11 जनवरी 2000 को सुहैब के घर पर अंजू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मर्डर करने के लिए कैंची का इस्तेमाल किया गया था। बाद में कत्ल का आरोप सुहैब इलियासी पर ही लगा और उसे 28 मार्च 2000 को गिरफ्तार कर लिया गया। करीब 17 बरस तक चले मुकदमें में तीन दिन पहले ही कोर्ट ने सुहैब इलियासी को दोषी करार दिया था।
[caption id="attachment_18672" align="aligncenter" width="759"] नब्बे दशक में दूरदर्शन पर आने वाले क्राइम शो के एंकर रहे पत्रकार सुहैब इलियासी को पत्नी के कत्ल के आरोप कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की[/caption]
नई दिल्ली। अपनी “बेगम” के कत्ल के आरोपी क्राइम टीवी रियलिटी शो India’s Most Wanted के “बादशाह” रहे एंकर सुहैब इलियासी को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट आजीवन कारावास की सजा मुकर्र की। साथ ही कोर्ट ने दो लाख रुपए का जुर्माना ठोंकने के साथ 10 लाख रुपए की रकम पत्नी के परिजनों को देने का आदेश भी जारी किया है।
[caption id="attachment_18673" align="aligncenter" width="660"] पत्नी अंजू इलियासी के साथ सजायाफ्ता सुहैब इलियासी (यह फोटो करीब ढाई दशक पुरानी है)[/caption]
कोर्ट में सरकारी वकील ने की थी फांसी की मांग
बहस के दौरान सरकारी वकील ने दोषी करार दिए गए सुहैब के लिए फांसी की सजा मुकर्रर किए जाने की मांग अदालत से की थी लेकिन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वकील ने कहा कि ये गुनाहों पर सीरियल बनाता था। देश के लोग इसको देखते थे, लेकिन इसने उसी से सीख लेकर इस घटना को अंजाम दिया। इतना ही नहीं इसने हत्या के मामले को आत्महत्या दिखाने की कोशिश की। ये जघन्य अपराध का मामला है। उससे पहले सुहैब ने कहा, 'मैं बेकसूर हूं। मैं ऊपरी अदालत में इस आदेश के खिलाफ अपील करुंगा। हाईकोर्ट में सारे सबूत ले कर जाऊंगा।'
उसने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि वहां मुझे न्याय मिलेगा। मेरे खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।' उसके वकील ने कहा कि ये पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। इसका कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। लिहाज़ा इस मामले को दुर्लभ की श्रेणी मे नहीं रखा जा सकता। इसके अलावा इस मामले में बर्बरता या सुनियोजित साजिश नहीं की गई है।
कड़कड़डूमा की सत्र अदालत ने कहा कि अभियोजन की तरफ से पेश साक्ष्यों से स्पष्ट है कि अंजू के शरीर पर चाकू से कई वार किए गए थे। इन गहरे जख्मों की वजह से ही उसकी उपचार के दौरान मौत हुई। अदालत ने यह भी माना कि अंजू पर किए गए धारदार हथियार के प्रहार सुहैब इलियासी ने ही किए थे।
कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे अंजू के शरीर पर मिले 11 गहरे जख्म
11 जनवरी 2000 की लेट नाइट अंजू को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उसके शरीर पर 11 गहरे घाव थे। प्रथम दृष्टया इसे खुदकुशी का मामला माना गया था। लेकिन इसके बाद अंजू की मां रुकमा और बहन के बयान ने मामले को नया मोड़ दे दिया। परिवार ने दहेज हत्या के तहत मुकदमा दर्ज करवाया। पुलिस ने सुहैब को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन बाद में वह जमानत पर रिहा हो गया।
14 साल बाद मर्डर का मुकदमा चलाने की मिली मंजूरी
अंजू की मौत के बाद से ही उसकी मां और परिवार के सदस्य हत्या बता रहे थे। सभी का आरोप था कि दहेज के लिए सुहैब अक्सर अंजू को प्रताड़ित करता था। विदेश में रह रही अंजू की बहन ने भी पुलिस को यही बयान दर्ज कराए थे। अंजू की मां रुकमा सिंह लगातार दहेज हत्या के मामले को हत्या में तब्दील कराने के लिए अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं। अंततः अंजू की मौत के 14 साल बाद 31 अगस्त 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने रुकमा सिंह के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए सुहेब इलियासी के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी। इसके बाद नए सिरे से हुई सुनवाई के तहत अदालत ने अब सुहेब को अंजू इलियासी की हत्या का दोषी ठहराया है।
सुहैब इलियासी ने अंजू से की थी लव मैरिज
सुहेब इलियासी और अंजू साल 89 में जामिया मिलिया इस्लामिया में एक साथ पढ़ रहे थे। इसी दौरान दोनों के बीच प्रेम संबध हो गए। तब IIT Kanpur में अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे अंजू के बेटी के इस विवाह का विरोध किया था लेकिन अंजू ने पिता की बातों को अनसुना कर सुहैब से 1993 में लंदन में विशेष विवाह अधिनियम के तहत प्रेम विवाह किया।
अंजू ने अपना नाम बदलकर अफसान रख लिया था। लेकिन 2000 आने तक दोनों के संबंधों में खटास बढ़ने लगी थी। अंजू सुहेब से तलाक लेना चाहती थी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच झगड़े हो रहे थे। घटना के समय इनकी एक ढाई साल की बेटी भी थी।
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