Kanpur के South City स्थित वार्ड नंबर-72 की सीट पर सिर्फ पार्षद प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा ही नहीं फंसी है बल्कि इन प्रत्याशियों के राजनीतिक "गुरु" कहे जाने वाले दो दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी फंस चुकी है। कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पाल के लिए जहां कांग्रेस के Ex.MLA अजय कपूर सम्मान लगाए हुए हैं तो दूसरी तरफ अजय पाल को टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी ने भी अपनी ताकत लगा रखी है। चुनाव को और भी अधिक दिलचस्प बना दिया है कांग्रेस के "पुराने चावल" कैलाश पाल ने। गौरतलब यह है कि कैलाश चार बार पार्षद रह चुके हैं। इस लिए राजनीति के पंडित उनको हल्के में लेने की गल्ती बिल्कुल भी नहीं कर रहे हैं। 


[caption id="attachment_18260" align="aligncenter" width="960"] समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार करते कांग्रेस प्रत्याशी जय प्रकाश पाल (JP)[/caption]

YOGESH TRIPATHI


कानपुर। गोविंदनगर विधान सभा के वार्ड नंबर 72 के पार्षदीय चुनाव की “सियासी दाल” पक रही है। इस दाल में “तड़का” लगाकर कौन चुनाव जीतेगा ? यह तो वक्त बताएगा लेकिन एक बात यह बिल्कुल तय मानी जा रही है। कि पार्षद P3 में कोई एक P ही बनेगा। कांग्रेस प्रत्याशी जय प्रकाश पाल (JP) और कांग्रेस के ही पुराने दिग्गज व निर्दलीय प्रत्याशी कैलाश पाल (KP) के “सियासी चक्रव्यूह” में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी अजय पाल (AP) फंस गए हैं। हालांकि दबौली कालोनी के मतदाताओं के सहारे वो JP और KP को शह-मत देने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। राजनीति के पंडितों की मानें तो नतीजा चाहे जो भी हो लेकिन एक बात पक्की है कि चुनाव दिलचस्प होने के साथ ही बेहद कांटे का भी होगा। यहां प्रत्याशियों के साथ उन्हें चुनाव लड़े रहे पुराने दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। एक-एक वोट के लिए संघर्ष हो रहा है। सुबह से शाम तक जनसंपर्क के बाद प्रत्याशियों के दिग्गज देर रात सेटिंग-गेटिंग का फार्मूला तय करने में भी पीछे नहीं हैं।


वार्ड नंबर-72 में हैं 26 हजार से अधिक मतदाता

वार्ड नंबर-72 में करीब 26 हजार से अधिक मतदाता हैं। सर्वाधिक वोटर पाल बिरादरी के हैं। पाल बिरादरी के मतदाता करीब 40 फीसदी के आसपास हैं। दूसरे नंबर 30 फीसदी के करीब ब्राम्हण वोटर हैं। इसके बाद नुनिया ठाकुर, यादव, कुर्मी समेत अन्य पिछड़ी जाति के वोटर हैं। दलित वोटों का प्रतिशत कम है।

10 ने कराया था नामांकन, एक ने पर्चा वापस लिया

दबौली वार्ड नंबर-72 से कुल 10 प्रत्याशियों ने नामांकन करवाया था। बाद में एक प्रत्याशी ने अपना पर्चा वापस ले लिया है। अब इस वार्ड में कुल नौ प्रत्याशी ही बचे हैं।

ब्राम्हण मतदाता की कृपा से पार होगी चुनावी नाव

राजनीति के धुरंधरों की मानें तो पाल बिरादरी का सर्वाधिक वोट बैंक इस वार्ड में है। लेकिन तीन प्रत्याशियों के मैदान में कूदने की वजह से पाल बिरादरी का वोट बिखरेगा। ऐसे में यहां ब्राम्हण वोट बैंक काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों की मानें तो ब्राम्हण वोटरों की कृपा जिस प्रत्याशी पर ठीक ढंग से हो गई उसकी चुनावी “नाव” पार हो जाएगी। लेकिन समस्या यह है कि तीनों ही प्रत्याशियों को ब्राम्हण लाबी का समर्थन हासिल है। इस लिए ऊंट किस करवट बैठेगा यह किसी को नहीं मालुम।



अजय पाल (AP) (BJP)

