PCI ने ECI (इलेक्शन कमीशन आयोग) की शिकायत पर की गई जांच में दैनिक जागरण को दोषी पाया | पहले भी पेड न्यूज छापने के लग चुके हैं आरोप
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YOGESH TRIPATHI
नई दिल्ली। PCI (प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) ने देश के प्रमुख मीडिया हाउस में एक “दैनिक जागरण” पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उसे मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से DAVP को जारी एडवाइजरी में ताकीद दी गई है कि वह यह सुनिश्चित करे कि दैनिक जागरण समेत 51 अखबारों को सरकारी विज्ञापन न दिए जाएं। इन सभी पर पेड न्यूज (पैसा लेकर) छापने का आरोप है। गौरतलब है कि PCI प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) पत्रकार एवं पत्रकारों के संगठनों की सर्वोच्च संस्था है।
PCI को ठोस सबूत नहीं दे पाया “दैनिक जागरण”
PCI ने केंद्र सरकार की तरफ से कुछ दिन पहले मिले निर्देश के बाद पेड न्यूज छापने के मामले की जांच की थी। जांच के दौरान दैनिक जागरण अपने पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं दे सका। सिर्फ जागरण ही नहीं यूपी, एमपी, दिल्ली समेत कई राज्यों के कुल 51 मीडिया हाउस यह प्रमाण नहीं दे सके कि उन पर जो पेड न्यूज छापने का जो आरोप लगा है वह गलत है।
PCI ने भी जांच में माना मोटी रकम लेकर छापी थीं खबरें
PCI की जांच में यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि दैनिक जागरण अखबार ने मोटी रकम लेकर यूपी इलेक्शन में खबरें छापी थीं। दैनिक जागरण जैसे मीडिया हाउस पर यह आरोप कोई पहली बार नहीं लगा है। इसके पहले भी कई चुनावों में उस पर मोटी रकम लेकर कुछ दलों के पक्ष में खबरें प्रकाशित करने का आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं। यह संयोग ही था कि इन सबके बाद भी जागरण पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। गौरतलब है कि यूपी इलेक्शन के बाद गाजियाबाद समेत यूपी के 15 जिलों में दैनिक जागरण के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड की गई। दैनिक जागरण के संपादक संजय गुप्ता समेत कई संपादकों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ दबिशें भी दीं। कई को हिरासत में भी लिया गया।
गिरती साख को बचाने के लिए कई पत्रकारों लगाई थी PCI से गुहार
दैनिक जागरण के इस कृत्य के बाद PCI से कई बड़े पत्रकारों और अन्य मीडिया हाउस ने उसे कसूरवार मानते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। कई पत्रकारों ने तो दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्ता को गिरफ्तार करने की मांग कर डाली। वरिष्ठ पत्रकार और इंदिरा गांधी कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने तो दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्ता को हर कीमत पर गिरफ्तार करने की मांग की थी। उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण समूह पर कई बार मोटी रकम लेकर चुनाव में खबरें छापने के आरोप लग चुके हैं।
PCI ने ECI की शिकायत को गंभीरता से लेकर की कार्रवाई
PCI प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत को बेहद गंभीरता से लेते हुए अपनी जांच में दैनिक जागरण को दोषी करार दिया। यही वजह रही कि सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय की तरफ से 13 सितंबर 2017 को जारी की गई एडवाइजरी में DAVP से साफ कहा गया है कि वह सुनिश्चित करे कि दैनिक जागरण समूह को मिलने वाले सरकारी विज्ञापन पर दो महीने तक पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि बाद में इस बाबत विचार किया जाएगा कि दैनिक जागरण को सरकारी विज्ञापन के दायरे में लाया जाए या नहीं। मतलब साफ है कि आने वाले समय में भी दैनिक जागरण की मुश्किलें कम नहीं होंगी। केंद्र सरकार के तमाम मंत्रियों के आगे उसके प्रबंधतंत्र को गिड़गिड़ाना पड़ेगा।
8 साल पहले दैनिक जागरण के महेंद्र मोहन गुप्ता को पुलिस ने पीटा था
दैनिक जागरण अखबार के मालिकान और डायरेक्टर अक्सर अपनी हरकतों के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं। बात करीब आठ साल पहले की है। टाटमिल चौराहे पर एक पार्टी का आयोजन चल रहा था। इसमें जागरण समूह परिवार के लोगों के साथ शहर के कई बड़े कारोबारी महफिल का आनंद ले रहे थे। देर रात औचक निरीक्षण पर निकले तत्कालीन एसएसपी प्रेम प्रकाश सिंह ने डीजे बजता देख इंस्पेक्टर को डीजे बंद कराने का निर्देश दिया। तत्कालीन चर्चित इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी जब डीजे बंद कराने पहुंचे तो उनसे अभद्रता की गई।
इस पर पुलिस ने पूर्व सांसद और जागरण समूह के अहम हस्तियों में एक महेंद्र मोहन समेत कई लोगों की पिटाई की। एक शख्स के आंख में गहरी चोट लगी। इंस्पेक्टर ने मंहगी शराब बरामद करने के बाद कई लोगों को हिरासत में भी ले लिया, हालांकि बाद में छोड़ दिया। लेकिन तस्करा डालना वह नहीं भूले। उनको पता था कि मामला मीडिया के बड़े घराने का है। तब सूबे में बसपा की सरकार थी। कानपुर शहर में चर्चित एसएसपी रहे यशस्वी यादव ने भी एक बार नहीं बल्कि दो बार दैनिक जागरण अखबार के मालिकों पर नकेल कसी। पुलिस के बड़े सूत्रों की मानें तो एक मामले में तो चार्जसीट तक लग चुकी है।
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