- 10 साल से मंदिर पर कब्जा करने की जुगत भिड़ा रहा था जूना अखाड़ा
- विवाद के समय श्यामगिरि के साथ खड़ा था श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा
- गुरु-शिष्य के बीच सुलह होते ही जूना अखाड़ा ने बदले अपने तेवर
- दो महंतों के जेल जाने के बाद जूना अखाड़े का मंदिर में कब्जा
- सत्ता की Power से महंत और उनके शिष्यों का झूठा फंसाने का आरोप
- भक्तों में आक्रोश, क्षेत्रीय लोग भी कह रहे “जो कुछ भी हो रहा है वो गलत”
श्रीआनंदेश्वर मंदिर में प्रमुक जगहों पर जूना अखाड़े के लोग बैठकर पूजा-पाठ करवा रहे हैं। |
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh के Kanpur में भक्तों की आस्था का केंद्र “श्रीआनंदेश्वर मंदिर” पर कब्जे की “जंग” में अंतत: 10 साल बाद “बाजी” श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के हाथ लग गई। मंहत श्यामगिरि के दो शिष्यों रामदास उर्फ कंटक और चेतनगिरि के जेल जाने के बाद मंदिर पर जूना अखाड़े के पदाधाकिरियों ने अपने लोगों को अहम जगहों पर बैठा दिया है। ये वो जगहे हैं जहां से हर रोज 50 से 75 हजार रुपए का चढ़ावा प्रतिदिन आता है। आरोपित होने की वजह से मंदिर के 25 साल पुराने कर्मचारी हरिओम शास्त्री और मनीष सोनकर फिलहाल “अंडरग्राउंड” हैं। मंदिर से जुड़े जानकार लोगों की मानें तो जूना अखाड़ा पिछले करीब 10 साल से मंदिर पर कब्जा करने की फिराक में था। जो अंतत: सत्ता की “पॉवर” मिलते ही सफल हो गया। पीड़ित महंत और उनके कर्मचारियों की फरियाद सुनने वाला फिलहाल कोई नहीं है। पूरे प्रकरण से मंदिर में आने वाले भक्त आहत हैं। क्षेत्रीय लोग भी अब बोल रहे हैं कि “जो कुछ हो रहा है वह गलत है”।
10 साल पहले गुरु-शिष्य के बीच हुआ था विवाद
करीब 10 साल पहले वर्ष 2011 में मंदिर के महंत श्यामगिरि और उनके शिष्य रामदास उर्फ कंटक के बीच विवाद हुआ था। गुरु-शिष्य का यह विवाद पहले थाना फिर कोर्ट और जेल तक पहुंचा था। महंत श्यामगिरि को 14 दिनों के लिए जेल तक जाना पड़ा था। गुरु-शिष्य के इस विवाद को खत्म कराने की आड़ लेकर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े ने एंट्री ले ली थी। उस समय NGO का संचालन करने वाले समेत तमाम “मठाधीशों” ने श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा की सुर में सुर मिलाए थे। उस समय जूना अखाड़े का प्रतिनिधि वर्तमान राष्ट्रीय महामंत्री प्रेमगिरि ही कर रहे थे। प्रशासनिक अफसरों के साथ मीटिंग में जूना अखाड़े को आगे रखा जाता था। तब जूना अखाड़ा महंत श्यामगिरि के पक्ष में खड़ा था।
गुरु-शिष्य के बीच हो चुका है समझौता
जेल से रिहाई के कुछ साल बाद ही महंत श्यामगिरि और उनके शिष्य रामदास उर्फ कंटक के बीच सुलह हो गई। जो भी विवाद थे उनको निपटाने के बाद मंदिर की व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित किया जा रहा था लेकिन इस बीच जूना अखाड़े की तरफ से समय-समय पर हर काम में आपत्ति दर्ज कराई जाने लगी। श्यामगिरि का स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा। श्यामगिरि के शिष्य और कर्मचारी एक्टिव हुए तो जूना अखाड़े की तरफ से मोर्चा खोल दिया गया। कई बार मंदिर में ही विवाद हुआ लेकिन शांत हो गया। विवाद की “चिंगारी” सुलगती रही। इस बीच जूना अखाड़े के पदाधिकारियों ने “सत्ता की पॉवर” हासिल कर ली। इस “पॉवर” का प्रयोग कर महंत के शिष्यों और कर्मचारियों के खिलाफ दानपात्र लूटने की कहानी गढ़ दी गई। नतीजा यह हुआ कि एक पैर से जूना अखाड़े के पक्ष में खड़ी पुलिस ने सुलह के बहाने बुलाकर दोनों मंहतों को गिरफ्तार कर लिया। पीड़ित पक्ष का कहना है कि पुलिस के बड़े अफसर चाहें तो कॉल डिटेल निकाल कर पूरे मामले की गहनता से जांच करवा सकते हैं लेकिन ऐसा होगा नहीं। क्यों कि “सत्ता की पॉवर” के आगे सब “नतमस्तक” हैं।
श्रीआनंदेश्वर मंदिर पर जूना अखाड़े का कब्जा !