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अजय पाल (AP) को दबौली कालोनी से तगड़ा समर्थन है। दबौली में तगड़ा वोट बैंक हैं। कई अन्य एरिया में भी वह सेंधमारी करते नजर आ रहे हैं। अजय पाल के लिए प्लस प्वाइंट यह है कि बीजेपी जैसे संगठन से उनको आखिरी दौर में काफी मदद मिल सकती है। नौरैयाखेड़ा में भी ठीक-ठाक वोटों की सेंधमारी अजयपाल कर सकते हैं। लेकिन माइनस फैक्टर MIG। नए परशीमन के मुताबिक MIG अब रतनलाल नगर वार्ड 34 में शिफ्ट कर गया। यहां करीब चार हजार मतदाता थे। ये सभी मतदाता बीजेपी के माने जाते थे। राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि थोड़ा नुकसान हो सकता है लेकिन इसकी भरपाई दूसरी जगहों से की जा रही है। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि योगी की सभा के बाद चुनावी तस्वीर पलटेगी।



 

जय प्रकाश पाल (JP) (कांग्रेस)

ये नाम भी दबौली वार्ड-72 के मतदाताओं के लिए नया नहीं है। जय प्रकाश की पत्नी सोनी पाल वर्तमान में पार्षद हैं। जय प्रकाश को कांग्रेस से जुड़े हुए एक लंबा वक्त हो गया है। कांग्रेस के Ex.MLA अजय कपूर से उनकी निकटता किसी से छिपा नहीं है। दो दिन पहले अजय कपूर ने कार्यालय का शुभारंभ भी किया है। जय प्रकाश क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों के बल पर जनता से एक बार फिर मोतीझील भेजने का आशीर्वाद मांग रहे हैं। दबौली गांव के वोटरों का सबसे बड़ा भाग उनके ही खाते में जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। दबौली कालोनी के वोट बैंक में भी वह तगड़ी सेंधमारी करने में जुटे हैं। जेपी का चुनाव करीब-करीब सभी जगहों पर दिख रहा है। जेपी का चुनाव अंदर के साथ बाहर भी मजबूत नजर आ रहा है।

[caption id="attachment_18261" align="aligncenter" width="640"] समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार करते निर्दलीय प्रत्याशी कैलाश पाल (KP)[/caption]

कौन है कैलाश पाल (KP) (निर्दलीय)

दबौली गांव के रहने वाले कैलाश पाल कांग्रेस के पुराने नेता है। वह चार बार पार्षद बन चुके हैं। इसें एक बार निर्दलीय भी वह चुनाव जीत चुके हैं। पिछला चुनाव वह हार गए थे। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी कैलाश पाल के बारे में कहा जा रहा है उनका चुनाव शोर नहीं है। लेकिन चुनाव भारी है। पाल बिरादरी के एक खास वर्ग में उनकी घुसपैठ ठीक है। साथ ही पुराने संबध भी उनके काम आ रहे हैं। कुल मिलाकर यूं कह सकते हैं कि कैलाश पाल अभी तक स्लीपिंग मॉड्यूल्स की भूमिका में बने हुए हैं। उनका चुनाव अंदर ही अंदर है।

आखिरी दौर में पलट सकती है बाजी

राजनीति के पंडितों की मानें तो चुनाव के अंतिम दौर में बाजी पलट सकती है। कई नाराज लोगों को मनाने का काम चल रहा है। कुछ जगहों पर वोटरों की नाराजगी भी दूर की जा रही है। ऐसे में दो-तीन दिन के बाद चुनावी तस्वीर कुछ अलग भी हो सकती है।

सपा-बसपा अभी तक मुख्य लड़ाई में नहीं

वार्ड नंबर-72 में सपा प्रत्याशी राजनाथ यादव और बसपा प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह (भानू) अभी तक अपना चुनाव पूरी तरह से उठा नहीं पाए हैं। शायद यही वजह है कि ये दोनों प्रत्याशी फिलहाल अभी तक मुख्य लड़ाई में नहीं हैं। आखिरी दौर में इनमें से कोई चुनावी लड़ाई में यदि आ जाए तो यह भी बड़ी बात ही होगी।
Axact

Axact

Vestibulum bibendum felis sit amet dolor auctor molestie. In dignissim eget nibh id dapibus. Fusce et suscipit orci. Aliquam sit amet urna lorem. Duis eu imperdiet nunc, non imperdiet libero.

Post A Comment:

0 comments: