Kanpur के D-2 गैंग लीडर अतीक का भाई था शफीक

70 के दशक में करीमलाला से जुड़ा था शफीक का गिरोह

90 के दशक में दाउद गिरोह से जुड़ गया था शफीक का गिरोह

आगरा की जेल में बंद है D-2 गैंग का सरगना अतीक अहमद

लंबे समय से UP Police को नहीं मिल रही थी शफीक की लोकेशन

नोट-----आगरा की जेल में बंद D-2 सरगना अतीक अहमद की ये लेटेस्ट फोटो खुफिया सूत्रों से प्राप्त की गई है।

Yogesh Tripathi


Uttar Pradesh के Kanpur Nagar और आसपास के जनपदों में करीब चार दशक तक आतंक के पर्याय रहे D-2 गिरोह के शातिर दिमाग Underworld Don शफीक की मुंबई में मौत होने की खबर आ रही है। पुलिस अफसरों और खुफिया सूत्रों की मानें तो शफीक की मौत हार्ट अटैक (Heart Attack) से पड़ने से हुई। शफीक पुणे की जेल से छूटने के बाद मुंबई में परिवार के साथ रह रहा था। Kanpur के कुलीबाजार निवासी शफीक कुछ साल पहले पुणे जेल से छूटा था। UP Police को लंबे समय से शफीक की कोई लोकेशन नहीं मिल रही थी। D-2 सरगना और शफीक का भाई अतीक अहमद आगरा की जेल में बंद है।

फहीम गैंग से 3 दशक तक चली D-2 की गैंगवार

कुलीबाजार निवासी शफीक का वालिद पहलवान था। नई सड़क निवासी शातिर बदमाश फहीम पहलवान और अकील के अब्बू भी पहलवानी करते थे। मूंछ की लड़ाई को लेकर दोनों के बीच 70 के दशक में गैंगवार पनप गया। इसके बाद दोनों के बेटों ने इस गैंगवार को आगे बढ़ाया। 70, 80, 90 के दशक में D-2 गिरोह के सरगना अतीक अहमद और नई सड़क निवासी फहीम पहलवान गैंग के बीच चली गैंगवार की जंगकिसी से छिपी नहीं है। जानकारों की मानें तो दोनों तरफ से करीब 100 से अधिक लोग मारे गए। यही वजह रही कि नई सड़क को "खूनी सड़क" भी कहा जाने लगा था।  पुलिस रिकॉर्ड में करीब तीन दर्जन मौतों का ही जिक्र है।

70 के दशक में करीमलाला से जुड़ा D-2 गैंग

वक्फ संपत्तियों पर कब्जा, रंगदारी, भाड़े पर हत्या और मादक पदार्थ की तस्करी के लिए कुख्यात D-2 गिरोह के जुर्म की कहानीकरीब चार दशक पुरानी है। 70 के दशक में करीमलाला गिरोह की अंडरवर्ल्ड में तूती बोलती थी। तब Kanpur के कई अपराधी युवक करीमलाला गिरोह से जुड़े। उसमें D-2 सरगना अतीक अहमद और शफीक भी शामिल थे।

नब्बे के दशक में दाउद से जुड़ा D-2 गिरोह

जानकार सूत्रों की मानें तो नब्बे के दशक में दाउद इब्राहिम गिरोह की तूती अंडरवर्ल्ड की दुनिया में बोलने लगी थी। शातिर दिमाग अतीक अहमद और शफीक ने देर नहीं की। अतीक अपने पांच भाइयों शफीक, बिल्लू, बाले, अफजाल और रफीक के साथ मिलकर यूपी में दाउद के लिए काम करने लगा। ये वो दौर था जब वक्फ बोर्ड की तमाम बेशकीमती संपत्तियों पर गिरोह ने कब्जा जमाया। कई बेगुनाह लोगों की जानें भी लीं। इसी दौर में D-2 गिरोह ने Kanpur समेत यूपी के कई जनपदों में मादक पदार्थों की तस्करी भी बड़े पैमाने पर शुरु कर दी।  

