शिक्षा के क्षेत्र में "दिव्य दीप" जलाने के बाद Aryan Chaudhary अब परिवार के राजनीतिक विरासत को भी संभालने की पूरी कोशिश में जुटे हुए हैं। यह विरासत उन्हें परिवार से मिली है। बाबा चौधरी राम गोपाल सिंह यादव ने परिवार को राजनीतिक दिशा दी। चौधरी राम गोपाल सिंह यादव के बाद उनके अनुज चौधरी हरमोहन सिंह यादव ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया। खुद चौधरी हरमोहन सिंह यादव भी राज्यसभा सांसद रहे। इसके बाद परिवार की राजनीतिक विरासत को चौधरी हरमोहन सिंह के बेटे चौधरी सुखराम सिंह ने आगे बढ़ाया। MLC रहने के साथ वह विधान परिषद के सभापति भी रहे। वर्ष 2016 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए। तीसरी पीढ़ी के तौर पर यह विरासत अब चौधरी सुखराम सिंह के बेटे आर्यन चौधरी संभाल रह रहे हैं।
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YOGESH TRIPATHI
कानपुर। विरासत मिलना तो बेहद आसान है पर उसे सफलता के उच्चतम शिखर पर ले जाना बेहद दुश्वारियों भरा काम है। लेकिन इससे हटकर देश के पहले सिविलियन (शौर्यचक्र) विजेता पूर्व सांसद चौधरी हरमोहन सिंह के पौत्र और राज्यसभा सांसद चौधरी सुखराम सिंह के सुपुत्र Aryan Chaudhary अपने बाबा और पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में “दिव्य दीप” जलाकर गरीब छात्र-छात्राओं के साथ समाज के हर वर्ग के लिए मिशाल बन चुके आर्यन चौधरी राजनीति के क्षितिज पर “धूमकेतु” की तरह उभर चुके हैं।
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जाति-धर्म और पार्टी की “दीवार” को तोड़कर समाज के हर वर्ग की सहायता करने का जो मिशन आर्यन चौधरी ने शुरु किया है, वह सिर्फ कानपुर ही नहीं बल्कि आसपास के जनपदों में भी चर्चा का विषय बन चुका है। बेहद कम समय में अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि यदि जज्बा और हौसला हो तो आसमां को भी मुट्ठी में किया जा सकता है। युवाओं के लिए आइकन बन चुके Aryan Chaudhary को राजनीति की सीढ़िया विरासत में भले ही मिली हों लेकिन अपनी कार्यशैली और मधुर व्यवहार के बल पर वह अपने बाबा चौधरी हरमोहन सिंह यादव, चौधरी राम गोपाल सिंह यादव और पिता चौधरी सुखराम सिंह के साथ-साथ Kanpur City का भी नाम रोशन कर रहे हैं।
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www.redeyestimes.com के साथ बातचीत में Aryan Chaudhary ने कामयाबी और सफलता का श्रेय अपने बाबा चौधरी हरमोहन सिंह, चौधरी राम गोपाल यादव के आशीर्वाद और पिता चौधरी सुखराम सिंह यादव के साथ-साथ अपनी मां नीता सिंह के कुशल मार्गदर्शन को दिया। श्रीचौधरी ने कहा कि हर कदम पर माता-पिता ने उनका साथ दिया।
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सिर्फ सेना के जवानों और अफसरों को ही मिलता है “शौर्य चक्र”
भारत सरकार की तरफ से बहादुरी के लिए दिया जाने वाला “शौर्यचक्र” सिर्फ सेना के जवानों और अफसरों को ही मिलता है लेकिन इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि “शौर्यचक्र” किसी सिविलियन को दिया गया। जी, हां यह सम्मान सन 84 के सिख दंगों में Kanpur के कई सिख परिवारों की जान बचाने वाले पूर्व सांसद चौधरी हरमोहन सिंह यादव को भारत सरकार ने 1991 में दिया था। Aryan Chaudhary बताते हैं कि 84 के सिख दंगों के दौरान उनके बाबा चौधरी हरमोहन सिंह यादव और पिता सुखराम सिंह यादव (राज्यसभा सांसद) ने दंगाइयों से मोर्चा लेकर कई सिख परिवारों की जान बचाई थी।
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बाबा के पदचिन्हों पर पहले पिता और अब नाती Aryan Chaudhary
कहते हैं की पूत के पांव पालने में ही मालुम हो जाते हैं। इस कहावत को Aryan Chaudhary चरित्रार्थ कर कर रहे हैं। चौधरी हरमोहन सिंह यादव 91 में पहली बार राज्यसभा में सांसद बनकर पहुंचे। वर्ष 98 में राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। उसके बाद विरासत को उनके बेटे चौधरी सुखराम सिंह यादव ने बखूबी संभाला। उनके हर आदर्शों का पालन किया। चौधरी सुखराम सिंह यादव मुलायम सिंह की सरकार में विधान परिषद सदस्य (MLC) बनने के साथ राज्यमंत्री भी बनाए गए। सपा सरकार के कार्यकाल में वह विधान परिषद के सभापति भी बने और कुशलता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया। साल 2016 में सपा ने उन्हें राज्यसभा में सांसद बनाकर भेजा। बाबा और पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए आर्यन चौधरी भी समाज की सेवा के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
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बड़े बाबा चौधरी रामगोपाल यादव ने दी परिवार को राजनीतिक दिशा
Aryan Chaudhary कहते हैं कि परिवार में राजनीति की शुरुआत बड़े बाबा चौधरी राम गोपाल सिंह यादव ने न्याय पंचायत भीमसेन (सोना) से सरपंच का चुनाव जीतकर की थी। उन्होंने 1962 में बिल्हौर सीट से संसदीय चुनाव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से लड़ा था लेकिन बेहद कम अंतर से वह चुनाव हार गए। इसके बाद वह 1974 में भा.क. दल से विधायकी का चुनाव सरसौल विधान सभा सीट से लड़े। यह चुनाव वह सिर्फ 22 वोटों से हारे। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में वह फिर बिल्हौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और भारी अंतर से चुनाव में विरोधी को पटखनी देकर जीते। आर्यन चौधरी का कहना है कि सही मायनों में परिवार को राजनीतिक दिशा बड़े बाबा चौधरी राम गोपाल यादव ने दी है।
शिक्षा के क्षेत्र में मजबूती से जमाए अपने पांव
Kanpur के South City स्थित तात्या टोपे नगर स्थित हरमोहन सिंह एजूकेशन सेंटर को अब तक एक बड़ी पहचान दे चुके Aryan Chaudhary ने लंदन से MBA की पढ़ाई की है। वह शार्टकट को सफलता की कुंजी नहीं मानते हैं। सीएचएस एजूकेसन सेंटर में पैरा मेडिकल, एलएलबी, डिग्री, बीएड और नर्सिंग से जुड़े कालेज प्रबंध के साथ कई इंटर कालेज की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और आधुनिक बनाने में आर्यन चौधरी जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ छात्राओं की सुरक्षा पर उनका पूरा फोकस रहता है।
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ससुराल पक्ष का भी है मजबूत राजनीतिक “बैकग्राउंड”
Aryan Chaudhary का विवाह बुन्देलखंड के झांसी स्थित गरौठा से पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह यादव की बेटी शिवांगी सिंह के साथ हुआ है। दीप नारायण सिंह की पत्नी मीरा सिंह भी मध्यप्रदेश के रिवाड़ी विधान सभा सीट से MLA रह चुकीं हैं।
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परिवार के सेवा भावना की बयार South Africa तक बह रही
Aryan Chaudhary बताते हैं कि वर्ष 2005 में उनकी बड़ी Sister डाक्टर मेघा सिंह हास्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थीं। इसी दौरान उनके बाबू जी दीदी से मिलने पहुंचे तो वहां का माहौल उनको रास नहीं आया। उन्होंने डाक्टर मेघा से पूछा कि बेटी यहां कैसे रहती हो ? इस पर डाक्टर मेघा सिंह ने जवाब दिया कि आपके संस्कार मुझे प्रेरणा और ताकत देते है।
शायद यह परिवार के संस्कार ही है कि आज डाक्टर मेघा सिंह MBBS की पढ़ाई पूरी करने के बाद दक्षिण अफ्रीका में एड्स पीड़ितों पर काफी काम कर रही है। दक्षिण अफ्रीका से पहले वह ब्राजील में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी संस्थाओं के साथ वर्क कर चुकी हैं। डाक्टर मेघा सिंह के पति दक्षिण अफ्रीका में राजनायिक है। आर्यन चौधरी की छोटी बहन श्रुति चौधरी का विवाह दिल्ली के बड़े कारोबारी चौधरी बलवंत सिंह यादव के बेटे सुदीप से हुआ है।
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