- 100 सीट के आसपास भी नहीं फटक पा रही सत्ताधारी BJP
- इंटनरल सर्वे के बाद छोटे दलों को साधने में जुटी भाजपा
- Internal Survey के बाद BJP का मातृ संगठन भी गंभीर
- 2022 Election तक भाजपा अभी और भी आंतरिक सर्वे कराएगी
Yogesh Tripathi
दिल्ली और लखनऊ “दरबार” के बीच हाल के दिनों में दिखी "रार" किसी से छिपी नहीं है। तमाम मीटिंग के बाद संगठन से लेकर RSS का शीर्ष तक 2021 में होने वाले Uttar Pradesh के चुनाव को लेकर कवायद कर रहा है। देश के सबसे बड़े राज्य Uttar Pradesh का Election प्रधानमंत्री Naredndra Modi के चेहरे पर लड़ा जाएगा या फिर मुख्यमंत्री Yogi Adityanath को सीएम कैंडीडेट घोषित कर भाजपा चुनावी “शंखनाद” करेगी ? यह तस्वीर अभी तक साफ नहीं है। लेकिन इन सबके बीच BJP के Internal Survey ने शीर्ष नेतृत्व की धड़कनों को बढ़ा दिया है। अपने आंतरिक सर्वे (Internal Survey) में भाजपा सत्ता से दूर जाती दिख रही है। यही वजह है कि BJP संगठन से लेकर RSS के कद्दावर पदाधिकारियों तक के रातों की नींद उड़ी हुई है। तमाम मंथन और रणनीति बनाने का दौर जारी है। क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर संगठन के मंत्री और राष्ट्रीय संगठन के मुखिया तक कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ मीटिंग कर चुनावी जीत का “मंत्र” बांटते नजर आ रहे हैं। MP, MLA & Minister’s को अपन-अपने क्षेत्रों में निकलने का फरमान हाईकमान ने जारी किया है। यही वजह है कि कोरोना महामारी के दौरान हर दिन हजारों मौतों के बाद भी जो जनप्रतिनिधि घर में बैठे रहे वह अचानक समर्थकों के साथ क्षेत्र में PM & CM की तरफ से अब तक किए गए विकास कार्यों को गिनाते नजर आ रहे हैं।
BJP सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले महीने Internal Survey की जो रिपोर्ट आई
वो बेहद चौंकाने वाली है। इस रिपोर्ट में भाजपा को सिर्फ 100 के आसपास सीटें मिलती
दिख रही है। इससे भी अधिक हैरान और परेशान करने वाली वजह ये है कि आंतरिक सर्वे
में समाजवादी पार्टी (SP) को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है।
सूत्रों की मानें तो इस रिपोर्ट के बाद से ही BJP & RSS का शीर्ष नेतृत्व “बैकफुट” पर आ गया है। इसके तुरंत बाद से ही भाजपा के दिग्गजों ने दिल्ली में मीटिंग की। इस मीटिंग के बाद RSS के बड़े पदाधिकारियों के साथ Uttar Pradesh के हालात को लेकर कई बार अहम बैठक कर चर्चा की गई।
MLA का रिपोर्ट कार्ड देख टिकट देगी BJP
खबर है कि इस आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट के बाद भाजपा अपने हर सियासी कदम को फूंक-फूंक कर रख रही है। फिर मामला चाहे टिकट वितरण का ही क्यों न हो। आंतरिक सर्वे में सत्ता फिसलती देख भाजपा अब अपने हर विधायक का रिपोर्ट कार्ड देखने के बाद ही उसका टिकट फाइनल करेगी। संगठन के साथ-साथ बहुत कुछ RSS की रिपोर्ट पर भी विधायकों के किस्मत का फैसला निर्भर करेगा। जिन विधायकों के प्रति क्षेत्र की जनता में नाराजगी होगी, संभव है कि भाजपा ऐसे विधायकों का टिकट काट देगी। इन जगहों पर युवा और ऊर्जावान लोगों को पार्टी टिकट दे सकती है। ताकि क्षेत्र के जनता की नाराजगी से बचा जा सके।
छोटे दलों की नाराजगी दूर करने में जुटी BJP
2017 के चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत जनता ने दिया था। इस चुनाव में बीजेपी अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाली अपना दल, ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा पार्टी से गठबंधन किया था। दोनों को मंत्रिमंडल में जगह भी दी गई लेकिन ओमप्रकाश राजभर नाराज हो गए और इस्तीफा दे दिया। अपना दल के कोटे से एक राज्यमंत्री जय कुमार (जैकी) ही मंत्रिमंडल में बने हैं। बड़े सूत्रों की मानें तो जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के मद्देनजर सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने अपना दल पर डोरे डाले।
इसकी भनक भाजपा को लगी तो वह अनुप्रिया पटेल के साथ बातचीत कर समझौता करने की मुद्रा में आ गई। गृहमंत्री के साथ मीटिंग में अनुप्रिया पटेल ने केंद्र और प्रदेश में मंत्रीपद के साथ-साथ पांच जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी भी पेश कर दी। ओमप्रकाश राजभर और भाजपा हाईकमान के बीच बातचीत का सार्थक हल नहीं निकल सका है। खबर ये भी है कि राजभर ने भाजपा को स्पष्ट तौर पर मना करते हुए ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं। वहीं, पूर्वांचल में तगड़े वोट बैंक वाली निषाद पार्टी से भी भाजपा हाईकमान बातचीत कर रहा है। माना जा रहा है कि राजभर को छोड़कर बीजेपी अपना दल और निषाद पार्टी के लोगों को योगी मंत्रिमंडल के विस्तार में समायोजित कर उनकी नाराजगी को काफी हद तक दूर कर सकती है।
छोटे दलों के साथ करेंगे गठबंधन : Akhilesh Yadav
सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने एक TV चैनल के साथ बातचीत में यूपी चुनाव के मद्देनजर किसी भी बड़े राजनीतिक दल के साथ गठबंधन की तस्वीर से साफ-साफ इनकार कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि वह Uttar Pradesh का चुनाव छोटे दलों के साथ तालमेल कर लड़ेंगे। कांग्रेस और बसपा के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता है। अखिलेश यादव की मानें तो इन दोनों बसपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन का अनुभव काफी खराब रहा है।
योगी कैबिनेट से कुछ मंत्रियों की हो सकती है “छुट्टी”
Uttar Pradesh चुनाव के मद्देनजर आंतरिक सर्वे (Internal Survey) की रिपोर्ट आने के बाद भाजपा संगठन तमाम तरह की कवायद कर रहा है। सूत्रों की मानें तो जल्द होने जा रहे मंत्रिमंडल विस्तार में कई मंत्रियों की “छुट्टी” तय मानी जा रही है। इसमें कुछ को संगठन का दायित्व भी सौंपा जा सकता है। मंत्रिमंडल में जातिगत समीकरण साधने की भी कोशिश की जाएगी ताकि विधानसभा चुनाव में भाजपा को सीधा एडवांटेज मिल सके।
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