"बागी" जहां-जहां BJP के अधिकृत प्रत्याशियों के छक्के छुड़ा रहे हैं उसमें एक वार्ड 86 भी है। यहां से चुनाव लड़ रहीं निर्दलीय ज्योतिका मिश्रा के पति मनोज मिश्रा पुराने बीजेपी कार्यकर्ता होने के साथ-साथ संघ से भी जुड़े हैं। यही वजह है कि टिकट कटने के बाद भी संगठन और RSS के एक बड़े वर्ग का उनको तगड़ा समर्थन मिल रहा है। बीजेपी प्रत्याशी सुमन त्रिवेदी के लिए प्रतिष्ठा लगाए हैं। तो दूसरी तरफ मुस्लिम वोटरों के सहारे सपा प्रत्याशी सुमन शुक्ला निर्दलीय ज्योतिका मिश्रा को टक्कर देती नजर आ रही हैं। बीजेपी प्रत्याशी भरपूर कोशिश कर रही हैं कि चुनाव को किसी तरह से त्रिकोणीय बनाया जा सका। लेकिन यह तो एक दिसंबर को ही पता चलेगा कि कौन किस पर कितना भारी पड़ा। 


[caption id="attachment_18381" align="aligncenter" width="640"] महिलाओं की टोली के साथ चुनाव में संपर्क के लिए निकलती BJP की "बागी" ज्योतिका मिश्रा।[/caption]

YOGESH TRIPATHI


कानपुर। यूं तो नगर निकाय के चुनाव में कई बागी प्रत्याशी BJP के अधिकृत प्रत्याशियों को पानी पिला रहे हैं लेकिन सबसे रोचक स्थित वार्ड नंबर 86 काकादेव की है। यहां से संघ के पुराने कार्यकर्ता और अधिवक्ता मनोज मिश्रा (गुड्डू) की धर्मपत्नी ज्योतिका मिश्रा भाजपा समेत तमाम प्रत्याशियों के लिए का जंजाल बन चुकी हैं। चुनाव का परिणाम चाहे जो लेकिन BJP की अधिकृत प्रत्याशी सुमन त्रिवेदी को वह हर मोर्चे पर पीछे छोड़ती नजर आ रही हैं। RSS के साथ संगठन के तमाम पुराने कार्यकर्ता और युवाओं की टीम ज्योतिका के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रही है। राजनीति के धुरंधरों की मानें तो बागी ज्योतिका मिश्रा के कार की टक्कर साइकिल से होनी तय मानी जा रही है। कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी यहां बीजेपी प्रत्याशी के लिए खुद मोर्चे पर लगे हैं।


करीब 23 हजार मतदाता करेंगे वोट की चोट


काकादेव वार्ड नंबर 86 में करीब 23 हजार के आसपास मतदाता हैं। यहां सात से आठ हजार के बीच सर्वाधिक ब्राम्हण वोटर है। दूसरे नंबर पर करीब पांच हजार मुस्लिम मतदाता हैं। इसके बाद ठाकुर और कायस्थ मतदाता हैं। दोनों की संख्या करीब डेढ़-डेढ़ हजार के आसपास है। बैकवर्ड वोटर भी ठीक-ठाक है।

वार्ड के अंतर्गत ये है मोहल्ला और बस्ती


शहर का सबसे अतिसंवेदनशील एरिया रोशन नगर इसी वार्ड के अंतर्गत आता है। यह इलाका मुस्लिम बाहुल्य है। इसके साथ ही राम बिहार, राधा बिहार, शिवपुरी, कृष्णापुरी, बी-1 काकादेव, हितकारी नगर, आवास विकास का आंशिक एरिया इस वार्ड के अंतर्गत आते हैं। रोशन नगर के अतिसंवदेनशील होने की वजह से यहां अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। रोशन नगर एरिया में सपा प्रत्याशी की स्थित मजबूत मानी जा रही है लेकिन यहां बसपा और कांग्रेस की सेंधमारी जारी है।

ये है वार्ड नंबर 86 के प्रमुख प्रत्याशी


समाजवादी पार्टी ने सुमन शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने प्रबल दावेदार ज्योतिका मिश्रा की टिकट काटकर कैबिनेट मंत्री के करीबी पूर्व पार्षद कमलेश दद्दा की पत्नी सुमन त्रिवेदी को प्रत्याशी घोषित किया। कांग्रेस ने रेखा मिश्रा और बसपा ने शैल कटियार को उम्मींदवार बनाया।


BJP कार्यालय में लगे जिंदाबाद के नारे, भाजपाई बोले वोट कार को ही देंगे


निर्दलीय प्रत्याशी ज्योतिका मिश्रा के पति मनोज मिश्रा करीब तीन दशक से भाजपा की राजनीति कर रहे हैं। अधिवक्ता होने के साथ-साथ वह पत्रकारिता भी करते हैं। संघ से उनका पुराना नाता किसी से छिपा नहीं है। प्रत्याशिता की दावेदारी में वह पहले नंबर पर थे लेकिन बीजेपी हाईकमान ने उनको टिकट नहीं दी। सूत्रों की मानें तो टिकट कटने की स्थित में ज्योतिका चुनाव नहीं लड़ रही थीं। लेकिन संगठन और RSS की तरफ से बल मिलने पर वह चुनावी समर में कूद पड़ीं।

शायद उसी का परिणाम रहा कि तीन दिन पहले जनसंपर्क के दौरान भाजपा प्रत्याशी के कार्यालय में भी ज्योतिका मिश्रा जिंदाबाद के नारे बुलंद हो गए। कट्टर भाजपाई और पूर्व वार्ड अध्यक्ष ने सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में कह दिया कि वोट तो ज्योतिका मिश्रा को ही डालेंगे। यह सुनते ही भाजपाइयों के होश उड़ गए।

राजनीति के धुरंधर मान रहे कार और साइकिल में हो सकती है भीषण टक्कर


क्षेत्र की राजनीति में तगड़ी दखल रखने वाले धुरंधरों की मानें तो संगठन और RSS से बल मिलने की वजह से ज्योतिका चुनाव की मुख्यधारा में बनी हैं। मुस्लिम वोटरों के सहारे सपा प्रत्याशी उनको तगड़ी टक्कर दे रही हैं। बीजेपी के परंपरागत मतदाताओं के सहारे बीजेपी प्रत्याशी सुमन त्रिवेदी चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही हैं। यहां बसपा और कांग्रेस प्रत्याशी अभी तक पूरी तरह से चुनाव को उठा नहीं पाए हैं।

हार के बाद मैसेज ऊपर तक जाएगा


सूत्रों की मानें तो यदि बीजेपी को यहां हार मिली तो इसका मैसेज सीधे ऊपर तक जाएगा। टिकट मिलने से दो दिन पहले ज्योतिका के पति मनोज मिश्रा खुद लखनऊ जाकर सुनील बंसल से मिले थे। इतना ही नहीं उन्होंने पूरा कच्चा चिट्ठा भी सुनील बंसल को सौंप दिया था। ऐसे में यदि उनकी पत्नी चुनाव जीतती हैं तो ये बीजेपी की बड़ी हार होगी।
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