More Than 12 Police Person's Have Been Killed In Chitrakoot By DacoitsAfter The Dadua, Thokiya, Balkharya & Now Babuli Kol


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YOGESH TRIPATHI

कानपुर। पाठा के जंगलों में दस्यु सम्राट ददुआ, अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया, दस्यु रागिया और बलखड़िया जैसे खूंखार अपराधियों को Encounter में ढेर करने का दावा भले ही uppolice करती हो लेकिन जब-जब डकैतों के साथ रियल Encounter हुआ खुद के हाईटेक होने का दंभ भरने वाली Police मुंह के बल गिरी। एक-दो नहीं बल्कि अब तक दर्जन भर से अधिक पुलिस कर्मियों की जान जा चुकी है। इतने ही पुलिस कर्मी गोली लगने से घायल हो चुके हैं। गुरुवार को Babuli Kol गैंग के साथ Encounter में रैपुरा थाने के सब इंस्पेक्टर JP Singh शहीद हो गए, जबकि बहिलपुरवा के थानेदार वीरेंद्र त्रिपाठी का गंभीर हालत में इलाज चल रहा है।


घनश्याम केवट ने अकेले ही UP-Police कर दिया था पस्त


यूं तो पाठा के जंगलों में डकैतों और पुलिस के बीच कई एनकाउंटर हो चुके हैं लेकिन करीब आठ साल पहले चित्रकूट के राजापुर थाना एरिया के जमौली गांव में दस्यु घनश्याम केवट उर्फ शंकर के साथ तीन दिन तक चले Encounter को भला कौन भूल सकता है ? एक मकान में छिपे डाकू घनश्याम ने सिर्फ .315 बोर की राइफल से उसने 1000 पुलिस वालों को नाको चने चबवाए। STF, SOG, PAC सब लगा दी गई। तीन दिन बाद हालात Army को बुलाने वाले हो गए। एक राइफल से उसने SOG, STF के एक-एक और PAC के दो जवानों को मार दिया। आधा दर्जन से पुलिस वाले घायल हुए। बांदा के तत्कालीन DIG भी गोली लगने से घायल हुए। तत्कालीन DGP विक्रम सिंह हेलीकॉप्टर से चित्रकूट पहुंचे। पुलिस फिर भी घनश्याम को नहीं मार पाई। जब उसके पास कारतूस कम पड़ गए तो वह गांव से भागा। इसी दौरान STF ने चारो तरफ से घेरकर घनश्याम को मार गिराया। घनश्याम तो मर गया लेकिन पुलिस की जो किरकिरी हुई उसे लोग लंबे समय तक याद रखेंगे।

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दस्यु छविराम के Enconter का रिकार्ड टूट गया


घनश्याम केवट के Enconter से पहले छविराम के साथ पुलिस मुठभेड़ा का लंबा इतिहास रहा। छविराम के साथ पुलिस की मुठभेड करीब 56 घंटे तक चली थी लेकिन घनश्याम के एनकाउंटर में यह रिकार्ड भी टूट गया। यह एनकाउंटर करीब 80 घंटे से ऊपर तक चला। छविराम 80 के दशक का खूंखार डकैत था। लेकिन उसका कार्यस्थल पाठा का जंगल न होकर यूपी के बीहड़ और उसके आसपास के एरिया में था।

कभी नहीं भुलाया जा सकता है STF के जवानों का नरसंहार


23 जुलाई 2007 उत्तर प्रदेश स्पेशल टॉस्क फोर्स (UPSTF) की गाड़ियों पर दस्यु सरगना अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया उर्फ डॉक्टर ने गिरोह के साथ मिलकर स्वचालित असलहों से अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इस हमले में करीब आधा दर्जन STF के जवान शहीद हो गए और इतने ही घायल हुए।

[caption id="attachment_16538" align="aligncenter" width="695"]Ambika Patel (thokiya) File (Photo), redeyestimes Ambika Patel (thokiya) File (Photo)[/caption]

Police के लिए काफी क्रूर था ठोकिया


जानकार पुलिस वालों की मानें तो अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया Police के लिए काफी क्रूर था। खाकी वर्दी को देखते ही वह गोली चलाता था। STF के छह जवानों की जान लेने से पहले ठोकिया बौनापुरवा गांव में दो सिपाहियों की हत्या कर उनकी राइफलें लूट ली थीं। इसी तरह उसने कालिंजर थाना के नोखे का पुरवा में मुठभेड़ के दौरान सिपाही बृजकांत मिश्रा को मार दिया था। पुलिस सूत्रों की मानें तो अपनी बहन की इज्जत तार-तार होने के बाद पाठा के जंगलों में हथियार लेकर कूदने वाले ठोकिया को पुलिस ने भी कम प्रताड़ित नहीं किया था। यही वजह थी कि वह पुलिस को देखते ही गोली चला देता था।

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बलखड़िया ने भी मरने से पहले Police पर किया था हमला


करीब दो साल पहले 2 जुलाई 2015 को दस्यु सरगना स्वदेश पटेल उर्फ बलखड़िया ने भी भरतकूप चौकी के पास गश्त कर रहे सिपाहियों की टुकड़ी पर घात लगाकर हमला किया। इस हमले में दो सिपाही घायल हुए। घायल सिपाही ने किसी तरह हिम्मत का परिचय देते हुए राइफल से गोलियां चलाईं। जिसमें बलखड़िया घायल हुआ। इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। काली घाटी पर पुलिस को उसका सिर्फ कंकाल ही मिला।

नोट: ये वो बड़े आंकड़े हैं जो खुद को हाईटेक बताने वाली पुलिस के दावों की पोल खोलते हैं। जानकार पुलिस वालों की मानें तो पाठा के जंगलों में उनको डकैतों के सफाए के लिए तो लगा दिया जाता है लेकिन सुरक्षा के नाम पर कुछ भी मुहैया नहीं कराया जाता। एक बार फिर यह बात उठी कि ऐसे संवेदनशील जगहों और मुठभेड़ में जाने वाले पुलिस के जाबांजों को बुलेटप्रूफ जैकेट सरकार और यूपी पुलिस क्यों नहीं मुहैया कराती ?


 
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