BJP हाईकमान के लिए गले का फांस बन चुकी Kanpur मेयर सीट पर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व बेहद ही अंचभा भरा फैसला ले सकता है। बड़े सूत्रों की मानें तो कानपुर के एक चर्चित और बड़े शैक्षणिक परिवार में यह टिकट देने की तैयारी करीब-करीब पूरी हो चुकी है। कारोबारी की धर्मपत्नी को दिल्ली बुलाया गया है। बुलावे के बाद वह पहुंच भी गई हैं। बड़े नेताओं के बीच तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। अंदरखाने की मानें तो RSS की बिल्कुल भी नहीं चली। 




YOGESH TRIPATHI

कानपुर। Kanpur मेयर प्रत्याशी के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच चल रही नूरा-कुश्ती अब पूरी तरह से निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है। RSS और BJP पर एक बड़ा सिंडीकेट आखिर भारी पड़ रहा है। इस सिंडीकेट ने दो बिल्लियों के बीच होने वाली लड़ाई के दौरान बंदकर बनकर पूरा फायदा करीब-करीब उठा लिया। www.redeyestimes.com न्यूज पोर्टल को मिली जानकारी के मुताबिक Kanpur से BJP की मेयर प्रत्याशी यूपी/उत्तराखंड में शिक्षा के सौदागरकहे जाने वाले एक बड़े राजनीतिक घराने को देने के लिए सिंडीकेट ने पूरी फील्डिंग सजा राजनीतिक ग्राउंड पर सजा दी है। बुलावे पर चर्चित और बड़े शैक्षणिक कारोबारी की पत्नी दिल्ली पहुंच भी चुकी हैं। यदि नोबाल न हुई तो पक्का है कि देर रात या फिर अगले 48 घंटों में चोला ओढ़ सकती हैं। RSS के बड़े पदाधिकारी की मानें तो नोबाल का चांस सिर्फ एक फीसद ही है।

RSS-BJP के बीच घरवाली और बाहरवाली को लेकर चल रही थी कुश्ती

RSS के एक पदाधिकारी की मानें तो कानपुर की मेयर सीट सबसे अधिक विवादित हो चुकी है। यहां से कई दर्जन आवेदन आए। लेकिन चर्चाओं में एक नया शैक्षणिक कारोबारी का परिवार रहा। इस परिवार के लिए भाजपा के एक धड़े ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक एड़ी-चोटी का जोर लगाया। प्रत्याशिता पर मुहर लगवाने के लिए दो दिन का प्रांतीय अधिवेशन भी करवा दिया गया। लेकिन हो गया सबकुछ उल्टा-पुल्टा। विवाद इतना बढ़ गया कि एक के बाद एक कई दिग्गजों ने आवेदन कर दिया। चित्रकूट की मीटिंग में भी कानपुर की सीट को लेकर मुद्दा काफी छाया रहा। विवाद की सबसे बड़ी वजह RSS और BJP के बीच आम सहमति न बनना बताया जा रहा है। विवाद के बीच ही बीजेपी के एक गुट ने कानपुर दक्षिण बीजेपी की प्रेसीडेंट अनीता गुप्ता का नाम आगे बढ़ा दिया। पैरवी एक विधायक के जरिए क्षेत्र संगठन की राजनीति करने वाले “चाणक्य” ने की।

परिवार को विरासत में मिली है राजनीति

बताया जा रहा है कि जिस शैक्षणिक कारोबारी के घराने को विरासत में मिली है। कई दशक तक MLC  सीट से हार का तिलिस्म अभी हाल में ही कुछ बरस पहले टूटा है। अंदरखाने की मानें तो कानपुर सांसद डाक्टर मुरली मनोहर जोशी और उनकी टीम इस घराने को हर कीमत पर BJP ज्वाइन कराने की कवायद कर रहा था। MLC चुनाव से पहले यह कवायद परवान तो चढ़ी लेकिन सफलता नहीं मिली। खबर यह भी है कि असफलता हाथ लगने पर शैक्षणिक कारोबारी घराने ने BJP के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच बनाने के लिए सीढ़ियां बदल लीं।

अमित शाह की टेबल तक पहुंचा Kanpur का मामला

विश्वस्त्र सूत्रों की मानें तो RSS-BJP में आम सहमति न बन पाने की वजह से मामला पहले प्रदेश स्तर तक ही रहा लेकिन एक गुट की तरफ से दिल्ली तक की गई पैरवी रंग लाई। बताया जा रहा है कि सारे विवाद को तर्क और सबूतों के साथ रखा गया। इस गुट की तरफ से कई कद्दावर मंत्री भी लाबिंग करते रहे। विवाद से बचने और कानपुर मेयर सीट जीतने के फार्मूले को लेकर शीर्ष नेतृत्व में मंत्रणा का दौर भी चला। सूत्रों की मानें तो इन सब विवादों के बीच “सिंडीकेट” अपनी “गिद्ध” सरीकी निगाहें लगाए हर चाल और रणनीति को समझता रहा। दो दिन पहले कानपुर के एक बड़े शैक्षणिक कारोबारी की धर्मपत्नी का नाम “सिंडीकेट” ने BJP के शीर्ष नेतृत्व को सुझाया।

BJP एक कद्दावर नेता से कई चक्र की बातचीत भी हुई। RSS के दिग्गज की मानें तो मंडे को BJP के एक बड़े नेता ने कानपुर के इस चर्चित और बड़े राजनीतिक घराने को दिल्ली पहुंचने का आमंत्रण भी दे दिया। आमंत्रण के कुछ घंटे बाद ही “शिक्षा क्वीन” दिल्ली के लिए रवाना हो गई। इस समय वह दिल्ली में ही हैं। यानी एक बात तो पक्की हो गई है कि बीजेपी किसी भी समय कुछ बड़ा करने की पूरी तैयारी कर चुकी है।

 
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