• साल पहले ग्वालटोली में हुई थी निजाम उर्फ गोगा की हत्या
  • हत्यारों ने मजार के पास घेरकर मारी थीं 5 गोलियां
  • 29 साल पहले हुई पिता की हत्या का कातिलों ने लिया था बदला

लाल घेरे में मृतक निजाम उर्फ गोगा की (फाइल फोटो)

Yogesh Tripathi

Kanpur के अतिसंवेदनशील ग्वालटोली थाना एरिया में 6 साल पहले फुटबाल के नेशनल खिलाड़ी रहे निजाम उर्फ गोगा की हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायधीश/एफटीसी (चौदहवें वित्त आयोग द्वारा सृजित) कोर्ट ने तीन सगे भाइयों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की। कोर्ट ने सभी पर 25-25 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। 


मुकदमा बाबूपुरवा निवासी शहंशाह आलम उर्फ पप्पू ने पुलिस में दर्ज कराई गई FIR में बताया था कि उसके चचेरे भाई ग्वालटोली निवासी निजाम उर्फ गोगा पीडब्लूडी कालोनी गेट के पास स्थित सैयद बाबा की मजार पर हर जुमेरात (गुरुवार) को जियारत जाते थे। 21 मई 2015 को जब वह मजार पर पहुंचे तो वहां पहले से ही मौजूद बाइक सवार चमनगंज निवासी सिराज उसका भाई फरीद और चमनगंज का रहने वाला शकील अपने दो साथियों के साथ मौजूद थे।

निजाम उर्फ गोगा के पहुंचते ही सभी ने उसे घेरकर फायरिंग शुरु कर दी। शरीर में कई गोलियां लगने की वजह से निजाम उर्फ गोगा की मौके पर ही मौत हो गई। ताबड़तोड़ फायरिंग से एरिया में सनसनी फैल गई थी। लोगों के ललकारने के बाद हमलावर फायरिंग करते हुए भाग निकले थे। हत्यारोपितों के भागने के बाद परिजन निजाम उर्फ गोगा को लेकर हैलट अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शहंशाह आलम उर्फ पप्पू की तहरीर पर ग्वालटोली पुलिस ने इस घटना से जुड़ी 5 FIR रजिस्टर्ड की।

करीब 6 साल तक चले इस मुकदमें में अंततः कोर्ट का फैसला आ गया। अदालत ने सिराज, फरीद और शकील को दोषी करार देते हुए तीनों को आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की। साथ ही तीनों दोषियों पर 25-25 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया। अर्थदंड न देने की स्थिति में तीनों आरोपितों को तीन-तीन महीने की अलग से कारावास की सजा भुगतने का भी आदेश जारी किया। इस अहम मुकदमें की पैरवी अधिवक्ता चंद्रप्रकाश दुबे ने की। अभियोजन पक्ष की तरफ से ADGC (Crimnal) रमेश शुक्ला और वादी के अधिवक्ता संतोष तिवारी और चंद्रप्रकाश दुबे ने बहस की।

तीन दशक बाद लिया पिता की हत्या का बदला

हत्या की पृष्ठभूमि के पीछे को यदि गहराई से झांका जाए तो निजाम उर्फ गोगा के हत्यारों ने अपने पिता की हत्या का बदला लिया। बताया जाता है कि 35 साल पहले दोषियों के पिता की रशीद की हत्या हो गई थी। जिसमें कई लोगों को नामजद किया गया था। उसमें निजाम उर्फ गोगा भी आरोपित था लेकिन साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। बताया जाता है कि उस समय निजाम उर्फ गोगा के कातिल काफी छोटे थे लेकिन उसी समय सभी ने अपने पिता के कातिलों से बदला लेने की ठान ली। इंतकाम की आग में झुलस रहे कातिलों ने निजाम उर्फ गोगा के मर्डर का ब्लूप्रिंट बनाया और 21 मई 2015 की शाम वारदात को अंजाम दे दिया। 

मुकदमा वादी शहंशाह आलम उर्फ पप्पू

मुकदमा वादी को मिली कई बार धमकियां

जेल में लंबे समय से बंद निजाम उर्फ गोगा के कातिलों ने मुकदमें की मजबूत पैरवी कर रहे शहंशाह आलम उर्फ पप्पू को कई बार जेल से ही धमकियां तक भेजवाईं लेकिन पप्पू डरा नहीं। बकौल पप्पू कई बार पुलिस से मिलीभगत कर उसे फर्जी मुकदमों में फंसवाने की साजिश तक रची गई लेकिन पप्पू का इस पर कोई असर नहीं पड़ा। पुलिस जब भी पप्पू को परेशान और प्रताड़ित करती तो पप्पू सीधे डीजीपी की चौखट पर अपनी गुहार लेकर पहुंच जाते थे।
Axact

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