पीड़ित पक्ष ने www.redeyestimes.com (News Portal) को बताया कि रामदास उर्फ कंटक और चेतनगिरि के जेल जाने के बाद मंदिर पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। मंदिर के दो कर्मचारी हहिओम शास्त्री और मनीष सोनकर नामजद होने की वजह से “अंडरग्राउंड” हैं। श्यामगिरि की उम्र काफी अधिक है और उनकी तबियत ठीक नहीं रहती है। वह मंदिर परिसर में ही रहते हैं। बातचीत में कई भक्तों ने स्वीकार किया कि जूना अखाड़े की निगाह कई साल से मंदिर पर कब्जा करने की थी जिसमें वह अंतत: सफल भी हो गए।
1860 में आया श्रीपंचदशानम जूना अखाड़े का अस्तित्व
श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े का अस्तित्व करीब 160 साल पुराना है। यूपी एक्ट 21 सन 1860 के मुताबिक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा बड़ा हनुमान घाट (वाराणसी), उत्तर प्रदेश की एक रजिस्टर्ड संस्था है। लखनऊ के रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड इस संस्था का नंबर 057 है। मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि जूना अखाड़े का श्रीआनंदेश्वर मंदिर से कोई लेना-देना नहीं है। सत्ता की पॉवर से जूना अखाड़े के कुछ लोग जबरन इस मंदिर पर कब्जा कर रहे हैं।
श्यामगिरि को मंहगी पड़ रही जूना अखाड़े की Membership
मंदिर से जुड़े जानकार लोगों और 10 साल पहले विवाद के दौरान शहर के प्रशासनिक अफसरों के साथ मीटिंग के दौरान एक बात तो बिल्कुल साफ थी कि जूना अखाड़े का श्रीआनंदेश्वर मंदिर से कोई लेना-देना नहीं है। 10 साल पहले विवाद के दौरान भी जूना अखाड़े ने मंदिर पर कब्जा करने की जब कोशिश की थी तो अफसरों ने सवाल-जवाब किए थे। तत्कालीन प्रशासनिक अफसरों के तीखे तेवरों को देख जूना अखाड़ा के पदाधिकारी “बैकफुट” पर आ गए थे। जानकारों की मानें तो मंदिर के महंत श्यामगिरि श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के Member हैं।
10 साल पहले जब मंदिर में विवाद हुआ तो जूना अखाड़े का सदस्य होने की वजह से राष्ट्रीय महामंत्री प्रेमगिरि समेत तमाम साधु श्यामगिरि की मदद को मंदिर पहुंच गए थे। मामले के बढ़ने से पहले तत्कालीन प्रशासनिक अफसरों ने कुछ साधुओं के अपराधिक इतिहास की कुंडली खंगाल ली, जिसके बाद सभी पीछे हट गए। वर्ना कब्जा तो 10 साल पहले ही मंदिर पर हो गया होता। जानकारों की मानें तो मंदिर से जूना अखाड़े का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। पीड़ित पक्ष की तरफ से यह भी आरोप लग रहा है कि इस दौरान जूना अखाड़े की तरफ से तमाम फर्जी अभिलेख भी तैयार करवाए गए हैं।
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