हिन्दुस्तान अखबार के बिल्हौर संवाददाता नवीन गुप्ता की हत्या को पांच दिन हो चुके हैं लेकिन पुलिस के हाथ खाली है। पत्रकार का परिवार बिलख रहा है, कातिल कत्ल के बाद मौज कर रहे हैं और शहर पुलिस सिर्फ और सिर्फ दबिश दे रही है। पांच दिन में पुलिस सिर्फ संदिग्ध कातिल का स्केच जारी कर सकी है।
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YOGESH TRIPATHI
कानपुर। चार दिन पहले बिल्हौर में “हिन्दुस्तान” अखबार के जर्नलिस्ट नवीन गुप्ता की सरेशाम हत्या कर सनसनी फैलाने वाले कातिलों में एक का पुलिस ने स्केच जारी किया है। खुद को हाईटेक बताने वाली पुलिस के हाथ इस हत्याकांड में पूरी तरह से खाली हैं। सच्चाई तो ये है कि पुलिस अभी तक इस बात का भी पता नहीं लगा सकी है कि आखिर पत्रकार नवीन गुप्ता के मर्डर की वजह क्या रही ? इतना ही नहीं अभी तक किसी भी सामाजिक संगठन,पत्रकार यूनियन और शासन की तरफ से पीड़ित परिवार को किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं की गई। शहर के तमाम पत्रकार संगठन रोष जताते हुए सिर्फ विरोध और मांग भर तक सीमित हैं।
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30 नवंबर को कातिलों ने सरेशाम फिल्मी स्टाइल में की थी हत्या
बिल्हौर तहसील में हिन्दुस्तान अखबार के लिए रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार नवीन गुप्ता की 30 नंवबर को बाइक सवार बदमाशों ने हत्या कर दी थी। वारदात के समय नवीन कस्बे में स्थित अपनी शॉप पर बैठे थे। बेखौफ कातिलों ने एक के बाद एक पांच गोलियां नवीन के शरीर में उतार दीं और भाग निकले।
Kanpur City के जाने माने शिक्षक अजेय शुक्ला जी की फेसबुक वॉल से साभार---
प्रधान संपादक जी आपके कलम की स्याही सूख गई क्या ?
दशकों पहले किसी हस्ती से हुई मुलाकात पर "हिन्दुस्तान" अखबार में कालम छापने वाले प्रधान संपादक शशि शेखर अपने ही पत्रकार की हत्या पर खामोश क्यों हैं ? अपने पत्रकार की हत्या के बाद उन्होंने कोई लेख क्यों नहीं लिखा ? इतना ही नहीं अखबार ने पत्रकार नवीन गुप्ता को संवादसूत्र लिखकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। संवादसूत्र मतलब साफ है कि नवीन “हिन्दुस्तान” अखबार के कर्मचारी नहीं थे। संस्थान की तरफ से मानवता की वजह से कर्मचारी आपस में चंदा करके भले ही कुछ रकम पहुंचा दें लेकिन प्रधान संपादक और एचआर व हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर अपनी मारे गए पत्रकार के परिजनों को को कुछ भी नहीं देने वाले।
मुख्यमंत्री ने जताया था दुःख, लेकिन आर्थिक मदद के नाम पर ठेंगा
बिल्हौर तहसील के पत्रकार नवीन गुप्ता की हत्या के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुःख जताते हुए मातहतों को तत्काल कड़ी कार्रवाई के आदेश देते हुए जल्द खुलासा करने की ताकीद भी दी थी, लेकिन अफसोस की बात ये है कि घटना के पांच दिन बीत जाने के बाद भी पत्रकार के पीड़ित परिजनों को अभी तक किसी भी तरह की आर्थिक मदद शासन स्तर से नहीं दी गई। संवेदना जताने के लिए सिर्फ कुछ अफसर घटना वाले दिन पहुंचे थे। उसके बाद सिर्फ जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस की टीमों ने इंट्रोगेशन किया लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
SSP ने कहा कि जल्द होगी गिरफ्तारी
कानपुर के SSP अखिलेश कुमार मीणा ने हत्या में शामिल संदिग्ध का स्केच जारी करते हुए कहा कि संभव है कि इससे कातिलों का सुराग मिलने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि पुलिस की टीमें अपना वर्क कर रही हैं। अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, ताकि उसके आधार पर यह कहा जा सके कि हत्या किसने और क्यों करवाई है। SSP का कहना है कि जल्द सफलता मिलेगी।
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