बिल्लू का Encounter और रफीक के Murder से टूटा गिरोह

वर्ष 2000 की शुरुआत होते ही Kanpur Police गिरोह पर कहर बनकर D-2 गिरोह पर टूट पड़ी। कोलकाता से रिमांड पर Kanpur लाए गए रफीक अहमद की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई। इल्जाम D-34 गैंग लीडर परवेज, बहार खान और गुलाम नबी पर आया। बहार खान को कुछ दिन पहले कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। 2005 में बर्रा के मेहरबान सिंह का पुरवा के पास पुलिस ने अतीक के भाई तौफीक अहमद उर्फ बिल्लू को Encounter में मार गिराया। बिल्लू को कई मामलों में सजा हुई थी और जेल से उसने पार्षदी के लिए पर्चा भी भरा था। सूत्रों की मानें तो बिल्लू गिरोह के लिए मादक पदार्थों की तस्करी का काम संभालता था। यही वजह रही थी कि वो भी स्मैक का लती हो गया था।

16 साल पहले इंदौर में पकड़ा गया था अफजाल

अतीक के भाई अफजाल को Kanpur के तेज तर्रार और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे तत्कालीन सब इंस्पेक्टर विनय गौतम ने इंदौर में पकड़ा था। कड़ी सुरक्षा के बीच अफजाल को विनय गौतम की अगुवाई में पुलिस Kanpur लाई थी। खुफिया सूत्रों की मानें तो अफजाल भी कुछ साल पहले जेल से छूट चुका है। बेहद गोपनीय तौर पर वो गैंग को मजबूत करने में जुटा है। चर्चा है कि परिवार की एक महिला फिलहाल बिखर चुके D-2 गिरोह को मजबूती देकर उसे ऑपरेट कर रही है। परिवार का एक युवा लड़के पर भी खुफिया की नजरे काफी दिनों से पैनी हैं।

80 के दशक में D-2 पर भारी पड़ा था फहीम गिरोह

77 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी थी। चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी की पराजय हुई और जनता पार्टी की सरकार बनी। इस सरकार ने नशाबंदी कर दी। पुलिस विभाग के बड़े सूत्रों के मुताबिक तब Kanpur में एक चर्चित IPS अफसर की तैनाती थी। उनके एक करीबी की Unnao जनपद में हत्या कर दी गई। हत्यारों को निपटाने के लिए तब उक्त चर्चित IPS अफसर ने फहीम पहलवान और अकील पर हाथ रख दिया। दोनों भाइयों ने इसका भरपूर लाभ उठाया और मादक पदार्थों की बिक्री कानपुर समेत कई जनपदों में शुरु कर दी। ये क्रम 80 के दशक में भी चला। जुर्म की दुनिया में अपनी जड़ेंगहरी करने के बाद फहीम गुट ने अतीक के कई लोगों को मार डाला। कई हत्याएं दिनदहाड़े की गईं। 32 साल पहले शहर में तैनात रहे इंस्पेक्टर ब्रजराज सिंह (जिनको लोग बघर्रा) नाम से भी बुलाते थे। उन्होंने फहीम को पकड़ा और उसकी गिरेबांन पकड़ घसीटते हुए ले गए। बस यहीं से फहीम गिरोह के अंत की शुरुआत हो गई और अतीक का D-2 गिरोह हावी होता चला गया।

