Ram Rahim has also written five times himself for the Padma awardsThe Screening Committee has dismissed the letter every time the rap case was filed


[caption id="attachment_16727" align="aligncenter" width="960"]gurmeet ram rahim lobbying padm award, redeyestimes gurmeet ram rahim lobbying padm award with hanipreet[/caption]

YOGESH TRIPATHI

नई दिल्ली/कानपुर।Rape के मामले में CBI Court से सजा मुकर्रर होने के बाद रोहतक की सुनारिया जेल में कैद हो चुके Rapist Ram Rahim की हर “मिस्ट्री” से अब पर्दा उठ रहा है। सूत्रों की मानें तो Rapist Ram Rahim देश के सर्वोच्च पुरस्कार में एक पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे पुरस्कार को पाने के लिए लंबे समय से कवायद कर रहा था। इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि महज तीन साल के अंतराल में उसने 4208 सिफारिशी चिट्ठियां और पत्र पद्म पुरस्कार समिति के पास भेजवाईं थीं। इसमें 650 सिफारिशी पत्र तो इस वर्ष भेजे गए हैं। सूत्रों की मानें तो उसके इस "खेल" में उसकी कथित "धर्मबेटी" हनीप्रीत इंसा भी खूब साथ दे रही थी।

कुछ भी दे दो सब चलेगा


 पद्मश्री कमेटी के पास भेजवाए गए सिफारिशी पत्रों और चिट्ठियों में Rapist Ram Rahim ने गुजारिश की थी कि कुछ भी दे दो लेकिन मुझे दे दो। मतलब साफ था कि पद्म पुरस्कारों में कोई भी पुरस्कार चाहिए। चाहे वह पद्मश्री, पद्मभूषण या फिर पद्मविभूषण ही क्यों न हो।

अपने गुंडों और गुर्गों से लिखवाता था सिफारिशी पत्र


सूत्रों की मानें तो Rapist Ram Rahim अपने गुर्गों और गुंडों के जरिए सिफारिशी पत्र लिखवाता था। इन पत्रों के जरिए उसने हजारों बार पद्म पुरस्कार पाने के लिए जुगाड़ लगाया लेकिन उसका जुगाड़ नहीं चला। सूत्रों की मानें तो सिरसा के एक गुर्गे ने सैकड़ों सिफारिशी पत्र लिखे हैं।

स्क्रीनिंग कमेटी ने खारिज किए सिफारिशी पत्र और चिट्ठियां


Rapist Ram Rahim ने गुंडों और गुर्गों के जरिए पद्म पुरस्कार पाने के लिए सिफारिशी पत्रों को तो लिखवाया ही साथ ही उसने पांच बार खुद भी पत्र लिखकर पद्म पुरस्कार पाने की अपील की थी। शायद उसे यह नहीं पता था कि गृह मंत्रालय के पास सिफारिश पत्र भेजे जाने पर स्क्रीनिंग कमेटी सबसे पहले आपराधिक रिकॉर्ड की जांच करती है। चूंकि Rapist Ram Rahim पर रेप का केस चल रहा था। लिहाजा हर बार उसका पत्ता साफ होता रहा। सूत्रों की मानें तो यदि रेप का मुकदमा न चल रहा होता तो राम रहीम की सेटिंग इतनी तगड़ी थी कि वह काफी पहले ही पद्म पुरस्कार पा चुका होता। उसकी वजह यह है कि काफी पहले जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तो उस समय भी राम रहीम सत्ता का काफी करीबी रहा था।
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