Lok Sabha Election 2019 की रणभेरी बज चुकी है। 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक 7 चरणों में मतदाता अपने "वोट की चोट" के जरिए पसंदीदा नेता को संसद भेजेंगे। लेकिन इस बीच चुनाव आयोग ने कई नियम-कायदे बड़े कड़े कर दिए हैं। पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक दलों, नेताओं की Social Media पर सक्रियता काफी बढ़ी है। सभी अपने हर दिन के कार्यक्रम फ़ेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट करते रहते हैं। इससे वे आसानी से लाखों लोगों से जुड़ाव रखते हैं। लेकिन सोशल मीडिया में कई बार फ़ेक न्यूज़ चला कर लोगों को गुमराह करने की भी कोशिश की जाती है। साथ ही प्रचार-प्रसार के लिए कई तरह के हथकंडे भी अपनाए जाते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने इस बार प्रत्याशियों को साफ-साफ कह दिया है कि अपने सोशल मीडिया के सभी अकाउंट की जानकारी अब नामांकन पत्र दाखिल करते समय देना अनिवार्य होगा।
YOGESH TRIPATHI
चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों को ये दिशा-निर्देश जारी किए
1-चुनाव आयोग का कहना है कि सभी उम्मीदवारों को नामांकन दाख़िल करते समय अपने facebook और Twitter अकाउंट की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी।
2-facebook और Twitter पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन देने से पहले उसे प्रमाणित कराना होगा।
3-गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर बिना प्रमाणित किए हुए विज्ञापन प्रत्याशी नहीं दे सकेंगे।
4-उम्मीदवारों को अपने चुनावी ख़र्च में सोशल मीडिया पर किया गया सारा ख़र्च भी जोड़कर चुनाव आयोग को बताना होगा।
5-कोई भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए सेना के जवानों की फ़ोटो का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर नहीं करेगा।
6-सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए बनाए गए नियमों का अगर उल्लंघन होता है तो इसकी शिकायतें सुनने के लिए आयोग ने अधिकारी की तैनाती की है।
7-फ़ेसबुक, गूगल, टि्वटर पर नफ़रत फैलाने वाले भाषण, फ़ेक न्यूज़ को पोस्ट करना सख़्त मना है। इन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ने इस मामले में कार्रवाई करने का वादा किया है।
8-फ़ेसबुक, गूगल और टि्वटर पर पोस्ट किए जाने वाले राजनीतिक विज्ञापनों को आईटी कंपनियों को विशेष रूप से दिखाना होगा।
WhatsApp को लेकर दिशा-निर्देश नहीं जारी किए
चुनाव आयोग ने WhatsApp को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि Twitter, facebook पर बीजेपी काफी पिछड़ चुकी है। इस लिए उसे लेकर तमाम नियम कायदे चुनाव आयोग ने बना दिए लेकिन बीजेपी इस बार वाट्सअप के जरिए बूथ स्तर पर अपनी टीम खड़ी कर चुनाव लड़ रही है। इस लिए वाट्सअप को लेकर कोई भी निर्देश नहीं दिए गए हैं। इतना ही नहीं 6 मई के दिन वोटिंग को लेकर भी विपक्षी दल चुनाव आयोग के रवैये को गलत बता रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि 6 मई को रमजान है और उसी दिन वोटिंग की डेट निर्धारित कर एक वर्ग के वोटों को हर प्रकार से रोकने की कोशिश की जा रही है।
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