तीन दशक से “कोमा” में पड़ी Congress को प्रियंका गांधी के आने से मानों “संजीवनी” मिल गई है। बूथ और यूथ को फिट करने के बाद प्रियंका गांधी विरोधियों की रणनीति को ध्वस्त करने में लगी हुई हैं। BJP के कई नेता कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं और कुछ लाइन में हैं। जानकारों की मानें तो जल्द ही प्रियंका गांधी का एक नया Master Stroke देखने को मिल सकता है। केंद्र और यूपी की सरकार में BJP की सहयोगी अपना दल को लेकर प्रियंका काफी गंभीर हैं। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से कोई तवज्जो न मिलने के बाद अपना दल का “राजनीतिक प्यार” कांग्रेस की तरफ बढ़ा है। हालांकि अंदरखाने की खबर ये है कि गठबंधन के बजाय प्रियंका अपना दल के कांग्रेस में विलय पर जोर दे रही हैं। उसके पीछे कई बातें भी हैं। हालांकि अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल एक प्रमुख अखबार से प्रियंका गांधी की मुलाकात को लेकर खंडन कर चुके हैं।



YOGESH TRIPATHI


 2014 के चुनाव में BJP के सिंबल पर चुनाव लड़े थे प्रत्याशी


अपना दल ने 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी से गठबंधन कर लड़ा था। लेकिन खास बात ये थी कि सभी प्रत्याशी भाजपा के चुनाव चिन्ह पर ही जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। अपना दल का पारिवारिक विवाद भी किसी से छिपा नहीं है। मां-बेटी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का पूरा फायदा भाजपा ने लोकसभा और विधान सभा के चुनाव में उठाया। अंदरखाने की मानें तो अपना दल का अभी तक रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। चुनाव-चिन्ह कप-प्लेट भी जा चुका है। ऐसे में अपना दल की अनुप्रिया पटेल का बीजेपी को आंखे दिखाना शीर्ष नेतृत्व को ठीक नहीं लगा।

प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 3 घंटे तक चली मीटिंग


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अनुप्रिया की तरफ से दिए गए अल्टीमेंटम का भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। शायद यही वजह रही है कि अनुप्रिया पटेल अपने पति आशीष पटेल के साथ गुरुवार को प्रियंका गांधी से मिलने के लिए पहुंचीं। इस मीटिंग में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे। कई मुद्दों पर प्रियंका ने लंबी बातचीत की। प्रियंका ने एक सप्ताह का समय भी अनुप्रिया पटेल को दिया है। वहीं, दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल की राह अलग होते देख बीजेपी ने उनकी मां को साथ में लाने की रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है।

कांग्रेस को मिल जाएगा यूपी में बड़ा OBC चेहरा


अंदरखाने से जो चर्चाएं बाहर आ रही हैं उसके मुताबिक अनुप्रिया पटेल और उनके पति को कांग्रेस में विशेष तरजीह देकर विलय कराया जा सकता है। इससे कांग्रेस को कई फायदे सीधे तौर पर दिख रहे हैं। पहला ये कि सूबे में कांग्रेस को पिछड़ी जाति का एक बड़ा चेहरा मिलेगा। साथ ही अपना दल के तमाम कार्यकर्ताओं का जुड़ाव भी कांग्रेस के पक्ष में होगा। अनुप्रिया के कांग्रेस में जाने से सीधा नुकसान बीजेपी को ही होगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की करीब एक दर्जन विधान सभा सीटों पर कुर्मी जाति का विशेष प्रभाव है और इन सभी जगहों पर अनुप्रिया की वोटरों पर काफी तगड़ी पकड़ है।

28 फरवरी को Lucknow में होगी अपना दल की मीटिंग


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनुप्रिया पटेल 28 फरवरी को लखनऊ में पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ एक अहम बैठक करेंगी। जिसमें तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाएगी कि वो NDA के साथ रहेंगी या फिर कांग्रेस में अपना दल का विलय करेंगी। उल्लेखनीय है कि 2014 के चुनाव में अपना दल मिर्जापुर और प्रतापगढ़ की लोकसभा सीट जीती थी।

 

 

 

 
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