इस तरह टूटा फहीम के मेयर बनने का ख्वाब

80 दशक के आखिर में नगर निगम के चुनाव हुए। कांग्रेस की केंद्र और यूपी में सरकार थी। खूंखार अपराधी फहीम पहलवान ने कांग्रेस की राजनीतिक छतरी ओढ़ रखी थी। तब जीते हुए पार्षद ही मेयर का चुनाव करते थे। करीब दो दर्जन मुस्लिम पार्षद चुनाव जीतकर आए। टाटमिल के पास एक होटल में फहीम ने सभी पार्षदों अपने पास बुला लिया और मेयर बनने के लिए लामबंदी शुरु कर दी। उसके पास कुछ पार्षद ही कम थे और उसका मेयर बनना पक्कामाना जा रहा था। एक पार्षद की बोली 5 से 10 लाख पहुंच चुकी थी। विक्रम सिंह तब Kanpur के SSP थे। फहीम पहलवान के करीबी और अंडरवर्ल्ड डॉन रहे हाजी मस्तान की आमदरफ्त भी Kanpur में थी। इस बीच मीडिया में एक बड़ी खबर फहीम पहलवान को लेकर आई। इस खबर ने कांग्रेस के हाईकमान को संजीवनी दे दी। यूपी सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री गोपीनाथ दीक्षित ने बड़े अखबार में छपी इस खबर को संज्ञान में लिया और तुरंत फहीम पहलवान को Arrest करने का निर्देश दिया। SSP विक्रम सिंह ने फहीम की गिरफ्तारी के लिए कई थानेदारों को लगा दिया। कांग्रेस को मौका मिला और श्रीप्रकाश जायसवाल को प्रत्याशी घोषित कर पार्षदों के जरिए उनका चयन करवा मेयर बनवाया।      

UPSTF को लगाया गया लेकिन सफलता SOG को मिली

D-2 गैंग लीडर अतीक ने नब्बे का दशक आते-आते अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद का हाथ पकड़ लिया और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद फहीम गुट के कई अपराधी मारे गए। इसके बाद करीब 15 साल तक अतीक गिरोह ने Kanpur समेत यूपी के कई शहरों में आतंक के बल पर अपराध का साम्राज्य खड़ा किया।

यही वजह रही कि उत्तर प्रदेश स्पेशल टॉस्क फोर्स (UPSTF) को D-2 गिरोह के खात्में के लिए लगाया गया। मौका पाकर अतीक अहमद ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) ज्वाइन कर शहर उपाध्यक्ष का पद ले लिया। लेकिन मीडिया में फजीहत के बाद BSP ने उसे पार्टी से निकाल दिया। STF की टीमें D-2 गिरोह के पीछे पड़ी रहीं। हीर पैलेस के पास मुठभेड़ हुई। जिसमें अतीक गिरोह के दो शूटर मारे गए और STF का एक कमांडों शहीद हो गया।  अफसरों ने शहर के चर्चित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ऋषिकांत शुक्ला को D-2 गिरोह के सफाए की कमान सौंप दी। ऋषिकांत शुक्ला इससे पहले पूर्वांचल के बाहुबली माफिया सरगना अभय सिंह को शहर के कांग्रेसी नेता ताहिर के साथ कलक्टरगंज की नयागंज चौकी में तैनाती के दौरान Arrest कर अफसरों को भरोसेमंद सब इंस्पेक्टर बन चुके थे। ऋषिकांत शुक्ला ने महज कुछ साल में ही डी-2 गिरोह की कमर पूरी तरह से तोड़कर रख दी।

UNNAO के शुक्लागंज पर हैं खुफिया निगाह

शफीक की मुंबई में हार्ट अटैक से हुई मौत के बाद Unnao जनपद के शुक्लागंज में खुफिया की निगाहें लगी हैं। खुफिया सूत्रों की मानें तो वर्तमान समय में अतीक और उसके भाइयों के परिवार के कई सदस्य यहीं पर रह रहे हैं। चूंकि इस गिरोह के तार सीधे अंडरवर्ल्ड से जुड़े हैं इस लिए खुफिया भी Alert है।





Axact

Axact

Vestibulum bibendum felis sit amet dolor auctor molestie. In dignissim eget nibh id dapibus. Fusce et suscipit orci. Aliquam sit amet urna lorem. Duis eu imperdiet nunc, non imperdiet libero.

Post A Comment:

0 comments: