YOGESH TRIPATHI
कानपुर/गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के BRD Medical College में ऑक्सीजन की कमी के चलते अब तक हुई 33 बच्चों की मौत का मामला काफी तूल पकड़ता जा रहा है। हालांकि सरकार ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं मान रहीं। गोरखपुर के DM राजीव रौतेला इसे सामान्य मौतें बता रहे हैं।
मामले में चौंकाने वाला खुलसा यह हुआ है कि BRD Medical College के Principal राजीव मिश्रा को भुगतान के अभाव में ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने की बात कई दिनों पहले मालुम हो गई थी लेकिन वह इस पूरे मामले में अपनी नाकामी छिपाने के लिए मीडिया को मैनेज करने में जुटे रहे। खतरे के हालात को भांप BRD Medical College के प्रिंसिपल गोरखपुर से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। सूत्रों की मानें तो अपनी पोल खुलने के डर से राजीव मिश्रा ने मेडिकल कॉलेज कैंपस में मीडिया की एंट्री पर अघोषित बैन लगा रखा था।
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सूत्रों के मुताबिक दो दिन पहले BRD Medical College प्रिंसिपल से जब बजट के अभाव में ऑक्सीजन सप्लाई ठप किए जाने की बात लोकल मीडिया ने उठाई तो राजीव मिश्रा ने कहा, "ऑक्सीजन का बजट आ गया है, जल्दी ही भुगतान कर दिया जाएगा। वहीं सप्लाई की बात है तो इसके लिए ऑक्सीजन गैंस सिलेंडर पर्याप्त मात्रा में हैं." इसके बाद भी 10 और 11 अगस्त की Night मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई कंपनी ने बाधित कर दी। जिसके चलते मासूम बच्चे तड़प-तड़प कर मरने लगे।
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अभी तक की इंट्रोगेशन में जो बात सामने निकल कर आई है उसके मुताबिक BRD Medical College में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स का करीब 70 लाख रुपये बकाया था। जबकि बकाया रकम की अधिकतम मियाद 10 लाख रुपए ही है। भुगतान न होने पर फर्म ने सप्लाई ठप करने ताकीद दे दी थी। इन सब के बाद भी प्रशासन गहरी नींद में सोता रहा। भुगतान के लिए फर्म पुष्पा सेल्स के अफसरों ने महानिदेशक चिकित्सा-शिक्षा और गोरखपुर के जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा था।
क्य बोले गोरखपुर के जिलाधिकारी ?
गोरखपुर के जिलाधिकारी राजीव रौतेला के मुताबिक बकाया धनराशि करीब 70 लाख की थी। 35 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका था। डीएम के मुताबिक कंपनी ने बताया था कि अभी भुगतान उसके अकाउंट में ट्रान्सफर नहीं हुआ है। जिलाधिकारी का कहना है कि उन्होंने कंपनी से भुगतान कराने का वादा करते हुए सप्लाई न रोकने की रिक्वेस्ट की थी। इस मामले में कंपनी ने 40 लाख रुपए का भुगतान फौरन करने की मांग की थी।
यह पत्र पुष्पा सेल्स के दीपांकर शर्मा ने लिखा था कि लिक्विड ऑक्सीजन को देहरादून के आईनॉक्स कंपनी से खरीदा जाता है, इसलिए वे इस भुगतान के बाद ही ऑक्सीजन सप्लाई चालू रखने ने सक्षम हो सकेंगे।
इन तथ्यों के सामने आने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि जब 70 लाख का बकाया हो चुका था तो प्रिंसिपल ने इस मामले में शासन को क्यों नही सूचित किया ? इस मामले में जब प्रिंसिपल राजीव मिश्रा से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। बताया जा रहा है कि खतरे के हालात को भांप प्रिंसिपल दिल्ली जा चुके हैं।
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