-लंबे समय से बीमार थे 84 वर्ष के शहरकाजी

-सुबह बाबूपुरवा की नई मस्जिद में ली आखिरी सांस 

 

Yogesh Tripathi

Kanpur के शहरकाजी मौलाना रियाज़ अहमद हशमती मंगलवार को इंतकाल हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे 84 वर्ष के शहरकाजी ने बाबूपुरवा की नई मस्जिद में अलसुबह अंतिम सांस ली। बगाही कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मरहूम शहरकाजी अपने पीछे 6 बेटियां और एक बेटे को छोड़ गए। शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद  हशमती के इंतकाल से Kanpur में शोक की लहर है। इंतकाल की खबर सुनकर उनके घर पर देर शाम तक लोगों का तांता लगा रहा।

शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती नई मस्जिद में बने अपने कमरे में रहते थे। बताया जा रहा है कि रात उन्होंने इशा की नमाज अदा की। भोजन करने के पश्चात आराम करने कमरे में चले गए। आधी रात्रि उनकी हालत खराब हुई। करीब सवा तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 

परिजनों के मुताबिक मौलाना रियाज अहमद हशमती का जन्म यूपी के कौशांबी जनपद के मौजा पहाड़पुर में वर्ष 1937 में हुआ था। चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े शहरकाजी ने बरेली शरीफ में दीनी तालीम हासिल की। तालीम पूरी होने के बाद वे उज्जैन चले गए और वहां नगादा मस्जिद में इमाम हो गए। वालिद मोहम्मद याकूब की नौकरी Kanpur स्थित स्वदेशी कॉटन मिल में लगी तो परिवार के साथ वह भी आ गए। बाबूपुरवा की नई मस्जिद में इमामत करने लगे। यहीं मदरसा अल जामियतुल रजविया मनाजुर उलूम में बच्चों को तालीम भी देते थे।

वर्ष 2007 में वह शहरकाजी बने। खराब स्वास्थ्य की वजह से हाल ही में उन्होंने मुफ्ती यूनुस रजा उवैसी को नायब शहरकाजी बनाया था। मौलाना रियाज अहमद हशमती के इंतकाल पर शहरकाजी मुफ्ती साकिब अदीब, शहरकाजी मौलाना मुशाहिदी, मौलाना तहसीन रजा कादरी, नायब शहरकाजी मुफ्ती यूनुस रजा उवैस समेत शहर के तमाम प्रतिष्ठित लोग उनके घर पर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे।

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