परिजनों का आरोप जिला अस्पताल प्रशासन ने नहीं दी Ambulance | अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधिकारी ने कहा कि पोस्टमार्टम की बात पर शव लेकर भागे परिजन
[caption id="attachment_17141" align="aligncenter" width="660"] एंबुलेंस न मिलन पर बाइक से शव ले गए परिजन[/caption]
कौशांबी। एक तरफ Bullet Train चलाने की तैयारी हो रही है तो वहीं Ambulance भी लोगों को मयस्सर नहीं हो पा रही है। सबसे बड़े राज्य राज्य उत्तर प्रदेश की हालत तो और भी दयनीय है। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हर रोज मरीजों की सांसे उखड़ रही हैं। कभी ऑक्सीजन की सप्लाई न होने से दर्जनों बच्चे काल के गाल में समा रहे हैं तो कभी Ambulance न मिलने की वजह से लोग अपनों का शव ठेले और बाइक से ले जाने को मजबूर हैं।
डिप्टी सीएम के गृह जनपद कौशांबी में नहीं मिली Ambulance
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद में मरीज का शव Ambulance की जगह परिजन बाइक पर लादकर ले गए। मानवता को शर्मशार करने वाली यह PHOTO इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने शव वाहन Ambulance मुहैया नहीं कराया, जिसकी वजह से शव को बाइक पर ले जाना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल के प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि परिजन शव को लेकर भाग निकले। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मामले की जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी को कई घंटे बाद मीडिया के जरिये हुई।
परिजनों का आरोप अस्पताल प्रशासन ने Ambulance देने से किया मना
पीड़ित परिजनों का आरोप है कि जिला अस्पताल के प्रशासन ने Ambulance देने से मना कर दिया। करारी थाना के हिसामपुर गांव निवासी लालता प्रसाद शुक्रवार को पेड़ से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में मौत के बाद उन लोगों ने Ambulance की मांग की लेकिन अस्पताल प्रशासन ने Ambulance मुहैया नहीं कराई।
Ambulance न देने पर क्या बोले जिम्मेदार ?
जिला अस्पताल के प्रभारी मुख्यचिकित्साधिकारी डॉक्टर अरविंद कुमार कन्नौजिया ने Ambulance के मामले पर कहा कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने शव का पोस्टमार्टम करने की बात कही थी। इस बात पर लालता के परिजन गुस्सा हो गए और जबरन शव को लेकर बाइक से चले गए। इस बात की सूचना उन्होंने मंझनपुर कोतवाली पुलिस को भी दी थी। कुल मिलाकर अब पुलिस की जांच में पता चलेगा कि कौन सही बोल रहा है और कौन झूठ ? हालांकि Ambulance न मिलने का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी कई ऐसे मामले सरकार की नींद उड़ा चुके हैं।
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