RTI (Activist) & Advocate सौरभ भदौरिया ने दर्ज कराए बयान

Jai Bajpai और उसके गिरोह के बारे में सौंपा कच्चा चिट्ठा

Kanpur के Ex.SSP अनंत देव तिवारी भी दर्ज कराया अपना बयान

 

Yogesh Tripathi

 

CO समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद Encounter में मारे गए Vikas Dubey के गुर्गे गैंगस्टर Jai Bajpai के खिलाफ Kanpur के RTI Activist & Advocate सौरभ भदौरिया ने अपने बयान SIT के सामने पेश होकर दर्ज कराए। सौरभ भदौरिया ने SIT (Team) को कई चौंकाने वाली जानाकरियां दी हैं। सौरभ का आरोप है कि पुलिस ने अभी तक जयकांत बाजपेयी के गिरोह पर शिकंजा नहीं कसा है। एक भाई पर पुलिस ने गैंगस्टर नहीं लगाया है। इससे पहले कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी ने भी अपने बयान एसआइटी टीम के सामने दर्ज कराए।

सौरभ भदौरिया ने redeyestimes (News Portal) से बातचीत में बताया कि सोमवार को एसआइटी टीम के सदस्य जे.रविंदर गौड़, एस भूसरेड्डी के सामने पेश होकर अपने बयान दर्ज कराए। सौरभ ने एसआइटी टीम को बताया कि जयकांत बाजपेयी, उसके भाई रंजय बाजपेयी, पवन गुप्ता, मनुज गोयल समेत करीब एक दर्जन गुर्गों ने मिलकर 107/263 रेलवे लाइन की करीब 10 संपत्तियों पर पहले कब्जा किया और बाद में उसकी बिक्री शुरु की।

सौरभ ने SIT को बताया कि इसमें दो संपत्तियों की बिक्री हो चुकी है। यह जानकारी मिलते ही एसआइटी ने अपना माथा पकड़ लिया। वजह बिल्कुल साफ है, बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिन पहले सरकारी भूमि कब्जे के मामले में जय बाजपेयी को शासन की तरफ से क्लीन चिट मिल चुकी है।

सौरभ भदौरिया ने एसआइटी टीम को बताया कि पूर्व अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी, कानपुर) की तरफ से लिखित आदेश के बाद भी नजीराबाद, बजरिया थानों के तत्कालीन थानेदारों ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। बजूका रेस्टोरेंट मामले में भी स्वरूप नगर पुलिस ने बड़ा खेल किया था। तब गिरोह के गुर्गों ने विकलांगों को बेरहमी से मारा था। इतना ही नहीं गिरोह ने सत्ता की हनक के बल पर बाद में सौरभ भदौरिया और उनके बुजुर्ग पिता (करीब 80 वर्ष) के खिलाफ भी मुकदमें दर्ज करवा दिए थे।

सौरभ ने बताया कि उन्होंने एसआइटी टीम को करीब 1764 पन्नों वाली रजिस्ट्रियों की प्रतिलिपि सौंपी है। जबकि कानपुर जिला प्रशासन की तरफ से सिर्फ तीन पन्नों वाली रजिस्ट्री ही दी गई है। जिससे साफ है कि इतने बड़े कांड के बाद विकास दुबे के गुर्गों को पुलिस और प्रशासन मिलकर बचाने में जुटा हुआ है। पर्दे के पीछे से भूमिका सत्ताधारी दल के कई सफेदपोश नेता कर रहे हैं।

सौरभ भदौरिया ने एसआइटी टीम को बताया कि जयकांत बाजपेयी के जेल जाने के बाद भी उसके मकान में बजरिया, नजीराबाद और स्वरूप नगर, मूलगंज थाने के कई पुलिस कर्मी किराए पर रह रहे हैं। यही वजह है कि जेल जाने के बाद भी जय कांत बाजपेयी के परिजनों का हौसला बुलंद हैं। SIT (Team) ने हैरानी जताते हुए पूछा कि इस मामले में अभी तक आइजी रेंज की तरफ से क्या कोई कार्रवाई हुई है ? इस पर सौरभ भदौरिया ने जवाब नकारात्मक देते हुए कहा कि सभी पुलिस कर्मी वर्तमान समय में भी वहीं पर रह रहे हैं।

एसआइटी ने सौरभ भदौरिया से पूछा कि क्या शासन-प्रशासन से आपको अभी तक कोई सुरक्षा प्राप्त हुई है। सौरभ भदौरिया ने बताया कि फिलहाल अभी तक वह बगैर सुरक्षा के ही हैं। पुरानी सुरक्षा भी हटाई जा चुकी है। जबकि यह गिरोह बेहद खतरनाक और क्रूर है। लोकल चौकी इंचार्ज मददगार बना है। तमाम शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है। आइजी से भी सुरक्षा के बाबत मिलने पहुंचा लेकिन स्टाफ ने मिलने ही नहीं दिया। सौरभ ने कुछ साल पहले अपर पुलिस अधीक्षक केसी गोस्वामी की जांच का हवाला देते हुए बताया कि 16 पुलिस कर्मियों (जो इस गैंग को अभी तक संरक्षण देते हैं) के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बल्कि मौखिक रूप से उनको डांटने के बाद अफसरों ने कई को चार्ज भी दे दिया है।

 

मनुज गोयल उर्फ मनु करता था सरकारी ठेकेदारी

सौरभ भदौरिया ने एसआइटी टीम को बताया कि विकास दुबे से मिलने वाली करोड़ों रुपए की काली कमाई को जयकांत बाजपेयी अपने बेहद करीबी मनुज गोयल उर्फ मनु को देता था। मनु इस रकम को भाइयों और सहयोगियों से मिलकर बड़े-बड़े सरकारी ठेके लेता था। इसमें बड़ी पत्ती जयकांत और विकास दुबे को पहुंचती थी। हाल में जो जांच शासन ने भेजी है। उसमें इन सब बातों का जिक्र ही नहीं है।

 

 

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