आरुषि के मर्डर को आठ साल बीत गए लेकिन उसे इंसाफ अभी भी नहीं मिला। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि के माता-पिता तलवार दंपति को बेगुनाह करार देते हुए अजीवन कारावास की सजा से बरी कर दिया। लेकिन अहम सवाल अब यह उठता है कि आखिर आरुषि का बेरहमी से किसने और क्यों कत्ल किया ? 


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इलाहाबाद। यूपी के बहुचर्चित आरुषि मर्डर केस के मुख्य आरोपी तलवार दंपति को इलाहाबाद High Court ने दोषमुक्त करार देते हुए उम्रकैद की सजा से बरी कर दिया। उल्लेखनीय है कि साक्ष्यों के आधार पर CBI Court ने तलवार दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके बाद तलवार दंपति ने सीबीआइ के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।


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मीडिया की सुर्खियों में रहा है आरुषि मर्डर केस


यूपी के नोएडा में कई साल पहले हुए आरुषि मर्डर केस लंबे समय तक मीडिया की सुर्खियों में रहा। आरुषि की हत्या के बाद मामला पेंचीदा होने पर जांच सीबीआइ को दी गई थी। सीबीआइ ने इस मामले में आरुषित के माता-पिता को आरोपी बनाते हुए अरेस्ट किया था। लंबे समय तक चले ट्रायल के बाद CBI Court ने तलवार दंपति को हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावस की सजा सुना दी थी।


फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका


नोएडा के आरुषि मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा होने के बाद तलवार दंपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तलवार दंपति को दोषमुक्त करार दिया।

आरुषि केस : कब क्या हुआ?

वर्ष 2008
16 मई : 14 साल की आरुषि बेडरूम में मृत मिली
हत्या का शक घरेलू नौकर हेमराज पर गया
17 मई : हेमराज का शव घर के टैरेस पर मिला
23 मई : दोहरी हत्या के आरोप में डॉ राजेश तलवार गिरफ़्तार
1 जून : सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली
13 जून : डॉ तलवार का कंपाउंडर कृष्णा गिरफ़्तार
बाद में राजकुमार और विजय मंडल भी गिरफ्तार
तीनों को दोहरे हत्या का आरोपी बनाया गया
12 जुलाई : राजेश तलवार डासना जेल से ज़मानत पर रिहा
10 सितंबर, 2009-
मामले की जांच के लिए नई सीबीआई टीम
12 सितंबर : कृष्णा,राजकुमार और मंडल को ज़मानत,
सीबीआई 90 दिन में नहीं दे पाई चार्जशीट

29 दिसंबर, 2010
सबूतों के अभाव में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट
रिपोर्ट में तलवार दंपत्ति आरोपी नहीं थे
परिस्थितिजन्य सबूतों से क़ातिल होने का इशारा

25 जनवरी, 2011
क्लोजर रिपोर्ट के ख़िलाफ राजेश तलवार का प्रोटेस्ट पिटीशन
कोर्ट ने भी क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार नहीं किया
लेकिन रिपोर्ट के आधार पर आरोप तय किए
तलवार दंपत्ति को सुप्रीम कोर्ट तक भी राहत नहीं

2012
11 जून : सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू

वर्ष 2013
10 अक्टूबर: आखिरी बहस शुरू
25 नवंबर : विशेष अदालत ने तलवार दंपत्ति को दोषी करार देते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई

2014
जनवरी : निचली अदालत के फ़ैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती

2017
8 सितंबर : इलाहाबाद हाइकोर्ट ने अपील पर फैसला सुरक्षित रखा

12 अक्तूबर को इलाहाबाद ने अपना फैसला सुनाते हुए तलवार दंपति को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।
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