौहान, रोशनलाल वर्मा, विनय शाक्य, अवतार सिंह भड़ाना, बृजेश प्रजापति, मुकेश वर्मा, राकेश राठौर, जय चौबे, माधुरी वर्मा, आरके शर्मा, बाला अवस्थी BJP की नीतियो से खफा होकर उनका साथ छोड़ चुके हैं। दो को छोड़कर सभी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली है। खास बात ये है कि सपा ने सभी की प्रत्याशिता को भी करीब-करीब Final कर दिया है।
“महाभारत” को लेकर भयभीत BJP के दिग्गज
जानकारों की मानें तो बीजेपी के अंदरखाने में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। Uttar Pradesh (BJP) में तीन धड़े जगजाहिर हैं। टिकट वितरण में ये तीनों धड़े अपने अधिक से अधिक समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। संगठन मंत्री सुनील बंसल पर अमित शाह की “छतरी” है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली बुलाकर वन टू वन गुफ्तगू करने के बाद बड़ा संदेश दे चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल के करीब दर्जन भर से अधिक जिलों में अपने करीबी लोगों को टिकट दिलाने के लिए कमर कसे बैठे हैं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और दूसरे डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा के पास भी कुछ दावेदारों की लिस्ट है।
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