- 90 दशक की शुरुआत में श्यामगिरि बने थे श्रीआनंदेश्वर मंदिर (परमट) के महंत
- उनके निधन से भक्तों, कर्मचारियों और शिष्यों में शोक की लहर
- Uttrakhand स्थित देहरादून के एक Hospital में चल रहा था श्यामगिरी का इलाज
- Sinday की सुबह करीब 2.30 पर श्यामगिरी ने ली अंतिम सांस
- महंत श्यामगिरी पार्थिव शरीर को Kanpur लाया जा रहा है
- परंपरा के मुताबिक श्यामगिरी के शिष्य करेंगे बाबा घाट पर अंतिम संस्कार की रस्म
Yogesh Tripathi
श्रीआनंदेश्वर मंदिर (परमट) कानपुर के महंत श्यामगिरी (75) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। Uttrakhand के देहरादून स्थित एक Hospital में श्यामगिरी का उपचार चल रहा था। Sunday की अलसुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही भक्तों, शिष्यों और मंदिर परिसर में दुकान संचालित करने वाले व्यापारियों में शोक की लहर दौड़ गई। माना जा रहा है कि देर रात्रि तक श्यामगिरी के पार्थिव शरीर को कानपुर लाया जा सकेगा। उसके बाद भक्तों के दर्शनाथ पार्थिव शरीर को रक्खा जाएगा। श्यामगिरी के निधन उनके ही शिष्यों की तरफ से फोटो जारी करके दी गई है।
महंत श्यामगिरी के सबसे बड़े शिष्य महंत अमरनाथ उर्फ कंटक महराज ने www.redeyestimes.com (News Portal) को बताया कि वह अपने गुरु भाइयों के साथ श्रीआनंदेश्वर मंदिर के महंत और अपने गुरु श्यामगिरी महाराज का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ बाबा घाट पर करेंगे। कंटक महराज ने बताया कि गुरु-शिष्य परंपरा के मुताबिक ही पूज्य महाराज का अंतिम संस्कार वह अपने गुरु भाइयों के साथ बाबा घाट पर करेंगे।
शासन-प्रशासन के बल पर जूना अखाड़े ने कर रक्खा है कब्जा !
श्यामगिरि के शिष्य अमरनाथ उर्फ कंटक महाराज का आरोप है कि श्रीआनंदेश्वर मंदिर (परमट) कानपुर पर लंबे समय से जूना अखाड़े के दबंग लोगों ने शासन-प्रशासन की साठगांठ से कब्जा कर रक्खा है। आरोप है कि 7 महीना पहले दानपात्र चोरी का झूठा आरोप लगाकर जूना अखाड़े के दबंग लोगों ने श्यामगिरी के कुछ शिष्यों और अमरनाथ उर्फ कंटक समेत मंदिर के कई पुराने लोगों को कथित तरीके से जेल भेजवा दिया था। जेल से छूटने के बाद सभी लोगों के मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया।
अमरनाथ उर्फ कंटक महराज का आरोप है कि उसके बाद श्रीआनंदेश्वर मंदिर के ऊपरी हिस्से में उनके गुरु महंत श्यामगिरी पर बीमारी की हालत में पुलिस का पहरा बैठा दिया गया। कोई भी शिष्य और भक्त उनसे मुलाकात नहीं कर पा रहा था। करीब महीना भर पहले श्यामगिरी की हालत बिगड़ी तो उनको नौबस्ता के एक Hospital में भर्ती कराया गया था। बकौल अमरनाथ उर्फ कंटक महाराज जब वह अपने गुरु भाइयों के साथ गुरु को देखने के लिए पहुंचे तो उनको मिलने नहीं दिया गया। उसके बाद अचानक श्यामगिरी लापता हो गए। बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से अचेतावस्था में थे।
शहर भर में तब ये अफवाह उड़ गई कि श्यामगिरी की मौत हो गई लेकिन बाद में पता चला कि श्यामगिरी का नाती राहुल उनको लेकर इलाज कराने के लिए देहरादून गया है। श्यामगिरी के निधन के बाद अब एक बात तो तय है कि गद्दी को लेकर जूना अखाड़े और उनके शिष्यों के बीच म्यान से तलवारें बाहर निकलेगी। पलड़ा जूना अखाड़े का इस लिए भारी है...? क्यों कि उनके पास Uttar Pradesh की सत्ता में बैठे कई दिग्गजों की "Power" है। इसी "Power" के बल पर जूना अखाड़े ने चार लोगों पर दानपात्र चोरी करने का झूठा इल्जाम लगाकर श्यामगिरी के शिष्यों को फर्जी तरीके से जेल भेजवाया।। जबकि खुद स्वर्गीय महंत तब चीखते-चिल्लाते रहे कि उनके शिष्यों पर जुल्म किया जा रहा है ताकि जूना अखाड़ा के लोग मंदिर पर कब्जा कर सकें। सोशल मीडिया पर श्यामगिरी का यह Video खूब Viral हुआ लेकिन "सत्ता की पॉवर" के आगे श्यामगिरी और उनके शिष्यों की एक नहीं चली।
Kanpur की पुलिस ने वही किया जो उसे सत्ता में बैठी ताकतों ने हुक्म दिया। अब देखना यह भी दिलचस्प होगा कि मंदिर परिसर के आसपास दुकान सजाए बैठे व्यापारी और महंत श्यामगिरी के भक्त क्या एक बार फिर से जूना अखाड़े को हटाने के लिए महंत श्यामगिरी के शिष्यों के समर्थन में आवाज बुलंद करते हैं...? या फिर जूना अखाड़ा और सत्ता की पॉवर के आगे मूक-बधिर बनकर तमाशा देखेंगे...?
Note----श्रीआनंदेश्वर मंदिर (परमट) कानपुर और महंत श्यामगिरी से जुड़ी हर प्रमुख खबर समय-समय पर UPDATE होती रहेगी। कई दशक पुराने "गड़े मुर्दों" को भी खोदकर बाहर लाने का प्रयास किया जाएगा ताकि Kanpur की जनता और बाबा आनंदेश्वर के लाखों-करोड़ों भक्त मंदिर-गद्दी और उसके महंतों से जुड़ी हर गतिविधि को बारीकी से समझ सके।
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