-पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के खिलाफ दर्ज करवाया था मुकदमा
-अनिवार्य सेवानिवृत किए गए तीनों अफसरों के खिलाफ चल रही थी जांच
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh के चर्चित IPS Officer अमिताभ ठाकुर समेत तीन अधिकारियों को गृह मंत्रालय की तरफ से अनिवार्य सेवानिवृत का आदेश दे दिया गया है। गृह मंत्रालय ने 1992 बैच के IPS Officer अमिताभ ठाकुर और राजेश कृष्ण व राकेश शंकर को सरकारी सेवा के लिए अनुपयुक्त पाया है। गृह मंत्रालय (HMO) ने विशेष प्राविधानों का प्रयोग करते हुए ये बड़ी कार्रवाई UP Government के रिपोर्ट कार्ड पर की है। Amitabh Thakur का केंद्र व यूपी की सरकार से छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है।
जबरन रिटायर्ड किए जाने के बाद अमिताभ ठाकुर ने एक Tweet भी किया है। उन्होंने Tweet में लिखा कि “मुझे अभी-अभी वीआरएस (लोकहित में सेवानिवृति) आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिये। जय हिन्द”।
IG Rules & Manual के पद पर कार्यरत अमिताभ ठाकुर के खिलाफ तमाम मामलों में जांच चल रही थी। 10वीं बटालियन PAC में सेनानायक के पद पर कार्यरत राजेश कृष्ण के खिलाफ आजमगढ़ में पुलिस भर्ती में घोटाले का आरोप है। डीआइजी (स्थापना) राकेश शंकर पर देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में संदिग्ध भूमिका के आरोप थे।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय (HMO) की तरफ से 17 मार्च 2021 को आदेश जारी हुआ कि अमिताभ ठाकुर लोकहित में सेवा में बनाए रखे जाने के उपयुक्त नहीं हैं। इस आदेश के क्रम में अब प्रदेश के गृह विभाग की तरफ से उन्हें जबरन रिटायर करने का आदेश जारी कर दिया गया। Uttar Pradesh के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी के आदेश के मुताबिक “गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के 17 मार्च 2021 के आदेश द्वारा अमिताभ ठाकुर, आईपीएस, आरआर-1992 को लोकहित में सेवा में बनाए रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए अखिल भारतीय सेवाएं (डीसीआरबी) नियमावली-1958 के नियम-16 के उपनियम 3 के अंतर्गत लोकहित में तत्काल प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पहले सेवानिवृत्त किए जाने का निर्णय लिया गया है।
मुलायम सिंह के खिलाफ दर्ज कराई थी FIR
1992 बैच के अफसर रहे Amitabh Thakur ने Ex.CM मुलायम सिंह के खिलाफ काफी मुखर होकर मोर्चा खोला था। उन्होंने मुलायम सिंह के खिलाफ राजधानी Lucknow में मुकदमा भी दर्ज करवाया था। 2012 में जब अखिलेश यादव सरकार सरकार आई तो अमिताभ ठाकुर के खिलाफ भी मुकदमें दर्ज हुए। उनके खिलाफ 5 विभागीय कार्रवाई भी हुई। अमिताभ ठाकुर पर आरोप था कि 16 नवम्बर 1993 को IPS की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्यौरा शासन को नहीं दिया थाय़ उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया।
पत्र में यह भी आरोप था कि अमिताभ ठाकुर के वर्षवार वार्षिक संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों के नाम से काफी संख्या में चल एवं अचल संपत्तियां, बैंक, पीपीएफ जमा कर रखी हैं। उन्हें तमाम ऋण और उपहार प्राप्त हुए लेकिन उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी।
इन कार्यों को अखिल भारतीय आचरण नियमावली 1968 के नियम 16(1) तथा 16(2) का उल्लंघन बताते हुए अमिताभ ठाकुर को 15 दिन में इनके संबंध में अपना जवाब देने को कहा गया था। इससे पहले अमिताभ ठाकुर पर चार विभागीय कार्रवाइयां चलीं जो जो वर्ष 2015-16 में शुरू हुई थीं।
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