- “द पनेशिया पैरामेडिकल साइंस एंड नर्सिंग कालेज” में धोखाधड़ी का मामला
- कार्यवाहक प्रिंसिपल और उसके पति के खिलाफ दर्ज हुई थी धोखाधड़ी की रिपोर्ट
- अग्रिम जमानत के लिए जिला जज की कोर्ट में दी थी अर्जी
- SC/ST Court ने खारिज की आरोपी दंपति की अर्जी
Yogesh Tripathi
“ दि पनेशिया पैरामेडिकल साइंस एंड नर्सिंग
कालेज” में स्टूडेंट्स
के फीस की लेनदेन में गड़बड़झाला करने वाली कार्यवाहक प्राचार्या सुजाता सिंह सैनी
और उनके पति रामबाबू की अग्रिम जमानत को Kanpur की SC/ST Court ने खारिज कर दिया। दोनों के खिलाफ सचिव
डॉक्टर विकास शुक्ला ने पांच दिन पहले कल्याणपुर थाने में FIR रजिस्टर्ड कराई थी।
कल्याणपुर पुलिस धोखाधड़ी के इस मामले की विवेचना कर रही है। मामले में बहस वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष शुक्ला, ब्रजेंद्र दिवेदी ने की।
आरोपी सुजाता सिंह सैनी |
“ दि पनेशिया पैरामेडिकल साइंस एंड नर्सिंग कालेज” के सचिव डॉक्टर विकास शुक्ला ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि सुजाता सिंह सैनी निवासिनी दीनदयाल नगर थाना नवाबगंज को उन्होंने तीन साल पहले 27 सितंबर 2018 को नौकरी पर रखा था। सुजाता को कॉलेज में सभी प्रकार के अभिलेखों को रखने और स्टूडेंट्स के फीस लेकर उन्हें रशीद देने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
आरोपी रामबाबू (सुजाता के पति) |
तहरीर के मुताबिक पिछले कुछ महीने से फीस नहीं जमा हुई तो मैनेजमेंट ने सुजाता सिंह सैनी से कारण पूछा ? इस पर सुजाता ने कहा कि Covid-19 की वजह से अधिकांश स्टूडेंट्स फीस नहीं जमा कर रहे हैं। जबकि ऑनलाइन क्लासेस चल रही थीं। शक होने पर मैनेजमेंट ने स्टूडेंट्स से फीस की रशीद दिखाने को कहा गया। स्टूडेंट्स ने रशीद दिखाई लेकिन वहां जो गड़बड़ी थी उसे मैनेजमेंट ने पकड़ लिया। मैनेजमेंट का आरोप है कि सुजाता सिंह ने कूटरचित फर्जी प्रपत्रों के आधार पर फीस की रकम हड़प ली। साथ ही सभी स्टूडेंट्स को फर्जी रशीदें पकड़ा दीं। लाखों रुपए का गबन प्रकाश में आने के बाद “ दि पनेशिया पैरामेडिकल साइंस एंड नर्सिंग कालेज” के सचिव डॉक्टर विकास शुक्ला ने कल्याणपुर थाने में सुजाता सैनी और उनके पति के खिलाफ तहरीर दी।
कल्याणपुर पुलिस ने सुजाता सैनी और उनके पति के खिलाफ IPC की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 504, 506 के तहत FIR रजिस्टर्ड कर मामले की विवेचना शुरु की। इस बीच सुजाता और उनके पति ने गिरफ्तारी से बचने के लिए जिला जज की कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी। जिला जज की अदालत ने फाइल SC/ST Court ट्रांसफर कर दी। SC/ST Court ने सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया।
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